शेमारू एंटरटेनमेंट ने लॉन्च किया हिंदी मूवी चैनल ‘शेमारू जोश’

शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने अपने नए हिंदी मूवी चैनल ‘शेमारू जोश’ के लॉन्च कर दिया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 03 September, 2025
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Wednesday, 03 September, 2025
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शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड ने अपने नए हिंदी मूवी चैनल ‘शेमारू जोश’ के लॉन्च कर दिया है। अब 'चुम्बक टीवी' नई पहचान के साथ ‘शेमारू जोश’ बन गया है।

शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड के सीईओ हीरन गडा ने कहा, “शेमारू भारत की सिनेमाई यात्रा का अभिन्न हिस्सा रहा है, जिसने बॉलीवुड की सबसे बड़ी लाइब्रेरी और विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर अपनी मौजूदगी के माध्यम से करोड़ों दर्शकों का मनोरंजन किया है। ‘शेमारू जोश’ इस विरासत का स्वाभाविक विस्तार है, जो भारतीय दर्शकों की गहरी समझ, उनके बदलते स्वाद और फिल्मों के प्रति उनके अटूट प्यार को दर्शाता है। शेमारू जोश के साथ हम नई ऊर्जा और उस पर गहरी फोकस लेकर आ रहे हैं जो आम दर्शकों को उत्साहित करता है, और हर दिन भारत का मनोरंजन करने की अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत बना रहे हैं।”

शेमारू एंटरटेनमेंट लिमिटेड में ब्रॉडकास्टिंग बिजनेस के सीओओ संदीप गुप्ता ने कहा, “शेमारू जोश भारत की सबसे लोकप्रिय टेलीविजन शैलियों में से एक मूवीज में हमारी रणनीतिक एंट्री को दर्शाता है। अनगिनत विकल्पों की दुनिया में परिवार के साथ टीवी पर ब्लॉकबस्टर फिल्म देखने का आनंद अद्वितीय है। ‘शेमारू जोश’ हमारी उस कालातीत आदत को समर्पित है, जिसे एक ताज़ा, हाई-एनर्जी चैनल के जरिए जीवंत किया गया है, जो हर फिल्म को एक इवेंट में बदल देता है। हमने अपने जनरल एंटरटेनमेंट चैनलों के साथ मजबूत ब्रॉडकास्ट उपस्थिति स्थापित की है, और यह लॉन्च हमारी बड़ी मिशन को दर्शाता है- स्केल के साथ बढ़ना, प्रासंगिकता के साथ जुड़ना और शेमारू की विरासत के केंद्र में सिनेमा को बनाए रखना।”

‘शेमारू जोश’ डीडी फ्री डिश के साथ सभी डीटीएच प्लेटफॉर्म्स और केबल नेटवर्क्स पर उपलब्ध होगा।

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NDTV 400 करोड़ रुपये तक जुटाएगी फंड, बोर्ड ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) के निदेशक मंडल ने 2 सितंबर 2025 को हुई बैठक में 400 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

Vikas Saxena by
Published - Wednesday, 03 September, 2025
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Wednesday, 03 September, 2025
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न्यू दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड (NDTV) के निदेशक मंडल ने 2 सितंबर 2025 को हुई बैठक में 400 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। यह पूंजी कंपनी अपने पात्र शेयरधारकों को राइट्स इश्यू के माध्यम से जुटाएगी।

कंपनी ने यह भी जानकारी दी है कि 8 सितंबर 2025, सोमवार को बोर्ड की एक और बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में राइट्स इश्यू से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा और निर्णय लिया जाएगा। इसमें राइट्स इश्यू का प्राइस, भुगतान तंत्र, अधिकार अनुपात, रिकॉर्ड डेट और इश्यू की समयसीमा जैसे विषय शामिल होंगे। यह प्रक्रिया स्टॉक एक्सचेंजों और नियामक प्राधिकरणों से अनुमोदन मिलने के अधीन होगी।

यह कदम कंपनी की बैलेंस शीट को मजबूत करने और वित्तीय लचीलापन बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। जुटाई गई राशि का उपयोग कंपनी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के विस्तार, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने, ब्रैंड निर्माण में निवेश, नए बौद्धिक संपदा के विकास, कर्ज घटाने और अन्य सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी।

एनडीटीवी अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में विश्वसनीय पत्रकारिता की परंपरा के साथ न्यूज कंटेंट उपलब्ध कराने के लिए जानी जाती है। कंपनी का फोकस डिजिटल-फर्स्ट ग्रोथ पर है, जिसमें ब्रैंडेड कंटेंट, डेटा-आधारित विज्ञापन और वैश्विक प्लेटफॉर्म्स के साथ साझेदारी शामिल है। इसके अलावा, कंपनी क्षेत्रीय भाषा की खबरें, अंतरराष्ट्रीय प्रसारण (NDTV World) और लाइव इवेंट्स में भी अवसर तलाश रही है।

एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा, “यह राइट्स इश्यू एनडीटीवी को मजबूत बनाने और कंपनी को विकास के अगले चरण के लिए तैयार करने की दिशा में निर्णायक कदम है। जुटाए गए संसाधनों से हम अपनी पहुंच का विस्तार करेंगे और अपने प्रभाव को गहरा करेंगे, जबकि उस पत्रकारिता के मूल्यों पर अडिग रहेंगे, जिसके लिए एनडीटीवी हमेशा खड़ा रहा है- विश्वसनीय, भरोसेमंद और निष्पक्ष। यह निवेश हमें विकास के नए क्षेत्रों का पता लगाने में भी मदद करेगा, खासकर डिजिटल दुनिया जहां हमारे लिए नए अवसर और नए दर्शक मौजूद हैं। हमारा विज़न है एक मजबूत, भविष्य-तैयार एनडीटीवी का निर्माण करना, जो नए भारत की आकांक्षाओं को दर्शाए।” 

