महिलाओं की प्रतिभा को सामने लाने और यह बताने के लिए कि नेचुरल ब्यूटी ही वास्तव में असली सुंदरता है, दैनिक जागरण आईनेक्स्ट’ (DJ-Inext) की ओर से...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
महिलाओं की प्रतिभा को सामने लाने और यह बताने के लिए कि नेचुरल ब्यूटी ही वास्तव में असली सुंदरता है, दैनिक जागरण आईनेक्स्ट’ (DJ-Inext) की ओर से ‘मिसेज नेचुरल ब्यूटी 2018 कांटेस्ट’ (Mrs. Natural Beauty 2018) का आयोजन किया गया। दरअसल, कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसी महिलाओं को एक मंच प्रदान करना था जो घर-गृहस्थी की व्यस्तता में इतनी उलझ जाती हैं कि टैलेंट होने के बावजूद वे उसे सामने नहीं ला पाती हैं और उनके तमाम सपने मन में ही रह जाते हैं।
लखनऊ के एक होटल में सात फरवरी को हुए ग्रांड फिनाले से पूर्व इस पहल के लिए उत्तर प्रदेश के आठ शहरों में जजों के एक पैनल ने ऑडिशन की प्रक्रिया पूरी की, जो कई दिनों तक चली। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए हजारों एंट्री आई थीं। इसके बाद तमाम राउंड से होते हुए 24 जजों ने 16 प्रतिभागियों को फाइनल के लिए सलेक्ट किया, जबकि फेसबुक पर आयोजित विशेष प्रतियोगिता के जरिये एक प्रतिभागी को वाइल्ड कार्ड एंट्री मिली। इस तरह ग्रांड फिनाले के लिए 17 प्रतियोगी मैदान में बची थीं।
फाइनलिस्ट ने एथिनिक राउंड, इंडो-वेस्टर्न राउंड, गाउन राउंड और क्वेश्चन आंसर राउंड में अपनी नेचुरल ब्यूटी और टैलेंट से सभी को इम्प्रेस करने का पूरा प्रयास किया। कड़े मुकाबले के बीच कानपुर की कल्पना सिंह ने मिसेज नेचुरल ब्यूटी का खिताब हासिल किया। इसके साथ ही उन्होंने एक लाख रुपए कैश प्राइज के साथ ही इस ताज को अपने नाम कर लिया। इसके अलावा पहली रनर अप लखनऊ की आयशा रहीं जबकि गोरखपुर की अलका जायसवाल दूसरी रनर अप रहीं।
कार्यक्रम दौरान विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियां मौजूद रहीं। कार्यक्रम को बॉलिवुड अभिनेता अमन वर्मा ने होस्ट किया और इसमें मिसेज वर्ल्ड 2001 रहीं डॉ.अदिति गोवित्रिकर, बॉलिवुड अभिनेत्री रितु शिवपुरी और ब्रिटिश फैशन डिजाइनर लुसिलिया फर्नांडिस ने निर्णायक की भूमिका निभाई।
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट (DJ-Inext) के सीओओ आलोक सांवल ने इस तरह के आयोजनों के महत्व पर जोर देते हुए भविष्य में भी इस तरह की पहल करने की इच्छा जताई। उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपने पार्टनर्स का शुक्रिया भी अदा किया।
यह बैठक सार्थक संवाद का एक मंच है, जो बिहार के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य की कुछ प्रमुख हस्तियों को शासन, विकास और ज्वलंत क्षेत्रीय मुद्दों पर खुलकर बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह के डिजिटल-फर्स्ट न्यूज प्लेटफॉर्म ‘बिहार तक’ (Bihar Tak) आज पटना में अपने प्रमुख कार्यक्रम 'बिहार तक बैठक' का आयोजन कर रहा है। यह बैठक सार्थक संवाद का एक मंच है जो बिहार के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य की कुछ प्रमुख हस्तियों को शासन, विकास और ज्वलंत क्षेत्रीय मुद्दों पर खुलकर बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
इस साल के अंत में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, यह बैठक विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह बिहार की राजनीतिक प्राथमिकताओं, विकास के एजेंडे और लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रभावशाली चर्चाओं का मंच तैयार करती है।
