RJ मंत्रा: एक आवाज जिसने रेडियो से थिएटर और सिनेमा तक बनाया सफर

इंदौर में 21 अगस्त 1982 को जन्मे पुरनजीत दासगुप्ता, जिन्हें लोग आरजे मंत्रा, वीजे मंत्रा या मंत्रा मुग्ध के नाम से पहचानते हैं, आज 43 साल के हो गए हैं।

Last Modified:
Thursday, 21 August, 2025
RJMantra84512


इंदौर में 21 अगस्त 1982 को जन्मे पुरनजीत दासगुप्ता, जिन्हें लोग आरजे मंत्रा, वीजे मंत्रा या मंत्रा मुग्ध के नाम से पहचानते हैं, आज 43 साल के हो गए हैं। रेडियो, थिएटर, टेलीविजन, सिनेमा और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बीच लगातार काम करते हुए उन्होंने खुद को भारतीय मनोरंजन जगत का सबसे बहुमुखी कलाकार साबित किया है।

मंत्रा ने शुरुआत आतिथ्य सेवा क्षेत्र से की थी। 1990 के दशक के अंत में वह इंदौर के ताज होटल में रिसेप्शनिस्ट और मैनेजर रहे। उनकी अलग आवाज और व्यक्तित्व ने उन्हें एफएम रेडियो तक पहुंचाया। 2000 में उन्होंने रेडियो मिर्ची से डेब्यू किया और जल्द ही शहरी रेडियो श्रोताओं के बीच लोकप्रिय हो गए।

2003 में वह दिल्ली आ गए और रेडियो सिटी से जुड़ गए, जहां उन्होंने ‘रूट 91’ जैसे शो किए। इसके बाद ‘मुंबई लोकल’ (रेड एफएम 93.5) ने उन्हें और लोकप्रिय बनाया। इस शो को प्रोमैक्स और रापा जैसे पुरस्कार मिले। 2017 में उन्होंने 92.7 बिग एफएम पर ‘लम्हे विद मंत्रा’ से वापसी की। इस शो ने न्यूयॉर्क फेस्टिवल अवॉर्ड्स में बेस्ट रेडियो पर्सनैलिटी का खिताब जीता और उनकी पहचान को और मजबूत किया।

रेडियो के साथ-साथ उन्होंने टीवी पर भी छाप छोड़ी। ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’, ‘कॉमेडी सर्कस’, ‘जरा नचके दिखा’ और ‘प्रो कबड्डी लीग’ जैसे शो उन्होंने होस्ट किए। बिग मैजिक के ‘नारायण नारायण’ में उन्होंने नारद मुनि की भूमिका निभाई और हास्य व पारंपरिक कथन शैली का अनोखा मेल दिखाया।

थिएटर में भी मंत्रा का योगदान खास रहा। शेक्सपियर के ‘ट्वेल्थ नाइट’ के हिंदी रूपांतरण ‘पिया बिहरूपिया’ में उनके अभिनय को लंदन के ग्लोब थिएटर तक सराहना मिली। डिज्नी इंडिया के ‘अलादीन’ में जिनी की उनकी भूमिका ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया।

फिल्मों में भी मंत्रा सक्रिय रहे। ‘तुम मिले’ (2009), ‘गेम’ (2011), ‘भेजा फ्राई 2’ (2011), ‘लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क’ (2012), ‘रिबेलियस फ्लावर’ (2016), ‘हाई जैक’ (2018) और ‘पानीपत’ (2019) में उन्होंने काम किया। डिजिटल मंच पर ‘बॉयगिरी’, ‘फोन अ फ्रेंड’, ‘भंवर’, ‘द कैसीनो’ और ‘हाई’ जैसी वेब सीरीज में भी नजर आए।

ऑडियो स्टोरीटेलिंग के क्षेत्र में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई। अपने स्टूडियो ‘मंत्रामुग्ध प्रोडक्शंस’ के जरिए उन्होंने ‘भास्कर बोस’ (स्पॉटिफाई पर), ‘काली आवाजें’, ‘माइन एंड यॉर्स’ और ‘लव इन द टाइम ऑफ कोरोना’ जैसी ऑडियो सीरीज बनाई। इन्हें भारतीय मनोरंजन जगत में ऑडियो ड्रामा को फिर से मुख्यधारा में लाने वाला काम माना गया।

मंत्रा को उनके काम के लिए कई पुरस्कार मिले हैं- दो प्रोमैक्स अवॉर्ड्स, दो रापा अवॉर्ड्स, गोल्डन माइक अवॉर्ड्स, रेडियो एंड म्यूजिक अवॉर्ड्स और न्यूयॉर्क फेस्टिवल का बेस्ट रेडियो पर्सनैलिटी अवॉर्ड। पीटा (PETA) ने भी उन्हें तोते को बचाने के लिए ‘हीरो टू एनिमल्स’ की मान्यता दी।

43 साल के हो चुके आरजे मंत्रा का सफर आज भी उनकी विविधता और अनुकूलन क्षमता के कारण अलग और खास बना हुआ है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हैप्पी बर्थडे श्वेता सिंह: दर्शकों और न्यूज इंडस्ट्री के भरोसे का दूसरा नाम हैं आप

‘हिंदी न्यूज चैनल 'आजतक' (AajTak) की प्रोग्रामिंग व 'गुड न्यूज टुडे' (Good News Today) की मैनेजिंग एडिटर श्वेता सिंह का आज जन्मदिन है।

Last Modified:
Thursday, 21 August, 2025
sweta singh

हिंदी न्यूज़ चैनल ‘आजतक’ (AajTak) की प्रोग्रामिंग और ‘गुड न्यूज़ टुडे’ (Good News Today) की मैनेजिंग एडिटर श्वेता सिंह का आज जन्मदिन है।

भारतीय मीडिया जगत में श्वेता सिंह एक जाना-पहचाना नाम हैं। बेबाक अंदाज़, गहरी समझ और पेशेवर दक्षता ने उन्हें लाखों दर्शकों की पहली पसंद बना दिया है। जटिल मुद्दों को सहज भाषा में समझाने की उनकी क्षमता और प्रभावशाली एंकरिंग शैली ने उन्हें अलग पहचान दिलाई है।