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NDTV प्रॉफिट ने विक्रम ओझा को कंसल्टिंग एंकर किया नियुक्त

एनडीटीवी ने विक्रम ओझा की एनडीटीवी प्रॉफिट में कंसल्टिंग एंकर के रूप में नियुक्ति की घोषणा की है, जिससे चैनल के संपादकीय विस्तार को और मजबूती मिलेगी

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Tuesday, 02 September, 2025
VikramOjha7845

एनडीटीवी ने विक्रम ओझा की एनडीटीवी प्रॉफिट में कंसल्टिंग एंकर के रूप में नियुक्ति की घोषणा की है, जिससे चैनल के संपादकीय विस्तार को और मजबूती मिलेगी क्योंकि यह एक बदलते भारत के लिए बिजनेस न्यूज को नए सिरे से गढ़ रहा है।

बिजनेस पत्रकारिता के दिग्गज विक्रम ओझा अपने साथ दो दशकों से अधिक का अनुभव लेकर आए हैं। उन्होंने देश के प्रमुख नेटवर्क्स जैसे ईटी नाउ, बीटीवीआई, ब्लूमबर्ग टीवी इंडिया और टाइम्स नाउ में काम किया है। अपने विशिष्ट करियर के दौरान उन्होंने टेलीविजन मीडिया के पूरे दायरे में काम किया है- एंकरिंग, संपादकीय नेतृत्व, रणनीतिक दिशा, क्रिएटिव प्रोग्रामिंग, मोनेटाइजेशन, प्रोडक्शन और स्पेशल प्रोजेक्ट्स। पत्रकारिता की कठोरता को कंटेंट इनोवेशन के साथ सहजता से जोड़ने की उनकी क्षमता ने उन्हें वित्तीय समाचार जगत में एक भरोसेमंद नाम बना दिया है।

विक्रम ने प्राइमटाइम शोज का नेतृत्व किया है, लंबी अवधि के फीचर्स तैयार किए हैं और बाजार को परिभाषित करने वाले विकास और नीतिगत संवादों की कवरेज का नेतृत्व किया है।

विक्रम ओझा की बहुआयामी विशेषज्ञता, सार्थक संवादों को डिजाइन करने, प्रभावशाली स्पेशल्स की कल्पना करने और फॉर्मैट्स को नए रूप में प्रस्तुत करने की क्षमता, एनडीटीवी प्रॉफिट के उस प्रयास में महत्वपूर्ण होगी, जिसके तहत वह उन कहानियों को प्रस्तुत करेगा जो भारत की आर्थिक दिशा और वैश्विक परिदृश्य में उसकी बढ़ती भूमिका को आकार दे रही हैं।

जैसे-जैसे एनडीटीवी प्रॉफिट अपने विकास के अगले चरण की ओर बढ़ रहा है, वह ऐसे प्रोफेशनल को शामिल कर रहा है जो ईमानदारी, बौद्धिकता और कल्पनाशीलता का प्रतीक हैं। विक्रम ओझा का जुड़ना चैनल की इस प्रतिबद्धता की पुनर्पुष्टि है कि वह भारत की अभूतपूर्व आर्थिक यात्रा की आवाज बनेगा - अधिकारपूर्ण ढंग से प्रस्तुत, बुद्धिमत्ता के साथ गढ़ा हुआ और नए भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप।

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TV रेटिंग एजेंसीज के लिए क्रॉस-होल्डिंग नियम हटाने के प्रस्ताव पर ब्रॉडकास्टर्स का विरोध

इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने कहा है कि वे रेटिंग सिस्टम को मजबूत बनाने वाले सुधारों के लिए तैयार हैं

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Tuesday, 02 September, 2025
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हितों के टकराव और विश्वसनीयता पर संभावित खतरे की आशंका जताते हुए ब्रॉडकास्टर्स ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उस प्रस्ताव का विरोध किया है जिसमें टीवी रेटिंग एजेंसीज के लिए क्रॉस-होल्डिंग प्रतिबंधों को हटाने की बात कही गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने कहा है कि वे रेटिंग सिस्टम को मजबूत बनाने वाले सुधारों के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कड़े हित-संघर्ष सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया।

दोनों संस्थाएं मंत्रालय को अपनी प्रतिक्रियाएं अंतिम रूप दे रही हैं। ये प्रतिक्रियाएं मंत्रालय की ओर से 2 जुलाई को जारी उस आमंत्रण पर आधारित हैं जिसमें 2014 की "टेलीविजन रेटिंग एजेंसीज के लिए नीति दिशानिर्देश" में प्रस्तावित बदलावों पर हितधारकों से राय मांगी गई थी।

विवाद का मुख्य बिंदु मंत्रालय की मौजूदा नियमों की धाराएं 1.5 और 1.7 को हटाने की योजना है। इन धाराओं के तहत, रेटिंग एजेंसीज के बोर्ड सदस्य ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स या ऐड एजेंसीज से जुड़े नहीं हो सकते। ये धाराएं रेटिंग एजेंसीज और ब्रॉडकास्टर्स, ऐडवर्टाइजर्स या ऐड एजेंसीज के बीच ओवरलैपिंग स्वामित्व को भी रोकती हैं। ब्रॉडकास्टर्स का कहना है कि इन्हें हटाने से निष्पक्षता प्रभावित होगी।

उद्योग के कुछ खिलाड़ियों ने यह सुझाव भी दिया है कि आवेदकों की जाँच के लिए प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि बाजार संरचना का आकलन करने में उसकी विशेषज्ञता है। उन्होंने प्रस्ताव रखा है कि रेटिंग एजेंसीज के लिए पात्रता मानदंड में CCI की मंजूरी को अनिवार्य बनाया जाए।

