यह फिल्म सोशल-कॉमेडी है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन, निम्रत कौर और यामी गौतम जैसे बाॅलीवुड सितारे प्रमुख भूमिका में हैं।
हिंदी सिनेमा के नामी कलाकार अभिषेक बच्चन की ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई फिल्म 'दसवीं' को दर्शकों ने काफी पसंद किया है।
इस फिल्म ने फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड्स में भी अपनी धूम मचाई है। आपको बता दें कि, दसवीं को बेस्ट फिल्म अवॉर्ड से नवाजा गया है जबकि इस फिल्म के लिए अभिषेक बच्चन को बेस्ट एक्टर चुना गया है।
यह फिल्म सोशल-कॉमेडी है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन, निम्रत कौर और यामी गौतम जैसे बाॅलीवुड सितारे प्रमुख भूमिका में हैं। यह फिल्म तुषार जलोटा द्वारा निर्देशित की गयी है।
कवि और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता कुमार विश्वास ने स्क्रिप्ट और डाॅयलाग लिखे, वहीं फिल्म का निर्माण मैडॉक फिल्म्स के दिनेश विजान के लेजेल और शोभना यादव की बेक माई केक फिल्म्स के सहयोग से हुआ है।
इस फिल्म को मिली इस कामयाबी पर अब वरिष्ठ पत्रकार 'शोभना यादव' ने ट्वीट कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है।
उन्होंने लिखा, 'मेरी फ़िल्म को आप सभी का बहुत प्यार मिला और इस सफ़र को पहचान फ़िल्मफ़ेयर के इस अवार्ड ने दी। बहुत बहुत शुक्रिया। शोभना यादव के इस ट्वीट पर मीडिया जगत के कई बड़े पत्रकारों ने भी उन्हें बधाई दी है।
शोभना यादव के द्वारा किए गए इस ट्वीट को आप यहां देख सकते हैं।
मेरी फ़िल्म #Dasvi को आप सभी का बहुत प्यार मिला और इस सफ़र को पहचान फ़िल्मफ़ेयर के इस अवार्ड ने दी .. बहुत बहुत शुक्रिया @filmfare pic.twitter.com/ReU1zsfL5F
— Shobhna Yadav (@ShobhnaYadava) February 2, 2023
इतनी बड़ी जीत से साबित होता है कि वोट सिर्फ राज्य के मुद्दों पर नहीं, केंद्र सरकार की काम के लिए भी पड़े हैं।
चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी कर दिए गए हैं। तीन राज्यों में बीजेपी को बहुमत प्राप्त हुआ है, वहीं तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी है। मध्य प्रदेश में बीजेपी को 163 सीटें हासिल हुई हैं। राजस्थान में बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की है। चुनाव में बीजेपी को 115 सीट मिली हैं। छत्तीसगढ़ में बीजेपी को 54 सीट मिली हैं।
तीन राज्यों में बीजेपी की इस प्रचंड जीत पर वरिष्ठ पत्रकार नीरज बधवार ने अपने 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट की और अपना विश्लेषण प्रस्तुत किया। उन्होंने लिखा, 'मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जीत से कई चीजें साफ हो गई हैं। हिंदू वोटर के लिए जातीय पहचान से बड़ी धार्मिक पहचान हो गई है। इतनी बड़ी जीत से साबित होता है कि वोट सिर्फ राज्य के मुद्दों पर नहीं, केंद्र सरकार की काम के लिए भी पड़े हैं। 2024 में बीजेपी की जीत 2019 से भी बड़ी हो सकती है।
इंडी अलायंस की तमाम चर्चाओं और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और उन्हें रिब्रांड करने तमाम कोशिशों का ज़मीन पर रत्ती भर कोई असर नहीं पड़ा। बीजेपी, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्यों में अपने काम के दम पर बार-बार जीत कर आ ही है।
कांग्रेस छत्तीसगढ़ जैसे छोटे स्टेट में भी दोबारा पावर में नहीं आ पा रही। जहां सत्ता मिलती भी है वहां बड़े नेता आपस में लड़कर रह जाते हैं। वो अब भी वो अपनी जीत के लिए पिछली सरकार की एंटी इंकम्बेंसी पर निर्भर करती है मगर अपने काम के दम पर दोबारा नहीं आ पाती।'
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जीत से कई चीज़ें साफ हो गई हैं।
— Neeraj Badhwar (@nirajbadhwar) December 3, 2023
1-हिंदू वोटर के लिए जातीय पहचान से बड़ी धार्मिक पहचान हो गई है
2-इतनी बड़ी जीत से साबित होता है कि वोट सिर्फ राज्य के मुद्दों पर नहीं
केंद्र सरकार की काम के लिए भी पड़े हैं
3-2023 में बीजेपी की जीत 2019 से भी…
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी विश्वसनीयता की अग्नि परीक्षा में तप कर खरे निकले हैं। भारतीय जनता पार्टी ने जनता का भरोसा हासिल किया है।
चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी कर दिए गए हैं। 3 राज्यों में बीजेपी को बहुमत प्राप्त हुआ है वहीं तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी है। मध्य प्रदेश में बीजेपी को 163 सीटें हासिल हुई हैं जबकि कांग्रेस को 66 सीटें मिली हैं जबकि अन्य के खाते में एक सीट गई है। वहीं राजस्थान में हर बार की तरह ही सत्ता परिवर्तन हुआ है।
राजस्थान में बीजेपी में प्रचंड जीत हासिल की है। चुनाव में बीजेपी को 115 सीट मिली हैं जबकि कांग्रेस को 69 सीट हासिल हुई हैं। राजस्थान में 15 सीट निर्दलियों के खाते में गई हैं। छत्तीसगढ़ की बात करें तो कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी को 54 सीट मिली हैं जबकि कांग्रेस के खाते में 35 सीट गई है। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है।
बीजेपी की इस प्रचंड जीत पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट किया और बड़ी बात कह दी। उन्होंने लिखा, 'यह अभूतपूर्व जनादेश है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी विश्वसनीयता की अग्नि परीक्षा में तप कर खरे निकले हैं। भारतीय जनता पार्टी ने जनता का भरोसा हासिल किया है।
उनके विचार, आचार और सरकार पर जनता का ऐतबार है। विपरीत हालात में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बड़ी जीत इसका प्रमाण है। राजस्थान का राज भी उन्हें जमीन पर कुशल कौशल प्रबंधन और कारगर रणनीति से मिला। ऐसे वक्त मे जब लोकसभा के चुनाव आसन्न हों तब ये बहुत बड़ी जीत, बीजेपी की बढ़ती ताकत का प्रतिबिंब है। विपक्ष के लिए बीजेपी, शोध का विषय होना चाहिए।'
यह अभूतपूर्व जनादेश है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी विश्वसनीयता की अग्नि परीक्षा में तप कर खरे निकले हैं। भारतीय जनता पार्टी ने जनता का भरोसा हासिल किया है। उनके विचार, आचार और सरकार पर जनता का ऐतबार है। विपरीत हालात में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की बड़ी जीत इसका प्रमाण है। राजस्थान…
— Brajesh Misra (@brajeshlive) December 3, 2023
बीजेपी हाल तक कर्नाटक में सरकार चला रही थी और अभी पुड्डेचरी में गठबंधन सरकार का हिस्सा है।
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। दक्षिण भारत के गेटवे कहे जाने वाले राज्य तेलंगाना को छोड़कर कांग्रेस पार्टी को राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार गंवानी पड़ी। कांग्रेस तेलंगाना में सरकार बनाने के आंकड़े जुटाकर दक्षिण भारत के राज्यों में एक संजीवनी के तौर पर बड़ी सफलता मान रही है।
कांग्रेस के कुछ नेता ऐसे में उत्तर बनाम दक्षिण की लड़ाई को भी हवा देते हुए नजर आ रहे हैं। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, 'तीन हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस के कुछ नेता दक्षिण बनाम उत्तर की बहस को हवा दे रहे हैं।
पहली बात तो यह कि किसी भी राष्ट्रीय पार्टी को यह बहस शोभा नहीं देती। एक ऐसी पार्टी जो अभी तक राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शासन में थी और हिमाचल प्रदेश में सत्ता में है। दूसरी बात यह है कि बीजेपी के दक्षिण भारत में कांग्रेस से अधिक लोक सभा सांसद हैं।
कर्नाटक और तेलंगाना को मिलाकर बीजेपी के 29 लोक सभा सांसद हैं जबकि कांग्रेस के केरल में 15, तमिलनाडु में 8, तेलंगाना में 3 और कर्नाटक तथा पुड्डुचेरी में एक-एक सांसद मिलाकर कुल 28 सांसद हैं। बीजेपी हाल तक कर्नाटक में सरकार चला रही थी और अभी पुड्डेचरी में गठबंधन सरकार का हिस्सा है। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में उसे अभी तक नौ सीटें और 13.78% वोट मिले हैं।
तीन हिन्दी भाषी राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस के कुछ नेता दक्षिण बनाम उत्तर की बहस को हवा दे रहे हैं। पहली बात तो यह कि किसी भी राष्ट्रीय पार्टी को यह बहस शोभा नहीं देती। एक ऐसी पार्टी जो अभी तक राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शासन में थी और हिमाचल प्रदेश में सत्ता में…