लगातार मेहनत और समर्पण के दम पर उन्होंने पत्रकारिता में नए मानक स्थापित किए हैं। करीब दो दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय श्वेता पिछले 18 साल से ‘आजतक’ परिवार का हिस्सा हैं। उनके लंबे अनुभव और संतुलित प्रस्तुति ने उन्हें न्यूज रूम से लेकर दर्शकों तक हर जगह विशेष स्थान दिलाया है।

टीवी न्यूज़ की लगभग हर विधा में दक्ष श्वेता सिंह को अब तक सर्वश्रेष्ठ एंकर, सर्वश्रेष्ठ प्रड्यूसर और सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टर जैसे सम्मान मिल चुके हैं। साल 2016 में उन्होंने अलग-अलग आयोजनों में एक ही वर्ष में 12 अवॉर्ड हासिल कर इतिहास रच दिया था। यह उपलब्धि अब तक पत्रकारिता जगत में मिसाल मानी जाती है।

उनकी उपलब्धियों में हाल ही की एक और अहम उपलब्धि जुड़ी है। प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2023 में श्वेता सिंह को ‘बेस्ट एंकर–हिंदी’ कैटेगरी में गोल्ड मेडल से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्पेस में उनके अनुकरणीय योगदान और निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मिला।

वर्तमान में श्वेता सिंह आजतक पर रात 8 बजे प्रसारित होने वाले प्रमुख शो ‘ख़बरदार’ (Khabardar) की एंकरिंग करती हैं। यह शो उनकी संवाद क्षमता, विश्लेषणात्मक सोच और दर्शकों से गहरे जुड़ाव का प्रमाण है।

राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीति, बिज़नेस, खेल और मनोरंजन—हर विषय पर उनकी पकड़ समान रूप से मजबूत है। यही कारण है कि उनकी रिपोर्टिंग हो या एंकरिंग, दर्शक उन्हें भरोसे के साथ देखते हैं। मशहूर टॉक शो ‘सीधी बात’ की मेजबानी से लेकर स्पेशल प्रोग्राम्स तक, उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से हर मंच पर अपनी छाप छोड़ी है।

श्वेता सिंह ने हमेशा पत्रकारिता को सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी की तरह निभाया है। उनकी निर्भीकता और सटीक विश्लेषण ने उन्हें अलग पहचान दी है। यही वजह है कि वह देश की चुनिंदा पत्रकारों में गिनी जाती हैं, जिनकी बात दर्शक न केवल सुनते हैं, बल्कि उस पर भरोसा भी करते हैं। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

मीडिया, खेल व वेंचर कैपिटल- तीनों में बदलाव की कहानी रच रहे हैं सौरव बनर्जी

वर्तमान में, सौरव बनर्जी दो अलग-अलग महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे हैं। Rules Sport Tech के सह-संस्थापक के रूप में, वह यूरोप में खेलों के एक नए अध्याय की अगुवाई कर रहे हैं।

Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
SauravBanarjee7845

कुछ करियर बहुत सीधे और तयशुदा रास्ते पर चलते हैं, जैसे एक पन्ने पर खींची गई सीधी रेखा, जिसमें कोई खास मोड़ या बदलाव नहीं होता। लेकिन कुछ करियर बिल्कुल अलग होते हैं, वे कई तरह के अनुभवों, साहसिक बदलावों और लगातार असर पैदा करने की बेचैनी से मिलकर बने होते हैं। ऐसे करियर एक तरह की मोजेक (टुकड़ों को जोड़कर बनी तस्वीर) की तरह होते हैं, जिनमें विविधता और प्रयोग दिखाई देता है।

सौरव बनर्जी का करियर पहले बताए गए दूसरे तरह के रास्ते से जुड़ा है, यानी उनका सफर सीधी लकीर जैसा साधारण नहीं रहा, बल्कि अलग-अलग अनुभवों, उद्योगों और नेतृत्व भूमिकाओं से बना है। आज जब वे अपना जन्मदिन मना रहे हैं, तो यह मौका सिर्फ उनकी उपलब्धियों को याद करने का ही नहीं, बल्कि यह भी मान्यता देने का है कि उन्होंने कितनी स्पष्ट सोच और धैर्य के साथ अलग-अलग उद्योगों, विचारों और नेतृत्व की भूमिकाओं में अपनी राह बनाई है।

वर्तमान में, सौरव बनर्जी दो अलग-अलग महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे हैं। Rules Sport Tech के सह-संस्थापक के रूप में, वह यूरोप में खेलों के एक नए अध्याय की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने क्रिकेट आयरलैंड, क्रिकेट स्कॉटलैंड और रॉयल डच क्रिकेट एसोसिएशन के साथ रणनीतिक साझेदारी की है ताकि यूरोपियन T20 प्रीमियर लीग (ETPL) शुरू की जा सके। यूरोप जैसे महाद्वीप में, जहां क्रिकेट अभी अपनी जगह बना ही रहा है, उनकी यह पहल बदलाव (disruption) और अवसर (opportunity) दोनों का प्रतीक है। उनका विजन केवल खेल को मनोरंजन तक सीमित नहीं करता, बल्कि खेल के इकोसिस्टम को संस्कृति और व्यापार दोनों को गढ़ने वाला बना रहा है।

साथ ही, वनअल्फ़ानॉर्थ कैपिटल में पार्टनर, स्पेशल प्रोजेक्ट्स की भूमिका में, बनर्जी अपनी दो दशक की विशेषज्ञता को उद्यमिता को सक्षम बनाने में लगा रहे हैं। अमेरिका-स्थित साझेदारों और भारतीय वेंचर कैपिटल फर्मों के साथ काम करते हुए, वे स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश कर रहे हैं, उन विचारों को समर्थन दे रहे हैं जिनमें बाजारों को नए सिरे से गढ़ने और मूल्य बनाने का वादा है। यहां भी उनकी विशिष्ट क्षमता दिखती है- रचनात्मकता और कठोर रणनीति के बीच संतुलन। वे केवल व्यवसायों को फंडिंग ही नहीं दे रहे, बल्कि उन्हें उनकी राह खोजने, स्थायी रूप से विस्तार करने और वैश्विक विकास की जटिलताओं के लिए तैयार होने में मदद भी कर रहे हैं।

सौरव बनर्जी की सोच और काम करने का तरीका दो पहलुओं से जुड़ा हुआ है: एक तरफ बड़े पैमाने पर काम को संभालने की क्षमता और दूसरी तरफ नए अवसरों को विकसित करने की दृष्टि। इसकी जड़ें उनके शुरुआती करियर में हैं, जब उन्होंने मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करना शुरू किया।