हालाँकि सरकार के मसौदा संशोधनों में इन प्रतिबंधों को हटाने का प्रस्ताव है, ब्रॉडकास्टर्स का मानना है कि भारत में किसी भी दर्शक मापने वाली संस्था को उद्योग-नेतृत्व वाली और गैर-लाभकारी इकाई ही रहना चाहिए ताकि स्वतंत्रता और विश्वसनीयता बनी रहे।

मंत्रालय ने 2 जुलाई को नीति में प्रस्तावित संशोधनों पर हितधारकों से सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी थीं।

भारत की मौजूदा टीवी रेटिंग व्यवस्था न केवल तकनीकी खामियों से जूझ रही है, बल्कि इसमें संरचनात्मक बाधाएं भी हैं। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के एकाधिकार की रक्षा 2014 के "टेलीविजन रेटिंग एजेंसीज के लिए नीति दिशानिर्देश" की प्रतिबंधात्मक धाराओं के जरिए की गई थी, जिसने नए खिलाड़ियों की एंट्री को सीमित कर दिया था।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने जुलाई 2025 में जो मसौदा संशोधन जारी किया है, उसका उद्देश्य मौजूदा टीवी रेटिंग व्यवस्था की खामियों को दूर करना है। इसके तहत:

  • धारा 1.4 में ढील दी जाएगी, ताकि एजेंसीज को संचालन में अधिक लचीलापन मिले, लेकिन हितों का टकराव न हो।

  • धाराएं 1.5 और 1.7 हटाई जाएंगी, जो अब तक नए प्लेयर्स को इस क्षेत्र में आने से रोक रही थीं।

  • एक से अधिक एजेंसियों को प्रोत्साहन दिया जाएगा, ताकि इनोवेशन और कम्पटीशन बढ़ सके।

  • रेटिंग कवरेज का दायरा बढ़ाया जाएगा, जिसमें CTV (कनेक्टेड टीवी), मोबाइल और OTT प्लेटफॉर्म भी शामिल होंगे।

  • ज्यादा हितधारकों को निवेश की अनुमति दी जाएगी, जिसमें ब्रॉडकास्टर और ऐडवर्टाइजर भी शामिल होंगे, लेकिन यह सब सरकारी नियमन और निगरानी के दायरे में होगा।

 

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IBDF ने प्रसार भारती से की अपील, DD फ्रीडिश पर स्लॉट की नीलामी प्रक्रिया हो पारदर्शी

इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन ने प्रसार भारती से अपील की है कि वह अपने फ्री डायरेक्ट-टू-होम सर्विस 'डीडी फ्री डिश' पर स्लॉट की नीलामी के लिए अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित प्रणाली अपनाए।

Last Modified:
Friday, 29 August, 2025
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इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF), जो देश के प्रमुख ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है, ने प्रसार भारती से अपील की है कि वह अपने फ्री डायरेक्ट-टू-होम (DTH) सर्विस 'डीडी फ्री डिश' पर स्लॉट की नीलामी के लिए अधिक पारदर्शी और पूर्वानुमानित प्रणाली अपनाए।

निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा की कमी पर चिंता जताते हुए, IBDF ने 25 जुलाई को नीलामी पद्धति पर हुई परामर्श प्रक्रिया के जवाब में पब्लिक ब्रॉडकास्टर से कहा कि मौजूदा प्रक्रिया अनिश्चितता पैदा करती है, जिससे कारोबारी फैसले जटिल हो जाते हैं।

संस्थान ने सुझाव दिया है कि हर नीलामी से पहले प्रसार भारती को प्रमुख विवरण साझा करने चाहिए, जैसे- कुल कितने स्लॉट उपलब्ध होंगे, हर दौर के बाद कितने बेचने से बचे रह गए और आवेदकों की बकेट-वाइज सूची के साथ पात्र व अपात्र प्रतिभागियों की अंतिम सूची।

IBDF के अनुसार, नीलामी के दौरान मध्यावधि में अस्वीकृतियां समाप्त करना बेहद जरूरी है क्योंकि ऐसे फैसले प्रक्रिया की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं। इसके बजाय, सभी पात्रता जांच पहले ही पूरी कर ली जानी चाहिए।

डीडी फ्री डिश, जो 2024 तक लगभग 4.9 करोड़ घरों तक पहुंचता है, स्लॉट नीलामियों से हर साल 600 करोड़ रुपये से अधिक की आय अर्जित करता है।

IBDF ने जोर देकर कहा कि आवश्यक जानकारी तक समान पहुंच सुनिश्चित करना निष्पक्ष माहौल के लिए महत्वपूर्ण है। संस्था का कहना है कि स्पष्ट खुलासे ब्रॉडकास्टर्स को बेहतर जानकारी-आधारित बोली लगाने में सक्षम बनाएंगे और वास्तविक प्रतिस्पर्धी माहौल को बढ़ावा देंगे।

नीलामी सुधारों के साथ-साथ IBDF ने प्लेटफॉर्म के संचालन में संरचनात्मक चिंताओं को भी उजागर किया। इसने प्रसार भारती से अपील की कि वह डीडी फ्री डिश की वास्तविक दर्शक संख्या का स्वतंत्र और वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराए। संस्था ने कहा कि विश्वसनीय डेटा मिलने से ब्रॉडकास्टर्स और विज्ञापनदाताओं को रणनीतिक और निवेश संबंधी फैसलों में अधिक स्पष्टता मिलेगी।

स्लॉट उपलब्धता पर दबाव कम करने के लिए IBDF ने आगे सुझाव दिया कि 25 से अधिक अनुपयोगी MPEG-4 स्लॉट को MPEG-2 में बदला जाए, जिसे सभी सेट-टॉप बॉक्स सपोर्ट करते हैं। इसके अलावा, इसने यह भी सिफारिश की कि नई ट्रांसपोर्ट स्ट्रीम बनाई जाएं ताकि MPEG-4 तकनीक व्यापक रूप से अपनाए जाने तक क्षमता को बढ़ाया जा सके।