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) December 3, 2023
बहुमत का आंकड़ा 60 है। ऐसे में साफ तौर पर तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनने की प्रबल संभावनाएं दिख रही हैं।
तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 119 सीटों पर मतदान के बाद एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आ गए हैं। इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में सत्तारूढ़- बीआरएस, विपक्षी दल- कांग्रेस और भाजपा के खाते में जितनी सीटें दिखाई गई हैं, इससे साफ है कि तेलंगाना में कांटे की टक्कर होगी। इंडिया टुडे (आज तक)-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक कांग्रेस को 63-73 सीटें मिलने का अनुमान है।
बहुमत का आंकड़ा 60 है। ऐसे में साफ तौर पर तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनने की प्रबल संभावनाएं दिख रही हैं। इस पोल के मुताबिक बीआरएस को 34-44 सीटें मिलने का अनुमान है। यानी केसीआर की पार्टी बहुमत के आंकड़े से पार्टी काफी दूर है। बीजेपी को 4-8 सीटें मिलने का अनुमान है।
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी- ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को 5-7 सीटें मिलने का अनुमान है। 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा के लिए गुरुवार को मतदान कराए गए। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को बताया कि कुल 71.34 प्रतिशत मतदान हुआ।
तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, मुनुगोडे विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 91.89 प्रतिशत मतदान हुआ।
Battle for Telangana: @AxisMyIndia poll for @IndiaToday Cong 63-73; BRS 34-44; BJP 4-8; AIMIM: 5-7; others 0-1.. Congress set to win Telangana as per exit poll.. southern comfort for a party struggling in Hindi heartland ..
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 1, 2023
इस जलवायु शिखर सम्मेलन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार पलकी शर्मा ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर बड़ी बात कही है।
विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन (कॉप-28) में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुबई पहुंचे। दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाकर दुनिया के सामने बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।
इस जलवायु शिखर सम्मेलन को लेकर वरिष्ठ पत्रकार पलकी शर्मा ने अपने 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट कर बड़ी बात कही है। उन्होंने लिखा कि अब तक के सबसे बड़े जलवायु शिखर सम्मेलन में 200 विभिन्न देशों और क्षेत्रों से 70000 प्रतिनिधि COP28 के लिए दुबई आ रहे हैं।
इस आयोजन का कार्बन पदचिह्न बहुत बड़ा है, लेकिन अगर यहां बातचीत समाधान प्रदान कर सकती है और सार्थक जलवायु कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त कर सकती है, तो यह इसके लायक हो सकता है। (उम्मीदें कम हैं), वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को भारत ने हमेशा सर्वाधिक प्राथमिकता दी है और हमेशा इस मुद्दे पर सबसे आगे बढ़कर बात की है।
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में, ग्लोबल साउथ ने समानता, जलवायु न्याय और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांतों के आधार पर जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता के साथ-साथ अनुकूलन पर अधिक ध्यान देने की बात कही थी।
Scenes from the biggest ever climate summit. 70000 delegates from 200 odd countries and regions are descending on Dubai for #COP28. The carbon footprint of the event is massive, but if conversations here can deliver solutions and pave the way for meaningful climate action, then… pic.twitter.com/4IQJzQ2E2Z
— Palki Sharma (@palkisu) December 1, 2023
वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने अपने 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट की और इसके बारे में दर्शकों को जानकारी दी।