इस विशेष बैठक में जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा, भाजपा नेता नितिन नवीन, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर, पुष्पम प्रिया, विकास आयुक्त एस. सिद्धार्थ, आरएलएम सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा,बिहार सरकार में मंत्री जीवेश मिश्रा, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन शामिल होंगे। इसके साथ ही सांसद शांभवी चौधरी, मंत्री अशोक चौधरी, मंत्री संतोष मांझी के साथ पत्रकार चौपाल का भी आयोजन किया जाएगा।
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार, रितु जायसवाल, बीजेपी नेता मनीष कश्यप और विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी इस संवाद का हिस्सा होंगे, जबकि सांसद पप्पू यादव की उपस्थिति संभावित है।
इस पहल के बारे में Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने कहा, ‘बिहार तक बैठक बिहार के दिल से आवाज उठाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसे-जैसे राज्य एक महत्वपूर्ण चुनाव की ओर बढ़ रहा है, पारदर्शी और सार्थक बातचीत की ज़रूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। इस मंच के माध्यम से, हमारा उद्देश्य प्रमुख हित धारकों को लोगों की चिंताओं से रूबरू कराना है।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘हमारे दर्शकों का भारी समर्थन हमें ऐसे और भी मंच बनाने के लिए प्रेरित करता है जो नीतियों को लोगों से जोड़ते हैं और विश्वसनीय डिजिटल पत्रकारिता के माध्यम से बिहार के मुद्दों को उजागर करते हैं।’
कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बिहार तक बैठक से संबंधित बातचीत, साक्षात्कार और पैनल चर्चाएं बाद में बिहार तक यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध होंगी, ताकि दर्शक इस आयोजन की प्रमुख चर्चाओं को देख सकें और उनसे जुड़ सकें।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपनी 65वीं स्थापना दिवस के अवसर पर कई नई पहलों की शुरुआत की।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने सोमवार को अपनी 65वीं स्थापना दिवस के अवसर पर कई नई पहलों की शुरुआत की। इसमें एक टीवी चैनल, डिजिटल लर्निंग को बढ़ाने के लिए एक प्लेटफॉर्म और एक मोबाइल ऐप शामिल है, जो एक केंद्रीकृत डिजिटल लर्निंग गेटवे के रूप में काम करेगा।
NCERT ने बाल वाटिका – PM eVidya डीटीएच चैनल नंबर 35 लॉन्च किया। यह चैनल 3 से 6 वर्ष के बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसके अंतर्गत शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और अभिभावकों के लिए विशेष रूप से ऑडियो-विज़ुअल कंटेंट उपलब्ध कराया जाएगा।
डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म DIKSHA 2.0 का अपग्रेडेड संस्करण भी लॉन्च किया गया। यह प्लेटफॉर्म संरचित पाठ, अनुकूलनशील मूल्यांकन, प्रदर्शन प्रतिक्रिया और 12 भाषाओं में उपलब्ध एआई-संचालित अनेक सुविधाएं प्रदान करेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली के औरंगजेब मार्ग पर बने एक नए प्रवेश परिसर का उद्घाटन किया। उन्होंने हिंदी, संस्कृत और कोया भाषाओं में प्राइमर भी जारी किए, पीएम eVidya मोबाइल ऐप लॉन्च किया और चार डेमोंस्ट्रेशन स्कूलों में वर्चुअल रियलिटी (VR) लैब्स का उद्घाटन भी किया।
NCERT ने PRASHAST 2.0 भी पेश किया, जो विकलांग बच्चों की प्रारंभिक पहचान के लिए एक उन्नत स्क्रीनिंग टूल है। इसे UDISE+, APAAR और स्वावलंबन कार्ड जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ एकीकृत किया गया है।
पिछले छह महीनों में दिल्ली सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने उल्लेखनीय आयोजन किए हैं। मैं माता चकेरी देवी फाउंडेशन को इस अद्भुत कार्यक्रम के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।