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‘NDTV’ ने आदित्य राज कौल को किया नियुक्त, सौंपी यह बड़ी जिम्मेदारी

आदित्य राज कौल को वर्ष 2024 में एक्सचेंज4मीडिया की ओर से ‘जर्नलिज्म ऑफ करेज’ के लिए 40 अंडर 40 अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।

Last Modified:
Thursday, 28 August, 2025
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वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ‘एनडीटीवी’ (NDTV) की टीम में शामिल हो गए हैं। यहां वह सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर (Geopolitics, National Security and Strategic Affairs) के पद पर अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे।

बता दें कि आदित्य राज कौल ने पिछले दिनों ‘TV9 नेटवर्क’ से इस्तीफा दे दिया था। कौल ने इस नेटवर्क में तीन साल छह महीने तक बतौर सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर (कॉरपोरेट, नेशनल सिक्योरिटी और स्ट्रैटजिक अफेयर्स) की अहम भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने TV9 और उसके OTT प्लेटफॉर्म News9Plus के लिए 70 से अधिक डॉक्यूमेंट्रीज का निर्माण और निर्देशन किया, जिनके लिए उन्हें 20 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले।

उन्हें मुंबई प्रेस क्लब द्वारा रेड इंक स्पेशल मेंशन अवॉर्ड और संडे गार्जियन फाउंडेशन व जेठमलानी परिवार की ओर से राम जेठमलानी जर्नलिज्म प्राइज भी मिल चुका है, जिसमें एक गोल्ड मेडल और ₹14 लाख की इनामी राशि शामिल है। 2024 में उन्हें एक्सचेंज4मीडिया की ओर से ‘जर्नलिज्म ऑफ करेज’ के लिए 40 अंडर 40 अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।

TV9 नेटवर्क में रहते हुए उन्होंने प्रतिष्ठित NEWS9 ग्लोबल समिट्स की परिकल्पना और लॉन्चिंग में भी निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने भारत, जर्मनी और UAE में आयोजित इन समिट्स की क्यूरेशन और होस्टिंग की, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डेविड कैमरन, टोनी एबॉट जैसे वैश्विक नेताओं और डॉ. एस. जयशंकर, अश्विनी वैष्णव, हरदीप सिंह पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अब्दुल्ला शाहिद और मरिया दीदी जैसे मंत्रियों ने भाग लिया।

आदित्य राज कौल को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और संघर्ष कवरेज पर भारत के अग्रणी संपादकीय आवाजों में शुमार किया जाता है। जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान मामलों पर भी उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है। वे पहलगाम आतंकी हमले की रिपोर्टिंग करने वाले पहले पत्रकारों में शामिल रहे, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लॉन्च की जानकारी सार्वजनिक की। भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान उनके विश्लेषण और खबरों को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से सराहा गया।

कौल फिल्म 'उरी' के निर्देशक आदित्य धर की अगली फिल्म धुरंधर के लिए भी मुख्य कंसल्टेंट हैं, जिसमें रणवीर सिंह, संजय दत्त, आर. माधवन, अक्षय खन्ना और अर्जुन रामपाल जैसे कलाकार नजर आएंगे।

मीडिया जगत में 16 वर्षों के अनुभव के साथ कौल ने भारत और विदेश की प्रमुख मीडिया संस्थाओं जैसे Network18, Times Now, The Times of India, Republic TV और कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (CBC) में काम किया है।

अपनी नियुक्ति के बारे में आदित्य राज कौल का कहना है, ‘एनडीटीवी से इस महत्वपूर्ण समय पर जुड़ना मेरे लिए सम्मान की बात है। मेरे लिए पत्रकारिता हमेशा वही रही है—जहां इतिहास बन रहा हो, वहां मौजूद रहना और उन घटनाओं को स्पष्टता और संदर्भ के साथ सामने लाना जो करोड़ों लोगों को प्रभावित करती हैं। मैं एनडीटीवी की विश्वसनीयता और इंडिया-फ़र्स्ट पत्रकारिता की विरासत में योगदान देने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।’

वहीं, ‘एनडीटीवी’ के एडिटर-इन-चीफ और सीईओ राहुल कंवल का कहना है, ‘आदित्य रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता के क्षेत्र में सबसे बेहतरीन नामों में से एक हैं। उनका काम—संघर्ष क्षेत्रों से लेकर वैश्विक सम्मेलनों तक, डॉक्यूमेंट्रीज़ से लेकर बड़ी जांच-पड़ताल तक—बेहद प्रभावशाली रहा है। उनके पहले ही दिन उन्हें तियानजिन भेजा गया है ताकि वे साल की सबसे अहम कूटनीतिक बैठकों में से एक को कवर कर सकें, उनके तैयार रहने का और एनडीटीवी की इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि हम बड़ी वैश्विक ख़बरों के मोर्चे पर सबसे आगे रहें।’

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‘NDTV 24x7’ पर फिर लौटा ‘The Buck Stops Here’, पद्मजा जोशी को मिली कमान

इस कार्यक्रम का प्रसारण सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे होगा। शो में दिनभर की सबसे बड़ी खबरों और अहम विषयों पर गहराई से चर्चा होगी।

Last Modified:
Monday, 25 August, 2025
NDTV Padmaja Joshi

‘NDTV 24x7’ अपने लोकप्रिय प्राइम टाइम शो ‘The Buck Stops Here’ को एक बार फिर लेकर आया है। इस शो की कमान अब वरिष्ठ पत्रकार पद्मजा जोशी के हाथों में रहेगी। इस शो की टैगलाइन है-‘The End of Every Argument’।

