फेसबुक के प्रति लोगों की दिवानगी को देखते हुए अब यह सोशल नेटवर्किंग साइट ने लाइव विडियो में एक खास फीचर जोड़ा है
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
फेसबुक के प्रति लोगों की दिवानगी को देखते हुए
अब यह सोशल नेटवर्किंग साइट ने लाइव विडियो में एक खास फीचर जोड़ा है, जिसके तहत अब
यूजर्स लाइव ब्रॉडकास्ट करते समय अपने दोस्तों को इनवाइट कर सकेंगे।
उदाहरण के तौर पर यदि आप फेसबुक लाइव कर रहे
हैं और चाहते हैं कि आपसे हजारों किलोमीटर दूर वाला दोस्त आपके फेसबुक लाइव में
शामिल हो जाए तो ऐसा संभव है।
बता दें कि यह फीचर पहले से सेलिब्रिटीज के लिए
था, लेकिन अब कंपनी ने इसे आम यूजर्स को भी देने का ऐलान कर दिया है। यह
फेसबुक वेब और ऐप दोनों के लिए ही है। इसे आप एक नए तरीके का विडियो चैटिंग भी कह
सकते हैं, हालांकि यह विडियो चैटिंग प्राइवेट नहीं बल्कि पब्लिक होगी, क्योंकि
इसमें आपके सभी फेसबुक फ्रेंड देख सकेंगे।
इस नए फीचर की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि
फेसबुक लाइव ब्रॉडकास्ट के दौरान यूजर चैटिंग भी कर सकेंगे। फिलहाल फेसबुक लाइव के
दौरान सिर्फ देखने वाले कमेंट्स करते हैं और लाइव करने वाला यूजर उनके जवाब देता
है। लेकिन इसके बाद अब जिसने लाइव ब्रॉडकास्ट किया है वो भी चैट के जरिए कमेंट्स
का जवाब दे सकता है।
फेसबुक के मुताबिक, लाइव विडियो पर कमेंट्स आम
विडियो के मुकाबले 10 गुना ज्यादा होते हैं, इसलिए कंपनी लाइव विडियो में लाइव चैट
का ऑप्शन दे रही है ताकि विडियो करते हुए भी यूजर्स आसानी से चैट कर सके।
यूजर्स अगर चाहें तो प्राइवेट चैटरूम भी बना
सकते हैं, जहां आप उन यूजर्स को लाइव विडियो के लिए इनवाइट कर सकते हैं जिनके साथ
विडियो कॉलिंग करनी हो। अगर आप चाहें तो आप उन यूजर्स को भी लाइव विडियो के लिए भी
इनवाइट कर सकते हैं जो आपका लाइव विडियो देख रहे हैं। लेकिन इसके बाद अब जिसने
लाइव ब्रॉडकास्ट किया है वो भी चैट के जरिए कमेंट्स का जवाब दे सकता है।
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यह बचाव प्रयास भारतीय इतिहास में अब तक के सबसे वीरतापूर्ण प्रयासों में से एक के रूप में जाना जाएगा।
17 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद 41 मजदूरों को सफलतापूर्वक बाहर निकालने वाला ऑपरेशन सिलक्यारा किसी सुरंग या खदान में फंसे मजदूरों को निकालने वाला देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बन गया है। इससे पहले वर्ष 1989 में पश्चिमी बंगाल की रानीगंज कोयला खदान से दो दिन चले अभियान के बाद 65 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था।
इस पूरे घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने एक्स पर पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, यह बचाव प्रयास भारतीय इतिहास में अब तक के सबसे वीरतापूर्ण प्रयासों में से एक के रूप में जाना जाएगा। मुझे उम्मीद है कि प्रतिभाशाली फिल्म निर्माता इस कहानी को करीब से देखेंगे। 17 दिनों तक चूहे के बिल वाली सुरंग में फंसे रहने, अरबों लोगों की प्रार्थनाओं और सर्वोच्च आत्म विश्वास/विश्वास के साथ, ऑस्ट्रेलिया का एक चमत्कारिक व्यक्ति, सशस्त्र बलों के सैनिकों की उत्कृष्ट वीरता, कहानी ऐसी है जिसे बार-बार बताया जाना चाहिए।
इस कहानी को धर्म या क्षेत्र के चश्मे से देखना उन लोगों के साथ घोर अन्याय है जिन्होंने वास्तव में वीरता का यह महान कार्य किया। आपको बता दें कि देश-दुनिया के विशेषज्ञों ने दिन-रात एक कर इस अभियान को मुकाम तक पहुंचाया। 13 नवंबर 1989 को पश्चिम बंगाल के महाबीर कोल्यारी रानीगंज कोयला खदान जलमग्न हो गई थी। इसमें 65 मजदूर फंस गए थे। इनको सुरक्षित बाहर निकालने के लिए खनन इंजीनियर जसवंत गिल के नेतृत्व में टीम बनाई गईं थी।