सोमवार को मानसून को विदा करने के लिए राजधानी दिल्ली में ‘बदरिया’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का स्वागत भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और माता चकेरी देवी फाउंडेशन के ट्रस्टी उपेन्द्र राय ने किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और सीएमडी उपेन्द्र राय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इससे पूर्व श्री उपेन्द्र राय ने मुख्यमंत्री का औपचारिक स्वागत किया, जबकि माता चकेरी देवी फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी बृजेश राय ने दिल्ली सरकार के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा का अभिनंदन किया। कार्यक्रम की शुरुआत साद्यांत कौशल की मधुर सरस्वती वंदना से हुई, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति और सौम्यता से भर दिया।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा, बदरिया शब्द सुनते ही मैंने तय कर लिया था कि इस कार्यक्रम में अवश्य आऊँगी। एनडीएमसी में महिला एवं बाल विकास समिति की अध्यक्ष रहते हुए हमने कई ऐतिहासिक कार्य किए। आज कपिल मिश्रा लगातार ऐसे उत्कृष्ट सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।
पिछले छह महीनों में दिल्ली सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने उल्लेखनीय आयोजन किए हैं। मैं माता चकेरी देवी फाउंडेशन को इस अद्भुत कार्यक्रम के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। सांस्कृतिक मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, दिल्ली में भोजपुरी–मैथिली समाज का यह पहला बड़ा आयोजन है और इसमें स्वयं मुख्यमंत्री की उपस्थिति इसे और विशेष बनाती है।
इस वर्ष दिल्ली में ऐतिहासिक कांवड़ यात्रा का आयोजन हुआ, और आने वाले समय में छठ पूजा भी अभूतपूर्व स्तर पर मनाई जाएगी। कार्यक्रम में लोक गायिका पद्म श्री मालिनी अवस्थी ने भोजपुरी लोकगीतों का पिटारा खोला तो दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनकी सराहना की।
वहीं मैथिली लोक गायक श्री कुंज बिहारी मिश्रा, तबला वादक रिम्पा शिवा, बांसुरी वादक वैष्णवी जोशी, सितार वादक मेघा राउत ने भी शानदार प्रस्तुति दी। साथ ही नयनिका घोष एंड टीम ने कथक नृत्य कर मनमोहक प्रदर्शन किया। माता चकेरी देवी फाउंडेशन के ट्रस्टी उपेन्द्र राय की अगुवाई में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका मकसद था दिल्ली में भोजपुरी और मैथली संस्कृति को बढ़ावा देना। ट्रस्ट संस्थापक बृजेश राय के अलावा ट्रस्ट के अन्य सदस्य अपूर्वा सिंह, योगिता सिंह और प्रमोद कुमार भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
‘साइबरमीडिया’ के अनुसार, सुनील राजगुरु ने सोमवार की दोपहर करीब 2:30 बजे अस्पताल में आखिरी सांस ली। सुनील राजगुरु करीब एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार और ‘साइबरमीडिया’ (CyberMedia) के डिजिटल पब्लिकेशंस ‘Dataquest’ व ‘PCQuest’ के संपादक सुनील राजगुरु का निधन हो गया है। ‘साइबरमीडिया’ के अनुसार, सुनील राजगुरु ने सोमवार की दोपहर करीब 2:30 बजे अस्पताल में आखिरी सांस ली। सुनील राजगुरु करीब एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे। राजगुरु के परिवार में पत्नी सुमा रामचंद्रन और एक बेटा हैं।
राजगुरु एक प्रतिष्ठित पत्रकार थे। साइबरमीडिया में उन्होंने Dataquest और PCQuest के संपादन की जिम्मेदारी निभाई। इससे पहले वे साइबरमीडिया की अन्य पत्रिका Living Digital और रिसर्च एजेंसी IDC India से भी जुड़े रहे।
वे तकनीकी विषयों को सरल और समझने योग्य भाषा में पेश करने, पैनल डिस्कशन्स मॉडरेट करने, वीडियो इंटरव्यू करने और इंडस्ट्री के सम्मेलन व वेबिनार संचालित करने की क्षमता के लिए जाने जाते थे।
