सुरक्षा एजेंसियों को इस दृष्टिकोण से भी जांच करनी चाहिए। रेल पटरियों को सुरक्षित रखने के लिए आगामी कुछ समय तक कठोर सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता उत्पन्न हो चुकी है।
यह मामला 1992 का है जब कुल इसमें 18 आरोपी थे। अब तक नौ को सजा सुनाई जा चुकी है और एक ने आत्महत्या कर ली है और एक फरार है।