This rescue effort will go in Indian history as one of the most heroic ever. I hope bright film makers look at this story closely. 17 days caught in a rat hole tunnel, only prayers of a billion and supreme self faith / confidence to hold onto, a miracle man from Australia ,… https://t.co/HY5iZUQDCP
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) November 29, 2023
वो असाधारण हैं। अद्वितीय हैं। देश के लिए रोल मॉडल हैं। वो प्रेरणा देते हैं कि कठिन वक्त में मनुष्य को कैसे धैर्य के साथ हालात का सामना करना चाहिए।
उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। सभी 41 मजदूर सुरक्षित हैं। उत्तराखंड के सीएम धामी ने कहा कि बचाए गए प्रत्येक श्रमिक को 1 लाख रुपये दिए जाएंगे। बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने एक्स पर पोस्ट कर अपने मन की बात कही है। उन्होंने लिखा, जिंदगी जीत गई। मौत को फिर मात मिली। वो न उपदेशक थे, न कोई तपस्वी। लेकिन उनकी एकाग्रता। जिजीविषा। धैर्य। विश्वास। शांत मन। और समंदर जैसी आशाएं। हिमालय जैसा ऊंचा मनोबल था उनका। वो जीवंत उदाहरण बन गए हैं कि जब हालत बिल्कुल खिलाफ हों, मौत झपटने को बेकरार हो, तब एक शांत दिमाग और धैर्य किस तरह से जिंदगी की जंग जीत लेता है। वो असाधारण हैं। अद्वितीय हैं। देश के लिए रोल मॉडल हैं। वो प्रेरणा देते हैं किकठिन वक्त में मनुष्य को कैसे धैर्य के साथ हालात का सामना करना चाहिए।
राहत और बचाव कार्य में लगे कर्मवीर भी उतने ही अद्भुत थे। हर चुनौती का सामना किया। नाकाम होते रहे लेकिन कोशिशों को जारी रखा और अंत में ना-मुमकिन मिशन को मुमकिन करके दिखाया। राज्य और केंद्र सरकार, एजेंसियां, परिजन सभी अभिनंदन के पात्र हैं। एक साथ मिलकर ये देश सब कुछ हासिल कर सकता है। ये श्रमिक बंधु आज वो सिखा गए जो किसी किताब में नहीं मिलेगा और किसी कोर्स में पढ़ाया भी नही गया होगा। इनके अप्रतिम संघर्ष की दास्तां सबको बताई जानी चाहिए।
ज़िंदगी जीत गई। मौत की फिर मात मिली। वो न उपदेशक थे न कोई तपस्वी। लेकिन उनकी एकाग्रता। जिजीविषा। धैर्य। विश्वास। शांत मन। और समंदर जैसी आशाएं। हिमालय जैसा ऊंचा मनोबल था उनका। वो जीवंत उदाहरण बन गए हैं की जब हालत बिल्कुल खिलाफ हों, मौत झपटने को बेकरार हो तब एक शांत दिमाग और धैर्य… pic.twitter.com/gWg4AhlE8j
— Brajesh Misra (@brajeshlive) November 28, 2023
गृह मंत्रालय ने 16 दिन पहले ही यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) पर पांच सालों के प्रतिबंध बढ़ाया था।
मणिपुर के प्रतिबंधित और सबसे बड़े आतंकी संगठन को शांति की टेबल पर लाने में केंद्र सरकार की रणनीति कारगर साबित हुई। राज्य में स्थायी शांति के प्रयासों में जुटी केंद्र सरकार को आखिरकार कामयाबी मिल ही गई। गृह मंत्रालय ने 16 दिन पहले ही यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) पर पांच सालों के प्रतिबंध बढ़ाया था। गृह मंत्रालय के फैसले के 17 वें दिन उग्रवादी संगठन ने शांति समझौते पर दस्तखत कर दिए। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने एक्स पर पोस्ट कर बड़ी बात कही है।
उन्होंने लिखा, किसी सेना जैसी वर्दी पहने खड़े यह सारे मणिपुरी उग्रवादी संगठन "UNLF" से जुड़े हैं। यह भारत में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन था। आज से पहले तक यह सभी भारत के दुश्मन बने हुए थे। भारत सरकार और सेना से संघर्ष कर रहे थे। 24 नवंबर 1964 को यह बना, इसका उद्देश्य स्वतंत्र मणिपुर बनाना था।