लगभग 20 सालों तक अलग-अलग क्षेत्रों में नेतृत्वकारी भूमिकाओं में रहते हुए, बनर्जी न सिर्फ फैसले लेने वाले रहे हैं, बल्कि बदलाव लाने वाल भी साबित हुए हैं। उन्होंने भारत के सबसे बड़े मीडिया समूहों में से एक में CEO (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और CFO (मुख्य वित्तीय अधिकारी) जैसे अहम पदों पर काम किया, जहां उन्हें एक तरफ मजबूत वित्तीय समझ दिखानी थी और दूसरी तरफ कहानी कहने की संवेदनशीलता भी रखनी थी।

इसके अलावा, वे कई मीडिया और टेक्नोलॉजी कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल रहे, जहां उन्होंने बड़े बदलावों को सफलतापूर्वक संभालने का अनुभव हासिल किया। चाहे नई कंपनियां शुरू करना हो, मर्जर और अधिग्रहण (M&A) करना हो या मुश्किल समय में बिजनेस की दिशा बदलनी हो, हर जगह उन्होंने ऐसी रणनीतिक सोच दिखाई जिससे अनिश्चित माहौल में भी स्थिरता बनी रही।

सौरव बनर्जी के करियर की खासियत केवल उनके संभाले गए वरिष्ठ पदों में नहीं, बल्कि उस व्यापक अनुभव में है जिसे उन्होंने समय के साथ अर्जित किया है। M&A से लेकर चेंज मैनेजमेंट तक, स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट से लेकर रिस्क मिटिगेशन तक, उन्होंने कॉर्पोरेट जीवन के हर जटिल पहलू पर गहरी पकड़ बनाई है। सबसे अहम बात यह है कि वे कभी भी जरूरत पड़ने पर खुद मैदान में उतरने से हिचके नहीं। चाहे सीड, इक्विटी या डेब्ट राउंड्स के जरिए फंडरेजिंग की अगुवाई हो या किसी कठिन परिस्थिति में वित्तीय पुनर्गठन को दिशा देना- उन्होंने दूरदर्शी नेतृत्व और जमीनी कामकाज, दोनों का संतुलन बखूबी साधा है। यही गुण उन्हें उन व्यवसायों के लिए एक विश्वसनीय सलाहकार बनाता है, जो जटिल चुनौतियों का सामना कर रहे होते हैं।

उनकी नींव उतनी ही मजबूत है जितनी उनकी यात्रा। चार्टर्ड अकाउंटेंट की ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद, सौरव ने अपने करियर की शुरुआती दिशा PwC के ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स ग्रुप से पाई, जहां उन्होंने सटीकता और जवाबदेही की अनुशासनात्मक समझ को आत्मसात किया। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल का प्रतिष्ठित एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया। यह एक ऐसा अनुभव है, जिसने न केवल उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाया, बल्कि उन्हें जीवनभर सीखते रहने की प्रतिबद्धता से भी जोड़ा।

फिर भी, प्रोफेशनल विस्तार जितना भी बड़ा क्यों न हो गया हो, वे हमेशा मूल्यों, मेंटरशिप और समुदाय से जुड़े रहे। देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल के बोर्ड सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल इस विश्वास का प्रतीक था कि नेतृत्व गढ़ने वाले संस्थानों को वापस देना भी उतना ही आवश्यक है। आज भी उनका निरंतर जुड़ाव उद्यमिता और नेतृत्व से जुड़ी पहलों के साथ बना हुआ है, जिससे वे नई पीढ़ी से जुड़े रहते हैं। यही सुनिश्चित करता है कि उनकी विरासत केवल सफलता तक सीमित न रहकर सहयोग और प्रेरणा की भी बने। 

जन्मदिन केवल पड़ाव नहीं होते, कुछ लोगों के लिए वे आईने भी होते हैं। ऐसे क्षण जब इंसान सिर्फ तय की गई दूरी ही नहीं, बल्कि आगे की संभावनाओं को भी देखता है। सौरव बनर्जी के लिए अब तक की यात्रा उद्योगों, उपक्रमों और विचारों की एक रंगीन गाथा रही है, जिसे एक सूत्र ने बांध रखा है- परिवर्तन का साहस। चाहे मीडिया बोर्डरूम हों, वेंचर कैपिटल की गलियारें हों, या यूरोप के क्रिकेट मैदान, उनकी कहानी चुनौतियों को अपनाकर उन्हें अवसरों में बदल देने की मिसाल है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

अभय ओझा ने ‘आईटीवी नेटवर्क’ में अपनी पारी को दिया विराम

अभय ओझा ने इसी साल फरवरी में इस नेटवर्क में जॉइन किया था और बतौर चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (टीवी, प्रिंट, डिजिटल और स्पोर्ट्स लीग बिजनेस) अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
Abhay Ojha..

सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अभय ओझा से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली इस खबर के मुताबिक, अभय ओझा ने देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘आईटीवी नेटवर्क’ (iTV Network) में अपनी पारी को विराम दे दिया है।

अभय ओझा ने इसी साल फरवरी में इस नेटवर्क में जॉइन किया था और बतौर चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (टीवी, प्रिंट, डिजिटल और स्पोर्ट्स लीग बिजनेस) अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।

अभय ओझा ने यह फैसला क्यों लिया और उनका अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। ‘आईटीवी नेटवर्क में शामिल होने से पहले अभय ओझा ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

अभय ओझा को मीडिया, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में काम करने का 25 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्हें कमजोर प्रदर्शन करने वाली व्यावसायिक इकाइयों को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित करने और अभूतपूर्व वृद्धि प्रदान करने का काफी अनुभव है। व्यवसाय प्रबंधन, डिजिटल परिवर्तन, निवेश, नए व्यवसाय अधिग्रहण और स्टार्टअप्स में उन्हें महारत हासिल है।

अपनी गतिशील और एंटरप्रिन्योर कार्यशैली के लिए प्रसिद्ध अभय को डिजिटल परिदृश्य की गहरी समझ है। अभय ओझा पूर्व में ‘जी मीडिया’ के अलावा ‘स्टार इंडिया’, ‘जी एंटरटेनमेंट’, ‘टर्नर’ और ‘हिंदुस्तान यूनिलीवर’ जैसी जानी-मानी कंपनियों से जुड़े रहे हैं। ‘देवी अहिल्याबाई कॉलेज, इंदौर से साइंस ग्रेजुएट अभय ओझा ने ‘इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी’ से एमबीए (मार्केटिंग) की पढ़ाई की है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘NDTV’ की टीम में शामिल हुईं ‘CNN International’ की पूर्व ब्यूरो लीड वेदिका सूद