पिछले दिनों ‘एऩडीटीवी’ (NDTV) को अलविदा कहने वाले पत्रकार सौरभ शुक्ला, संकेत उपाध्याय और संपादक सुनील सैनी ने नई शुरुआत की है। वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने अपने 'एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट की और इसके बारे में दर्शकों को जानकारी दी। उन्होंने लिखा, 'NDTV इसलिए छोड़ा और अब यह करेंगे। आप लोगों के आदेशानुसार नई मुहिम आज से शुरू।'
NDTV इसलिए छोड़ा।
— Sanket Upadhyay (@sanket) December 1, 2023
और अब यह करेंगे।
आप लोगों के आदेशानुसार नई मुहिम आज से शुरू। यूट्यूब चैनल Subscribe करके ज़रा हाथ ज़रूर थामियेगा। ?@Saurabh_Unmute @SunilKSaini01 https://t.co/GBXuFSuNMD
इसके अलावा उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया और उसमें वो बताते हैं कि सौरभ और उनका साथ आना भी लोगों की राय पर ही हुआ है।
आपको बता दें कि पत्रकार सौरभ शुक्ला ने हाल ही में ‘एऩडीटीवी’ को अलविदा दिया है। वह यहां करीब 13 साल से कार्यरत थे और इन दिनों सीनियर स्पेशल करेसपॉन्डेंट/एंकर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
अपनी फेसबुक पोस्ट में सौरभ ने लिखा है, ’आप लोगों का फ़ीडबैक था कि पुराने NDTV वाले साथ क्यों नहीं आते? तो आपके भरोसे संकेत उपाध्याय और सुनील सैनी सर के साथ अपना यूट्यूब चैनल @theredmike शुरू किया है।
उनके चैनल को 18k से अधिक लोगों ने सब्सक्राइब किया है और उनके वीडियो को 40 हजार से अधिक लोग देख चुके हैं। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप भी इस वीडियो को देख सकते हैं।
एग्जिट पोल के रुझान संकेत दे रहे हैं कि मध्य प्रदेश को छोड़कर छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विपक्ष की सरकार बन सकती है।
गुरुवार को पांच राज्यों में चुनाव सम्पूर्ण हो चुके हैं। तेलंगाना में वोटिंग समाप्त होने के बाद ही राजनैतिक गलियारों में एग्जिट पोल की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ऐसे में एग्जिट पोल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने 'एक्स' पर पोस्ट कर बड़ी बात कही।
उन्होंने लिखा, 'एग्जिट पोल के रुझान संकेत दे रहे हैं कि मध्य प्रदेश को छोड़कर बाकी 4 राज्यों-छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विपक्ष की सरकार बन सकती है। अगर मिजोरम में MNF ने पहले की तरह BJP के साथ हाथ मिला लिया तो शायद बीजेपी के खाते में 5 राज्यों में से 2 राज्यों में सफलता मिल सकेगी। तो हाईलाइट क्या है?
राजस्थान में हर 5 साल में सरकार बदलने की परिपाटी को मत देते हुए अशोक गहलोत इतिहास रच सकते हैं और स्थापित नेता वसुंधरा राजे के हाथ में कमान ना देना बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता है। हालाकि, अभी भी राजस्थान में बीजेपी के लिए खुशखबरी आयेगी, लगता तो यही है। ऐसे ही छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के हाथ में कमान ना देना और भूपेश बघेल की सरकार को कम आंकना घाटे का सौदा साबित हो सकता है। तेलंगाना में आखिरकार लोगों ने कांग्रेस के वायदों पर भरोसा करते दिख रहे हैं। TRS या अब कहे जाने वाले BRS के वादों से जनता विमुख हो रही है।
बेरोजगारी ने तेलंगाना में TRS की सरकार की कमर तोड़ ही दी। मणिपुर की हिंसा और उत्तरपूर्व में अस्थिरता बीजेपी के लिए शायद भारी पड़ी। MNF के साथ गठबंधन ना होना बीजेपी के लिए आत्मघाती साबित होता दिख रहा है। हां, मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली योजना ने बीजेपी को संभाल दिया। इससे ये भी साफ हुआ कि बीजेपी को अपने राज्यों के स्थापित नेताओं में भरोसा जताते रहना चाहिये। हालाँकि कांग्रेस के लिए 5 राज्यों के चुनाव अच्छी खबर लेकर आते दिख रहे है, ख़ासकर दक्षिण भारत में।
कर्नाटक के बाद तेलंगाना की शक्ल में। बस सवाल ये कि ऐसा ट्रेंड 2003, 2019 के दिसंबर में भी देखने को मिला था। सेमीफाइनल में राज्यों और केंद्र की सरकारें भिन्न रही है। इतना तय है कि कांग्रेस को सोचना होगा कि क्या दक्षिण भारत के दम पर केंद्र में वो सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है?'