अब पूर्वोत्तर के इस सबसे पुराने उग्रवादी संगठन ने हथियार डाल दिया है। भारत सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। मणिपुर में शांति बहाली के प्रयासों के लिहाज से सबसे सुखद समाचार है। इस आत्मसमर्पण में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अमित शाह जो कि गृह मंत्री है वह स्पष्ट कह चुके हैं कि, मणिपुर की समस्या का पूर्ण समाधान निकालकर रहेंगे। पिछले 10 वर्षों की मोदी सरकार में पूर्वोत्तर के करीब एक दर्जन उग्रवादी संगठनों ने हथियार छोड़ दिया है। सरकार ने उनके लिए रास्ता तैयार किया है। कल्पना कीजिए कि, अत्याधुनिक हथियारों से लैस यह मणिपुरी अगर हिंसा के रास्ते पर रहते तो शांति कितनी और कब तक हो पाती।
गोली के साथ बोली नहीं चल सकती। काम भी नहीं करती, लेकिन आखिरी रास्ता बोली ही है अगर गोली चलाने वाले गोली चलाना छोड़कर बोली के लिए तैयार हो तो। भारत की सरकार यह करा पा रही है तो सही रास्ते पर है। हर भारतवासी पूर्ण शांति की कामना कर रहा है।
किसी सेना जैसी वर्दी पहने खड़े यह सारे मणिपुरी उग्रवादी संगठन #UNLF से जुड़े हैं। यह भारत में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन था। आज से पहले तक यह सभी भारत के दुश्मन बने हुए थे। भारत सरकार और सेना से संघर्ष कर रहे थे। 24 नवंबर 1964 को UNLF बना, इसका उद्देश्य स्वतंत्र #मणिपुर बनाना था।… pic.twitter.com/PGbB1kxOJM
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) November 29, 2023
उत्तराखंड में सिल्क्यारा सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। उत्तराखंड के सीएम धामी ने कहा कि इन श्रमिकों को एक-एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
उत्तराखंड में सिल्क्यारा सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। अधिकारियों ने बताया कि सभी मजदूरों को एक-एक करके 800 मिमी के उस पाइप के जरिए बाहर निकाला जा गया है, जिसे मलबे में ड्रिल करके डाला गया था। सभी 41 मजदूर सुरक्षित हैं। उत्तराखंड के सीएम धामी ने कहा कि बचाए गए प्रत्येक श्रमिक को 1 लाख रुपये दिए जाएंगे। बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिन्हा ने 'एक्स' पर पोस्ट कर पीएम मोदी और भारत सरकार की तारीफ की है। उन्होंने लिखा, 'उत्तरकाशी के टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का एक बहुत बड़ा मेसेज ये है कि इस देश में गरीब के जान की भी कीमत है। जिस तरह से विदेश से एक्सपर्ट बुलाने से लेकर, महंगी से महंगी मशीन, हवाई जहाज, दसियो डिपार्टमेंट और भरपूर मैन पावर लगाए गए और ऐसा लगा कि मोदी सरकार ने घोड़े खोल दिए हैं गरीब की जान बचाने के लिए। ये देश के लिए बहुत सुखद और बहुत बड़ा संदेश है। आज गरीब के जान की भी कीमत है।'
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, 'उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।'
उत्तरकाशी के टनल रेसक्यू ऑपरेशन का एक बहुत बड़ा मेसेज ये है कि इस देश में गरीब के जान की भी कीमत है। जिस तरह से विदेश से एक्सपर्ट बुलाने से लेकर, महंगी से महंगी मशीन, हवाई जहाज, दसियो डिपार्टमेंट और भरपूर मैन पावर लगाए गए और ऐसा लगा कि मोदी सरकार ने घोड़े खोल दिए हैं गरीब की जान…
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) November 29, 2023
पीएम ने हर डग पर टोह ली, सीएम धामी ने मिशन की ख़ुद जिम्मेदारी ली, जनरल सिंह ने सारी एजेंसियों और मजदूरों का मनोबल बांधे रखा।
उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग से 17 दिन बाद सुरक्षित निकाले गए मजदूरों से पीएम मोदी ने बातचीत की। मंगलवार देर रात बचाए गए मजदूरों के साथ अपनी फोन पर बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि इतने दिनों तक खतरे में रहने के बाद सुरक्षित बाहर आने पर मैं आपको बधाई देता हूं। यह मेरे लिए खुशी की बात है।
