भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ में टेलीविजन के माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए पैनलिस्ट की एक सूची जारी रही है
भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ में टेलीविजन के माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए पैनलिस्ट की एक सूची जारी रही है। प्रदेश पदाधिकारी के तेज-तर्रार नेताओं को टीवी डिबेट में पार्टी का पक्ष रखने के लिए अधिकृत किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने मीडिया टीवी पैनलिस्ट की घोषणा की है। बता दें कि इस सूची में 38 सदस्यों को शामिल किया गया है। वहीं प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप की ओर से यह लिस्ट जारी की गई है, जिसे आप यहां देख सकते हैं-
पत्रकार शशिकांत वारिशे की दुर्घटना में मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है
पत्रकार शशिकांत वारिशे की दुर्घटना में मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि सुबह जिसके खिलाफ रिपोर्ट लिखी, दोपहर को उसी की गाड़ी की टक्कर से पत्रकार की मौत हो गई।
घटना महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के राजापुर कोदवली की है। सोमवार दोपहर 1 बज कर 15 मिनट पर राजापुर कोदवली के पास पेट्रोल पंप के सामने तेजी से आती हुई महिंद्रा थार गाड़ी से पत्रकार की स्कूटी को टक्कर मार दी, जिसमें पत्रकार बुरी तरह जख्मी हो गए। इलाज के लिए उन्हें कोल्हापुर के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान मंगलवार को उनकी मौत हो गई।
पत्रकार शशिकांत वारीशे की उम्र 48 साल थी और वह मराठी अखबार ‘महानगरी टाइम्स’ में कार्यरत थे। पत्रकार शशिकांत ने अपने अखबार में 6 फरवरी की सुबह जमीन के कारोबार से जुड़े पंढरीनाथ आंबेरकर के खिलाफ खबर प्रकाशित की थी।
आरोप है कि इसी से नाराज होकर पंढरीनाथ ने अपनी जीप से शशिकांत की स्कूटी को टक्कर मार दी। हालांकि, पुलिस ने अभी मामले में हत्या का नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी पंढरीनाथ आंबेरकर को गिरफ्तार कर लिया है।
मंत्रालय अनि विधिमंडल वार्ताहर संघ (एमएवीवीएस) और मुंबई मराठी पत्रकार संघ (एमएमपीएस) ने पत्रकार वारिशे की मौत पर शोक भी जताया और घटना की जांच की मांग की है।
पत्रकार वारीशे ने रत्नागिरि रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड से जुड़ी खबरों को कवर कर रहे थे और कुछ दिनों पहले ही रत्नागिरी रिफाइनरी परियोजना पर खुलासा किया था। शशिकांत वारिशे रिफाइनरी परियोजना के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों में से एक थे। वहीं, पंढरीनाथ रिफाइनरी समर्थक है। आरोपी पंढरीनाथ के खिलाफ कुछ एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें उन पर आरोप है कि वे रत्नागिरि के रिफाइनरी प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले आंदोलनकारियों को धमकाते हैं और रिफाइनरी के समर्थन में आने का निर्देश देते हैं। उन्हीं पर पत्रकार ने मराठी अखबार ‘महानगरी टाइम्स’ में एक खबर लिखी थी, जिसका शीर्षक था- ‘पीएम, सीएम और डिप्टी सीएम के बैनर पर गंभीर गुनाह के आरोपी की तस्वीर’
वहीं, कोंकण रिफाइनरी विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष अशोक वालम ने भी आरोप लगाया है कि पत्रकार वारिशे की हत्या कोई हादसा नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या थी। वालम ने मामले की गहन जांच और कड़ी कार्रवाई की भी मांग की है।
पंढरीनाथ आंबेरकर को पुलिस ने इस मामले में एक संदिग्ध आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया है और उसे 7 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
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वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिंतक और विचारक स्व.कृष्ण किशोर पाण्डेय (केके पाण्डेय) की स्मृति में रविवार को दिल्ली स्थित ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा में पत्रकारिता जगत की तमाम हस्तियों, राजनीतिज्ञों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और केके पाण्डेय के परिजनों समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और उन्हें याद किया।
