आईआईएमसी में आयोजित 'शुक्रवार संवाद' में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा विषय पर अपने विचार व्यक्त किए
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (आईआईएमसी) द्वारा शुक्रवार को 'शुक्रवार संवाद' (Friday Dialogue) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के पूर्व अध्यक्ष आलोक मेहता ने ‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। आलोक मेहता का कहना था,‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए। यह मार्ग कांटों भरा भले ही हो, लेकिन यदि आपके पास पूरे तथ्य और प्रमाण हैं और आपको अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी है, तो आपको बेबाक होकर अपनी बात रखनी चाहिए।’
मेहता ने कहा कि पत्रकारिता करते समय किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं रखना चाहिए। मौजूदा दौर में अधिकतर लोग जिम्मेदारी से अपना काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं लोग अपनी लक्ष्मण रेखा को पार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में आचार संहिता का सख्ती से पालन किया जाता है, लेकिन भारत में अब तक हम आचार संहिता को अनिवार्य रूप से लागू करने में सफल नहीं हो पाए हैं।
मेहता ने युवा पीढ़ी के पत्रकारों को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें ध्यान रखना होगा कि वे सदैव सुनने को तैयार रहें। दूसरों को भी सुनिए। आप लोगों के प्रति पूर्वाग्रह न रखिए। धर्म, जाति आदि का उल्लेख करने से बचिए। अपराधी की कोई धर्म या जाति नहीं होती। एक व्यक्ति के कारण पूरे समुदाय को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। पहले लिखा जाता था कि दो समुदायों के बीच कोई मामला हुआ, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आप इतनी सावधानी तो बरत ही सकते हैं कि किसी वर्ग और समुदाय को चोट न पहुंचे।
उनका कहना था कि पत्रकार अपनी आचार संहिता स्वयं तय कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं, यहीं से गड़बड़ होती है। मीडिया को अपने अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।’
आलोक मेहता के अनुसार, ‘मीडिया को पारदर्शिता भी बरतनी होगी। आप यदि पत्रकारिता का पेशा चुनते हैं तो आपको भविष्य का ख्याल रखना होगा। आपको देखना होगा कि आने वाली पीढ़ियों को क्या मिलेगा। पत्रकारिता के मूल्यों का पालन कीजिए। आप ऐसे लिखिए कि लोगों को लगे कि यदि अमुक व्यक्ति ने लिखा है तो सही लिखा होगा। मीडिया का काम समाज में निराशा पैदा करना नहीं है।’
कार्यक्रम में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे। आईआईएमसी के डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह ने आलोक मेहता का स्वागत किया। डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विकास पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार ने किया।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में शनिवार शाम एक पत्रकार की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना करक पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र के भीतर बथानी खेल क्षेत्र में हुई।
डॉन न्यूज की एक रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक की पहचान स्थानीय अखबार Sada-e-lawaghir के संयुक्त संपादक वसीम आलम के रूप में हुई है।
पीड़िता की मां की ओर से दर्ज रिपोर्ट के अनुसार, आलम पर यह हमला तब हुआ, जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहा था। उसे बथानी खेल स्थित एक सरकारी स्कूल के पास निशाना बनाया गया। बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
करक पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। इस हमले में संदिग्ध के तौर पर मृतक के पिता का नाम भी सामने आया है।