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, 'न पसंद आए न सही। सत्य ये है कि मिशन जिंदगी को पीएम मोदी से लेकर, सीएम पुष्कर धामी, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह से लेकर आख़िरी कर्मचारी तक पूरी तन्मयता और संजीदगी से निभाया गया। आस्था का पूर्ण सम्मान और विज्ञान पर सम्पूर्ण भरोसे ने 41 श्रमवीरों को बचा लिया। पीएम ने हर डग पर टोह ली, सीएम धामी ने मिशन की ख़ुद ज़िम्मेदारी ली, जनरल सिंह ने सारी एजेंसियों और मजदूरों का मनोबल बांधे रखा। जब पूरा अमला लग जाता है तो ज़मीन पर बचाने वाले और टनल में फंसे लोगों का हौसला बुलंद रहता है। इस भावना के साथ कि जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं। जय हिंद करते रहिए, लानत-मलानत। किसी में तो महारत हो।'
आपको बता दें कि पीएम ने कहा कि मेरे पीएमओ के अधिकारी भी वहां बैठे थे। लेकिन सिर्फ सूचना मिलने से चिंता कम नहीं होती। इस दौरान बिहार के रहने वाले युवा इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के सबा अहमद ने प्रधान मंत्री को बताया कि वो कई दिनों तक सुरंग में फंसे रहे, लेकिन उन्हें कोई डर या घबराहट महसूस नहीं हुई।
न पसंद आए न सही.. सत्य ये है कि मिशन ज़िंदगी को पीएम मोदी से लेकर, सीएम पुष्कर धामी, केंद्रीय मंत्री जेनरल वीके सिंह से लेकर आख़िरी कर्मचारी तक पूरी तन्मयता और संजीदगी से निभाया गया…
— Rubika Liyaquat (@RubikaLiyaquat) November 28, 2023
आस्था का पूर्ण सम्मान और विज्ञान पर सम्पूर्ण भरोसे ने 41 श्रमवीरों को बचा लिया
पीएम ने हर डग… pic.twitter.com/dvMCj1sBga
पंकज त्रिपाठी की 'मैं अटल हूं' अगले साल 19 जनवरी को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता पंकज त्रिपाठी मौजूदा वक्त में अपनी आगामी फिल्म 'मैं अटल हूं' को लेकर चर्चा में हैं। इस फिल्म में अभिनेता देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन पर्दे पर उतारने वाले हैं। पंकज त्रिपाठी की 'मैं अटल हूं' अगले साल 19 जनवरी को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है। उन्होंने अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल पर फिल्म से अपनी कुछ झलकियां साझा की हैं।
खास बात यह है कि यह पोस्टर हिंदी भाषा में रिलीज किए गए है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार और मशहूर फिल्म समीक्षक पंकज शुक्ल ने 'एक्स' पर एक पोस्ट की और लिखा, 'हिंदी सिनेमा में इन दिनों जब अधिकतर पोस्टर अंग्रेज़ी में ही जारी हो रहे हैं तो ऐसे में पंकज त्रिपाठी की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म के पहले पोस्टर हिंदी में ही जारी होना एक सुखद एहसास भी है और हिंदी सिनेमा में हिंदी की महत्ता को स्थापित करने का सराहनीय प्रयास भी है।'
उनकी इस पोस्ट को वरिष्ठ पत्रकार और लेखक विनोद अग्निहोत्री ने रिपोस्ट किया और अटल जी की याद किया। उन्होंने लिखा, 'ये संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिन्दी में भाषण देने वाले तत्कालीन विदेश मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री को सच्ची श्रद्धांजलि है। इसके लिए फ़िल्म निर्माता और अभिनेता पंकज त्रिपाठी को साधुवाद।'
आपको बता दें कि फिल्म निर्माता रवि जाधव ने इस फिल्म का निर्देशन किया है जो ‘नटरंग’ और ‘बालगंधर्व’ जैसी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। इसकी पटकथा उत्कर्ष नैथानी ने लिखी है। ‘मैं अटल हूं’ फिल्म का निर्माण विनोद भानुशाली, संदीप सिंह और कमलेश भानुशाली ने किया है। वहीं, भावेश भानुशाली और सैम खान फिल्म के सह-निर्माता हैं।
ये संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार हिन्दी में भाषण देने वाले तत्कालीन विदेश मंत्री और पूर्व प्रधान मंत्री को सच्ची श्रद्धांजलि है।इसके लिए फ़िल्म निर्माता और अभिनेता पंकज त्रिपाठी को साधुवाद।? https://t.co/n7HlFdVhzi
— विनोद अग्निहोत्री Vinod Agnihotri (@VinodAgnihotri7) November 28, 2023
कश्मीर घाटी के गांदरबल जिले के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शुहामा कैंपस में छात्रों के बीच में टकराव होने का मामला सामने आया है।