उन्होंने ‘एनडीटीवी 24x7’ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया है।

Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
Vedika Sud

वरिष्ठ पत्रकार और ‘CNN International’ की पूर्व इंडिया ब्यूरो लीड वेदिका सूद ‘एनडीटीवी’ (NDTV) की टीम में शामिल हो गई हैं। उन्होंने ‘एनडीटीवी 24x7’ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया है।

वेदिका को मीडिया में काम करने का लंबा अनुभव है। उनका करियर दक्षिण एशिया के अहम पड़ावों को गहराई, संदर्भ और सटीकता के साथ दर्ज करने के लिए जाना जाता है। फिर चाहे वह राजनीतिक बदलाव हों, मानवीय संकट हों, पर्यावरणीय चुनौतियां हों या फिर सुरक्षा से जुड़े मुद्दे।

‘CNN International’ में अपनी पारी के दौरान वेदिका सूद भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से रिपोर्टिंग करती रहीं। उन्होंने ब्रेकिंग न्यूज़ पर सीएनएन की ग्लोबल टीमों के साथ काम किया और साउथ एशिया की बड़ी खबरों को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया। उनकी प्रमुख रिपोर्टिंग में कश्मीर आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान टकराव, जी20 समिट, भारत-म्यांमार शरणार्थी संकट, किसान आंदोलन और दिल्ली के लैंडफिल पर पर्यावरण व स्वास्थ्य संकट की पड़ताल आदि शामिल है।

वर्ष 2021 में जब भारत में कोरोना की डेल्टा वेव ने तबाही मचाई, तब अस्पतालों में जगह खत्म हो गई थी, ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई थी और देशभर में परिवार अभूतपूर्व संकट और अनिश्चितता का सामना कर रहे थे। उस दौरान वेदिका सूद सबसे आगे से रिपोर्टिंग कर रही थीं–भीड़भाड़ वाले अस्पतालों से लेकर जीवनरक्षक ऑक्सीजन और दवाइयों की जद्दोजहद तक। इस दौरान वह उन परिवारों का हाल बताती रहीं जो सबसे ज्यादा प्रभावित थे।

वेदिका की यह रिपोर्टिंग उनके 19 साल के पत्रकारिता करियर की सबसे बड़ी खासियतों-साफगोई, संवेदनशीलता और तथ्यों पर आधारित निष्पक्ष पत्रकारिता के प्रति समर्पण को दिखाती है।

‘CNN International’ से पहले इंडिया टुडे ग्रुप में वेदिका ने प्राइम बुलेटिन होस्ट किए, संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया और बड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खबरों की कवरेज संभाली। ‘न्यूजएक्स’ में उन्होंने अहम प्रसारण की एंकरिंग की और नए पत्रकारों को मार्गदर्शन दिया। ‘टाइम्स नाउ’ में उन्होंने न्यूज डेस्क से शुरुआत की और फिर प्राइम-टाइम एंकरिंग तक पहुंचीं।

उनके काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। 2024 में सोसाइटी ऑफ पब्लिशर्स इन एशिया (SOPA) अवॉर्ड्स में उन्हें महिलाओं के मुद्दों पर रिपोर्टिंग के लिए ‘ऑनरेबल मेंशन’ मिला। वहीं 2021 में साउथ एशियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (SAJA) अवॉर्ड्स में उन्हें निबंध और विचार श्रेणी में फाइनलिस्ट चुना गया।

वेदिका मुंबई के सोफिया कॉलेज से पढ़ी हैं। उनके पास सोफिया पॉलिटेक्निक से सोशल कम्युनिकेशंस मीडिया में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और तक्षशिला इंस्टीट्यूशन से पब्लिक पॉलिसी में ग्रेजुएट सर्टिफिकेट है।

वेदिका की नियुक्ति के बारे में ‘एनडीटीवी’ के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा, ’वेदिका सिर्फ घटनाओं की गवाह नहीं हैं, बल्कि उनके मायने समझाने वाली पत्रकार हैं। उनकी बुद्धिमत्ता, फील्ड अनुभव और वैश्विक दृष्टिकोण ‘एनडीटीवी’ के मिशन को और मजबूत करेगा, जो हर खबर में गहराई, सटीकता और समझ लेकर आता है।’

वहीं, वेदिका सूद का कहना है, ’सबसे सशक्त स्टोरीज सिर्फ यह नहीं बतातीं कि क्या हुआ, बल्कि यह भी समझाती हैं कि क्यों हुआ और किसके लिए मायने रखता है। ‘एनडीटीवी’ की पहचान हमेशा ऐसी ही पत्रकारिता रही है और इसका हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान की बात है। आज के दौर में हमारी जिम्मेदारी है कि शोर-शराबे से परे जाकर तथ्यों को जोड़ें और लोगों तक साफ-सुथरा और संदर्भों से भरा हुआ सच पहुंचाएं।’

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

एम क्यू सैयद: भारत की इवेंट्स और प्रदर्शनी इंडस्ट्री के गेमचेंजर

Exhicon ग्रुप के फाउंडर एम.क्यू. सैयद का आज जन्मदिन है। यह मौका है एक ऐसे फर्स्ट-जनरेशन उद्यमी को सम्मानित करने का, जिनकी महत्वाकांक्षा उम्मीदों से कहीं आगे निकली

Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
MQSayed4512

Exhicon ग्रुप के फाउंडर एम.क्यू. सैयद का आज जन्मदिन है। यह मौका है एक ऐसे फर्स्ट-जनरेशन उद्यमी को सम्मानित करने का, जिनकी महत्वाकांक्षा उम्मीदों से कहीं आगे निकली और जिन्होंने भारत के इवेंट्स, Exhibitions और MICE (मीटिंग्स, इंसेंटिव्स, कॉन्फ्रेंस, एग्जिबिशन) सेक्टर का चेहरा ही बदल दिया।"

