राष्ट्रीय सुरक्षा के हवाले से '4PM' यूट्यूब चैनल पर रोक, संपादक का कानूनी लड़ाई का ऐलान

वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा द्वारा संचालित डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म '4PM' को यूट्यूब पर एक्सेस करना अब संभव नहीं है।

Last Modified:
Wednesday, 30 April, 2025
4pm


वरिष्ठ पत्रकार संजय शर्मा द्वारा संचालित डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म '4PM' को यूट्यूब पर एक्सेस करना अब संभव नहीं है। जानकारी के मुताबिक, यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी शिकायतों के आधार पर की गई है।

सूत्रों का कहना है कि सूचना-सारण मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद चैनल को हटाया गया। हालांकि, अभी तक इस संबंध में यूट्यूब की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।

चैनल बंद किए जाने के बाद संपादक संजय शर्मा ने इस कदम पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि वह इसे न्यायिक स्तर पर चुनौती देंगे। उनका कहना है कि देश में डिजिटल मीडिया की स्वतंत्र आवाजों पर बढ़ती पाबंदियां चिंता का विषय बन चुकी हैं।

बता दें कि '4PM' लंबे समय से सोशल मीडिया पर सक्रिय रहा है और विभिन्न सामयिक व सामाजिक मुद्दों पर मुखर रिपोर्टिंग करता रहा है। 

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एक दशक बाद गूगल ने बदला लोगो, अब दिखेगा ऐसा

गूगल ने लगभग एक दशक बाद अपने ‘G’ लोगो को नया रूप दिया है।

Last Modified:
Tuesday, 13 May, 2025
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गूगल ने लगभग एक दशक बाद अपने ‘G’ लोगो को नया रूप दिया है। अब तक इस्तेमाल हो रहा यह लोगो पहली बार साल 2015 में बदला गया था, जब कंपनी ने छोटे अक्षर वाले सफेद ‘g’ को नीले बैकग्राउंड से हटाकर रंग-बिरंगे गोल डिजाइन में पेश किया था। लेकिन अब कंपनी ने फिर से इस लोगो को और आधुनिक रूप दिया है।

नए लोगो में गूगल के पारंपरिक चार रंग- लाल, पीला, हरा और नीला अब एक ग्रेडिएंट फॉर्मेट में नजर आते हैं। पहले ये रंग अलग-अलग हिस्सों में बंटे होते थे, लेकिन अब इनका इस्तेमाल एक स्मूद और मिलाजुला प्रभाव देने के लिए किया गया है, जो इसे और अधिक जीवंत बनाता है।

बताया जा रहा है कि इस बदलाव की शुरुआत धीरे-धीरे हो रही है। कुछ डिवाइसों पर यह नया लोगो दिखाई देने भी लगा है, जबकि अन्य प्लेटफॉर्म्स पर यह चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। डिजाइन में किया गया यह बदलाव गूगल के जेमिनी ग्रेडिएंट की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।

गूगल का यह नया लोगो अब और ज्यादा रंगीन और आकर्षक दिख रहा है, जो यूजर एक्सपीरियंस को और बेहतर बनाने की कोशिश का हिस्सा है।

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भारत में कंटेंट क्रिएटर्स का नया दौर, YouTube के CEO ने की देश के मजबूत भविष्य की बात

मुंबई में मई की शुरुआत में आयोजित पहले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) को लेकर यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने भारत की तारीफ की है।

Last Modified:
Tuesday, 13 May, 2025
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मुंबई में मई की शुरुआत में आयोजित पहले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) को लेकर यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने भारत की तारीफ की है। उन्होंने लिंक्डइन पोस्ट में इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह देखना बेहद खास था कि भारत किस तेजी से एक "क्रिएटर नेशन" के रूप में उभर रहा है। उन्होंने बताया कि आज भारत के कंटेंट क्रिएटर्स की दुनिया में सबसे मजबूत कम्युनिटी बन चुकी है।