कश्मीर घाटी के गांदरबल जिले के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शुहामा कैंपस में छात्रों के बीच में टकराव होने का मामला सामने आया है। इसमें सात छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि इन छात्रों ने 19 नवंबर को क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से भारत की हार के बाद जश्न मनाया। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार मानक गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने लिखा, '7 कश्मीरी छात्रों ने क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में भारत की हार पर पटाख़े फोड़े, ’पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाये। UAPA के तहत धरे गए हैं। पहले भारत-पाकिस्तान मैच में पाकिस्तान का साथ देते थे, पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाते थे। अब तो ऑस्ट्रेलिया से भारत की हार पर भी ‘पाकिस्तान ज़िंदाबाद’? देश में छुपे ‘देश के असली दुश्मन’ की परिभाषा समझ लीजिए। ‘आस्तीन के सांप’ भी कह सकते हैं।'
आपको बता दें कि इस मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, छात्रों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा 13 और सार्वजनिक शरारत व आपराधिक धमकी से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 505 और 506 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
7 कश्मीरी छात्रों ने World Cup Final में भारत की हार पर पटाख़े फोड़े…’पाकिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे लगाये. UAPA के तहत धरे गए हैं ?
— Manak Gupta (@manakgupta) November 28, 2023
पहले भारत-पाकिस्तान मैच में पाकिस्तान का साथ देते थे…पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाते थे
अब तो ऑस्ट्रेलिया से भारत की हार पर भी ‘पाकिस्तान…
उन्होंने अपने संक्षिप्त भाषण में कहा, हजारों साल से न्याय और बराबरी की उम्मीद करने वाले हमारे से खड़े होकर इस लड़ाई को और मजबूत बनाएंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की आदमकद प्रतिमा का चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में तमिलनाडु के सीएम व द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने सोमवार को अनावरण किया। उन्होंने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को मुख्य अतिथि के रूप आमंत्रित किया। इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर बड़ी बात कही है।
उन्होंने लिखा, 'पहले बोफोर्स तोप सौदे में देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दलाली खाने वाला बताकर और फिर भारत में मंडल की राजनीति का बीज बोने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के ऐसे अभागे राजनेता हैं जो प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे लेकिन उनकी मृत्यु पर देश के पास आंसू बहाने का भी वक्त नहीं था। क्योंकि 27 नवंबर 2008 को जब उनकी मृत्यु हुई तब मुंबई पर आतंकी हमला हो चुका था और ताज होटल में आतंकियों ने सैंकड़ों लोगों को बंधक बना रखा था और आतंकियों के खिलाफ भारतीय सुरक्षा बलों की कार्यवाई चल रही थी, जिसकी लाइव कवरेज पूरी दुनिया देख रही थी।
तब वीपी सिंह के लिए वक्त किसके पास था। लेकिन 2008 से 2023 तक के 15 सालों में भी वीपी सिंह किसी को याद नहीं आए और आज अचानक पुण्य तिथि पर फुल पेज विज्ञापन और प्रतिमा का अनावरण। इतनी शिद्दत से आज जो स्टालिन और अखिलेश यादव ने वीपी सिंह को याद किया, वो और कुछ नहीं भारत ने "मंडल - 2" को लांच करने की तैयारी है।
तलिमनाडू में कार्यक्रम है जहां डीएमके और कांग्रेस की सरकार है,लेकिन इस विज्ञापन में अखिलेश तो हैं पर सरकार में शामिल कांग्रेस के किसी नेता की तस्वीर नहीं। आखिर क्यों?'
15 साल बाद वीपी सिंह क्यों याद आए ?