करीब दो दशक पहले, जब पूरी तरह एकीकृत MICE एंटरप्राइज का विचार महज एक सपना लगता था, एम.क्यू. ने केवल 2,300 रुपये की पूंजी से Exhicon ग्रुप की शुरुआत की। जो काम एक छोटे से उद्यम के रूप में शुरू हुआ, वह आज भारत की पहली 360-डिग्री इवेंट और एग्जिबिशन कंपनी बन चुकी है, जिसे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया है। यह उनकी धैर्य, लगन और अग्रणी सोच का प्रमाण है।

लेकिन सिर्फ एक ही दिशा में लगातार बढ़ना ही काफी नहीं था। एम.क्यू. सैयद ने नए क्षेत्रों की ओर कदम बढ़ाए। उन्होंने ट्रेडफेयर टाइम्स (भारत और अरबिया संस्करण) की शुरुआत की, जो एशिया का पहला मैगजीन और डिजिटल प्लेटफॉर्म था, पूरी तरह एग्जिबिशन को समर्पित। यह आयोजकों, विजिटर्स और पूरी इंडस्ट्री के लिए एक अहम संसाधन बन गया। प्रभाव को कई गुना बढ़ाने वाली संरचनाएं बनाने की उनकी समझ ने उन्हें वर्ल्डवाइड एग्जिबिशन्स एजेंसी एशिया लिमिटेड (दुनिया की सबसे बड़ी एग्जिबिशन स्पेस-सेलिंग एजेंसी) की सह-स्थापना करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, उन्होंने इमामिया चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और काउंसिल ऑफ इंडियन एग्जिबिशन ऑर्गेनाइजर्स जैसे संस्थानों की भी नींव रखी, जिससे इंडस्ट्री के लिए ठोस ढांचे तैयार हुए।

मीडिया, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट, FMCG, हेल्थकेयर और अन्य क्षेत्रों में अपने उद्यमों का विस्तार करने के बावजूद, एम.क्यू. ने समुदाय निर्माण में गहरी भागीदारी निभाई। उन्होंने UNCTAD इंडिया एम्प्रेटेक प्रोग्राम की अध्यक्षता की, इमामिया चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक निदेशक रहे और ABP न्यूज के हौसले की उड़ान व स्टार्टअप कोकण जैसी पहलों के लिए जज की भूमिका निभाई।

सम्मान भी उनके कदमों के साथ चले, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर। एशिया के टॉप 500 ब्रैंड्स (2018) में जगह पाने से लेकर थाईलैंड सरकार से इंटरनेशनल MICE प्रमोशन अवॉर्ड हासिल करने तक और कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया।

समय को पीछे देखें तो उनकी दृष्टि और स्पष्ट नजर आती है। 1997 में उन्होंने Exhicon की नींव रखी। 2005 में ट्रेडफेयर टाइम्स लॉन्च किया। 2014 में इमामिया चैंबर की सह-स्थापना की और 2018 में वर्ल्डवाइड एग्जिबिशन्स नामक वैश्विक इकाई बनाई। हाल ही में, उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, उनकी प्रमुख कंपनी Exhicon इवेंट्स मीडिया सॉल्यूशन्स लिमिटेड भारत की पहली पूर्णत: एकीकृत एग्जिबिशन कंपनी बनी, जिसे सूचीबद्ध किया गया।

लेकिन आंकड़ों और पदों से परे, एक मूल सिद्धांत छिपा है- नवाचार और लोगों को बढ़ावा देना। एम.क्यू. स्टार्टअप्स को मेंटर करते हैं, सामाजिक और व्यावसायिक पहलों में निवेश करते हैं और इंडस्ट्री को केवल बाजार नेतृत्व के जरिए नहीं, बल्कि सामूहिक प्रगति के जरिए आकार देते हैं।

उनके जन्मदिन पर हम ऐसे शख्स का जश्न मना रहे हैं जो एक साथ उद्यमी भी हैं और एक पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) बनाने वाले भी। उन्होंने इवेंट्स में संभावनाएं देखीं और फिर ऐसे प्लेटफॉर्म बनाए, जिन पर नई संभावनाएं पनप सकें।

TAGS M Q Syed
न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हैप्पी बर्थडे शिरीन भान: आप हैं देश की आर्थिक पत्रकारिता की सशक्त आवाज

देश की सबसे सम्मानित बिजनेस पत्रकारों में शामिल और सीएनबीसी-टीवी18 की मैनेजिंग एडिटर शिरीन भान आज 49 साल की हो गईं हैं।

Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
ShereenBhan84512

देश की सबसे सम्मानित बिजनेस पत्रकारों में शामिल और सीएनबीसी-टीवी18 की मैनेजिंग एडिटर शिरीन भान आज 49 साल की हो गईं हैं। 20 अगस्त 1976 को जन्मीं शिरीन पिछले दो दशकों से अधिक समय से बिजनेस न्यूज में एक अहम आवाज रही हैं, जिन्होंने इस बात को आकार दिया कि भारत वित्तीय और उद्यमशीलता से जुड़ी कहानियों को कैसे समझता और ग्रहण करता है।

कश्मीरी पंडित विरासत से आने वाली शिरीन ने अपनी स्कूली शिक्षा कश्मीर के केंद्रीय विद्यालय और नई दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से कम्युनिकेशन स्टडीज में मास्टर्स की डिग्री हासिल की, जिसमें उनका विशेषीकरण फिल्म और टेलीविजन था।

पत्रकारिता में उनकी शुरुआत करन थापर की इंफोटेनमेंट टेलीविजन में न्यूज रिसर्चर के रूप में हुई। इसके बाद उन्होंने स्टार टीवी के लिए 'वी द पीपल' और SAB टीवी के लिए 'लाइन ऑफ फायर' जैसे महत्वपूर्ण शो प्रोड्यूस किए। दिसंबर 2000 में उन्होंने सीएनबीसी-टीवी18 जॉइन किया। समय के साथ वह चैनल के फ्लैगशिप प्रोग्रामिंग का पर्याय बन गईं, जिनमें इंडिया बिजनेस आवर, पावर टर्क्स और यंग टर्क्स (देश का सबसे लंबा चलने वाला उद्यमिता शो) शामिल हैं।

शिरीन भान ने दुनिया के कुछ सबसे प्रभावशाली बिजनेस लीडर्स का इंटरव्यू किया है, जिनमें वॉरेन बफेट, बिल गेट्स, रिचर्ड ब्रैनसन, सत्य नडेला, शेरिल सैंडबर्ग और इंद्रा नूई शामिल हैं। आर्थिक नीतियों पर उनकी कवरेज और भारतीय कैबिनेट मंत्रियों एवं नीति-निर्माताओं से उनकी बातचीत ने देश में गंभीर बिजनेस पत्रकारिता का मानक तय किया है।