उन्होंने कहा, "मुंबई में आयोजित पहले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) में शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात थी। इस आयोजन को साकार करने में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अहम भूमिका रही। मैं भारत सरकार का आमंत्रण और गर्मजोशी से किए गए स्वागत के लिए धन्यवाद करता हूं।"

उन्होंने आगे कहा कि लगातार आयोजित हुए इन कार्यक्रमों के दौरान जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह यह थी कि भारत बहुत तेजी से एक 'क्रिएटर नेशन' बनता जा रहा है। आज भारत की क्रिएटर कम्युनिटी पहले से कहीं ज्यादा बड़ी और मजबूत हो गई है।

नील मोहन ने बताया कि पिछले साल 100 मिलियन से ज्यादा भारतीय यूट्यूब चैनलों ने प्लेटफॉर्म पर कंटेंट अपलोड किया, जिनमें से 15,000 से अधिक चैनलों के एक मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। यह संख्या दो साल पहले की तुलना में दोगुनी हो चुकी है।

अपने कीनोट भाषण में नील मोहन ने कहा कि भारत का क्रिएटर इकोनॉमी आज केवल रचनात्मकता नहीं बल्कि एक मजबूत उद्यमिता की मिसाल बन चुकी है। कलाकार, एंटरटेनर और छोटे व्यवसायी अपने जुनून को व्यवसाय में बदलकर देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यूट्यूब की ओर से बीते तीन वर्षों में भारत के क्रिएटर्स, आर्टिस्ट्स और मीडिया कंपनियों को ₹21,000 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया गया है।

नील मोहन ने यह भी बताया कि आने वाले दो वर्षों में यूट्यूब भारत के क्रिएटर्स, कलाकारों और मीडिया पार्टनर्स की ग्रोथ के लिए ₹850 करोड़ से ज्यादा का निवेश करेगा। उन्होंने कहा कि यूट्यूब केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर विश्वस्तरीय क्रिएटिव टैलेंट को तराशने और भारत की विविध संस्कृति को वैश्विक मंचों तक पहुंचाने में भी सहयोग कर रहा है।

उन्होंने यह भी साझा किया कि भारत में बना कंटेंट दुनियाभर में लोकप्रिय हो रहा है। उदाहरण के लिए, लेर्नोहब की रोशनी मुखर्जी और आर्टिस्ट किंग जैसे क्रिएटर अपने नॉलेज, इतिहास और कला को दुनिया से जोड़ रहे हैं। केवल पिछले साल ही भारत से बाहर के दर्शकों ने भारतीय कंटेंट को 45 बिलियन घंटे तक देखा।

WAVES समिट में भाग लेने के बाद नील मोहन ने कहा कि वह भारत के रचनात्मक विकास की इस यात्रा को लेकर और भी उत्साहित हैं और जल्द ही दोबारा यहां लौटने की उम्मीद करते हैं।

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देश में न्यूज पोर्टल ‘The Wire’ का एक्सेस हुआ ब्लॉक

सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए ‘द वायर’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर अपने पाठकों को संबोधित करते हुए एक ट्वीट किया है।

Last Modified:
Friday, 09 May, 2025
The Wire

न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ (The Wire) ने भारत सरकार पर प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस बारे में ‘द वायर’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर एक ट्वीट भी किया है। अपने पाठकों को संबोधित करते हुए इस ट्वीट में ‘द वायर’ ने लिखा है, ‘भारत सरकार ने देशभर में उनकी वेबसाइट thewire.in का एक्सेस (Access) ब्लॉक कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के आदेश पर, आईटी एक्ट, 2000 के तहत की गई है।’

इसके साथ ही ‘द वायर‘ ने सरकार के इस कदम को ‘प्रेस की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का स्पष्ट उल्लंघन’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब भारत को सच्ची, निष्पक्ष और तर्कसंगत खबरों की सबसे अधिक आवश्यकता है। ’द वायर’ ने इस सेंसरशिप को ’मनमाना और अस्पष्ट’ बताते हुए इसके खिलाफ सभी जरूरी कदम उठाने की बात कही है।