Exit Poll के रुझान संकेत दे रहे है कि मध्य प्रदेश को छोड़कर बाक़ी 4 राज्य - छत्तीसगढ, राजस्थान, तेलंगाना और मिज़ोरम - में विपक्ष कि सरकार बन सकती है। अगर मिज़ोरम में MNF ने पहले कि तरह #BJP के साथ हाथ मिला लिया तो शायद #बीजेपी के खाते में 5 राज्यों में से 2 राज्यों में सफलता मिल…
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) November 30, 2023
यह बचाव प्रयास भारतीय इतिहास में अब तक के सबसे वीरतापूर्ण प्रयासों में से एक के रूप में जाना जाएगा।
17 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद 41 मजदूरों को सफलतापूर्वक बाहर निकालने वाला ऑपरेशन सिलक्यारा किसी सुरंग या खदान में फंसे मजदूरों को निकालने वाला देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बन गया है। इससे पहले वर्ष 1989 में पश्चिमी बंगाल की रानीगंज कोयला खदान से दो दिन चले अभियान के बाद 65 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था।
इस पूरे घटनाक्रम पर वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने एक्स पर पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, यह बचाव प्रयास भारतीय इतिहास में अब तक के सबसे वीरतापूर्ण प्रयासों में से एक के रूप में जाना जाएगा। मुझे उम्मीद है कि प्रतिभाशाली फिल्म निर्माता इस कहानी को करीब से देखेंगे। 17 दिनों तक चूहे के बिल वाली सुरंग में फंसे रहने, अरबों लोगों की प्रार्थनाओं और सर्वोच्च आत्म विश्वास/विश्वास के साथ, ऑस्ट्रेलिया का एक चमत्कारिक व्यक्ति, सशस्त्र बलों के सैनिकों की उत्कृष्ट वीरता, कहानी ऐसी है जिसे बार-बार बताया जाना चाहिए।
इस कहानी को धर्म या क्षेत्र के चश्मे से देखना उन लोगों के साथ घोर अन्याय है जिन्होंने वास्तव में वीरता का यह महान कार्य किया। आपको बता दें कि देश-दुनिया के विशेषज्ञों ने दिन-रात एक कर इस अभियान को मुकाम तक पहुंचाया। 13 नवंबर 1989 को पश्चिम बंगाल के महाबीर कोल्यारी रानीगंज कोयला खदान जलमग्न हो गई थी। इसमें 65 मजदूर फंस गए थे। इनको सुरक्षित बाहर निकालने के लिए खनन इंजीनियर जसवंत गिल के नेतृत्व में टीम बनाई गईं थी।
This rescue effort will go in Indian history as one of the most heroic ever. I hope bright film makers look at this story closely. 17 days caught in a rat hole tunnel, only prayers of a billion and supreme self faith / confidence to hold onto, a miracle man from Australia ,… https://t.co/HY5iZUQDCP
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) November 29, 2023
वो असाधारण हैं। अद्वितीय हैं। देश के लिए रोल मॉडल हैं। वो प्रेरणा देते हैं कि कठिन वक्त में मनुष्य को कैसे धैर्य के साथ हालात का सामना करना चाहिए।
उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में पिछले 17 दिन से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। सभी 41 मजदूर सुरक्षित हैं। उत्तराखंड के सीएम धामी ने कहा कि बचाए गए प्रत्येक श्रमिक को 1 लाख रुपये दिए जाएंगे। बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने एक्स पर पोस्ट कर अपने मन की बात कही है। उन्होंने लिखा, जिंदगी जीत गई। मौत को फिर मात मिली। वो न उपदेशक थे, न कोई तपस्वी। लेकिन उनकी एकाग्रता। जिजीविषा। धैर्य। विश्वास। शांत मन। और समंदर जैसी आशाएं। हिमालय जैसा ऊंचा मनोबल था उनका। वो जीवंत उदाहरण बन गए हैं कि जब हालत बिल्कुल खिलाफ हों, मौत झपटने को बेकरार हो, तब एक शांत दिमाग और धैर्य किस तरह से जिंदगी की जंग जीत लेता है। वो असाधारण हैं। अद्वितीय हैं। देश के लिए रोल मॉडल हैं। वो प्रेरणा देते हैं किकठिन वक्त में मनुष्य को कैसे धैर्य के साथ हालात का सामना करना चाहिए।