इस कार्यक्रम का प्रसारण सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे होगा। शो में दिनभर की सबसे बड़ी खबरों और अहम विषयों पर गहराई से चर्चा होगी।

बता दें कि यह कार्यक्रम अपनी गहन पत्रकारिता, विचारोत्तेजक चर्चाओं और समसामयिक मुद्दों पर गहरे विश्लेषण के लिए जाना जाता है। पूर्व में इस शो को लंबे समय तक वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त होस्ट कर चुकी हैं।

माना जा रहा है कि नई कवायद के तहत यह NDTV के प्राइम-टाइम स्लॉट को और मजबूती देने के साथ ही समसामयिक मुद्दों पर निर्णायक चर्चा पेश करेगा।

इस बारे में ‘एनडीटीवी’ के एडिटर-इन-चीफ और सीईओ राहुल कंवल ने कहा, ‘The Buck Stops Here भारत के प्राइम टाइम को नया आयाम देगा। पद्मजा जोशी अपनी गहरी समझ और स्पष्ट विजन के साथ इस शो को एक निर्णायक बहस का मंच बनाएंगी।’

गौरतलब है कि पद्मजा जोशी ने पिछले दिनों ही NDTV 24x7 में बतौर मैनेजिंग एडिटर और प्राइमटाइम एंकर जॉइन किया है।

देश के प्रमुख न्यूज नेटवर्क्स में दो दशकों से भी अधिक का अनुभव रखने वाली पद्मजा ने विभिन्न फॉर्मेट, भाषाओं और प्लेटफॉर्म्स पर काम किया है।

NDTV से पहले वह TV9 नेटवर्क में सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर के पद पर थीं, जहां वह News9 चैनल पर ‘इन योर इंटरेस्ट’ जैसे लॉन्ग-फॉर्म शो और TV9 भारतवर्ष पर 'परवाह देश की’ जैसे इनोवेटिव कार्यक्रमों का नेतृत्व कर चुकी हैं। 

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हिंदी एंंटरटेनमेंट चैनल्स पर पुराने शो का जलवा, नए कंटेंट की राह आसान नहीं

हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स में इस समय पुरानी और नई कहानियों का सीधा मुकाबला चल रहा है। जहां पुराने शो लगातार स्थिरता ला रहे हैं, वहीं नए शोज कभी तेज उछाल लेते हैं तो कभी बहुत जल्दी गिर भी जाते हैं।

Last Modified:
Friday, 22 August, 2025
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हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स (GECs) में इस समय पुरानी और नई कहानियों का सीधा मुकाबला चल रहा है। जहां पुराने शो लगातार स्थिरता ला रहे हैं, वहीं नए शोज कभी तेज उछाल लेते हैं तो कभी बहुत जल्दी गिर भी जाते हैं।

दंगल का 'मन सुंदर' और स्टार प्लस का 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' दर्शकों का भरोसा बनाए हुए हैं। दूसरी ओर, जी टीवी का 'तुम से तुम तक' और दंगल का 'झल्ली' ने शानदार शुरुआत की है। इसके विपरीत, 'कहानी पहले प्यार की' जैसे शो जल्द ही अपनी पकड़ खो बैठे।

पुराने शोज की ताकत

'मन सुंदर' दंगल की रीढ़ साबित हुआ है। इस साल के 28वें हफ्ते में यह 25.12 GRP तक गया और 30वें हफ्ते में 25.16 GRP पर बंद हुआ। लगातार 8 से ऊपर GRP बनाए रखते हुए यह 30वें हफ्ते तक 9.3 तक पहुंच गया।

स्टार प्लस का 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' भी लगातार अच्छा प्रदर्शन करता रहा। यह 13.47–13.78 GRP रेंज में स्थिर रहा और 30वें हफ्ते में मामूली गिरकर 13.09 पर आया।

नए शोज की तस्वीर

नई लॉन्चिंग्स ने अलग-अलग नतीजे दिए। जी टीवी का 'तुम से तुम तक' (7 जुलाई को लॉन्च) 8.25 GRP से बढ़कर 13.06 तक पहुंचा और 'कॉम्बाइंड' में 9.02 तक गया। यह हाल की सबसे मजबूत शुरुआतों में से एक है।

दंगल का लेट-नाइट शो 'झल्ली' (21 जुलाई को लॉन्च) ने चौंकाने वाला प्रदर्शन किया। यह 12.74 GRP से बढ़कर 30वें हफ्ते में 20.28 तक पहुंच गया, जबकि यह नॉन-प्राइम स्लॉट में आता है।

इसके उलट, 'कहानी पहले प्यार की' (30 जून को लॉन्च) 7.61 GRP से गिरकर सिर्फ 1.75 पर रह गया। 'बड़े घर की छोटी बहू' भी 11.34 से गिरकर 2.04 पर आ गई। वहीं 'कभी नीम नीम कभी शहद शहद' लगभग 5 GRP पर ही अटका रहा।

चैनलवार प्रदर्शन

स्टार उत्सव फ्री टीवी में सबसे आगे रहा। 26वें हफ्ते में 118.7 GRP से यह 28वें हफ्ते में 128.9 तक गया और 30वें हफ्ते में 122.8 पर बंद हुआ। इसकी बड़ी ताकत गुम है 'किसीके प्यार में' रहा, जो अलग-अलग टाइम स्लॉट्स में दिखाया गया।

स्टार प्लस भी मजबूती से खड़ा रहा। 26वें हफ्ते में 114.1 GRP से यह 30वें हफ्ते में 116.2 तक पहुंचा। 'अनुपमा' लगातार बढ़कर 14.18 GRP तक गई और 'ये रिश्ता' प्राइमटाइम का मुख्य आधार बना रहा। दूसरी ओर 'झनक' और 'कभी नीम नीम कभी शहद शहद' दर्शकों को बांध नहीं पाए।