साइबरमीडिया के अलावा उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स और Centre for Science & Environment के लिए भी काम किया। इसके साथ ही Sify और India Today के DailyO प्लेटफॉर्म पर कॉलम लिखे। वे बेंगलुरु के एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म (Asian College of Journalism) के पूर्व छात्र थे।
बता दें कि Dataquest भारत की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) मैगजीन है, जिसकी शुरुआत 1982 में हुई थी। यह आईटी इंडस्ट्री, डिजिटल इनोवेशन और ई-गवर्नेंस से जुड़ी ख़बरों, विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए जानी जाती है। वहीं PCQuest एक प्रमुख टेक्नोलॉजी मैगजीन है जो कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और डिजिटल सॉल्यूशंस से जुड़े रुझानों, गाइड्स और समीक्षाओं को प्रस्तुत करती है। दोनों ही पत्रिकाएँ साइबरमीडिया समूह के अंतर्गत प्रकाशित होती हैं और तकनीकी पत्रकारिता के क्षेत्र में इनकी विशेष पहचान है।
राजेश उपाध्याय और डॉ. शिशिर कुमार सिंह की पुस्तक “मीडिया कानून और नैतिकता: एक समकालीन परिप्रेक्ष्य, 2025” डिजिटल युग में मीडिया के कानूनी और नैतिक पहलुओं का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है।
विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने "मीडिया कानून और नैतिकता" पुस्तक का विमोचन करते हुए आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक मीडिया के बदलते स्वरूप में जवाबदेही की मानक आवश्यकताओं को रेखांकित करेगी। केंद्रीय मंत्री ने लेखकों को उनके समयानुकूल लेखन प्रयासों के लिए बधाई भी दी।
राजेश उपाध्याय और डॉ. शिशिर कुमार सिंह द्वारा लिखित पुस्तक "मीडिया कानून और नैतिकता: एक समकालीन परिप्रेक्ष्य, 2025", विशेष रूप से डिजिटल युग में, मीडिया के कानूनी और नैतिक परिदृश्य का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है।
यह पुस्तक मानहानि कानून, बौद्धिक संपदा कानून, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, गोपनीयता और डेटा संरक्षण कानून, और भारतीय डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम पर सुदाहरण जानकरी देती है।
इस पुस्तक का एक महत्वपूर्ण भाग मीडिया नैतिकता पर है। पुस्तक पत्रकारों के लिए मूल नैतिक सिद्धांतों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। यह विशेष रूप से सोशल मीडिया के अनियंत्रित परिदृश्य में, फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं से निपटने के लिए इन नैतिकताओं की सख्त आवश्यकता पर बल देती है।
वह कुछ समय से फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।
वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी की माता श्रीमती कुसुम वाजपेयी का सोमवार को निधन हो गया है। करीब 83 वर्षीय कुसुम वाजपेय कुछ समय से फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। परिजनों के अनुसार, उनकी स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें बचाने का हरसंभव प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
कुसुम वाजपेयी का अंतिम संस्कार आज सुबह 11 बजे हिंडन नदी के तट पर किया जाएगा। वे अपने पीछे तीन बेटों, नाती-पोतों और भरे-पूरे परिवार को छोड़ गई हैं। कुसुम जी अपने सबसे छोटे बेटे पुण्य प्रसून वाजपेयी के साथ गाजियाबाद के वसुंधरा क्षेत्र में रहती थीं। उनके दो बड़े बेटों में से एक बैंक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हैं। उनके पति का निधन वर्ष 2014 में हो चुका था।