’द वायर’ ने अपने इस संदेश में यह भी कहा कि पिछले 10 वर्षों से पाठकों का समर्थन उनकी ताकत रहा है और इस मुश्किल समय में भी वह अपने पाठकों के साथ मिलकर इस अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे और अपने पाठकों को सच्ची और सटीक खबरें उपलब्ध कराने के अपने संकल्प से पीछे नहीं हटेंगे।’

इसके साथ ही ’द वायर’ ने इस मुद्दे को लेकर कानूनी और अन्य रास्तों पर विचार करने की बात कही है, ताकि उनकी वेबसाइट तक पाठकों की पहुंच बहाल हो सके। वहीं, खबर लिखे जाने तक सरकार की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

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ऑपरेशन सिंदूर के बीच X ने भारत सरकार के आदेश पर 8,000 अकाउंट किए ब्लॉक

माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) ने भारत सरकार के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है।

Last Modified:
Friday, 09 May, 2025
X8745

माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) ने भारत सरकार के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया है। यह कदम ऑपरेशन सिंदूर व पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है।

X ने एक बयान में कहा, "हमें भारत सरकार से कार्यकारी आदेश प्राप्त हुए हैं, जिनमें 8,000 से अधिक अकाउंट्स को ब्लॉक करने को कहा गया है। यदि इन आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो कंपनी के स्थानीय कर्मचारियों पर भारी जुर्माना और जेल जैसी सजा का खतरा है। इन आदेशों में कुछ अंतरराष्ट्रीय समाचार संगठनों और प्रमुख X यूजर्स के अकाउंट्स को भी भारत में ब्लॉक करने की मांग की गई है।"

प्लेटफॉर्म ने कहा कि वह इन निर्देशों का पालन करेगा और संबंधित अकाउंट्स की भारत में पहुंच को सीमित करेगा, हालांकि यह फैसला लेना आसान नहीं था। X का कहना है कि उसका मंच लोगों के लिए सूचनाओं तक पहुंच का एक अहम जरिया है।

साथ ही, X ने इस बात पर चिंता जताई कि उसे सरकार द्वारा जारी आदेशों को सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं है। कंपनी ने कहा, "इन आदेशों को प्रकाशित करना पारदर्शिता के लिए जरूरी है। जब इन्हें गोपनीय रखा जाता है, तो जवाबदेही कमजोर होती है और मनमाने फैसलों की संभावना बढ़ जाती है।"

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब भारत-पाक तनाव के चलते सोशल मीडिया पर सूचनाओं को लेकर निगरानी और नियंत्रण पहले से अधिक सख्त हो गया है।

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केरल में डिजिटल मीडिया संपादक की गिरफ्तारी पर बवाल, बीजेपी व प्रेस क्लब ने जताई नाराजगी

तिरुवनंतपुरम में एक डिजिटल मीडिया संपादक की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और पत्रकारिता जगत में हलचल मचा दी है।

Last Modified:
Thursday, 08 May, 2025
ShajanSkaria

तिरुवनंतपुरम में एक डिजिटल मीडिया संपादक की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और पत्रकारिता जगत में हलचल मचा दी है। ऑनलाइन पोर्टल 'मरुनादन मलयाली' के संपादक शजन स्कारिया को सोमवार रात साइबर पुलिस ने उनके घर से हिरासत में लिया।

स्कारिया के खिलाफ यह कार्रवाई एक महिला एनआरआई की ओर से दायर मानहानि की शिकायत के आधार पर की गई, जो माहे क्षेत्र से ताल्लुक रखती हैं।

स्कारिया का आरोप है कि पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान उन्हें सामान्य शिष्टाचार तक नहीं दिया और उन्हें शर्ट पहनने का मौका भी नहीं दिया गया। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ यह कदम राज्य सरकार के भ्रष्टाचार को सामने लाने की वजह से उठाया गया है। उन्हें गिरफ्तार करने के बाद मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत मिल गई।

इस पूरे घटनाक्रम पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के राज्य प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया को चुप कराने की हरकतें स्वीकार नहीं की जाएंगी और बीजेपी इस तरह की कोशिशों का डटकर विरोध करेगी।