दंगल का कुल स्कोर 83.4 से गिरकर 79.9 पर आ गया। 'मन सुंदर' ने इसे संभाले रखा, लेकिन 'प्रेम लीला', 'बड़े घर की छोटी बहू' और 'लेकर हम दीवाना दिल' जैसे शोज तेजी से गिरे। वहीं 'झल्ली' ने 20.28 GRP के साथ चैनल को लेट बूस्ट दिया।

जी टीवी ने सबसे संतुलित प्रदर्शन किया। 26वें हफ्ते में 68.5 GRP से यह 30वें हफ्ते में 79.1 पर पहुंचा। पुराने शो जैसे 'कुमकुम भाग्य', 'वसुधा', 'जाने अनजाने हम मिले' और 'जागृति– एक नई सुबह' ने स्थिरता दी, जबकि 'तुम से तुम तक' की बढ़त ने चैनल को अतिरिक्त मजबूती दी।

कलर्स और सोनी सब की जंग में, सोनी सब 113.1 से गिरकर 105.8 GRP पर आ गया। वहीं कलर्स 80 से बढ़कर 86.5 तक गया लेकिन बाद में 83.2 पर आकर थमा। 'मंगल लक्ष्मी' ने इसे स्थिरता दी।

अन्य चैनल्स में सोनी पल ने शानदार उछाल दिखाया और 37.1 से बढ़कर 74.4 GRP तक पहुंचा। कलर्स रिश्ते 58.7 से गिरकर 38.6 पर आ गया। अनमोल टीवी भी 51 से घटकर 46.3 पर आ गया।

पुराने शोज की वापसी

ब्रॉडकास्टर्स दर्शकों की पुरानी यादों पर भी दांव लगा रहे हैं। स्टार प्लस ने 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' को नए एपिसोड्स के साथ फिर लॉन्च किया है। वहीं सोनी 'सीआईडी' जैसी हिट फ्रैंचाइज को वापस लाया है। इनकी वापसी दर्शकों को भरोसे और जुड़ाव की भावना देती है, खासकर ऐसे समय में जब नए शोज ज्यादा दिन टिक नहीं पाते। 

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हैप्पी बर्थडे नाविका कुमार: आप हैं भारतीय न्यूज जगत का प्रेरणादायी चेहरा

जानी-मानी टीवी न्यूज एंकर नाविका कुमार अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस मौके पर नजर डालते हैं नाविका कुमार के उस करियर पर, जिसने लगातार भारतीय टेलीविजन पर राजनीतिक पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है।

Last Modified:
Friday, 22 August, 2025
NavikaKumar

जानी-मानी टीवी न्यूज एंकर नाविका कुमार अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस मौके पर नजर डालते हैं नाविका कुमार के उस करियर पर, जिसने लगातार भारतीय टेलीविजन पर राजनीतिक पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है।

21 अगस्त को झारखंड के सिंदरी में जन्मीं नाविका कुमार ने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद न्यूजरूम में कदम रखा। वित्त क्षेत्र में करियर बनाने की पारंपरिक राह छोड़कर उन्होंने पत्रकारिता चुनी और 'दि इकोनॉमिक टाइम्स' में बिजनेस राइटर के तौर पर काम शुरू किया। अपने शुरुआती करियर में उन्होंने 'द ऑब्जर्वर' और 'दि इंडियन एक्सप्रेस' में भी काम किया, जहां राजनीति और शासन पर रिपोर्टिंग की।

नाविका कुमार के प्रोफेशनल जीवन का सबसे अहम अध्याय 2005 में शुरू हुआ, जब उन्होंने 'टाइम्स नेटवर्क' जॉइन किया। सालों के दौरान उन्होंने तरक्की करते हुए अब ग्रुप एडिटर – पॉलिटिक्स की जिम्मेदारी संभाल ली है, जहां वह 'टाइम्स नाउ', 'ईटी नाउ', 'मिरर नाउ' और 'TimesNowNews.com' पर राजनीतिक कवरेज की देखरेख करती हैं। वह 'टाइम्स नाउ नवभारत' की एडिटर-इन-चीफ भी हैं, जिससे वह उन चुनिंदा पत्रकारों में शामिल हो गई हैं जो एक साथ अंग्रेजी और हिंदी, दोनों टीवी न्यूज चैनलों का नेतृत्व करती हैं।

एंकर के तौर पर नाविका कुमार 'टाइम्स नाउ' के प्राइमटाइम डिबेट शो 'द न्यूजआवर' और 'टाइम्स नाउ नवभारत' पर 'सवाल पब्लिक का' को होस्ट करती हैं। अपनी पैनी सवाल पूछने की शैली के लिए जानी जाने वाली नाविका ने शासन और चुनावों से लेकर घोटालों और नीतिगत फैसलों तक के मुद्दों पर चर्चाओं की अगुवाई की है। उनकी खोजी पत्रकारिता में भारत के कुछ सबसे चर्चित राजनीतिक और वित्तीय मामलों की जांच शामिल रही है, जैसे-  कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, अगस्ता-वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदा और एयरसेल-मैक्सिस केस।

उनकी प्रोफेशनल जर्नी में उपलब्धियों के साथ-साथ कुछ कठिन पड़ाव भी रहे हैं। हाल ही में एक दिल्ली अदालत ने पुलिस को मानहानि शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया। यह मामला जनवरी 2020 में उनके प्राइमटाइम शो पर टीआरपी घोटाले से जुड़ी चर्चा के दौरान की गई टिप्पणियों से संबंधित है। इस मामले की अगली सुनवाई 2026 की शुरुआत में तय की गई है।

इस साल की शुरुआत में, नाविका कुमार को सर्वोत्तम नागरिक सम्मान से नवाजा गया, जिसमें पत्रकारिता में उनके योगदान और टेलीविजन के जरिये जन विमर्श को आकार देने की उनकी भूमिका को सराहा गया।