इस दुखद समाचार के बाद मीडिया जगत, मित्रों और शुभचिंतकों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। सभी ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और शोकाकुल परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति प्राप्त हो।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने राकेश खंडूड़ी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला अखबार के ब्यूरो प्रमुख राकेश खंडूरी का निधन हो गया है। वे बीते कुछ समय से हृदय रोग से जूझ रहे थे और उनका इलाज एम्स ऋषिकेश में चल रहा था। हाल ही में उनका ऑपरेशन हुआ था, लेकिन ऑपरेशन के बाद उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई और बुधवार-गुरुवार की देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।
राकेश खंडूरी लंबे समय से अमर उजाला की देहरादून यूनिट में कार्यरत थे। इससे पहले उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भी अपनी सेवाएं दी थीं। वे प्रतिदिन डोईवाला से देहरादून आकर जिम्मेदारी निभाते थे। कठिन परिस्थितियों और मौसम की परवाह किए बिना उनकी नियमितता और समर्पण ने उन्हें साथियों और पाठकों के बीच विशेष पहचान दिलाई।
अपने करियर के दौरान उन्होंने अनगिनत ऐसी कहानियों पर काम किया जो जनता और राज्य से जुड़े मुद्दों को सामने लाती थीं। सरकारी तंत्र और नौकरशाही में उनकी गहरी पकड़ रही, लेकिन इसके बावजूद वे हमेशा सरल, जमीनी और सच्चे इंसान बने रहे। सहयोगियों का कहना है कि वे न केवल एक बेहतरीन पत्रकार थे, बल्कि अपने शालीन और विनम्र स्वभाव से सबका दिल जीत लेते थे।
पत्रकारिता के अलावा उनका एक और रूप भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय था। वे माउथ ऑर्गन बजाने में माहिर थे और अक्सर सोशल मीडिया पर फिल्मी धुनें साझा करते थे, जिससे उनके प्रशंसकों की संख्या और बढ़ जाती थी।
उनके निधन से मीडिया जगत, सहयोगियों, मित्रों और शुभचिंतकों में गहरा शोक है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने राकेश खंडूड़ी जी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अमर उजाला, उत्तराखण्ड के स्टेट ब्यूरो प्रमुख एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश खंडूड़ी जी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
— CM Office Uttarakhand (@ukcmo) August 28, 2025
इस दौरान मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त की। pic.twitter.com/17gz1dCUJY
मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मैंने पब्लिसिस ग्रुप में एक बार फिर वापसी की है और अब मैं पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) की ग्लोबल एग्ज़िक्यूटिव लीडरशिप टीम का हिस्सा हूँ।
मयूरी कांगो ने एक बार फिर पब्लिसिस ग्रुप (Publicis Groupe) में वापसी की है। उन्होंने चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर (CEO) पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) का पदभार संभाला है। इस बात की जानकारी उन्होंने अपने LinkedIn पोस्ट के ज़रिए दी। अपने नए रोल में मयूरी कांगो भारत से PGD के संचालन का नेतृत्व करेंगी और साथ ही मीडिया, डेटा-टेक और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए वैश्विक रणनीति पर काम करेंगी।
लिंक्डइन पर साझा किए गए अपने संदेश में उन्होंने लिखा, मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मैंने पब्लिसिस ग्रुप में एक बार फिर वापसी की है और अब मैं पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) की ग्लोबल एग्ज़िक्यूटिव लीडरशिप टीम का हिस्सा हूँ। इस भूमिका में मैं PGD की वैश्विक टीम के साथ मिलकर मीडिया, टेक और डिजिटल सॉल्यूशंस और सर्विसेज़ को आकार दूँगी, साथ ही AI प्रैक्टिस को और मज़बूत करूँगी।