राहत और बचाव कार्य में लगे कर्मवीर भी उतने ही अद्भुत थे। हर चुनौती का सामना किया। नाकाम होते रहे लेकिन कोशिशों को जारी रखा और अंत में ना-मुमकिन मिशन को मुमकिन करके दिखाया। राज्य और केंद्र सरकार, एजेंसियां, परिजन सभी अभिनंदन के पात्र हैं। एक साथ मिलकर ये देश सब कुछ हासिल कर सकता है। ये श्रमिक बंधु आज वो सिखा गए जो किसी किताब में नहीं मिलेगा और किसी कोर्स में पढ़ाया भी नही गया होगा। इनके अप्रतिम संघर्ष की दास्तां सबको बताई जानी चाहिए।
ज़िंदगी जीत गई। मौत की फिर मात मिली। वो न उपदेशक थे न कोई तपस्वी। लेकिन उनकी एकाग्रता। जिजीविषा। धैर्य। विश्वास। शांत मन। और समंदर जैसी आशाएं। हिमालय जैसा ऊंचा मनोबल था उनका। वो जीवंत उदाहरण बन गए हैं की जब हालत बिल्कुल खिलाफ हों, मौत झपटने को बेकरार हो तब एक शांत दिमाग और धैर्य… pic.twitter.com/gWg4AhlE8j
— Brajesh Misra (@brajeshlive) November 28, 2023
गृह मंत्रालय ने 16 दिन पहले ही यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) पर पांच सालों के प्रतिबंध बढ़ाया था।
मणिपुर के प्रतिबंधित और सबसे बड़े आतंकी संगठन को शांति की टेबल पर लाने में केंद्र सरकार की रणनीति कारगर साबित हुई। राज्य में स्थायी शांति के प्रयासों में जुटी केंद्र सरकार को आखिरकार कामयाबी मिल ही गई। गृह मंत्रालय ने 16 दिन पहले ही यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) पर पांच सालों के प्रतिबंध बढ़ाया था। गृह मंत्रालय के फैसले के 17 वें दिन उग्रवादी संगठन ने शांति समझौते पर दस्तखत कर दिए। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने एक्स पर पोस्ट कर बड़ी बात कही है।
उन्होंने लिखा, किसी सेना जैसी वर्दी पहने खड़े यह सारे मणिपुरी उग्रवादी संगठन "UNLF" से जुड़े हैं। यह भारत में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन था। आज से पहले तक यह सभी भारत के दुश्मन बने हुए थे। भारत सरकार और सेना से संघर्ष कर रहे थे। 24 नवंबर 1964 को यह बना, इसका उद्देश्य स्वतंत्र मणिपुर बनाना था।
अब पूर्वोत्तर के इस सबसे पुराने उग्रवादी संगठन ने हथियार डाल दिया है। भारत सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। मणिपुर में शांति बहाली के प्रयासों के लिहाज से सबसे सुखद समाचार है। इस आत्मसमर्पण में मणिपुर के मुख्यमंत्री ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अमित शाह जो कि गृह मंत्री है वह स्पष्ट कह चुके हैं कि, मणिपुर की समस्या का पूर्ण समाधान निकालकर रहेंगे। पिछले 10 वर्षों की मोदी सरकार में पूर्वोत्तर के करीब एक दर्जन उग्रवादी संगठनों ने हथियार छोड़ दिया है। सरकार ने उनके लिए रास्ता तैयार किया है। कल्पना कीजिए कि, अत्याधुनिक हथियारों से लैस यह मणिपुरी अगर हिंसा के रास्ते पर रहते तो शांति कितनी और कब तक हो पाती।
गोली के साथ बोली नहीं चल सकती। काम भी नहीं करती, लेकिन आखिरी रास्ता बोली ही है अगर गोली चलाने वाले गोली चलाना छोड़कर बोली के लिए तैयार हो तो। भारत की सरकार यह करा पा रही है तो सही रास्ते पर है। हर भारतवासी पूर्ण शांति की कामना कर रहा है।
किसी सेना जैसी वर्दी पहने खड़े यह सारे मणिपुरी उग्रवादी संगठन #UNLF से जुड़े हैं। यह भारत में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन था। आज से पहले तक यह सभी भारत के दुश्मन बने हुए थे। भारत सरकार और सेना से संघर्ष कर रहे थे। 24 नवंबर 1964 को UNLF बना, इसका उद्देश्य स्वतंत्र #मणिपुर बनाना था।… pic.twitter.com/PGbB1kxOJM
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) November 29, 2023