तिरुवनंतपुरम प्रेस क्लब ने भी स्कारिया की गिरफ्तारी के तरीके को अस्वीकार्य बताया है। क्लब का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया की स्वतंत्रता को इस तरह कुचला जाना गंभीर चिंता का विषय है।

 

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मीडिया एक्सपर्ट से एडटेक इनोवेटर बने राजकुमार रेमल्ली BidVid से गढ़ रहे नई परिभाषा

आज के समय में डिजिटल विज्ञापन न केवल महंगा हो गया है, बल्कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धी भी हो गया है। ऐसे में एक क्रांति भारत में चुपचाप आकार ले रही है, न कि सिलिकॉन वैली में।

Last Modified:
Wednesday, 07 May, 2025
Rajkumar7845

आज के समय में डिजिटल विज्ञापन न केवल महंगा हो गया है, बल्कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धी भी हो गया है। ऐसे में एक क्रांति भारत में चुपचाप आकार ले रही है, न कि सिलिकॉन वैली में। इसका नाम है BidVid एक एआई-एमएल आधारित बिड ऑप्टिमाइजेशन टूल, जिसे मीडिया इंडस्ट्री के दिग्गज राजकुमार रेमल्ली ने विकसित किया है। इसका एक ही लक्ष्य है: YouTube विज्ञापनों को बेहद कुशल बनाना। और दिलचस्प बात यह है कि ये टूल अपने वादों पर खरा भी उतर रहा है।

क्या है BidVid?

BidVid एक ऑटोमेटेड बिड इंजन है। इसे सीधे YouTube अभियान (विशेष रूप से Google DV360 के जरिए) में प्लग करें और यह रियल टाइम में बिड्स को ऑप्टिमाइज करना शुरू कर देता है। इसके लिए न मीडिया प्लान बदलने की जरूरत है, न कैंपेन स्ट्रक्चर, और न ही कोई संवेदनशील डेटा साझा करना पड़ता है।

यह टूल सीधे आपके अकाउंट पर काम करता है और लाइव इंप्रेशन डेटा के आधार पर बिड्स को एडजस्ट करता है — किसी पुराने ट्रेंड पर नहीं, बल्कि वास्तविक प्रदर्शन के आधार पर। नतीजा? विज्ञापनदाता माध्यम लागत में 20% तक की बचत देख रहे हैं, और कुछ मामलों में 50-70% तक की कुशलता भी हासिल कर चुके हैं।

BidVid के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रोहित ओंकार बताते हैं, “FMCG और एंटरटेनमेंट जैसी श्रेणियों में हमने देखा कि कैंपेन परफॉर्मेंस में तेज और नाटकीय सुधार हुआ। आप आज इसे जोड़ें और 24 से 48 घंटे में असर देख सकते हैं।”

कुशलता के लिए बना, हस्तक्षेप के लिए नहीं

BidVid कोई रहस्यमयी या छिपी हुई प्रणाली नहीं है। यह आपके डेटा को स्टोर नहीं करता और न ही आपकी रणनीति में दखल देता है। यह सिर्फ आपके मौजूदा टूल्स को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करता है। इसे यूं समझिए जैसे आपकी कार के लिए एक ट्यूनिंग चिप हो — बस यहां यह आपके मीडिया खर्च को ट्यून करता है।

राजकुमार कहते हैं, “हम Google के ईकोसिस्टम की सीमाओं के भीतर रहकर ही काम करते हैं। हमारा मकसद है कि ब्रैंडस अपने मौजूदा टूल्स का अधिकतम लाभ उठा सकें।”

BidVid का डायनामिक वॉटरफॉल मॉडल हर इंप्रेशन के हिसाब से बिड को फाइन-ट्यून करता है — CPM, पहुंच और फ्रिक्वेंसी जैसे प्रमुख संकेतकों के आधार पर लगातार समायोजन करता है — ताकि किसी कमजोर इन्वेंट्री के लिए अधिक भुगतान न करना पड़े।