मैंने ख़ुद देखा है कि AI किस तरह हमारे काम करने, बनाने और जुड़ने के तरीक़ों को बदल रहा है। इसलिए मैं इसके ज़रिए मार्केटिंग और मीडिया के भविष्य को नए ढंग से गढ़ने को लेकर बेहद उत्साहित हूँ।
उन्होंने आगे लिखा, इसके साथ ही मैं भारत डिलीवरी सेंटर की सीईओ की ज़िम्मेदारी भी निभाऊँगी, जहाँ मैं अपनी टीम के साथ मिलकर सीमाओं को आगे बढ़ाने, नवाचार करने और पब्लिसिस के क्लाइंट्स के लिए सार्थक प्रभाव बनाने की दिशा में काम करने के लिए उत्सुक हूँ।
इससे पहले मयूरी कांगो गूगल में 6 साल से ज़्यादा समय तक कार्यरत रहीं। वहाँ उनका आख़िरी पद इंडस्ट्री हेड AI, Martech & Media Solutions @MPT था। पब्लिसिस में अपनी पिछली भूमिकाओं में उन्होंने 2016 से 2019 तक परफॉर्मिक्स (Performics) और 2012 से 2016 तक ज़ेनिथ (Zenith) में काम किया था।
इस व्याख्यानमाला के पहले दिन शाम साढ़े पांच बजे संघ प्रमुख मोहन भागवत विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर 26 अगस्त से तीन दिवसीय विशेष व्याख्यानमाला शुरू होने जा रही है।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होने जा रहे इस आयोजन का विषय 100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज (100 Years of Sangh Journey - New Horizons) रखा गया है। इसमें संघ के गठन से लेकर आज तक की यात्रा, समाज में उसकी भूमिका और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
इस व्याख्यानमाला के पहले दिन शाम साढ़े पांच बजे संघ प्रमुख मोहन भागवत विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही वह समाज के प्रबुद्ध लोगों से भी मुलाकात करेंगे। यह आयोजन संघ की एक सदी लंबी यात्रा का उत्सव मनाने के साथ-साथ भविष्य के लिए नए लक्ष्यों और दृष्टिकोण को रेखांकित करेगा।
इस बारे में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के निमित्त देश भर में जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृंखला में समाज के सभी वर्गों की प्रमुख हस्तियों से संवाद का कार्यक्रम भी होने वाला है। इसके तहत देश के चार प्रमुख महानगरों नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई में होने वाले संवाद के कार्यक्रमों में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति रहेगी।
आंबेकर ने बताया कि इसी के तहत दिल्ली के विज्ञान भवन में 26 अगस्त से होने जा रही तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में समाज के सभी क्षेत्रों, वर्गों और विचारधाराओं की प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी। इसके लिए सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, खेल, शिक्षा, ज्ञान परंपरा एवं भाषा, इंटरप्रेन्योर और भारत स्थित विभिन्न देशों को राजदूतों सहित 17 मुख्य और 138 सह—श्रेणियों में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों की प्रमुख्य हस्तियों को आमंत्रित किया जा रहा है।
इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान होने वाली चर्चा के विषयों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें 100 वर्षों की यात्रा के दौरान संघ की भूमिका एवं अनुभवों के साथ ही भविष्य में जिन क्षेत्रों में संघ और स्वयंसेवकों को आगे बढ़ना है इस पर भी सरसंघचालक जी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। साथ ही पंच परिवर्तन पर संघ की सोच और इसमें समाज की अपेक्षित सहभागिता की योजनाओं पर भी चर्चा होगी। मौजूदा समय में तेजी से विकास एवं प्रगति की राह पर अग्रसर हो रहे देश की लगातार बढ़ रही आशा एवं आकांक्षाओं में स्वयंसेवकों के योगदान पर भी बात होगी और यह पक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा कि नए क्षितिज की ओर भारत को आगे बढ़ना है तो स्व तत्व और अपने पराक्रम से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