डॉन के मुताबिक, वसीम आलम के पिता न तो अस्पताल में मौजूद थे और न ही अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। अधिकारी ने आगे कहा कि वसीम आलम अपने परिवार से अलग रह रहे थे। हालांकि पत्रकार की मां ने एफआईआर में किसी का नाम नहीं लिया है।
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमें अब तक कोई भी ऐसा सुराग नहीं मिला है जिससे पता चलता है कि पत्रकार की हत्या पत्रकारिता के काम के लिए की गई है।’
बता दें कि दुनिया में पत्रकारों के लिए पाकिस्तान सबसे खतरनाक जगहों में से एक माना जाता है। काउंसिल ऑफ पाकिस्तान न्यूजपेपर एडिटर्स (CPNE) की मीडिया फ्रीडम रिपोर्ट 2020 के मुताबिक, पिछले साल पेशेवर जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए कम से कम 10 पत्रकारों की हत्या कर दी गई और कई अन्य को धमकी दी गई, कुछ का अपहरण किया गया, प्रताड़ित किया गया और गिरफ्तार किया गया था।
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वयोवृद्ध पत्रकार जी.एन. श्रीनिवासन का सोमवार को तमिलनाडु के मायलापुर में उनके बेटे के घर पर निधन हो गया। उन्होंने साल 1953 से 30 साल तक अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ को अपना योगदान दिया।
दोस्तों के बीच उन्हें जीएनएस के नाम से जाना जाता था। उन्होंने अक्टूबर 2020 में अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया।
उनकी बेटी संध्या रवि मोहन ने कहा कि श्रीनिवासन की आयु से संबंधित बीमारियों से मृत्यु हुई है। वे अंत तक अपने काम को लेकर सक्रिय रहे। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनके पिताजी ने पूर्व मुख्यमंत्री कामराज, एम. करुणानिधि और एम.जी. रामचंद्रन का साक्षात्कार किया और उनके साथ यात्रा भी की थी। उन्होंने 1976 में स्थापित सरकारिया आयोग की कार्यवाही को भी कवर किया था, जिसे लेकर उनकी संतुलित रिपोर्टिंग की सराहना भी की गई थी।
श्रीनिवासन ने त्रिपलीकेन स्थित ‘द हिन्दू हाई स्कूल’ से अध्ययन किया और पचायप्पा कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
जीएनएस ने अपने करियर की शुरुआत की ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ से स्टेनोग्राफर के तौर पर शुरू की थी। बाद में वे यहां रिपोर्टर बन गए थे। इसके बाद में उन्होंने ‘द हिन्दू’ जॉइन किया और सबसे पहले 1953 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की चेन्नई यात्रा को कवर किया। ‘द हिन्दू’ से रिटायर होने के बाद, उन्होंने पांच साल तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के साथ कानूनी संवाददाता के तौर पर काम किया। जीएनएस ने मद्रास रिपोर्टर्स गिल्ड के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के रूप में भी अपना योगदान दिया है।
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तमाम उपलब्धियों के बीच वह अगस्त 2019 में ‘FCB Worldwide’ (Foote, Cone & Belding) बोर्ड, न्यूयॉर्क के मेंबर नियुक्त किए गए थे।
DraftFCB+ Ulka के चेयरमैन एमरेटस (Chairman Emeritus) अनिल कपूर का निधन हो गया है। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। वह ‘एफसीबी-उलका’ (FCB-Ulka) ग्रुप के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ (former Managing Director & CEO) थे। तमाम उपलब्धियों के बीच वह अगस्त 2019 में ‘FCB Worldwide’ (Foote, Cone & Belding) बोर्ड, न्यूयॉर्क के मेंबर नियुक्त किए गए थे।
अनिल कपूर को याद करते हुए ‘आईपीजी मीडियाब्रैंड्स’ (IPG Mediabrands) के सीईओ शशि सिन्हा का कहना है, ‘वह मेरे मार्गदर्शक और मित्र से भी बढ़कर थे, जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में काफी मदद की। इस दुख की भरपाई नहीं की जा सकती है। दुख की इस घड़ी में मैं पीड़ित परिवार के साथ हूं और भगवान से पीड़ित परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।’
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उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में आजतक के पत्रकार शिवनंदन साहू का निधन हो गया है। कौशाम्बी जिले के दारानगर नगर पंचायत के रहने वाले शिवनंदन साहू को बुखार और सांस लेने में दिक्कत के कारण जिला अस्पताल, मंझनपुर में भर्ती करवाया गया था।