BidVid का विजन

राजकुमार रेमल्ली का करियर मीडिया-टेक स्टार्टअप के लिए आदर्श नींव जैसा दिखता है। उन्होंने The Times of India, Hindustan Times, NDTV Media और OpenX जैसे संगठनों में वरिष्ठ भूमिकाएं निभाई हैं। दशकों से उन्होंने इस बात पर नजर रखी है कि ब्रांड किस तरह मीडिया खरीद में कुशलता खोते हैं।

वे कहते हैं, “भारत जैसे बाजार में विज्ञापनदाताओं पर कम खर्च में ज्यादा पाने का दबाव होता है। BidVid इसी जरूरत से पैदा हुआ — यह केवल एक उत्पाद नहीं है, बल्कि प्रोग्रामेटिक विज्ञापन की सोच को नया आकार देने की कोशिश है।”

पूरी तरह भारत में विकसित BidVid आज वैश्विक मंच पर अपनी पकड़ बना रहा है। मिडल ईस्ट, साउथईस्ट एशिया और यूरोप के ब्रांड इसे अपना रहे हैं। एक डिस्ट्रीब्यूटेड टीम इस प्रयास को संभाल रही है, जो न केवल स्थानीय जरूरतें समझती है, बल्कि ब्रैंडस को लगातार ऑप्टिमाइज करने में भी मदद करती है।

इसकी अहमियत क्यों है?

YouTube आज भी दुनिया के सबसे प्रभावशाली विज्ञापन प्लेटफॉर्म्स में से एक है, लेकिन यहां गलत बिडिंग से बजट तेजी से खत्म हो सकता है। BidVid इस समस्या का समाधान बनकर उभरा है- एक एल्गोरिदमिक सहायक, जो बैकएंड से यह सुनिश्चित करता है कि हर रुपये, डॉलर या यूरो का अधिकतम असर हो।

राजकुमार बताते हैं, “कुछ मामलों में ब्रैंडस को वही परिणाम ₹100 की जगह ₹60 में मिले — और उन्हें अपने कैंपेन में कुछ भी बदलने की जरूरत नहीं पड़ी।”

बढ़ती लागत, घटती ध्यान अवधि और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के इस दौर में, BidVid जैसे टूल अब केवल सहायक नहीं, बल्कि आवश्यक बनते जा रहे हैं। 

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पहलगाम हमला व ऑपरेशन सिंदूर: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर सख्ती

महाकुंभ की रिपोर्टिंग से चर्चा में आईं तान्या मित्तल को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश पर्यटन से जुड़ी ब्रैंड साझेदारियों से हाथ धोना पड़ा

Last Modified:
Wednesday, 07 May, 2025
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शालिनी मिश्रा, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

“आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।” यही वह वाक्य है जिसे लिखने के बाद सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर तान्या मित्तल विवादों में घिर गईं। नतीजा यह हुआ कि जिन दो राज्यों के पर्यटन कैंपेंस से वह जुड़ी हुई थीं, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश — दोनों ने सार्वजनिक रूप से किसी भी आधिकारिक साझेदारी से इनकार कर दिया।

2 मिलियन से अधिक इंस्टाग्राम फॉलोअर्स वाली मित्तल सोशल मीडिया पर खुद को “सनातनी” कहती हैं और मंदिर पर्यटन से जुड़े कंटेंट के लिए जानी जाती हैं। हाल ही में उन्होंने महाकुंभ पर कई वीडियो भी बनाए थे। लेकिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद उनकी एक पोस्ट ने उन्हें विवाद के केंद्र में ला खड़ा किया।

समर्थन की अपील बनी सवालों का कारण

अपनी अब डिलीट की जा चुकी पोस्ट में तान्या ने बताया था कि उनके दोस्त उस दिन कश्मीर में मौजूद थे और स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की, जिससे वे सुरक्षित श्रीनगर पहुंच पाए। उन्होंने लोगों से एकता बनाए रखने की अपील भी की। लेकिन कुछ यूजर्स ने इस पोस्ट को यह कहकर निशाना बनाया कि वह हमले के “धार्मिक पक्ष” की अनदेखी कर रही हैं। हमले में मारे गए 26 लोगों में ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे।