आंबेकर ने बताया गुलामी के कालखंड से चले आ रहे विकास के औपनिवेशिक मापदंडों पर भी चर्चा होगी और अब तक दबी रही भारतीय समाज की असीमित क्षमताओं को उभारने पर भी विचार रखा जाएगा। साथ ही वर्तमान समय में देश—समाज के लिए महत्वपूर्ण विषयों सहित भारत की वैश्विक भूमिका पर भी बात होगी। इसके अलावा तीसरे दिन आयोजन में सम्मिलत होनेवालों के लिखित प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का भी उत्तर दिया जाएगा।
इसके साथ ही आंबेकर ने बताया कि वर्ष 1925 में आरंभ हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रसेवा की यात्रा के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर वर्ष पर्यंत चलने वाले शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत देश भर में 1000 से अधिक गोष्ठियों को आयोजन होगा जिसमें संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। ऐसे कुछ आयोजनों में शामिल होने के लिए सरकार्यवाह जी का भी कार्यक्रम तय किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 100 वर्षों की अपनी यात्रा में संघ ने समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने और यह बताने का हमेशा प्रयत्न किया है कि संघ का विचार अलग नहीं बल्कि भारत की स्थापित परंपरा पर ही आधारित है। श्री आंबेकर ने कहा कि संघ का विचार सबके साथ मिलकर देश को आगे बढ़ाने में योगदान करने का रहा है और हम चाहते हैं कि पूरा देश एक साथ मिलकर इस विकास की यात्रा को आगे बढ़ाए। इसमें योगदान करते हुए स्वावलंबी भारत जैसे अभियानों के तहत संघ के स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों में सहभागी और सहयोगी की भूमिका भी निभा रहे हैं।
यहां देखें वीडियो:
वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया। यह घटना उनके गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज होने के एक दिन बाद हुई।
पुलिस ने पुष्टि की कि शव नदी में तैरता हुआ मिला था, जिसे लगभग 3:45 बजे कलागाछिया रिवर पुलिस आउटपोस्ट के अधिकारियों ने बरामद किया और बाद में पोस्टमार्टम के लिए मुंशीगंज जनरल अस्पताल के मुर्दाघर भेजा गया। परिजनों ने शव की पहचान कर ली है।
71 वर्षीय सरकार बांग्ला दैनिक आजकेर पत्रिका में सीनियर एडिटर के रूप में कार्यरत थे। वह गुरुवार सुबह अपने सिद्देश्वरी निवास से बनस्री स्थित कार्यालय जाने के लिए निकले थे, लेकिन वहां कभी नहीं पहुंचे। उसी सुबह लगभग 9:15 बजे उन्होंने bdnews24.com को “खोला चिठी” (ओपन लेटर) शीर्षक से एक लेख ईमेल किया, जिसके साथ उन्होंने एक मार्मिक टिप्पणी लिखी, “आप इसे मेरी अंतिम रचना के रूप में प्रकाशित कर सकते हैं।” यह लेख बाद में पोर्टल के विचार अनुभाग में प्रकाशित किया गया।
पत्र में सरकार ने अपने जीवनभर के संघर्षों पर विचार किया था, जिनमें उनके और उनके बेटे की पुरानी बीमारियां, बेटी के करियर में आई बाधाएं, बीयूईटी से स्नातक करने के बावजूद बेटे को नौकरी न मिलना और परिवार पर बढ़ता वित्तीय दबाव शामिल था। उन्होंने अपने पांच दशक लंबे करियर को भी याद किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने बतौर दैनिक आजाद के स्कूली संवाददाता के रूप में की थी। वर्षों के दौरान उन्होंने संगबाद और रुपाली में काम किया और दैनिक मातृभूमि और चलतिपत्र में संपादकीय भूमिकाएं निभाईं। वह मृदुभाषण के कार्यकारी संपादक रहे और 1980 के दशक में एंटी-एरशाद आंदोलन के दौरान “तारिक इब्राहिम” के नाम से कॉलम लिखते थे।
सरकार की अचानक मौत ने बांग्लादेश की मीडिया बिरादरी को झकझोर दिया है। सहकर्मियों और पाठकों ने पत्रकारिता में एक निडर आवाज के खोने पर गहरा शोक व्यक्त किया है।