न्यूजरूम से परे, नाविका कुमार ने हमेशा अपने चुनौतीपूर्ण पेशेवर दायित्वों और निजी जीवन के बीच संतुलन की बात की है। वह बिजनेसमैन सुनील मारवाह की पत्नी हैं और दो बेटों की मां हैं। अपने इंटरव्यूज में वह इस बात पर जोर देती रही हैं कि परिवार के सहयोग ने उन्हें अपने काम में पूरी तरह डूबे रहने के साथ-साथ अपनी जड़ों से जुड़े रहने का मौका दिया है।

अपने जन्मदिन पर नाविका कुमार भारतीय प्रसारण पत्रकारिता की सबसे प्रमुख शख्सियतों में खड़ी हैं। सिंदरी से राष्ट्रीय मंच तक की उनकी यात्रा न सिर्फ उनके धैर्य को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि देश में राजनीतिक खबरों को संवारने में महिलाएं किस तरह अहम भूमिका निभा रही हैं। 

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एनडीटीवी से जुड़े राहुल सिंह, संभाली ये महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

मीडिया आर्काइविंग, मेटाडेटा मैनेजमेंट, फुटेज डिजिटाइजेशन और डिजिटल एसेट मैनेजमेंट में 18 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले राहुल सिंह, इस क्षेत्र के अनुभवी प्रोफेशनल माने जाते हैं।

Last Modified:
Thursday, 21 August, 2025
RahulSingh54252

तमाम नई नियुक्तियों के बीच एनडीटीवी से एक और खबर सामने आई है। दरअसल अब एनडीटीवी ने राहुल सिंह को आर्काइव्स का हेड नियुक्त किया है। मीडिया आर्काइविंग, मेटाडेटा मैनेजमेंट, फुटेज डिजिटाइजेशन और डिजिटल एसेट मैनेजमेंट में 18 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले राहुल, इस क्षेत्र के अनुभवी प्रोफेशनल माने जाते हैं।

उन्होंने 'आजतक' और 'इंडिया टुडे' में आर्काइव्स के हेड, न्यूज नेशन, इंडिया न्यूज और दक्षिण अफ्रीका के ANN7 सहित कई बड़े मीडिया संगठनों में वरिष्ठ पदों पर काम किया है। हाल ही में वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) में चीफ आर्किविस्ट के पद पर कार्यरत थे।

अपने करियर में राहुल ने कई बड़े डिजिटाइजेशन प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व किया है। इसमें 1989 से इंडिया टुडे ग्रुप की फुटेज का संरक्षण शामिल है, जिसके तहत दो लाख घंटे से अधिक की कंटेंट लाइब्रेरी का निर्माण हुआ। उन्हें DIVA, LTO, ALTO और Stratus जैसी तकनीकों में विशेषज्ञता हासिल है, जिससे न्यूजरूम टीमों को आर्काइव सामग्री तक सहज पहुंच मिलती है।

  

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एक साल से ठंडे बस्ते में ब्रॉडकास्ट बिल, इंडस्ट्री जगत में असमंजस

सरकार का लंबे समय से प्रतीक्षित ब्रॉडकास्ट बिल (Broadcast Bill), जिससे टेलीविजन और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर कंटेंट रेगुलेशन में व्यापक बदलाव की उम्मीद थी, पिछले एक साल से ठंडे बस्ते में है।

Last Modified:
Thursday, 21 August, 2025
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अदिति गुप्ता, असिसटेट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

सरकार का लंबे समय से प्रतीक्षित ब्रॉडकास्ट बिल (Broadcast Bill), जिससे टेलीविजन और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर कंटेंट रेगुलेशन में व्यापक बदलाव की उम्मीद थी, पिछले एक साल से ठंडे बस्ते में है। सूचना एवं ब्रॉडकास्ट मंत्रालय (MIB) ने इसे पिछले अगस्त में चुपचाप वापस ले लिया था।

पहला ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया था, लेकिन दूसरा ड्राफ्ट केवल चुनिंदा हितधारकों के बीच ही साझा किया गया, जिससे गोपनीयता और भ्रम और बढ़ गया। तब से अब तक कोई आधिकारिक स्पष्टता नहीं आई है, जिससे इंडस्ट्री असमंजस में है कि यह विधेयक हमेशा के लिए रद्द कर दिया गया है या बंद दरवाजों के पीछे दोबारा तैयार किया जा रहा है। इस चुप्पी ने अटकलों, निराशा और सतर्क आशावाद को जन्म दिया है, क्योंकि हितधारक यह सोच रहे हैं कि सरकार की देरी नियामक महत्वाकांक्षाओं पर पुनर्विचार का संकेत है या अनिश्चितकालीन ठहराव।

सावधानी और उम्मीद के बीच बंटे हितधारक

इंडस्ट्री जगत मानता है कि यह विधेयक अपनी खामियों के बावजूद इतना अहम है कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक ब्रॉडकास्ट एक्सपर्ट ने कहा, “ब्रॉडकास्ट बिल को पीछे कर दिया गया क्योंकि सभी को चिंता थी। सरकार ने कहा था कि इसे दोबारा बनाया जाएगा ताकि हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखा जा सके। अभी तक संशोधित संस्करण सामने नहीं आया है। यह निश्चित रूप से फिर आएगा और इंडस्ट्री की चिंताओं का ध्यान रखेगा। इंडस्ट्री अपना काम जारी रखे हुए है और आत्म-नियमन की दिशा में काम कर रहा है, क्योंकि यदि आत्म-नियमन मजबूत नहीं होता, तो सरकार या अदालत का फैसला यह विधेयक जल्दी ले आएगा और यह इंडस्ट्री को शायद पसंद न आए।”