इसके बाद दोनों राज्यों- उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के पर्यटन विभागों की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया कि तान्या मित्तल के साथ कोई औपचारिक सहयोग नहीं है, जबकि उनके इंस्टाग्राम बायो में वह खुद को “ब्रैंड एंबेसडर” बताती रही हैं।

सरकारी साझेदारियों का नाजुक संतुलन

तान्या का मामला यह दिखाता है कि चाहे साझेदारी किसी ब्रैंड की हो या सरकार की, विवाद की स्थिति में उन्हें तुरंत समाप्त किया जा सकता है। पब्लिक छवि और “ब्रैंड सेफ्टी” आज भी प्राथमिकता है और राजनीति से जुड़ा कोई भी बयान संस्थानों के लिए जोखिम बन सकता है।

तान्या अकेली नहीं हैं। इस हमले से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मद्री काकोटी (डॉ. मेदूसा के नाम से मशहूर) और भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर पर भी राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं। दोनों पर उत्तर प्रदेश में अलग-अलग एफआईआर दर्ज हैं।

सोशल मीडिया से संकट नियंत्रण तक

सरकार ने हमले के बाद सोशल मीडिया पर जनभावना को संभालने में तेजी दिखाई। महंगे हवाई किरायों को लेकर उठे मुद्दे के बाद कई कंटेंट क्रिएटर्स ने वीडियो पोस्ट कर बताया कि सरकार ने तेजी से कार्रवाई की और हवाई सेवाएं सामान्य कर दी गई हैं।

इन पोस्ट्स में किसी भी जगह यह उल्लेख नहीं था कि वे सरकार के साथ आधिकारिक तौर पर जुड़े हैं या नहीं। एक जैसी भाषा और समय पर आई पोस्टों ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या यह सब एक संगठित पब्लिक रिलेशंस कैंपेन था और यदि हां, तो क्या यह छुपा हुआ विज्ञापन नहीं कहलाएगा?

नीति के स्तर पर भी बढ़ी सक्रियता

उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही एक डिजिटल मीडिया नीति ला चुकी है, जिसके जरिए सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए इन्फ्लुएंसर्स को औपचारिक रूप से जोड़ा जा रहा है। इसमें ₹3 लाख से ₹8 लाख प्रति माह तक की तयशुदा भुगतान व्यवस्था भी है।

लेकिन यह नीति विवादों से अछूती नहीं है। इसमें “राष्ट्रविरोधी कंटेंट” के लिए तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। अश्लील या मानहानिकारक पोस्ट करने पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा भी हो सकता है।

एक एजेंसी ‘V-Form’ को इसका संचालन सौंपा गया है, जो इन्फ्लुएंसर्स को उनके फॉलोअर्स के आधार पर चार श्रेणियों में बांटती है।

क्रिएटर इकोनॉमी को लेकर केंद्र सरकार का बड़ा दांव

केंद्र सरकार भी इस दिशा में पीछे नहीं है। भारत को कंटेंट एक्सपोर्ट का ग्लोबल हब बनाने के लक्ष्य के साथ $1 बिलियन (लगभग ₹8300 करोड़) का फंड क्रिएटर्स के लिए तय किया गया है। इसके अलावा ₹391 करोड़ की लागत से 'इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी' की स्थापना की जा रही है।

EY की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की क्रिएटर इकोनॉमी 2024 में ₹125 बिलियन की थी और 2030 तक इसके ₹500 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है — 25% की सालाना वृद्धि दर के साथ।

अब संसद में भी उठा सोशल मीडिया कंटेंट का मुद्दा

पहले इंडियाज गॉट टैलेंट विवाद और अब पहलगाम हमले के बाद, सोशल मीडिया पर दिखने वाला कंटेंट संसद तक पहुंच चुका है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं IT मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा है कि “देश के हितों के खिलाफ काम करने वाले प्लेटफॉर्म्स और इन्फ्लुएंसर्स” के खिलाफ क्या कदम उठाए गए हैं।