दैनिक समाचारों से परे, शिरीन भान ने मिनिस्टर्स ऑफ चेंज और व्हाट वीमेन रियली वांट जैसे विशेष कार्यक्रमों की शुरुआत की, जिससे बिजनेस टेलीविजन का दायरा और विस्तृत हुआ। उनका शो ओवरड्राइव लगातार तीन साल तक बेस्ट ऑटो शो के लिए न्यूज टेलीविजन अवॉर्ड जीत चुका है। उन्होंने यंग टर्क्स: इंस्पायरिंग स्टोरीज ऑफ टेक एन्त्रप्रेन्योर्स नामक किताब का सह-लेखन भी किया, जिसमें भारत की स्टार्टअप वेव को दर्ज किया गया।

अब तक उन्हें कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है, जिनमें फिक्की वुमन ऑफ द ईयर अवॉर्ड (2005), वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का यंग ग्लोबल लीडर टाइटल (2009), ईएनबीए का बेस्ट एंकर और मैनेजिंग एडिटर ऑफ द ईयर (2019–20), और भारत अस्मिता नेशनल अवॉर्ड फॉर बिजनेस जर्नलिज्म (2022) शामिल हैं। वह लगातार इम्पैक्ट की भारत की मीडिया इंडस्ट्री की 50 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में भी शामिल रही हैं।

जहां वह अपनी निजी जिंदगी को निजी ही रखती हैं, वहीं उनके प्रोफेशनल उपलब्धियांं बहुत कुछ कहती हैं। कई युवा पत्रकारों और उद्यमियों के लिए शिरीन भान ईमानदारी, उत्कृष्टता और नवाचारपूर्ण कहानी कहने की मिसाल हैं।

उनके जन्मदिन पर, इंडस्ट्री न केवल उनके बिजनेस न्यूज में लंबे सफर का जश्न मना रहा है बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था, बाजारों और उद्यमशीलता पर बातचीत को आकार देने में उनकी भूमिका का भी सम्मान कर रहा है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रेस स्वतंत्रता की सुरक्षा व्यवस्था का किया बचाव

सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में देश में प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मौजूद कानूनी और संस्थागत ढांचे का बचाव किया है।

Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
MIB7842

सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में देश में प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए मौजूद कानूनी और संस्थागत ढांचे का बचाव किया है। यह स्पष्टीकरण राज्यसभा में उस सवाल के जवाब में दिया गया, जिसमें भारत की घटती प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग और पत्रकारों पर हमलों की रिपोर्टों को लेकर सवाल उठाया गया था।

सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने सांसद मनोज कुमार झा के लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा कि भारत में “जीवंत प्रेस और मीडिया इकोसिस्टम” मौजूद है, जिसमें करीब 1,45,000 पंजीकृत प्रकाशन और हजारों डिजिटल समाचार माध्यम शामिल हैं, जिनमें प्रिंट, ऑनलाइन और प्रसारण प्लेटफॉर्म भी आते हैं।

डॉ. मुरुगन ने यह भी रेखांकित किया कि भारत का संविधान अभिव्यक्ति और वाक् स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

इसके साथ ही उन्होंने उन कई तंत्रों का भी उल्लेख किया जो मीडिया स्वतंत्रता को समर्थन देने के लिए बनाए गए हैं।

यह बयान उस समय आया है जब भारत में पत्रकारों की सुरक्षा और मीडिया की स्वायत्तता को लेकर बहस लगातार जारी है। विभिन्न वकालती संगठनों ने कानूनी उत्पीड़न और रिपोर्टिंग पर बढ़ती पाबंदियों को लेकर चिंता जताई है। 

TAGS media press mib
न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

'हवास मीडिया इंडिया' से जुड़ीं सोनल जाधव, निभाएंगी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

सोनल को मीडिया इंडस्ट्री में लगभग दो दशकों का अनुभव है। उन्हें बिजनेस और कम्युनिकेशन प्लानिंग, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में गहरी विशेषज्ञता हासिल है।

Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
SonalJadhav784

हवास मीडिया नेटवर्क इंडिया (Havas Media Network India) की मीडिया एजेंसी 'हवास मीडिया इंडिया' (Havas Media India) ने सोनल जाधव को अपना मैनेजिंग पार्टनर– वेस्ट नियुक्त किया है। वह एजेंसी के संचालन का नेतृत्व वेस्ट मार्केटों में करेंगी।

सोनल मुंबई में आधारित होंगी और सीधे Havas Media & Havas Play India के COO उदय मोहन को रिपोर्ट करेंगी। वह नेटवर्क की कोर लीडरशिप टीम के साथ मिलकर काम करेंगी।

सोनल को मीडिया इंडस्ट्री में लगभग दो दशकों का अनुभव है। उन्हें बिजनेस और कम्युनिकेशन प्लानिंग, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और पुराने व नए प्लेटफॉर्म्स पर स्ट्रैटेजिक मीडिया सॉल्यूशंस में गहरी विशेषज्ञता हासिल है। वह Havas Media India में Mindshare, GroupM से जुड़ रही हैं, जहां उन्होंने प्रिंसिपल पार्टनर, क्लाइंट लीडरशिप के रूप में काम किया और SBI Life, Byju’s, Schneider Electric और Lauritz Knudsen जैसे बड़े क्लाइंट क्लस्टर का नेतृत्व किया।

इससे पहले, उन्होंने Wavemaker में लीडरशिप भूमिकाएं निभाईं, जहां वह ITC Personal Care पोर्टफोलियो का प्रबंधन करती थीं और Mindshare Fulcrum में Unilever स्किनकेयर मैंडेट का नेतृत्व किया। उनके करियर में Kellogg’s, ICICI और Rio Tinto के साथ काम करने का अनुभव भी शामिल है, जिसने उन्हें FMCG, रिटेल, फाइनेंस और लाइफस्टाइल कैटेगरीज में उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण दिया।