बता दें कि केके पाण्डेय दिल्ली से प्रकाशित दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में करीब पांच दशक तक कार्यरत रहे थे। इस दौरान उन्होंने विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाई। वह करीब नौ साल तक इस अखबार के संपादकीय पृष्ठ के प्रभारी भी रहे। इस दौरान उन्होंने अनुभवी व वरिष्ठ लेखकों के साथ-साथ नवोदित पत्रकारों को भी काफी बढ़ावा दिया। अपने स्कूली जीवन से ही प्रतिभाशाली रहे केके पाण्डेय ने दर्जनों लेख लिखे थे।
‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष उमाकत लखेड़ा ने केके पाण्डेय के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें विद्वान, मनीषी व समर्पित पत्रकार बताया। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन, उर्मिलेश, विनोद वार्ष्णेय, विवेक शुक्ला, अवधेश कुमार, रास बिहारी, एसएन सिन्हा, डॉ. सुशील दत्त, अशोक किंकर, संगीता शर्मा, अमरेंद्र किशोर, प्रवीण कुमार, मनोज मिश्र और कमलेश पाण्डेय आदि ने भी केके पाण्डेय को श्रद्धांजलि देते हुए उनसे जुड़ी यादें शेयर कीं।
श्रद्धांजलि सभा में पूर्व सांसद महाबल मिश्रा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चतर सिंह, दिल्ली भोजपुरी समाज के अध्यक्ष अजीत दुबे समेत तमाम गणमान्य लोग मौजूद थे। संचालन प्रेम प्रकाश ने किया। केके पाण्डेय के सुपुत्र अजय पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए स्व. पाण्डेय की स्मृति में एक ट्रस्ट स्थापित करने की घोषणा की। श्रद्धांजलि सभा में मौजूद पत्रकारों ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए भरसक सहयोग करने का आश्वासन भी दिया।
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जाने-माने पत्रकार नचिकेता देसाई का निधन हो गया है। रविवार को उन्होंने अहमदाबाद स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। करीब 72 वर्षीय नचिकेता देसाई लंबे समय से कैंसर समेत स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं से जूझ रहे थे।
महात्मा गांधी के निजी सचिव रहे महादेव देसाई के पौत्र और गांधीवादी स्कॉलर नारायण देसाई के पुत्र नचिकेता देसाई ने पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1978 में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ की थी। अपने करीब 45 वर्ष के करियर में उन्होंने प्रिंट के साथ-साथ इलेक्ट्रोनिक मीडिया के कई जाने-माने प्रतिष्ठानों के साथ काम किया था। इसके अलावा वह अहमदाबाद और कई अन्य जगहों पर तमाम मास कम्युनिकेशन संस्थानों में विजिटिंग फैकल्टी भी रहे थे।
इस साल जनवरी में, एक पुस्तक ‘Mahadev Desai: Mahatma Gandhi's Frontline Reporter’ जिसका उन्होंने संपादन किया था, साबरमती आश्रम में जारी की गई थी। नचिकेता देसाई का अंतिम संस्कार रविवार की शाम थलतेज स्थित अहमदाबाद के अंतिम धाम श्मशान घाट पर किया गया। नचिकेता देसाई के परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है।
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जाने-माने फिल्म पत्रकार रऊफ अहमद (Rauf Ahmed) का निधन हो गया है। रऊफ अहमद लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्होंने रविवार को मुंबई में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है।
बता दें कि रऊफ अहमद ‘सुपर’, ‘फिल्मफेयर’, ‘स्क्रीन’, ‘मूवी’ और ‘जी प्रीमियर’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के संपादक रह चुके थे। इसके अलावा वह ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘जी टेलीफिल्म्स’ के साथ भी जुड़े रहे थे।
90 के दशक के मध्य में रऊफ अहमद लोकप्रिय फिल्म मैगजीन ‘फिल्मफेयर’ (Filmfare) के करीब छह साल तक एडिटर रहे थे। इस पद पर रहते हुए वह ‘फिल्म फेयर अवॉर्ड्स’ से भी जुड़े रहे और इस शो के फॉर्मेट को बदलकर उसे और ज्यादा समकालानी बनाने का श्रेय उन्हें ही जाता है।
‘फिल्मफेयर’ को जॉइन करने से पहले रऊफ अहमद ‘सुपर’ (Super) और ‘मूवी’ (Movie) नाम की मैगजींस निकालते थे, जिन्हें गपशप के बजाय गहराई से कवरेज के लिए जाना जाता था।
