नई दिल्ली में जे.एल.एन मार्ग स्थित एस.पी. मुखर्जी सिविक सेंटर के केदारनाथ साहनी सभागार में 13 सितंबर की शाम चार से पांच बजे के बीच इस प्रार्थना सभा में उमेश उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
जाने-माने पत्रकार और लेखक उमेश उपाध्याय का एक सितंबर को निधन हो गया था। उमेश उपाध्याय विश्वविद्यालय महापरिषद के माननीय सदस्य भी थे।
1994 में वो मेरे बॉस थे। मैं पत्रकारिता सीख ही रहा था और वो बड़ी शिद्दत से इस पेशे की बारीकियां मुझे सिखाते थे। 1995 का एक वीडियो आपके साथ शेयर कर रहा हूं।
उमेश उपाध्याय को केवल उनके पहले नाम से बुलाने वाले लोग बहुत कम हैं। उनके पेशेवर सहकर्मी, प्रशंसक और यहां तक कि उनके वरिष्ठ उन्हें "उमेश-जी" कहकर ही पुकारते थे
वरिष्ठ पत्रकार हितेश शंकर ने लिखा, यह जानकर गहरा सदमा लगा कि उमेश उपाध्याय जी अब हमारे बीच नहीं रहे। अचानक चले जाने से बहुत दुखी हूं।
अंतिम संस्कार दो सितंबर की दोपहर 12:00 बजे निगमबोध घाट, दिल्ली पर किया जाएगा। उमेश उपाध्याय के निधन पर तमाम पत्रकारों और उनके शुभचिंतकों ने दुख जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
मैंने हमेशा युवा पत्रकारों और दूसरे पेशेवरों को कड़ी मेहनत के मामले में उनकी मिसाल दी। इतने बड़े पदों पर रहने के बावज़ूद कभी उनमें अहं का भाव नहीं आया।
इतने ऊंचे पदों पर रहकर इतनी विनम्रता आज के दौर में मुश्किल ही है। अपनी ऊंची पहुंच/संबंधों का दिखावा करते उन्हें मैंने नहीं देखा।
वह वैश्विक मीडिया के भारत विरोधी चेहरे को उजागर करने वाले साहसी पत्रकार थे।
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक उमेश उपाध्याय ने अपनी किताब ‘वेस्टर्न मीडिया नरेटिव्स ऑन इंडिया फ्रॉम गांधी टू मोदी’ से जुड़े तमाम पहलुओं को लेकर समाचार4मीडिया से खास बातचीत की है।