यहां उपचार के बाद साहू को प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल रेफर किया गया था, जहां शनिवार शाम को अस्पताल के बाहर ही उनकी मौत हो गई। शिवनंदन साहू के निधन पर तमाम लोगों ने दिवंगत आत्मा को सद्गति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार कपिल दत्ता का शुक्रवार सुबह दिल्ली के एक अस्पताल में कोरोना की वजह से निधन हो गया। बताया जा रहा है कि वह करीब 10 दिन पहले कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आ गए थे, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के विमहंस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उपचार के दौरान उन्हें निमोनिया हुआ और शुक्रवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
मीडिया के उनके सहकर्मियों ने यह जानकारी दी। नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष पंकज पराशर ने कहा कि दत्ता को हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
दुखद समाचार
— Pankaj Parashar (@PANKAJPARASHAR_) April 9, 2021
नोएडा के वरिष्ठ पत्रकार श्री कपिल दत्ता का कोविड के चलते निधन हो गया है। श्री दत्ता लंबे समय से अंग्रेजी पत्रकारिता से जुड़े रहे। इस समय हिंदुस्तान टाइम्स और पीटीआई के लिए अपनी सेवाएं दे रहे थे।
भगवान उनकी आत्मा को शांति दें और परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति। pic.twitter.com/Z14Zs8NWyk
नोएडा मीडिया क्लब ने एक बयान में कहा, ‘वरिष्ठ पत्रकार और एक अच्छे इंसान कपिल दत्ता सर का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। आज सुबह उनकी मृत्यु हो गई। भगवान उनके परिवार और दोस्तों को इस नुकसान को सहने की ताकत दें। वह हम में से कई लोगों के लिए पिता तुल्य थे।’
बता दें कि कपिल दत्ता 65 वर्ष के थे और करीब 3 दशकों से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में रिपोर्टिंग कर रहे थे। वह अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के लंबे अरसे से संवाददाता थे और आज कल पीटीआई से जुड़े हुए थे। कपिल दत्ता के निधन से दिल्ली-एनसीआर के पत्रकारों में शोक की लहर है। सोशल मीडिया के जरिए तमाम लोग शोक संदेश जारी कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है-
नोएडा के वरिष्ठ पत्रकार श्री कपिल दत्ता का निधन हमारे जनपद की अपूरणीय क्षति है।दो दशकों से मेरा उनसे संपर्क रहा और समय समय पर उन्होंने स्थानीय शिक्षा संस्थानों पर लगातार रिपोर्ट लिखीं जो की हिंदुस्तान टाइम्स में छपती रहीं। उन के इस असामयिक निधन पर शोक संतप्त परिवार को संवेदनाएं । https://t.co/772PFGNn9l
— HARIVANSH CHATURVEDI (@directorBIMTECH) April 9, 2021
He was like a father figure to me. He advised me to join Noida team as I was in HT Gurugram then. He was always helpful, affectionate and polite. Everyone in Noida used to say only one thing about him- he is a real gentleman. I’m extremely sad to hear this..?? https://t.co/hkyUZl12h2
— vinod rajput (@vinodrajputs) April 9, 2021
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शुक्रवार की देर रात लखनऊ में एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली।
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजीव मित्तल का निधन हो गया है। उन्होंने शुक्रवार की देर रात लखनऊ में एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजीव मित्तल को कई वर्षों से अस्थमा की समस्या थी। पत्रकारिता में 35 वर्ष से अधिक समय तक सक्रिय रहे राजीव मित्तल हिंदुस्तान, नई दुनिया, सहारा, जनसत्ता, दैनिक जागरण, अमर उजाला आदि अखबारों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे। वह 15 साल से भी ज्यादा समय तक संपादक रहे।