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) November 27, 2023
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पहले बोफोर्स तोप सौदे में देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दलाली खाने वाला बता कर, और फिर भारत में मंडल की राजनीति का बीज बोने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के ऐसे अभागे राजनेता हैं जो प्रधानमंत्री पद तक… pic.twitter.com/lPysMQZFxL
दरअसल विनीता यादव ने उत्तरकाशी में सुरंग धंसने से भीतर फंसे मजदूरों को लेकर एक पोस्ट किया था।
डिजिटल न्यूज चैनल 'न्यूज नशा' की संपादक और वरिष्ठ पत्रकार विनीता यादव पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर कुछ यूजर्स द्वारा जातिगत टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। दरअसल, विनीता यादव ने उत्तरकाशी में सुरंग धंसने से भीतर फंसे मजदूरों को लेकर एक पोस्ट किया था। अपने इस पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'चांद पर पहुंच गये , लेकिन 10-15 दिनों से सुरंग में फंसे 40 मजदूरों तक नहीं पहुंच सकते।' इसके बाद से ही उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। इस वीडियो पर आए अधिकतर कमेंट नकारात्मक थे।
इसके बाद खुद विनीता यादव ने एक वीडियो जारी किया और बताया कि किस प्रकार उन्हें ना सिर्फ ट्रोल किया गया है बल्कि उनकी 'जाति' को लेकर भी उन्हें कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। जबकि एक पत्रकार होने के नाते उन्होंने सिर्फ सरकार से एक सवाल किया था।
वीडियो में विनीता यादव ने कहा, 'मैंने एक पत्रकार के तौर पर सदैव सही को सही और गलत को गलत कहा है, मैंने कभी किसी की जाति और धर्म देखकर एकतरफा बात नहीं की है। लेकिन मेरे वीडियो पर आए कमेंट मुझे निराशा करते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि मेरे और परिवार को लेकर बहुत कुछ गलत लिखा गया है। ये जो ट्रोल आर्मी है, इन्हें कभी भी किसी पत्रकार का अच्छा काम नहीं दिखाई देता है। मेरी जाति को लेकर लोग बात कर रहे हैं और मुझे दूध बेचने के लिए कहा जा रहा है।
इस वीडियो में अपनी बात कहते-कहते विनीता यादव भावुक भी हो जाती हैं। समाचार4मीडिया किसी भी पत्रकार को लेकर इस प्रकार किए गए भद्दे कमेंट्स का समर्थन नहीं करता है। एक पत्रकार को हमेशा अपनी बात कहने का हक है और उसकी जाति और धर्म के नाम पर उसे अपमानित करना निंदनीय कार्य है, जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए उतनी कम है।
एक ट्वीट करने पर मुझे यादव होने पर बेज़्ज़त किया जा रहा है।
— Vineeta Yadav (@vineetanews) November 27, 2023
ये हद से गिरी मानसिकता है लोगो की।लेकिन देख कर दुःख हो रहा है की लोगो को पत्रकार में भी जाति दिख रही है।ये ट्रोल आर्मी यादव लीडर्स के नाम के साथ मुझे भद्दे ट्वीट कर रहे हैं देख कर शर्मिंदा हूँ।#TunnelCollapsed https://t.co/Jx7RdrGZhX pic.twitter.com/g74IXkWE0U
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने कहा है कि सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) का अंतिम मसौदा अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की संभावना है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने कहा है कि सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) का अंतिम मसौदा अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की संभावना है। यह बातें उन्होंने उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए कहीं। सीएए में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान हैं।
उनके इस बयान के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा, 'केंद्र का अब कहना है कि सीएए को इस साल मार्च में अधिसूचित किया जाएगा। 2015 से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने के लिए सीएए को 2020 में संसद द्वारा पारित किया गया था।
सीएए अधर में लटका हुआ है क्योंकि इसे लागू करने के नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है। कल्पना करना, यह तब है, जब 2020 के बाद से पाकिस्तान में औसतन हर साल 1000 हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। जो लोग विरोध करते हैं उनका उल्लंघन किया जाता है या उन्हें मार दिया जाता है।'
Center now says that CAA will be notified in March this year. The CAA was passed by Parliament in 2020 to offer citizenship to Non-Muslims who entered India from Afghanistan, Pakistan, and Bangladesh before 2015. The CAA lies in limbo as the rules to operationalise it are yet to…
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) November 27, 2023