मंत्रालयों से 8 मई तक जवाब मांगा गया है और संकेत हैं कि अगर संतोषजनक उत्तर नहीं मिले, तो आईटी अधिनियम के तहत कुछ प्लेटफॉर्म्स को प्रतिबंधित किया जा सकता है। 

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भारत में नया डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म 'Spot On' लॉन्च, इस तरह का होगा कंटेंट

‘Spot On’ नामक एक नया डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म आधिकारिक तौर पर लॉन्च हो गया है

Last Modified:
Friday, 02 May, 2025
SpotOn7845

भारत एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जहां बहुसंख्यवाद के बढ़ते प्रभाव और अभिव्यक्ति की आजादी पर छाए संकट के बीच, ‘Spot On’ नामक एक नया डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म आधिकारिक तौर पर लॉन्च हो गया है। इसका मकसद है युवाओं तक ऐसी खबरें पहुंचाना, जिन्हें मुख्यधारा मीडिया में नजरअंदाज कर दिया जाता है और वह भी ऐसे फॉर्मेट में जो उनके लिए सहज और असरदार हो।

इस पहल की शुरुआत पत्रकार व मीडिया प्रोफेशनल श्रुति गोत्तिपाटि ने की है, जिन्होंने पहले Brut India को भारत का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला अंग्रेजी सोशल मीडिया न्यूज प्लेटफॉर्म बनाया था। अब वे अपने नए स्वतंत्र मीडिया वेंचर के जरिए ऐसी सार्वजनिक हित की पत्रकारिता लाने जा रही हैं, जिसकी आज के भारत में सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है।

Spot On की खासियत है इसका तेज, स्पष्ट और डिजिटल प्लेटफॉर्म-केंद्रित वीडियो कंटेंट, जो सीधे जेन जी और मिलेनियल्स को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। यह प्लेटफॉर्म युवाओं से संवाद करता है, उन्हें ताजा, निर्भीक और सुलभ पत्रकारिता से जोड़ता है।

श्रुति कहती हैं, “हम एक असाधारण समय में हैं। भारत आज शायद विभाजन के बाद अपनी पहचान के सबसे बड़े बदलाव से गुजर रहा है। देश एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य से एक हिंदू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है और पत्रकारिता को इस सच्चाई को स्वीकार कर जवाब देना होगा। Spot On का मकसद है सत्ता से सवाल पूछना, भले ही वो कदम लोकप्रिय न हो और एक ऐसा मीडिया मॉडल बनाना जो स्वतंत्र, टिकाऊ और असरदार हो।”

Spot On का उद्देश्य पारंपरिक मीडिया के शोरगुल से अलग हटकर वह दिखाना है जो छिपा रह जाता है, और वह कहना है जो अक्सर कहा नहीं जाता। यह प्लेटफॉर्म भारत के युवाओं को न केवल जागरूक बनाएगा, बल्कि उन्हें लोकतंत्र की असल जमीन से भी जोड़ेगा।

 

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भारतीय क्रिएटर इकोसिस्टम में YouTube का ₹ 850 करोड़ से ज्यादा का निवेश: नील मोहन

भारत की तेजी से उभरती क्रिएटर इकॉनमी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से YouTube ने अगले दो वर्षों में 850 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा की है।

Last Modified:
Friday, 02 May, 2025
NealMohan784

भारत की तेजी से उभरती क्रिएटर इकॉनमी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से YouTube ने अगले दो वर्षों में 850 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की घोषणा की है। YouTube के CEO नील मोहन ने यह ऐलान ‘WAVES समिट’ के उद्घाटन सत्र में किया। यह समिट भारतीय कारोबारियों, कलाकारों, निर्माताओं और सांस्कृतिक योगदानकर्ताओं को एक मंच पर लाने वाला अपनी तरह का पहला आयोजन है।

समिट के मंच से नील मोहन ने भारत को “क्रिएटर नेशन” बताते हुए कहा कि यहां की क्रिएटर इकॉनमी ने वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत पहचान बनाई है। उन्होंने बताया कि बीते साल भारत से 10 करोड़ से अधिक यूट्यूब चैनल्स ने प्लेटफॉर्म पर कंटेंट अपलोड किया, जिनमें से 15,000 से अधिक चैनल्स ने 1 मिलियन सब्सक्राइबर का आंकड़ा पार कर लिया है, जो कुछ महीने पहले तक 11,000 था।

