मुंबई में आयोजित 'कंटेंट इंडिया 2025' (Content India 2025) सम्मेलन में सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के सीईओ गौरव बनर्जी ने भारतीय मीडिया व एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में इनोवेशन की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "हम किसी भी तरह से सहज स्थिति में नहीं हैं। हमें नए विचारों की जरूरत है और ऐसी क्रिएटिव अभिव्यक्ति चाहिए जो गहराई से और ईमानदारी से बड़े दर्शक वर्ग से जुड़ सके।"
कंटेंट इंडस्ट्री बदलाव के दौर में
गौरव बनर्जी ने टेलीविजन और स्ट्रीमिंग सेक्टर में तेजी से हो रहे बदलावों की ओर इशारा किया और कहा कि इंडस्ट्री को खुद को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। उन्होंने यह टिप्पणी मुंबई में आयोजित "Perspectives for Change" नामक चर्चा के दौरान की। उन्होंने कहा, "हम कंटेंट बिजनेस के विकास के बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। ऐसे मौके दुर्लभ होते हैं, जब पूरी इंडस्ट्री किसी न किसी तरह से रीसेट हो रही होती है।"
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत के दौर को याद करते हुए कहा, "मैंने साल 2000 में अपने करियर की शुरुआत की थी और उस समय पे-टीवी के बढ़ते प्रभाव को लेकर एक स्पष्ट भविष्य नजर आता था।"
भारत की आर्थिक वृद्धि और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की चुनौतियां
बनर्जी ने यह भी बताया कि हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी बढ़ रही है, लेकिन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री कई चुनौतियों से जूझ रही है।
उन्होंने कहा, "देश में कंटेंट के लिए बड़ा बाजार तैयार हो रहा है, लेकिन हमें कई प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पे-टीवी के ग्रोथ में बाधाएं हैं, विज्ञापन की बड़ी रकम डिजिटल कंपनियों की ओर चली गई है और स्ट्रीमिंग इंडस्ट्री भी संघर्ष कर रही है।"
उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि बीते कुछ वर्षों में कंटेंट क्रिएटर्स को बजट में कटौती और प्रोजेक्ट्स की संख्या में कमी का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, "बिजनेस के सिकुड़ने की यह स्थिति वास्तविक है।"
2008 के बाद नहीं हुआ कोई बड़ा इनोवेशन
बनर्जी ने कहा कि पिछले 17 वर्षों में इंडस्ट्री में कोई बड़ा इनोवेशन नहीं हुआ। उन्होंने 2000 में "कौन बनेगा करोड़पति" (KBC) की शुरुआत, आईपीएल की सफलता और 2008 में कलर्स चैनल के लॉन्च को गेम-चेंजर करार दिया, लेकिन उसके बाद कोई बड़ी क्रांति नहीं आई।
"आखिरी बड़ा बदलाव 2008 में हुआ था। तब से अब तक, यानी 17 साल, हम उस अगली बड़ी इनोवेशन लहर के इंतजार में हैं, जिसने असाधारण रूप से दर्शकों को जोड़ा हो।"
मीडिया इंडस्ट्री को नए इकोसिस्टम की जरूरत
बनर्जी ने कहा कि मीडिया बिजनेस इनोवेशन और नए विचारों पर आधारित होता है, लेकिन फिलहाल यह ठहराव की स्थिति में है। उन्होंने कहा, "हमें इंडस्ट्री की मौजूदा चुनौतियों को समझना होगा और नए इकोसिस्टम तैयार करने होंगे जो इनोवेशन को बढ़ावा दें।"
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कोविड-19 महामारी के दौरान कंटेंट की खपत बढ़ी थी, लेकिन अब इंडस्ट्री उस 'आरामदायक' दौर से बाहर निकल चुकी है। अब नए विचारों और बिजनेस मॉडल की जरूरत पहले से ज्यादा है।
बदलते दर्शकों की प्राथमिकताएं और समाधान
बनर्जी ने कहा कि आज के दर्शक बड़े और क्यूरेटेड कंटेंट के बजाय छोटे, जल्दी खत्म होने वाले कंटेंट की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। अंत में, गौरव बनर्जी ने इंडस्ट्री से राइटर्स में निवेश करने और उन्हें समय, पैसा और संसाधन देने की अपील की, ताकि वे ऐसी कहानियां तैयार कर सकें जो दर्शकों से गहराई से जुड़ सकें।