एक अन्य इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने इसकी तात्कालिकता पर जोर देते हुए कहा, “यह इंडस्ट्री के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भविष्य की सभी तकनीकी प्रगतियों को अधिक प्रभावी तरीके से शामिल किया गया है। इंडस्ट्री को संतुलित बनाए रखने के लिए यह तुरंत आवश्यक है।”

इसी क्रम में एक वरिष्ठ मीडिया सलाहकार ने कहा, “ब्रॉडकास्ट क्षेत्र में हर बड़ा निवेश निर्णय (इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड से लेकर कंटेंट रणनीति तक) ब्रॉडकास्ट बिल पर स्पष्टता का इंतजार करते हुए रोका हुआ है। जितनी देर होगी, उतना ही असमंजस बढ़ेगा और यह ऐसे क्षेत्र के लिए अच्छा नहीं है जो स्थिरता पर निर्भर करता है।”

दूसरे ड्राफ्ट की गोपनीयता

ब्रॉडकास्ट सेवाएं (विनियमन) विधेयक, 2024 की प्रतियां हितधारकों को बांटने के कुछ ही दिनों बाद, सूचना एवं ब्रॉडकास्ट मंत्रालय ने अचानक उन्हें वापस मांगा। पहला ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया था, लेकिन दूसरा ड्राफ्ट कभी सार्वजनिक नहीं हुआ। प्रतियां केवल चुनिंदा ब्रॉडकास्टर्स, केबल ऑपरेटर्स और अन्य हितधारकों को ही दी गईं।

इससे खास तौर पर डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स को बाहर रखने पर पारदर्शिता को लेकर चिंता बढ़ी।

मेघनाद एस, ध्रुव राठी, अभिसार शर्मा जैसे यूट्यूबर्स और अन्य ने इस अपारदर्शी परामर्श प्रक्रिया पर असहजता जताई। DIGIPUB News India Foundation, जो 90 से अधिक डिजिटल न्यूज संस्थानों का प्रतिनिधित्व करता है, ने भी मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर डिजिटल न्यूज इकोसिस्टम से जुड़ी चिंताओं पर औपचारिक बैठक की मांग की।

संशोधित ड्राफ्ट में क्या बदला

विधेयक के दूसरे ड्राफ्ट में पहले संस्करण की कुछ आलोचनाओं को दूर करने की कोशिश की गई थी।

मुख्य बदलावों में शामिल थे:

  • अनिवार्य प्रमाणन से छूट: समाचार और सामयिक कार्यक्रम, शैक्षणिक कार्यक्रम, लाइव इवेंट्स, बच्चों की एनिमेशन और अन्य निर्दिष्ट श्रेणियों को कंटेंट इवैल्यूएशन कमेटियों (CECs) की अनिवार्य मंजूरी से मुक्त किया गया। इसे सरकारी नियंत्रण और सेंसरशिप की आशंकाओं से पीछे हटने की दिशा में कदम माना गया।

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म की स्पष्ट श्रेणीकरण: ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्रोवाइडर्स (OCCPs) या ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को आधिकारिक तौर पर “इंटरनेट ब्रॉडकास्ट नेटवर्क” के रूप में वर्गीकृत किया गया।

  • नई परिभाषाओं का समावेश: “विज्ञापन मध्यस्थ,” “डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर,” और “ग्राउंड-बेस्ड ब्रॉडकास्टर” जैसे शब्द जोड़े गए, जिससे नियमन का दायरा बढ़ा।

  • विस्तारित दायरा: ड्राफ्ट में उन व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं को भी शामिल किया गया जो व्यवस्थित तरीके से व्यावसायिक उद्देश्य से समाचार और सामयिक कंटेंट का प्रसार करते हैं, जिससे स्वतंत्र डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स भी इसके दायरे में आ सकते हैं।

  • कड़े दंड: सामान्य उल्लंघनों पर पहली बार ₹10 लाख और बार-बार उल्लंघन पर ₹50 लाख का जुर्माना लगाया गया। सब्सक्राइबर रिकॉर्ड उल्लंघन पर ₹2.5 करोड़ तक का जुर्माना तय किया गया।

इन बदलावों के बावजूद विधेयक में कुछ विवादित प्रावधान बने रहे, जैसे व्यक्तियों के लिए आपराधिक दंड, CEC सदस्यों का विवरण अनिवार्य रूप से सार्वजनिक करना, और टेलीविजन व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक समान नियमन की संभावना।

इंडस्ट्री जगत की चिंताएं

कानूनी और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स को आशंका थी कि विधेयक में और देरी से असमंजस और गहरा सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे विवादित मुद्दों में से एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को प्रसारक की परिभाषा में शामिल करने की कोशिश थी। उन्होंने माना कि यही वजह हो सकती है कि मंत्रालय ने ड्राफ्ट वापस लेकर उसकी प्रावधानों पर फिर से विचार किया।

एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा कि ऐसे विधेयकों में लंबी प्रक्रिया असामान्य नहीं है, खासकर तब जब वे संवैधानिक स्वतंत्रताओं और व्यापक इंडस्ट्री प्रभाव से जुड़े हों। एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा, “क्योंकि अब चर्चाएं सिर्फ पारंपरिक ब्रॉडकास्ट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डिजिटल/ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और कंटेंट क्रिएटर्स तक फैली हैं, इसलिए इसमें समय लगना स्वाभाविक है।”

फिलहाल, इंडस्ट्री इंतजार और आत्म-नियमन के बीच फंसा हुआ है। जहां कुछ लोग देरी को इस संकेत के रूप में देखते हैं कि सरकार अपने दृष्टिकोण का सावधानी से पुनर्मूल्यांकन कर रही है, वहीं अन्य को डर है कि यह अनिश्चितकालीन ठहराव है, जो ब्रॉडकास्ट नियमन और इंडस्ट्री से जुड़े अहम फैसलों के भविष्य को अधर में छोड़ देता है।

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