मोहन ने यह भी साझा किया कि पिछले तीन वर्षों में YouTube ने भारतीय क्रिएटर्स, कलाकारों और मीडिया कंपनियों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि यह नया निवेश भारत में करियर और कारोबार के अनगिनत रास्ते खोलने का काम करेगा।

 उन्होंने कहा, "YouTube की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने इस प्लेटफॉर्म का उपयोग एक वैश्विक सांस्कृतिक निर्यात मंच के रूप में बेहद प्रभावी ढंग से किया है। "सिर्फ पिछले साल ही भारतीय कंटेंट ने विदेशों में 45 अरब घंटे का वॉच टाइम हासिल किया।"

कार्यक्रम के अंत में एक संवाद सत्र हुआ जिसमें Slayy Point की गौतमी कवले और एजुकेशनल क्रिएटर मार्क रोबर शामिल हुए। YouTube के एशिया-पैसिफिक रीजन के वाइस प्रेसिडेंट गौतम आनंद ने सत्र का संचालन किया।

मार्क रोबर ने बताया कि YouTube पर वीडियो को अलग-अलग भाषाओं में डब करने की सुविधा ने उनकी पहुंच को वैश्विक बना दिया है। उनके वीडियो इस समय 32 भाषाओं में उपलब्ध हैं, जिनमें से 12 में असली वॉयस ओवर और बाकी में AI का उपयोग किया गया है।

उन्होंने कहा, “अगर कोई दर्शक जापानी भाषा को प्राथमिकता देता है, तो YouTube उसे उसी भाषा में वीडियो दिखाता है, यही सपना भारत के कई क्रिएटर्स भी देखते हैं।” 

गौतमी कवले ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका आकार है- सस्ते इंटरनेट, व्यापक स्मार्टफोन इस्तेमाल और तेजी से बढ़ती युवा डिजिटल आबादी के कारण भारत वैश्विक स्तर पर टॉप क्रिएटर्स देने को तैयार है।

उन्होंने multilingual कंटेंट के जरिए वैश्विक पहुंच और स्थानीय जुड़ाव के बीच संतुलन को ज़रूरी बताया। उन्होंने आगे कहा, “भारत में नवाचार और आत्मविश्वास की जबरदस्त लहर है, जो इसे वैश्विक क्रिएटर इकोसिस्टम में एक निर्णायक ताकत बनाती है।” 

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‘Asianet News Digital’ में अमित तिवारी का कद बढ़ा, अब निभाएंगे यह जिम्मेदारी

अमित तिवारी इस कंपनी के साथ पिछले पांच वर्षों से ज्यादा समय से अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

Last Modified:
Thursday, 01 May, 2025
Amit Tiwari

‘एशियानेट न्यूज डिजिटल’ (Asianet News Digital) ने अमित तिवारी को प्रमोट करते हुए चीफ रेवेन्यू ऑफिसर (मुख्य राजस्व अधिकारी) की जिम्मेदारी सौंपी है। कंपनी की ओर से जारी एक प्रेस नोट के मुताबिक, अमित तिवारी पिछले पांच वर्षों से संस्थान से जुड़े हुए हैं और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण राजस्व पहलों का नेतृत्व किया है। अब वे कंपनी के अगले विकास चरण की योजनाओं के तहत इस नई भूमिका को संभालेंगे।

‘Asianet News Digital’  फिलहाल आठ भाषाओं में संचालित होता है और साल के अंत तक पंजाबी, गुजराती और कोंकणी भाषाओं में इसके विस्तार की योजना है। इसके अलावा, कंपनी खाड़ी देशों और अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय कंटेंट पोर्टल लॉन्च करने की भी तैयारी कर रही है।

अमित तिवारी को डिजिटल मीडिया क्षेत्र में काम करने का काफी अनुभव है। उन्होंने इससे पहले भी कई प्रमुख डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के साथ काम किया है।

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