पिछले कई वर्षों में, Havas Media India का पश्चिमी संचालन नवाचार और प्रभाव का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। यह Tata Motors Commercial Vehicles, De Beers, Eurogrip Tyres, UTI Mutual Fund, Glenmark, CoinDCX और कई उभरते नए ब्रैंड्स सहित एक प्रतिष्ठित क्लाइंट सूची को सेवाएं प्रदान करता है। इस विकास ने मुंबई को एजेंसी के लिए एक रणनीतिक नर्व सेंटर के रूप में स्थापित कर दिया है, जो Havas Media, Havas Play, PivotRoots और स्पेशलिस्ट वर्टिकल्स में इंटीग्रेटेड मैंडेट्स में अहम भूमिका निभा रहा है।

Havas Media Network India के CEO मोहित जोशी ने इस नियुक्ति पर कहा, “Havas Media Network India में हम बदलाव के एक रोमांचक चरण में हैं। वेस्ट मार्केट हमारे लिए न केवल बिजनेस बल्कि टैलेंट और इनोवेशन के लिहाज से भी एक रणनीतिक ग्रोथ इंजन बना हुआ है। सोनल की गहरी विशेषज्ञता, संचालन की तेज समझ और डिजिटल-फर्स्ट सोच उन्हें इस क्षेत्र में हमारी यात्रा के अगले चरण का नेतृत्व करने के लिए एकदम उपयुक्त बनाती है। उनकी नियुक्ति हमारे उस वादे को दर्शाती है जिसमें हम चुस्त, भविष्य-केंद्रित नेतृत्व बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो वास्तव में मार्केट पल्स को समझता है।”

Havas Media & Havas Play India के COO उदय मोहन ने कहा, “सोनल स्ट्रैटेजिक विजन, क्लाइंट की समझ और डिलीवरी एक्सीलेंस का एक अनोखा मिश्रण लाती हैं। कई ब्रैंड्स को संभालने का उनका अनुभव, खासतौर पर जटिल, मल्टी-प्लेटफॉर्म कैंपेन मैनेज करने में, हमें पश्चिम में अपने संचालन को और मजबूत करने में मदद करेगा। हम उनके साथ नई ग्रोथ चैप्टर्स लिखने को लेकर उत्साहित हैं।”

अपनी नई भूमिका पर बात करते हुए सोनल ने कहा, “मैं Havas Media India से जुड़कर बेहद उत्साहित हूं, खासकर ऐसे समय में जब नेटवर्क पूरे इंडस्ट्री में सार्थक बदलाव ला रहा है। इसका इंटीग्रेटेड फिलॉसफी, उद्यमी संस्कृति और डेटा-आधारित दृष्टिकोण मुझसे गहराई से जुड़ता है। पश्चिम एक हाई-इम्पैक्ट, हाई-वेलोसिटी मार्केट है और मैं अपनी टीम और क्लाइंट्स के साथ मिलकर इनोवेटिव मीडिया सॉल्यूशंस खोजने की आशा रखती हूं, जो वास्तविक बिजनेस परिणाम लाएं।” 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सिद्धार्थ वरदराजन व करण थापर के समन पर जताई चिंता

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने एक बयान जारी कर 'द वायर' के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और सलाहकार संपादक करण थापर को असम पुलिस द्वारा समन किए जाने पर चिंता व्यक्त की है

Last Modified:
Tuesday, 19 August, 2025
EGI7845

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने एक बयान जारी कर 'द वायर' के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और सलाहकार संपादक करण थापर को असम पुलिस द्वारा समन किए जाने पर चिंता व्यक्त की है। यह कार्रवाई उस एफआईआर के बाद हुई है जिसमें उन पर भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है।

EGI ने अपने बयान में कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि हाल की एफआईआर उसी लेख से जुड़ी है या नहीं, जिसमें कथित तौर पर सरकार की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पहल की आलोचना की गई थी। यह एफआईआर मरीगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है और इसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 का हवाला दिया गया है, जो राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों से संबंधित है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, वरदराजन और थापर दोनों को 22 अगस्त को गुवाहाटी के पानबाजार स्थित क्राइम ब्रांच कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है। यह घटना कुछ ही दिन बाद आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने वरदराजन और अन्य को द वायर में प्रकाशित एक लेख से जुड़ी एक पूर्व एफआईआर में किसी भी ‘जबरन कार्रवाई’ से सुरक्षा प्रदान की थी।

EGI ने राज्यों में पत्रकारों के खिलाफ कई आपराधिक धाराओं का इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति की कड़ी आलोचना की। बयान में कहा गया, “एडिटर्स गिल्ड इस निरंतर चल रही प्रवृत्ति से बेहद चिंतित है, जिसमें राज्यभर की कानून प्रवर्तन एजेंसियां पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक संहिता की कई धाराओं का उपयोग करते हुए एफआईआर दर्ज कर रही हैं। यह प्रथा स्वतंत्र पत्रकारिता को दबा देती है, क्योंकि नोटिसों, समन और लंबे न्यायिक प्रक्रियाओं का सामना करना ही अपने आप में सज़ा बन जाता है।”

एडिटर्स गिल्ड ने असम पुलिस से अपील की कि वह ऐसे किसी भी कदम से बचे जो मीडिया को डराने या दबाने के रूप में देखा जा सकता हो। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हैप्पी बर्थडे अनंत गोयनका: बदलते दौर में पत्रकारिता की सच्चाई के प्रहरी हैं आप

अनंत गोयनका का रास्ता शुरू से ही उनकी बेचैन जिज्ञासा और कहानी कहने के प्रेम से चिह्नित था। यही जिज्ञासा उन्हें समुद्र पार यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया के एनेनबर्ग स्कूल फॉर जर्नलिज्म तक ले

Last Modified:
Tuesday, 19 August, 2025
AnantGoenka5623

 अनंत गोयनका : विरासत, नेतृत्व और पत्रकारिता का भविष्य

कुछ विरासतें बोझिल लगती हैं, तो कुछ प्रेरणा देती हैं। 'दि इंडियन एक्सप्रेस' ग्रुप के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका के लिए यह विरासत दोनों का संगम रही- एक ऐसा प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान, जिसकी नींव निष्पक्षता, सटीकता और साहस पर टिकी है और साथ ही उसे डिजिटल युग की बदलती धाराओं में आगे ले जाने की चुनौती भी रही।

आज, जब वे अपना जन्मदिन मना रहे हैं, उनकी यात्रा किसी पदों और उपलब्धियों की गिनती जैसी नहीं, बल्कि, विश्वास और निरंतरता की एक जीवंत कहानी जैसी लगती है, जहां परंपरा और आधुनिकता साथ-साथ कदम मिलाकर चलती हैं। 