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जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘एशियन न्यूज इंटरनेशनल’ (ANI) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर सुरिंदर कपूर का शनिवार को निधन हो गया है। ‘एएनआई’ की फाउंडिंग टीम के सदस्य रहे सुरिंदर कपूर करीब 70 साल के थे।
उनका अंतिम संस्कार पांच फरवरी की अपराह्न करीब तीन बजे दिल्ली में लोधी रोड श्मशान घाट पर होगा। इससे पहले सुरिंदर कपूर की पार्थिव देह को आरके पुरम स्थित ‘एएनआई’ के ऑफिस लाया जाएगा, ताकि स्टाफ के सदस्य व अन्य लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकें। सुरिंदर कपूर के परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं।
सुरिंदर कपूर का जन्म 20 फरवरी 1952 को हुआ था। उन्होंने ‘एएनआई’ के चेयरमैन प्रेम प्रकाश के साथ काम किया था और बतौर फोटो जर्नलिस्ट कई प्रमुख असाइनमेंट्स को कवर किया था।
‘एएनआई’ की एडिटर-इन-चीफ स्मिता प्रकाश ने सुरिंदर कपूर के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक ट्वीट भी किया है। अपने ट्वीट में स्मिता प्रकाश ने लिखा है, ‘सुरिंदर कपूर का निधन एएनआई के लिए काफी बड़ी क्षति है। वह हमारे दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक थे। आज भी वह स्टूडियो और न्यूज रूम में सक्रिय थे और तमाम पत्रकारों व फोटोग्राफर्स के लिए मार्गदर्शक थे। ओऊम शांति।’
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— Smita Prakash (@smitaprakash) February 4, 2023
केवल सात मिनट और 40 सेकेंड में 195 देशों के झंडे (फ्लैग) देखकर बताए उन देशों, उनकी राजधानी और महाद्वीप के नाम
प्रतिभा उम्र और संसाधनों की मोहताज नहीं होती। अपनी प्रतिभा के बल पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गुरुग्राम के अजिंक्य राम मोहन ने यह पूरी तरह साबित कर दिया है। दरअसल, महज चार साल सात महीने की छोटी सी उम्र में अजिंक्य ने 29 जनवरी 2023 को सिर्फ सात मिनट और 40 सेकंड में 195 देशों के झंडे (फ्लेग) देखकर उन देशों, उनकी राजधानी और महाद्वीप के नाम बताकर विश्व रिकॉर्ड बना लिया है।
गुरुग्राम के द श्रीराम स्कूल, अरावली में पढ़ने वाले अजिंक्य के इस विश्व रिकॉर्ड को ‘ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ (OMG Book Of Records) और ‘इंटरनेशनल टैलेंट ऑफ रिकॉर्ड्स’ (International Talent Book Of Records) द्वारा दर्ज किया गया है। छह जून 2018 को जन्मे अजिंक्य की बचपन से ही मार्डन हिस्ट्री और इंटरनेशनल रिलेशन में गहरी रुचि रही है। फुटबॉल खेलने के साथ ही अजिंक्य को अपना पसंदीदा यूट्यूब चैनल देखना, डांस करना और साइकिल चलाना काफी पसंद है।
दरअसल, लॉकडॉउन के दौरान अजिंक्य ने यूट्यूब चैनल्स पर एजुकेशनल वीडियो देखना शुरू किया था और यहां जो भी वह सीखता, उसे परिजनों के साथ शेयर करता था। इसके बाद अजिंक्य के माता-पिता ने उसकी बातों को रिकॉर्ड कर फेसबुक पर अपलोड करना शुरू कर दिया। परिजनों के साथ ही दोस्तों और अन्य लोगों ने भी अजिंक्य की इस प्रतिभा को पहचानते हुए उसे काफी सराहा, जिससे उसे आगे बढ़ने का मौका मिला।
अब अजिंक्य के नाम महज सात मिनट और 40 सेकंड में झंडे देखकर उन देशों, उनकी राजधानी और महाद्वीप के नाम सबसे तेजी से बताने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। यह उपलब्धि हासिल करने वाले अजिंक्य दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए हैं।
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लखनऊ की जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को 28 महीने बाद जेल से रिहाई मिल गई। वह गुरुवार की सुबह जेल से रिहा हुए। बता दें कि 23 दिसंबर को हाई कोर्ट से सिद्दीकी कप्पन को सशर्त जमानत मिली थी।
जेल से रिहा होने के बाद सिद्दीकी कप्पन ने कहा कि मैं 28 महीने बाद जेल से बाहर आया हूं। मुझे सपोर्ट करने के लिए मैं मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मुझ पर झूठे आरोप लगाए गए। मैं अब बाहर आकर खुश हूं।
दो मामलों में सशर्त जमानत मिलने के एक महीने से अधिक समय बाद लखनऊ की एक विशेष अदालत ने कप्पन की रिहाई के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं।
कप्पन को जिन शर्तों पर जमानत मिली है, उसमें कहा गया है कि वह दिल्ली में जंगपुरा पुलिस के अधिकार क्षेत्र में रहेंगे और निचली अदालत की स्पष्ट अनुमति के बिना दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ेंगे। कप्पन प्रत्येक सोमवार को स्थानीय पुलिस थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे और यह शर्त अगले छह सप्ताह के लिए लागू होगी। वह छह सप्ताह के बाद केरल जाने के लिए स्वतंत्र होंगे, लेकिन उन्हें प्रत्येक सोमवार को वहां के स्थानीय पुलिस थाने में रिपोर्ट करनी होगी। साथ ही वहां बनाए गए रजिस्टर में अपनी हाजिरी दर्ज करनी होगी। कप्पन कोर्ट की ओर से दी गई स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेंगे और विवाद से जुड़े किसी भी व्यक्ति से संपर्क नहीं करेंगे।
हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पीएमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने कप्पन को एक-एक लाख रुपए की दो जमानतें और इसी धनराशि का मुचलका दाखिल करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
कप्पन की ओर से गत 9 जनवरी को जमानतनामे कोर्ट में दाखिल किए गए थे। इस पर कोर्ट ने जमानतदारों की हैसियत का सत्यापन कराए जाने का आदेश दिया था। बुधवार को जमानतदारों व उनके द्वारा दाखिल दस्तावेजों का सत्यापन हो गया, जिस पर कोर्ट आरोपी को रिहा करने का आदेश दे दिया।
बुधवार शाम को कप्पन के जेल से बाहर निकलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें रिहा नहीं किया जा सका क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम पर विशेष अदालत के न्यायाधीश बार काउंसिल के चुनाव में व्यस्त थे।
उल्लेखनीय है कि सिद्दीकी कप्पन को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, , जब वह उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे थे, जहां कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद 20 वर्षीय एक दलित लड़की की मौत हो गई थी। यूपी सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत केरल के पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी को वर्ष 2023 का 'हिंदी गौरव अलंकरण' सम्मान देने की घोषणा की गई है। 'मातृभाषा उन्नयन संस्थान' द्वारा मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य में 19 फरवरी को इंदौर में होने वाले अलंकरण समारोह में प्रो. द्विवेदी को यह अवॉर्ड दिया जाएगा। प्रो. द्विवेदी के साथ प्रख्यात साहित्यकार एवं इतिहासविद् डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित को भी 'हिंदी गौरव अलंकरण' अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा।
'मातृभाषा उन्नयन संस्थान' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' के अनुसार, अलंकरण का यह चौथा वर्ष है। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए 'मातृभाषा उन्नयन संस्थान' द्वारा प्रतिवर्ष दो हिंदी साधकों को 'हिंदी गौरव अलंकरण' से विभूषित किया जाता है। इस अलंकरण में चयनित विभूतियों की दो श्रेणी हैं। एक हिंदी साहित्य और दूसरी हिंदी पत्रकारिता। चयन समिति द्वारा वर्ष 2023 के लिए डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित के हिंदी साहित्य एवं प्रो. संजय द्विवेदी के हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए 'हिंदी गौरव अलंकरण' प्रदान किए जाने की घोषणा की गई है।
बता दें कि प्रो. संजय द्विवेदी देश के प्रख्यात पत्रकार, मीडिया प्राध्यापक, अकादमिक प्रबंधक एवं संचार विशेषज्ञ हैं। डेढ़ दशक से अधिक के अपने पत्रकारिता करियर के दौरान वह विभिन्न मीडिया संगठनों में अहम जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके हैं। प्रो. द्विवेदी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के प्रभारी कुलपति भी रहे हैं। वह कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर में पत्रकारिता विभाग के संस्थापक अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
प्रो. द्विवेदी वर्तमान में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे की सोसायटी एवं गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हैं। वह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा; विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन; मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद एवं असम विश्वविद्यालय, सिलचर के 'बोर्ड ऑफ स्टडीज' के सदस्य हैं।
राजनीतिक, सामाजिक और मीडिया के मुद्दों पर उनके 3000 से ज्यादा लेख विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने 32 पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है। वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा अनुमोदित शोध पत्रिकाओं 'कम्युनिकेटर' एवं 'संचार माध्यम' के प्रधान संपादक हैं। प्रो. द्विवेदी 'राजभाषा विमर्श' एवं 'संचार सृजन' के प्रधान संपादक तथा 'मीडिया विमर्श (त्रैमासिक)' के मानद सलाहकार संपादक भी हैं। मीडिया के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें अब तक तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवादी संगठनों के साथ संदिग्ध संबंध रखने के मामले में केरल में छह पत्रकारों से पूछताछ की है।
बताया जा रहा है कि एनआईए की हैदराबाद टीम ने दूसरे दिन केरल में अपने कोच्चि कार्यालय में आतंकवादी संगठनों के साथ संदिग्ध संबंध रखने के मामले में छह मीडियाकर्मियों से पूछताछ की थी। ये मीडियाकर्मी पिछले कई महीनों से एनआईए की जांच के दायरे में थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन छह पत्रकारों से पूछताछ की गई, वह कथित तौर पर उत्तरी केरल के युवाओं को आतंकवादी संगठनों में भर्ती कराने का काम कर रहे थे। एनआईए ने अपने दावे को पुख्ता करने के लिए पत्रकारों से डिजिटल सबूत भी हासिल किए हैं।
बताया जा रहा है कि इन पत्रकारों ने पूछताछ में सहयोग नहीं किया है। हालांकि, जब एनआईए की टीम ने उन्हें उनके कनेक्शन को लेकर डिजिटल सबूत दिखाए, तो वे ठीक से जवाब नहीं दे पाए। इन पत्रकारों से एनआईए द्वारा फिर से पूछताछ किए जाने की संभावना है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल के 12 और पत्रकार आतंकवादी संगठनों के साथ अपने संबंधों के लिए एनआईए की जांच के दायरे में हैं। आने वाले दिनों में इनमें से कुछ पत्रकारों से एनआईए द्वारा पूछताछ किए जाने की संभावना है।
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वरिष्ठ पत्रकार एस.पी.के. गुप्ता का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया। वह 92 साल के थे। उनके परिजनों ने मीडिया को इसकी जानकारी दी।
गुप्ता निमोनिया से पीड़ित थे। वह दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे। अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम श्वांस ली।
प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के लिए मॉस्को संवाददाता समेत विभिन्न भूमिकाओं में 38 साल तक उन्होंने काम किया। पीटीआई में विभिन्न पदों पर गुप्ता 1952 से 1990 तक भारत और मॉस्को में कार्यरत रहे। उन्होंने एजेंसी के ब्यूरो प्रमुख और दिल्ली में इसके विदेश संपादक के रूप में कार्य किया था। गुप्ता के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटे हैं।
आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्मे गुप्ता ने कई किताबें लिखीं, जिनमें ‘इन क्वेस्ट ऑफ पैनेशिया’, ‘एपोस्टल जॉन एंड गांधी’, ‘ए रीथ फॉर डॉक्टर रामैय्या’, ‘समारा संवादी’ और ‘द राइज एंड एकलिप्स ऑफ द सोवियत सिविलाइजेशन’ शामिल हैं। पीटीआई में उन्हें पीकेजी के नाम से जाना जाता था।
वहीं उनके भतीजे उन्नी मेनन ने मीडिया को बताया कि वह एक संस्था और एक उत्कृष्ट रिपोर्टर थे। पत्रकार के रूप में 1981 से 1988 के बीच पीटीआई में काम कर चुके मेनन ने कहा, ‘पिछले महीने जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने मुझे बताया कि वह अब भी कम से कम दो किताबों पर काम कर रहे हैं और चिंतित थे कि उनका समय खत्म हो रहा है।’
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