राजीव मित्तल के निधन पर तमाम लोगों ने दिवंगत आत्मा को सद्गति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
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युवती के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपित मुंबई के न्यूज एंकर वरुण हिरेमथ (28) को 9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने राहत देते हुए गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की। कोर्ट ने ये राहत इस शर्त पर दी है कि जब भी जरूरत होगी, वे पुलिस जांच में शामिल होंगे।
बता दें कि हिरेमथ की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली की एक अदालत ने गैरजमानती वारंट (NBW) जारी किया था। साथ ही पुलिस ने वरुण की गिरफ्तारी के लिए इनाम की घोषणा करने का भी फैसला किया था और इस संबंध में मंजूरी के लिए एक फाइल दिल्ली पुलिस मुख्यालय भेजी गई है।
वहीं इससे पहले मार्च में दिल्ली की एक अदालत ने वरुण की अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दी थी। पुलिस ने उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LoC) जारी कर दिया था, जिसके तहत उन्हें देश छोड़ने से रोक दिया गया था। बता दें कि दिल्ली के चाणक्यपुरी थाने में दर्ज एफआईआर में एक युवती ने आरोप लगाया था कि एक अंग्रेजी न्यूज चैनल में कार्यरत वरुण हिरेमथ उसे दोस्ती के नाम पर दिल्ली के एक होटल में ले गया था और उसके साथ रेप किया।
यह भी पढ़ें: युवती ने न्यूज एंकर पर लगाया गंभीर आरोप, दर्ज कराई FIR
अपनी शिकायत में करीब 22 वर्षीय इस युवती का कहना है कि वह पुणे में कॉलेज के दिनों से वरुण को करीब तीन सालों से जानती है। मामले के सामने आने के बाद से ही वरुण फरार हैं।
वरुण हिरेमठ के खिलाफ आईपीसी सेक्शन 376 (रेप के लिए सजा), सेक्शन 342 (गलत तरह से बंदी बनाने की सजा) और 509 (महिला की गरिमा का अपमान करने के शब्द या हरकत) के तहत चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ था।
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महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में एक पत्रकार का अपहरण और हत्या की चौंकाने वाली घटना सामने आई है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी कि राहुरी नगर में स्थानीय साप्ताहिक अखबार के एक पत्रकार का कथित तौर पर अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई।
राहुरी पुलिस थाने के उपनिरीक्षक गणेश शेलके ने बताया कि 49 वर्षीय रोहिदास दातिर का मंगलवार दोपहर कॉलेज रोड इलाके से अपहरण कर लिया गया, जहां वह अपने दोपहिया वाहन से जा रहे थे और बाद में देर रात उसी जगह से उनका शव मिला जिसपर चोट के कई निशान थे।
अधिकारी ने बताया कि दातिर राहुरी में एक साप्ताहिक अखबार निकालता था। उन्होंने कहा कि वह एक आरटीआई कार्यकर्ता भी था।
उन्होंने बताया कि अपहरण के बाद एक मामला दर्ज किया गया और दातिर की तलाश शुरू की गई।
अधिकारी ने बताया कि एक संदिग्ध की पहचान की गई है और यह हमला पुरानी दुश्मनी का नतीजा लगता है। उन्होंने बताया कि मामले में आगे की जांच जारी है।
रोहिदास दतिर, अहमदनगर जिले के राहुरी में एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स और विजिलेंट जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष थे। रोहिदास की पत्नी ने राहुरी पुलिस स्टेशन में अपहरण का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर आरोपी और वाहन की तलाश शुरू की थी। हालांकि, मंगलवार आधी रात के आसपास कॉलेज रोड पर रोहिदास दतिर का शव मिला था। पहली नजर में बताया गया कि उसके सिर पर पत्थर फेंककर मारा गया था।
रोहिदास दतिर ने राहुरी तालुका में कई घटनाओं की कवरेज की थी और कई लोगों को न्याय दिलाने का काम किया। कुछ मामले औरंगाबाद कोर्ट में लंबित हैं। रोहित दक्ष पत्रकार संघ के संस्थापक व अध्यक्ष थे और आरटीआई के माध्यम से कई भ्रष्टाचारों को उजागर किया था।
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जानी-मानी शिक्षाविद व वरिष्ठ पत्रकार फातमा जकरिया का महाराष्ट्र के औरंगाबाद में मंगलवार को निधन हो गया। वे 85 वर्ष की थीं।
वह मौलाना आजाद न्यास की अध्यक्ष थीं। मौलाना आजाद कॉलेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फातमा का मंगलवार शाम निधन हो गया। उन्होंने बताया कि फातमा का पिछले सप्ताह से यहां एक अस्पताल में इलाज चल रहा था।
फातमा जकरिया लेखन और पत्रकारिता में बड़ा नाम रहे रफीक जकरिया की पत्नी और पत्रकार फरीद जकरिया की मां थीं।
फातिमा जकारिया एक भारतीय महिला पत्रकार हैं। वे दैनिक अखबार ‘मुंबई टाइम्स’ और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के शुक्रवार डेस्क की संपादक रह चुकी हैं। इसके अतिरिक्त वे ताज होटल की आंतरिक पत्रिका ‘ताज’ की भी संपादक रह चुकी हैं। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।
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यूपी के हाथरस में दलित लड़की के साथ हुई रेप और हत्या के मामले में दंगों की साजिश रचने के आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन पर UAPA के तहत चार्जशीट दायर किया है। हाथरस में हुए रेप और हत्या के मामले में यूपी एसटीएफ की एक टीम दंगों की साजिश की जांच कर रही थी, जिसको लेकर अब यूपी एसटीएफ ने मथुरा कोर्ट को 5 हजार पेज की चार्जशीट सौंपी है। इस चार्जशीट में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के अलावा छह और लोगों का नाम शामिल है।
दायर की गई इस चार्जशीट में PFI और उससे जुड़े संगठन के 8 आरोपितों के नाम हैं, जिनमें सिद्दीकी कप्पन, अतीकुर्रहमान, मसूद अहमद, रउफ शरीफ, असद बदरुद्दीन, फिरोज, दानिश का नाम शामिल है। मामले की अगली 1 मई 2021 को निर्धारित की गई है।
इस चार्जशट में यूपी पुलिस की ओर से कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी हाथरस में दंगा भड़काना चाहते थे और उसकी साजिश रच रहे थे। चार्जशीट के अनुसार सिद्दीकी कप्पन ने ही दंगों की साजिश रची थी और पीएफआई मेंबर रउफ शरीफ इन दंगों की फंडिंग के लिए काम कर रहा था।
5000 पन्नों की चार्जशीट में पीएफआई के सदस्यों पर मस्कट और दोहा में वित्तीय संस्थानों से 80 लाख रुपए की धनराशि प्राप्त करने का आरोप लगाया गया है।
चार्जशीट दायर होने के बाद आरोपियों के वकील मधुवन चतुर्वेदी ने कहा कि हमें अभी तक चार्जशीट की कॉपी नहीं मिली है। जैसे ही हमें कॉपी मिलती है तो हम उसको देखेंगे और फिर आगे की कार्रवाई करेंगे।
दिल्ली में रहने वाले सिद्दीकी कप्पन मलयालम पोर्टल अजीमुखम के लिए काम करते थे। कप्पन केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के सचिव भी थे। पुलिस ने कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था और राजद्रोह के आरोप भी लगाए थे।
मूल रूप से केरल के रहने वाले पत्रकार सिद्दीकी कप्पन पिछले साल दलित लड़की के साथ हुई रेप की वारदात के बाद घटना को रिपोर्ट करने के लिए हाथरस जा रहे थे। तभी मथुरा में ही यूपी पुलिस ने सिद्दीकी कप्पन और उनके साथियों को आतंकवाद निरोधी कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने कहा था कि ये लोग हाथरस में दंगा फैलाने की कोशिश कर रहे थे। साथ ही पुलिस ने यह भी कहा था कि गिरफ्तार किए गए आरोपी प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के सदस्य हैं।
बता दें कि हाथरस में दलित लड़की के साथ हुई रेप की घटना के बाद यूपी सरकार की काफी आलोचना हुई थी। प्रशासन ने हाथरस मामले में बेहद ही असंवेदनशील तरीके से कार्रवाई की थी। जब हाथरस पीड़िता की मौत दिल्ली के अस्पताल में हो गई थी तो पुलिस ने परिवारवालों को बिना बताए ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। इतना ही नहीं जब विपक्षी दलों के कई नेता पीड़िता के परिवार वालों से मिलने जा रहे थे तो उनके साथ भी मारपीट की गई थी।
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