लंबे अरसे से अंडरवर्ल्ड से जुडी रिपोर्टिंग कर रही शीला रावल की ये किताब जल्द होगी रिलीज

एबीपी न्यूज की खोजी संपादक शीला रावल की किताब ‘गॉडफादर्स ऑफ क्राइम, फेस-टू-फेस विथ इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड’ जल्द ही मार्केट में दस्तक देगी। यह किताब छोटा राजन समेत कई अन्य गैंगस्टर्स के अनजाने किस्सों को उजागर करती है। शीला रावल प्रिंट और इलेकट्रॉनिक मीडिया में पिछले तीन दशक से सक्रिय भूमिका निभा रही है और अंडरवर्ल्ड से जुड़ी रिपोर्टिंग कर रही हैं।

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Published - Wednesday, 09 December, 2015
Last Modified:
Wednesday, 09 December, 2015
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एबीपी न्यूज की खोजी संपादक शीला रावल की किताब ‘गॉडफादर्स ऑफ क्राइम, फेस-टू-फेस विथ इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड’ जल्द ही मार्केट में दस्तक देगी। यह किताब छोटा राजन समेत कई अन्य गैंगस्टर्स के अनजाने किस्सों को उजागर करती है। शीला रावल प्रिंट और इलेकट्रॉनिक मीडिया में पिछले तीन दशक से सक्रिय भूमिका निभा रही है और अंडरवर्ल्ड से जुड़ी रिपोर्टिंग कर रही हैं। रावल ने अंडरवर्ल्ड से जुड़ी कई खबरों को ब्रेक किया, जिनमें 2000 में बैंकॉक में दाऊद के गुर्गे द्वारा छोटा राजन की हत्या का प्रयास, और छोटा राजन के जिंदा होने की खबर शामिल है। इतना ही नहीं उन्होंने दुबई में दाऊद इब्राहिम की बेटी की शादी में हिस्सा लिया। वह पहली ऐसी पत्रकार हैं, जिन्होंने गैंगस्टर अबू सलेम की गिरफ्तारी के बाद उसकी पहली पत्नी समीरा जुमानी का इंटरव्यू लिया। हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ के न्यूजपोर्टल पर राजन और अंडरवर्ल्ड से जुड़े कुछ अनजाने पहलुओं पर किताब के कुछ अंश प्रकाशित किए हैं, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं : करीब 15 साल पहले खबर आई कि छोटा राजन मारा जा चुका है, लेकिन वह मरा नहीं था और इस बात का खुलासा किया पत्रकार शीला रावल ने। वह लंबे समय से गैंगस्टर्स से जुड़ी रिपोर्टिंग कर रही हैं और ‘गॉडफादर्स ऑफ क्राइम, फेस-टू-फेस विथ इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड’ उनकी पहली किताब है। अंडरवर्ल्ड के किस्सों पर अब तक कई किताबें लिखीं जा चुकी हैं। शीला रावल की किताब भी ऐसे ही किस्से कहती है, पर इसमें उन्होंने अपने पत्रकार जीवन के अनुभवों के जरिए इन्हें साझा किया है। एक महिला पत्रकार का माफिया से जुड़ी रिपोर्टिंग करना और इस दौरान उठाए गए तमाम जोखिमों के बारे में पढ़ना रोचक है। हालांकि कहीं-कहीं शीला की शैली इन अपराधियों का महिमामंडन भी करती नजर आती है। इस किताब को अंडरवर्ल्ड के बारे में जानने के इच्छुक लोग तो पढ़ ही सकते हैं, साथ ही यह उनके लिए भी रोचक साबित होगी जो जानना चाहते हैं कि कैसे कोई पत्रकार माफिया से जुड़ी सनसीखेज खबरें कर पाता है। यहां किताब के संपादिश अंश के जरिए उस दौर की कहानी दी जा रही है, जब छोटा राजन को मरा हुआ मान लिया गया था। अंग्रेजी अखबार को 14 सितंबर 2000 के दिन छोटा शकील ने फोन कर डी कंपनी की तरफ से अपने कट्‌टर प्रतिद्वंद्वी छोटा राजन को बैंकॉक में मारने की जिम्मेदारी ली। 16 सितंबर को जब यह खबर अखबार में छपी तो गैंगस्टर के खूनी अंत की चारों तरफ चर्चा होने लगी। इंटेलीजेंस ब्यूरो छोटा राजन की मौत को लेकर संशय में था, वहीं मुंबई पुलिस भी खबर की पुष्टि करने में व्यस्त थी। मैं भी 18 सितंबर को थाईलैंड की राजधानी पहुंची। वहां एए नाम के व्यक्ति ने मेरे रहने की व्यवस्था की। sheela-bookअगले दिन शाम को एए ने मुझे जैली से मिलवाया, पगड़ी में एक आदमी, जो कि ‘शहर के पावर सर्किट में प्रभावशाली व्यक्ति’ था। जैली ने मेेरे हाथ में एक लिफाफा देते हुए कहा, ‘आपके पास एक ब्रेकिंग न्यूज है, मेरी दोस्त।’ मैंने तुरंत दस्तावेज इंडिया टुडे के दिल्ली ऑफिस में भेज दिए, और ‘आज तक’ की न्यूज बुलेटिन बनाने वाली टीम को भी जो उस वक्त दूरदर्शन के लिए डेली न्यूज शो बनाती थी। आज तक ने सनसनीखेज खुलासा किया, ‘राजन जिंदा है! समितिवेज अस्पताल में गंभीर हालत में। पांच हमलावर गिरफ्तार, सभी पाकिस्तानी।’ मैंने पहली बार फोन पर भी एंकर से लंबी बात की। हालांकि राहत और खुशी के ये पल ज्यादा समय तक नहीं रहे। अब मेरे पास अगली बड़ी चुनौती थी : मैं हॉस्पिटल के एकांत आईसीयू में बुरी तरह घायल राजन तक कैसे पहुंचूं? सबसे पहले मैंने भारतीय राजदूत आर.के. राय से संपर्क किया। उन्होंने मुझे राजन के बारे में काफी जानकारी दी, लेकिन जब मैंने राजन से मिलवाने की बात कही तो उन्होंने कहा, ‘मेरे हाथ बंधे हैं, आपको खुद ही कोई रास्ता ढूंढना होगा।’ पहले मुझे यह बात समझ नहीं आई मगर बाद में मुझे पता चला कि दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक हमारी विस्तृत रिपोर्टिंग से खुश नहीं था। बहरहाल मैंने मदद के लिए जैली को फोन किया। जैली ने राजन के कमरे तक पहुंचने की व्यवस्था करवाई। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं इतनी आसानी से राजन तक पहुंच जाऊंगी। जैली मुझे लॉबी में छोड़ गए, जहां से मैं देख सकती थी कि दरवाजे के बाहर दो गार्ड हैं। मैं जब और नजदीक पहुंची तो किसी ने मुझे जानी-पहचानी भाषा में पुकारा। ‘तुम इंडिया से हो?’ एक लंबा और सांवला आदमी कमरे के बाहर, तीन अन्य आदमियों के साथ खड़ा था। मुंबई क्राइम ब्रांच के सीनियर अफसर ने मुझे पहले ही इस बात की जानकारी दी थी कि राजन के चार वफादार, मुंबई से बैंकॉक के लिए निकले हैं। वे सभी खुश थे कि राजन हमले में बच गया। फिर वे उनकी दुश्मनी और प्रतिशोध की बात करने लगे। उन सबको लगता था कि अगर ‘नाना’ (राजन) ने दाऊद को मार दिया तो यह देश के लिए बड़ी सेवा होगी। मैंने पहली बार राजन के लिए ‘देशभक्त’ शब्द का इस्तेमाल होते सुना। यह साफ था कि मैं इन चारों की मदद के बिना राजन के कमरे में नहीं जा पाऊंगी। मैंने उन्हें अपनी मंशा जाहिर की और बताया कि थाई पुलिस दरवाजे पर है, ऐेसे में मैं कैसे मिलूंगी? यह सुनकर उनमें से एक व्यक्ति खड़ा हुआ और मुझे साथ आने को कहा। मुझे अंदर ले जाते हुए वह बोला, ‘आप चिंता न करें। नाना यहां भी ताकतवर आदमी हैं। उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए थाई पुलिस को पैसे दिए हैं।’ अस्पताल के कमरे के अंदर एक अधेड़ उम्र का भारी-भरकम आदमी कई मशीनों के तार और ड्रिप में उलझा हुआ लेटा था। असहाय और शांत। राजन ने मुश्किल से अपना चेहरा मेरी ओर किया और मुझे देखने की कोशिश की। मैंने तुरंत अपना परिचय दिया और वह कुछ बुदबुदाया। मैं सुनने के लिए उसकी तरफ झुकी। जब मैंने उसे बताया कि मैं इंडिया टुडे की पत्रकार हूं तो वह मुझसे टूटी-फूटी अंग्रेजी में बोलने लगा। फिर वह मुंबईया मराठी-हिंदी पर आ गया और बोला कि मुझे पूरी कहानी सुनने के लिए उसके ठीक होने का इंतजार करना चाहिए। उसने छत की ओर देखा और उसकी जान बचाने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया। यह ऐसा मौका था जिसे मैं गंवाना नहीं चाहती थी। इतनी दूर आकर भी इंटरव्यू न कर पाना काफी निराशा वाली बात होती, इसलिए मैं सवाल पूछती रही। लेकिन वह इसी बात पर अड़ा रहा कि मैं बस इतना लिखूं कि मैं अस्पताल में उसके कमरे तक पहुंची, लेकिन कोई बात नहीं हुई। मैं निराश होकर बाहर निकलने लगी तो राजन फिर बोला, ‘आप बात समझो न, मैडम। लिखना नहीं जो देखा और सुना। देखो न, अच्छा नहीं होगा। हम सेफ तो आप भी सेफ रहेंगी।’ हवा अचानक तनावपूर्ण हो गई। मैं बाहर आ गई। मैंने शूटआउट के बारे में जानकारी इकट्‌ठी की तो मुझे पता चला कि हमले की रात साढे सात से आठ बजे के बीच सावन कोर्ट स्टेट में आठ लोग एक बड़े केक के साथ पहुंचे। उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड को बताया कि वे डिसूजा (राजन के साथी रोहित वर्मा का नकली नाम) के घर पार्टी में आए हैं। गार्ड ने उन्हें इंतजार करने को कहा तो आठ में से एक व्यक्ति ने उसे बंदूक के ठूंठ से मारकर बेहोश कर दिया। आठ में से चार नीचे रुक गए और बाकी चार फर्स्ट फ्लोर स्थित रोहित वर्मा के फ्लैट पर पहुंचे, जहां राजन भी था। रोहित ने दरवाजा खोला तो चार लोग जबरन अंदर घुस आए और गोलियां चलाने लगे। रोहित को कुछ गोलियां लगीं और उसे बचाने की कोशिश में उसकी पत्नी भी मारी गई। हमलावरों ने उनकी छोटी बच्ची को छोड़ दिया। गोलियों की आवाज सुन घर की मेड कमला बाहर आई तो एक बंदूकधारी ने पूछा, ‘दूसरा आदमी कहां है?’ हमलावरों ने राजन को ढूंढना शुरू किया। अचानक अंधेरे में उन्हें बालकनी से बगीचे में कूदती एक परछाई दिखी। चारों आदमियों ने अंधाधुध गोली चलानी शुरू कर दी, जिससे राजन को एक गोली पेट में और एक दायीं जांघ पर लगी। वह बगीचे में ही पड़ा रहा, जब तक कि हमलावर चले नहीं गए। गिरफ्तारी के बाद... राजन की 25 अक्टूबर 2015 को गिरफ्तारी भारतीय अधिकारियों द्वारा सुनियोजित थी। बाली पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक वह अपनी गिरफ्तारी के लिए पहले ही तैयार था और उसने एक छोटा-सा सूटकेस भी पैक कर रखा था। उसने मुस्कुराते हुए गिरफ्तारी दी। वह खुश नजर आ रहा था, शायद दो दशक बाद घर लौटने की खुशी थी। वहीं छोटा शकील भी गिरफ्तारी से खुश था। उसने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मेरे लड़कों ने फिजी में फंसा दिया था। उसे इंडोनेशिया भागने पर मजबूर किया, जिसकी वजह से वह पकड़ा गया, लेकिन हमारी दुश्मनी खत्म नहीं हुई है। जब तक उसे मार नहीं देते, मैं आराम नहीं करूंगा।’ कई लोगों का मानना है कि दाऊद और राजन की एक्सपायरी डेट निकल चुकी है और वे उन्हें बढ़ावा देने वालों के काम के नहीं रहे। राजन की गिरफ्तारी शायद पहला कदम है। राजन और दाऊद दोनों का जीना-मरना एक दूसरे से जुड़ा हुआ लगता है। तकनीकी रूप से राजन की गिरफ्तारी से अंडरवर्ल्ड में उसका किस्सा खत्म हो गया है। छोटा शकील शकील से मेरी 1994 से काफी बातें होती रही हैं। एक बार उसने गुस्से में फोन किया। उसने पूछा, ‘ये सईद अंसारी कौन है? उसका नंबर दें आप!’ मैंने शकील को शांत करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना। ‘मुझे अंसारी को बताना है कि वह मेरे बारे में कैसे बोले? आपका सम्मानीय चैनल मेरे लिए कैसी भद्दी भाषा का इस्तेमाल करता है।’ मैंने उसे बताया कि अंसारी एंकर हैं और स्क्रिप्ट कोई और लिखता है। आप बताएं क्या समस्या है। उसने जवाब दिया, ‘गली का चोर, मवाली और शर्ट के बटन खुले... ये सब भाषा आपके चैनल को शोभा देती है?’ शकील ने कभी अंडरवर्ल्ड डॉन या ‘भाई’ कहे जाने पर आपत्ति नहीं ली, लेकिन उसे चोर या मवाली कहलाना पसंद नहीं था। 14 सितम्बर 2000 को छोटा शकील ने एक अंग्रेजी अखबार को फोन कर डी कंपनी की तरफ से अपने कट्‌टर प्रतिद्वंद्वी छोटा राजन को बैंकॉक में मारने की जिम्मेदारी ली थी। दाऊद दाऊद की बेटी की शादी में उसे आमने-सामने देखना मेरे जीवन का महत्वपूर्ण पल था। जब मैंने लगभग गंजे, स्थूलकाय आदमी को देखा, जिसकी लटकती हुई मोटी मूंछें थीं, तो उसे देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि यह दुनिया के सबसे खतरनाक लोगों में से एक है। लुकआउट नोटिस जारी होने के बावजूद, बेटी की शादी में उसकी मौजूदगी दुबई में उसकी पहुंच और प्रभाव का जीता-जागता उदाहरण थी।

 

 

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दुनिया को अलविदा कह गए 'वनबंधु' के संपादक एस. के. कौल

'वनबंधु' पत्रिका के संपादक एस. के. कौल का दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया। वह 98 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।

Last Modified:
Thursday, 28 March, 2024
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'वनबंधु' पत्रिका के संपादक एस. के. कौल का दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया। वह 98 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। स्वास्थ्य में कुछ सुधार हुआ, तो एक महीने से अधिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से घर लाया गया था।

लेकिन अचानक फिर से अस्वस्थ होने पर उन्हें अस्पताल में दोबारा भर्ती कराया गया। उन्होंने 26 मार्च, 2024 को सुबह 10:30 बजे अपने परिवार और दोस्तों के बीच अंतिम सांस ली।

कौल भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनका छह दशकों का लंबा और शानदार करियर रहा। उन्होंने 1956 में 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के साथ अपना करियर शुरू किया। बाद में उन्होंने 'द स्टेट्समैन', 'द हिंदू' और 'द इंडियन एक्सप्रेस' सहित कई प्रमुख प्रकाशनों के संपादक के रूप में कार्य किया।

कौल एक बेहतरीन लेखक भी थे। उन्होंने राजनीति, इतिहास और संस्कृति सहित विभिन्न विषयों पर कई किताबें लिखीं। उनकी सबसे उल्लेखनीय कृतियों में "द मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया" और "इंडिया: ए बायोग्राफी" शामिल हैं।

पत्रकारिता और साहित्य में उनके योगदान के लिए कौल को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका था। वह राज्य सभा के सदस्य भी रह चुके थे।

कौल का निधन भारतीय मीडिया इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्हें पत्रकारिता और साहित्य में उनके अतुलनीय योगदान के लिए याद किया जाएगा।


 

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एमपी कांग्रेस के मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव, मुकेश नायक होंगे अध्यक्ष

लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस ने मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव किया है। मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा को उनके पद से हटाकर नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Last Modified:
Thursday, 28 March, 2024
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लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस ने मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव किया है। मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा को उनके पद से हटाकर नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह अब मीडिया विभाग के सलाहकार होंगे। पूर्व मंत्री मुकेश नायक मीडिया विभाग का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, नौ मुख्य प्रवक्ता सहित 21 प्रवक्ताओं की नई टीम बनाई गई है। विधानसभा चुनाव से पहले एसडीएम पद से इस्तीफा देकर चर्चा में आईं निशा बांगरे को भी पार्टी ने जिम्मेदारी दी है। वह अब मुख्य प्रवक्ता होंगी। बदलाव को लेकर जारी किया गया यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया विभाग का पुनर्गठन किया है। केके मिश्रा के लंबे अनुभव को देखते हुए उन्हें मीडिया सलाहकार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठेंगे और मीडिया से जुड़े मामलों में समन्वय का काम देखेंगे।

मीडिया विभाग में उपाध्यक्ष के पद को समाप्त करते हुए मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किए गए हैं। युवा कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष विवेक त्रिपाठी को अब प्रदेश कांग्रेस की टीम में शामिल किया गया है, तो विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस की सदस्यता लेने वाली रोशनी यादव को स्थान दिया गया है।

मुख्य प्रवक्ता

भूपेंद्र गुप्ता, मृणाल पंत, शैलेंद्र पटेल, कुणाल चौधरी, विपिन वानखेड़े, विनय सक्सेना, निशा बांगरे, रोशनी यादव और अब्बास हफीज।

प्रवक्ता

डॉ. अशोक मर्सकोले, बैजनाथ कुशवाहा, रवि सक्सेना, अमित शर्मा, राम पांडेय, जितेंद्र मिश्रा, मिथुन अहिरवार, रवि वर्मा, फरहाना खान, आरपी सिंह, स्वदेश शर्मा, संगीता शर्मा, अवनीश बुंदेला, राजकुमार केलू उपाध्याय, योगेश यादव, विवेक त्रिपाठी, अपराजिता पांडेय, संतोष गौतम, आनंद जाट, अभिनव बरोलिया, स्पर्श चौधरी, अवनी बंसल और रीना बोरासी।

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दालों की कीमतों पर अटकलबाजी के आरोप में इस यूट्यूब चैनल पर कार्रवाई का आदेश

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने दिल्ली पुलिस को एग्री वर्ल्ड के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 27 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 27 March, 2024
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मुंबई स्थित यूट्यूब चैनल 'एग्री वर्ल्ड' (Agriworld) पर कार्रवाई का आदेश दिया गया है। बिजनेस न्यूज पोर्टल 'मनीकंट्रोल' के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने दिल्ली पुलिस को 'एग्री वर्ल्ड' के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। 'एग्री वर्ल्ड' पर दालों की कीमतों पर अटकलबाजी करने का आरोप है।

रिपोर्ट की मानें तो कीमतों में अटकलबाजी से जमाखोरी बढ़ने की आशंका है। वहीं, सरकार का सख्त आदेश है कि एजेंसियां दालों की कीमतों पर अटकलबाजी न करें। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होगी। दाल की जमाखोरी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आदेश न मानने पर सख्त कार्रवाई होगी।

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अमर उजाला ने शुरू किया ‘सत्ता का संग्राम’, देशभर में मतदाताओं की टटोलेगा नब्ज

यह चुनावी रथ 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय करेगा। बुधवार को उत्तर प्रदेश के कैराना और राजस्थान के अलवर से इसकी शुरुआत भी हो गई।

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Published - Wednesday, 27 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 27 March, 2024
Satta Ka Sangram

देश के प्रमुख पब्लिकेशंस में शुमार ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) ने आम चुनाव के मद्देनजर देशभर के मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कवायद शुरू कर दी है। इसी के तहत अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' बुधवार से जनता के बीच पहुंच गया। लोकसभा चुनाव के दौरान दो महीने तक अमर उजाला इस चुनावी रथ के साथ विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मतदाताओं के बीच जाएगा और सीधे उन्हीं से जानेगा कि इस चुनाव में उनके क्या मुद्दे हैं और किन मुद्दों पर वे अपना जनप्रतिनिधि चुनना चाहते हैं?

यह चुनावी रथ 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय करेगा। बुधवार को उत्तर प्रदेश के कैराना और राजस्थान के अलवर से इसकी शुरुआत भी हो गई। इसके बाद यह चुनावी रथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत अलग-अलग राज्यों से गुजरते हुए तकरीबन 150 लोकसभा सीटों को कवर करेगा।

हर दिन जानेगा नई लोकसभा सीट का मिजाज: अमर उजाला का यह चुनावी रथ हर रोज नई लोकसभा सीटों पर जाएगा। इस दौरान संबंधित लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं से चाय पर चर्चा होगी। अनौपचारिक बातचीत में जनता के मुद्दों, उनकी समस्याओं पर चर्चा होगी। रथयात्रा युवाओं के बीच जाएगी, जहां उनकी समस्याओं और उम्मीदों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही नए भारत के नए मतदाताओं की सपनों की उड़ान को पंख कैसे लगेंगे, इस पर भी चर्चा होगी।

हर शाम विशेष राजनीतिक चर्चा: नेता और उम्मीदवार किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, जनता उन्हें ही क्यों वोट दे? ऐसे सवालों के जवाब हर शाम होने वाली चुनावी चर्चा में नेताओं से जानेंगे। आप भी अमर उजाला के इस मंच से जुड़ सकते हैं।

यह होगा खास: 'सत्ता का संग्राम' के तहत अमर उजाला हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। इसके जरिये आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश से जुड़े मुद्दों को उठा पाएंगे। अमर उजाला आपको एक मंच दे रहा है। यहां आप अपनी बात रख सकेंगे ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दें भी याद रहें।

इस विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे : amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर 'सत्ता का संग्राम' से जुड़े कार्यक्रम लाइव देखे जा सकेंगे। 'सता का संग्राम' से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।

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‘शांतनु गुहा रे: एक अच्छे इंसान बहुत जल्दी चले गए’

‘काउंसिलेज इंडिया’ (Counselage India) के मैनेजिंग पार्टनर सुहेल सेठ ने वरिष्ठ पत्रकार शांतनु गुहा रे को श्रद्धांजलि देते हुए उनसे जुड़ी यादों को शेयर किया है।

Last Modified:
Tuesday, 26 March, 2024
Suhel Seth

सुहेल सेठ।।

होली रंगों का त्योहार है, जहां जीवंतता होती है और वसंत के आगमन पर उत्सव मनाया जाता है, लेकिन वर्ष 2024 की होली की शुरुआत ऐसी नहीं हुई। दरअसल, इस दिन हमने शांतनु गुहा रे को खे दिया, जो न सिर्फ अच्छे पत्रकार थे, बल्कि एक दोस्त और प्रशंसक भी थे।    

मैं पहली बार शांतनु गुहा रे से कई साल पहले एक डिबेट में मिला था, जो हम बिजनेस टुडे के लिए करते थे, जिसकी परिकल्पना संजय नारायण और आर सुकुमार की जोड़ी ने की थी। डिबेट के बाद वह मेरे पास आए और मुझसे बांग्ला में बात करने लगे। उन दिनों मैं सिगार पीता था और हम दोनों इस बारे में बातें करने लगे। वह खानपान के काफी शौकीन थे और हमने इस बात पर काफी चर्चा की कि दिल्ली में अच्छा बंगाली खाना कहां मिलेगा। इसके अलावा हमने दुर्गा पूजा पर भी बात की। उन्होंने बताया कि वह हर साल दिल्ली में दुर्गा पूजा मनाते हैं। उन्हें यह भी याद था कि मैंने कई दशक पहले कोलकाता में एशियन पेंट्स के लिए भरत पुरी के नेतृत्व में शरद सम्मान पुरस्कार का प्रबंधन किया था।

उस वर्ष बाद में मुझे उनका एक संदेश मिला जिसमें उन्होंने मुझे चितरंजन पार्क में अपने यहां पूजा के लिए आमंत्रित किया था। यहां उन्होंने गर्मजोशी से स्वागत कर हम सभी का दिल जीत लिया। तब से हम हमेशा संपर्क में थे और विभिन्न मुद्दों पर काफी चर्चा करते थे। कई साल बाद शांतनु ने मुझे यह कहने के लिए बुलाया कि उन्होंने अभी-अभी 'टारगेट' (TARGET) नामक एक किताब लिखी है और इसके बारे में विस्तार से बताया। यह इस बारे में थी कि पी. चिदंबरम और रमेश अभिषेक की तत्कालीन सरकार ने जिग्नेश शाह को कैसे परेशान किया था। उस समय चिदम्बरम और अभिषेक दोनों सत्ता में थे और शांतनु ने मुझसे पूछा कि क्या मैं पुस्तक की प्रस्तावना लिखने को तैयार हूं। मुझे हां कहने में कोई समय नहीं लगा और कुछ देर के भीतर उन्होंने मुझे पांडुलिपि ईमेल कर दी। इस पुस्तक के माध्यम से ही मुझे खोजी पत्रकारिता के प्रति शांतनु गुहा की गहरी प्रतिबद्धता का पता चला, जो उस व्यक्ति की तरह ही सारगर्भित और प्रासंगिक भाषा में लिखी गई थी। पुस्तक का विमोचन ‘द इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में किया गया और बांग्ला समाज से जुड़े तमाम लोग यहां मौजूद थे।

व्यावसायिक तौर पर ऐसा बहुत कम था जो हम कर सकते थे या साथ मिलकर कर सकते थे, लेकिन मेरे मन में उस व्यक्ति की नैतिकता और दृढ़ता के प्रति हमेशा काफी सम्मान रहा।  मेरे लिए वह हमेशा ऐसे व्यक्ति थे, जो जीवन से प्यार करता था;  दोस्तों के प्रति जिनमें काफी स्नेह था और जीवन ने जिन्हें दूसरों की मदद करने का अवसर प्रदान किया। अपने निधन के साथ वह अपने पीछे मित्रों का एक समूह, अपने साथ काम करने वाले सहकर्मियों की एक लंबी लिस्ट और ऐसे लोग जो प्रिंट में उनके हर शब्द पर भरोसा करते थे, को छोड़ गए हैं। इसके अलावा वह अपने पीछे अपनी पत्नी और प्यारी बेटी छोड़ गए हैं, जिसकी हाल ही में उन्होंने कोलकाता के बाहर एक पुरानी बाड़ी में धूमधाम से शादी की थी।

वह न सिर्फ अपनी पत्रकारिता के लिए याद किए जाएंगे, बल्कि खानपान के बारे में उनकी अच्छी जानकारी और अच्छे सिगार की पहचान के लिए भी उन्हें काफी याद किया जाएगा। इसके अलावा हर पूजा के बाद भेजे जाने वाले भोग, गिफ्ट्स के साथ-साथ दोस्तों के लिए चाय और मुगलई पराठों के लिए भी शांतनु हमेशा याद आएंगे। अपनी मानवता, अच्छाई और भद्रता के लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे।

(यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक ‘काउंसिलेज इंडिया’ (Counselage India) के मैनेजिंग पार्टनर हैं।)

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नहीं रहे जाने-माने पत्रकार और लेखक शांतनु गुहा रे

इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग से लेकर बिजनेस, खेल और मानवीय रुचि की स्टेरीज समेत तमाम विधाओं में उन्हें महारत हासिल थी।

Last Modified:
Monday, 25 March, 2024
Shantanu Guha Ray

जाने-माने पत्रकार और लेखक शांतनु गुहा रे का 25 मार्च को निधन हो गया है। ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) और ‘व्हार्टन स्कूल’ (Wharton School) के विद्यार्थी रहे शांतनु गुहा रे विभिन्न विषयों में अपने गहन ज्ञान और लेखन के लिए जाने जाते थे। इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग से लेकर बिजनेस, खेल और मानवीय रुचि की स्टेरीज समेत तमाम विधाओं में शांतनु गुहा रे को महारत हासिल थी।

शांतनु गुहा रे को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 25 साल से अधिक का अनुभव था। पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें तमाम प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका था। इनमें क्रिकेट में उनके लेखन के लिए प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड, भारत में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों पर उनकी रिपोर्टिंग के लिए लाडली पुरस्कार और पानी से संबंधित मुद्दों पर उनके काम के लिए WASH पुरस्कार आदि शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में वह सेंट्रल यूरोपियन न्यूज (Central European News) के साथ जुड़े हुए थे और बतौर एशिया एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।   

उनकी बड़ी स्टोरीज में वर्ष 2011 का कोयला घोटाला और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण व जीएमआर के नेतृत्व वाली दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के बीच जमीन के पट्टे के सौदे में अनियमितताएं से जुड़ी रिपोर्टिंग शामिल रही हैं।

संजय गुहा रे के निधन पर ‘एनडीटीवी’ के सीईओ संजय पुगलिया समेत तमाम जानी-मानी हस्तियों ने शोक जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है।

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चुनावी ड्यूटी में लगे पत्रकार भी कर सकेंगे पोस्टल बैलेट से मतदान, जारी हुई अधिसूचना

हालांकि, इस सुविधा का लाभ वही मीडियाकर्मी उठा सकेंगे, जिनका मीडिया कवरेज पास चुनाव आयुक्त द्वारा जारी किया जाएगा। इसके लिए इन पत्रकारों को एक फॉर्म भरना होगा।

Last Modified:
Friday, 22 March, 2024
Postal Ballot

चुनाव आयोग ने पिछले दिनों देश में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। देशभर में 19 अप्रैल से एक जून तक सात चरणों में मतदान होगा। इसके साथ ही चार राज्यों- ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।

सिक्किम और अरुणाचल को छोड़कर बाकी के नतीजे चार जून को आएंगे। वहीं, इन दोनों राज्यों में दो जून को नतीजे आएंगे। इस बीच मतदान को लेकर पत्रकारों के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है।

दरअसल, चुनाव आयोग ने मतदान के दिन अपने मतदान केंद्र से दूर चुनावी ड्यूटी में लगे पत्रकारों को पोस्टल बैलेट यानी डाक-मत पत्र के जरिये अपना वोट डालने की अनुमित प्रदान कर दी है। यानी, चुनाव ड्यूटी में लगे सभी अधिकृत मीडिया कर्मी जिस जगह पर कार्यरत हैं, वहां पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डाल सकेंगे। चुनाव आयोग ने इसे लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है।

इसके लिए मतदान के पूर्व आवेदन करना होगा। निर्वाचन कार्यालय द्वारा डाक मतपत्र जारी किया जाएगा और वे घर से मतदान कर सकेंगे। हालांकि, इस सुविधा का लाभ वही मीडियाकर्मी उठा सकेंगे, जिनका मीडिया कवरेज पास चुनाव आयुक्त द्वारा जारी किया जाएगा। इसके लिए इन पत्रकारों को एक फॉर्म भरना होगा। इस फॉर्म को संबंधित निर्वाचन क्षेत्र से अथवा इंटरनेट से प्राप्त किया जा सकता है।

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दुनिया को अलविदा कह गए जाने-माने पत्रकार जफर आगा

जफर आगा ने वर्ष 1979 में ‘लिंक’ (Link) मैगजीन के साथ एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और 45 वर्षों से अधिक समय तक इस पेशे में सक्रिय रहे।

Last Modified:
Friday, 22 March, 2024
Zafar Agha

जाने-माने पत्रकार और ‘नेशनल हेराल्ड’ (National Herald) के एडिटर-इन-चीफ रहे जफर आगा का शुक्रवार को निधन हो गया है। वह करीब 70 साल के थे। जफर आगा कई दिनों से गंभीर निमोनिया और छाती के संक्रमण से पीड़ित थे। उन्हें वसंतकुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 22 मार्च की सुबह करीब 5.30 बजे उनका निधन हो गया।

जफर आगा ने वर्ष 1979 में ‘लिंक’ (Link) मैगजीन के साथ एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और 45 वर्षों से अधिक समय तक इस पेशे में सक्रिय रहे।

इस दौरान उन्होंने ‘पैट्रियट’ और ‘पॉलिटिकल ऑब्जर्वर‘ के साथ-साथ  ‘इंडिया टुडे‘, ‘ईटीवी‘ और ‘इंकलाब डेली‘ में वरिष्ठ पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद वह ‘नेशनल हेराल्ड’ समूह के जुड़े रहे। यहां उन्होंने पहले ‘क़ौमी आवाज़’ के संपादक के रूप में और बाद में  ’नेशनल हेराल्ड’ के प्रधान संपादक के रूप में अपनी भूमिका निभाई।

उन्होंने वर्ष 2017 तक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के आयोग के सदस्य और बाद में कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

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इस बार इन पत्रकारों के सिर सजा प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड का ताज

केंद्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुख्य आतिथ्य में दिल्ली में 19 मार्च 2024 को आयोजित एक कार्यक्रम में इन विजेताओं के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 20 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 20 March, 2024
Ramnath Goenka Awards

पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए हर साल दिए जाने वाले प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स (Ramnath Goenka Excellence in Journalism Awards) के विजेताओं की लिस्ट में पर्दा उठ गया है। दिल्ली में 19 मार्च 2024 को आयोजित एक कार्यक्रम में इन विजेताओं के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। दिल्ली में सरदार पटेल मार्ग स्थित आईटीसी मौर्या होटल में 19 मार्च की शाम करीब छह बजे से आयोजित अवॉर्ड वितरण समारोह में केंद्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान इंडियन एक्सप्रेस के चीफ एडिटर राजकमल झा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि इस बार रामनाथ गोयनका अवॉर्ड के लिए 1313 आवेदन प्राप्त हुए थे, जो कि 18 साल का रिकार्ड है। उन्होंने कहा कि यह वह दौर है कि जब लोग पत्रकारों की चिंता तक नहीं करते हैं।

इन पुरस्कारों के लिए निर्णायक मंडल में रिटायर्ड जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के डीन और संस्थापक कुलपति प्रोफेसर सी राजकुमार, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस वाई कुरैशी और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) केजी सुरेश शामिल रहे। ये पुरस्कार हर साल तमाम श्रेणियों में दिए जाते हैं, जिनमें हिंदी, क्षेत्रीय भाषाएं, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी रिपोर्टिंग, व्यवसाय और आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, क्षेत्रीय भाषाएं, फीचर लेखन, राजनीति और सरकार पर रिपोर्टिंग आदि शामिल हैं।

जिन पत्रकारों को इस बार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया है, उनमें प्रिंट हिंदी कैटेगरी में कीर्ति दुबे (बीबीसी हिंदी) और आनंद चौधरी (इंडिया टुडे);  रीजनल लैंग्वेज कैटेगरी में शबीथा एमके (मातृभूमि डेली) और आनंद मधुसूधन सोवडी (कन्नडा प्रभा डेली); अनकवरिंग इनविसिबल इंडिया कैटेगरी में मोनिका झा (FiftyTwo.in) और रूपसा चक्रवर्ती (द इंडियन एक्सप्रेस); इनवायरमेंट और साइंस कैटेगरी में जयश्री नंदी (हिंदुस्तान टाइम्स) और आयुष तिवारी व बसंत कुमार (न्यूजलॉन्ड्री) को यह अवॉर्ड दिया गया।

इसके साथ ही बिजनेस और इकोनॉमिक जर्नलिज्म कैटेगरी में आदित्य कालरा व स्टीव स्टेकलॉ (रॉयटर्स) और त्वेश मिश्रा (द इकोनॉमिक टाइम्स); इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कैटेगरी में देवेश कुमार अरुण गोंडेन (लोकसत्ता) और जोया हुसैन व हीरा रिजवान (टीआरटी वर्ल्ड); रिपोर्टिंग ऑन गवर्नमेंट एंड पॉलिटिक्स कैटेगरी में रितिका चोपड़ा (द इंडियन एक्सप्रेस) और प्रज्ज्वल बिष्ट (द न्यूज मिनट); स्पोर्ट्स जर्नलिज्म कैटेगरी में महेंदर सिंह मनराल व मिहीर वसवदा (द इंडियन एक्सप्रेस) और एंड्रीयू अमसन (द इंडियन एक्सप्रेस); फोटो जर्नलिज्म कैटेगरी में गुरिंदर ओसान (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) और अभिनव साहा (द इंडियन एक्सप्रेस) को इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड से नवाजा गया।

वहीं, फॉरेन करेसपॉन्डेंट कवरिंग इंडिया कैटेगरी में जोआना स्लेटर और निहा मसिह (द वॉशिंगटन पोस्ट); फीचर राइटिंग कैटेगरी में वंदना मेनन (द प्रिंट) और राज चेंगप्पा (इंडिया टुडे); सिविक जर्नलिज्म कैटेगरी में विनोद कुमार मेनन (मिड डे) और अजीफा फातिमा, बालकृष्णा गणेशन व प्रज्ज्वल बिष्ट (द न्यूज मिनट); नॉन फिक्शन बुक्स कैटेगरी में विजय गोखले (द लॉन्ग गेम) और राहुल रामगुनदम (द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ जॉर्ज फर्नांडिस); ब्रॉडकास्ट-एनवायरमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिपोर्टिंग कैटेगरी में प्रिंसेस गिरी राशिर, ईस्ट मोजो, टीम-डाउन टू अर्थ को यह अवॉर्ड मिला।

इनके अलावा ब्रॉडकास्ट हिंदी कैटेगरी में जुगल पुरोहित (बीबीसी हिंदी) और हर्देश जोशी (न्यूजलॉन्ड्री); ब्रॉडकास्ट–रिपोर्टिंग ऑन पॉलिटिक्स एंड गवर्नमेंट कैटेगरी में टीम ब्रूट इंडिया और अभिषेक भल्ला (indiatoday.com); ब्रॉडकास्ट-रीजनल लैंग्वेज कैटेगरी में सोफिया बिंद (मीडिया वन टीवी) और तेजस वैद्य (बीसीसी न्यूज गुजराती); ब्रॉडकास्ट- अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल कैटेगरी में विष्णुकांत तिवारी (द क्विंट) और विकास त्रिवेदी (बीबीसी न्यूज, हिंदी); ब्रॉडकास्ट इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग कैटेगरी में मेघनाद बोस (द क्विंट) और सौरभ शुक्ला (एनडीटीवी) को यह अवॉर्ड दिया गया।

गौरतलब है कि रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स की शुरुआत ‘एक्सप्रेस’ समूह ने अपने संस्थापक रामनाथ गोयनका के जन्मशताब्दी वर्ष पर हुए समारोहों के दौरान वर्ष 2006 में की थी। प्रत्येक वर्ष ‘रामनाथ गोयनका अवार्ड’ का आयोजन उन पत्रकारों को सम्मानित करने के लिए किया जाता है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में साहस, उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हैं और अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन से भारतीय पत्रकारिता जगत को एक नया मुकाम देते हैं। इस अवॉर्ड के तहत प्रत्येक विजेता को एक ट्रॉफी और एक लाख रुपए दिए जाते हैं।

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दुनिया को अलविदा कह गए ‘यूनीवार्ता’ के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी

जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘यूनीवार्ता’ (Univarta) के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी का निधन हो गया है। करीब 70 वर्षीय अरुण केसरी ने रविवार की शाम गाजियाबाद में वसुंधरा स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।

Last Modified:
Monday, 18 March, 2024
Arun Kesari

जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘यूनीवार्ता’ (Univarta) के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी का निधन हो गया है। करीब 70 वर्षीय अरुण केसरी ने रविवार की शाम अपने आवास पर अंतिम सांस ली।  

वह गाजियाबाद जिले के वसुंधरा स्थित यूएनआई अपार्टमेंट में रहते थे। अरुण केसरी पिछले दो दिनों से मामूली रूप से अस्वस्थ थे और रविवार को उनका निधन हो गया। अरुण केसरी के परिवार में पत्नी, पुत्री और दो पुत्र हैं।

बता दें कि अरुण केसरी ने वर्ष 1982 में ‘यूनीवार्ता’ की शुरुआत से ही इस एजेंसी में अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी थीं। वह ‘यूनीवार्ता’ के पटना ब्यूरो के प्रमुख भी रहे। ‘यूनीवार्ता’ से पहले उन्होंने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ (Hindusthan Samachar) में भी अपनी सेवाएं दी थीं।

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