गोयनका का रास्ता शुरू से ही उनकी बेचैन जिज्ञासा और कहानी कहने के प्रेम से चिह्नित था। यही जिज्ञासा उन्हें समुद्र पार यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया के एनेनबर्ग स्कूल फॉर जर्नलिज्म तक ले गई, जहां उन्होंने प्रिंट जर्नलिज्म में मास्टर्स किया और डीन की स्कॉलरशिप पाई। उस समय जब प्रिंट को पहले ही अप्रासंगिक घोषित किया जा रहा था और डिजिटल खबरों को पूरी तरह निगलने की धमकी दे रहा था, उन्होंने शब्दों, पन्नों और सुर्खियों की कला में पूरी तरह खुद को डुबोने का रास्ता चुना। उनका नेतृत्व इस विरोधाभास से बना कि वे परंपरागत मूल्यों को भी महत्व देते थे और साथ ही भविष्य की नई दिशा को भी साफ नजर से देखते और अपनाते थे। 

जब वे परिवार की 85 साल पुरानी पब्लिशिंग विरासत की बागडोर संभालने लौटे, तो भारतीय मीडिया परिदृश्य बदल रहा था। ऑनलाइन स्पेस तथाकथित रिपोर्टिंग के नाम पर एडवोकेसी से भर गया था और ‘क्लिकबेट’ तेजी से विश्वसनीयता की जगह ले रहा था। हालात चाहे जैसे रहे हों, गोयनका ने ठहराव और संतुलन बनाए रखा।

उनकी देखरेख में, दि इंडियन एक्सप्रेस दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल न्यूज मीडिया समूहों में से एक के रूप में विस्तारित हुआ, जो हर महीने 200 मिलियन से अधिक यूनिक यूजर्स तक, कई भौगोलिक क्षेत्रों में पहुंचता है।गोयनका ने डिजिटल को सिर्फ एक और प्लेटफॉर्म नहीं माना, बल्कि उसे एक्सप्रेस ग्रुप की आगे बढ़ने और मजबूत बनने की ताकत बनाया। यानी डिजिटल उनके लिए सिर्फ सहायक हिस्सा नहीं था, बल्कि पूरे ग्रुप को भविष्य में ले जाने वाला भरोसेमंद आधार बना।

साथ ही, उन्होंने यह भी ध्यान रखा कि डिजिटल पर फोकस बढ़ाने के बावजूद, इंडियन एक्सप्रेस की पहचान यानी खोजी पत्रकारिता (investigative journalism) कभी कमजोर न हो। इंडियन एक्सप्रेस की टीम ने उनके नेतृत्व में कई बड़ी-बड़ी खोजी रिपोर्टें कीं। जैसे– पनामा पेपर्स से लेकर वीडियोकॉन-ICICI खुलासों तक, वॉट्सऐप लिंचिंग्स के दस्तावेीकरण से लेकर भारत के इंजीनियरिंग कॉलेजों के खोखलेपन को उजागर करने तक।गोयनका की अगुवाई में एक्सप्रेस न्यू रूम ने लगातार लोगों में बहस छेड़ी और नीति-निर्माताओं को झकझोरा है और जनचर्चा को आकार दिया है। हर कहानी इस बात की याद दिलाती है कि पत्रकारिता, अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में, ध्यान आकर्षित करने का व्यवसाय नहीं बल्कि जवाबदेही का उद्यम है।

लेकिन गोयनका का योगदान बोर्डरूम या स्ट्रैटेजी डॉक्यूमेंट तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपनी एक अलग आवाज भी बनाई है। पंजाब में नशे की बुराई पर, भारत-पाक सीमा पर होने वाले परेड के तमाशे पर और ध्रुवीकृत माहौल में मीडिया के बंटे भविष्य पर उनके लेख न्यूजरूम की दीवारों से परे गूंजे हैं। ये सिर्फ एक प्रकाशक को नहीं, बल्कि एक ऐसे लेखक को उजागर करते हैं जो अपने समय से सीधे संवाद करने में विश्वास करता है।

जब किसी काम में अच्छा मकसद और अच्छा प्रदर्शन मिल जाते हैं, तो सम्मान और पहचान अपने आप मिलती है। उन्हें भी यही पहचान और पुरस्कार मिले। लेकिन इन सब प्रशंसाओं के पीछे वह इंसान है जो मजाकिया अंदाज में मानता है कि वह बहुत बुरा ड्रमर है। उसे असली खुशी जैज संगीत, हवाई जहाजों की उड़ानें देखने और मोटरस्पोर्ट्स के इंजनों की आवाज में मिलती है।

एक्सप्रेस से पहले, गोयनका ने अपना शुरुआती अनुभव स्पेंटा मल्टीमीडिया और यूके में ब्लूमबर्ग की कमर्शियल टीम के साथ काम करके हासिल किया। आज ये अनुभव भले ही छोटे लगें, लेकिन इन्हीं ने उन्हें शुरुआत में काम करने की कला, बिजनेस की समझ और वैश्विक दृष्टिकोण दिया, जो आगे चलकर उनके करियर में बेहद काम आया। 

जन्मदिन अकसर इंसान को सोचने पर मजबूर करते हैं और अनंत गोयनका की कहानी हमें ये सिखाती है कि भारत में पत्रकारिता का भविष्य सिर्फ दो चीजों में से चुनना नहीं है, न ही ये सिर्फ वायरल कंटेंट की खोखली दौड़ है और न ही सिर्फ प्रिंट मीडिया की पुरानी यादों में जीना है। बल्कि जैसा उन्होंने दिखाया है, असली रास्ता वही है जहां ईमानदारी आधार बनती है और इनोवेशन नाव की पतवार।

आज जब डिजिटल मीडिया तेजी से बढ़ रही है और पत्रकारिता पर सवाल भी उठ रहे हैं, फिर भी समाज इसके बिना नहीं रह सकता। ऐसे समय में अनंत गोयनका ये याद दिलाते हैं कि पत्रकारिता में नेतृत्व का मतलब शोर मचाना नहीं है, बल्कि साफगोई लाना है; ट्रेंड्स के पीछे भागना नहीं है, बल्कि समाज के सामने सच्चाई का आईना मजबूती से पकड़े रहना है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए