आईआईएमसी में आयोजित 'शुक्रवार संवाद' में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा विषय पर अपने विचार व्यक्त किए
‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (आईआईएमसी) द्वारा शुक्रवार को 'शुक्रवार संवाद' (Friday Dialogue) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार और ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के पूर्व अध्यक्ष आलोक मेहता ने ‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। आलोक मेहता का कहना था,‘पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को पवित्र मानकर उसका पालन कीजिए। यह मार्ग कांटों भरा भले ही हो, लेकिन यदि आपके पास पूरे तथ्य और प्रमाण हैं और आपको अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी है, तो आपको बेबाक होकर अपनी बात रखनी चाहिए।’
मेहता ने कहा कि पत्रकारिता करते समय किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं रखना चाहिए। मौजूदा दौर में अधिकतर लोग जिम्मेदारी से अपना काम कर रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं लोग अपनी लक्ष्मण रेखा को पार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में आचार संहिता का सख्ती से पालन किया जाता है, लेकिन भारत में अब तक हम आचार संहिता को अनिवार्य रूप से लागू करने में सफल नहीं हो पाए हैं।
मेहता ने युवा पीढ़ी के पत्रकारों को आगाह करते हुए कहा कि उन्हें ध्यान रखना होगा कि वे सदैव सुनने को तैयार रहें। दूसरों को भी सुनिए। आप लोगों के प्रति पूर्वाग्रह न रखिए। धर्म, जाति आदि का उल्लेख करने से बचिए। अपराधी की कोई धर्म या जाति नहीं होती। एक व्यक्ति के कारण पूरे समुदाय को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। पहले लिखा जाता था कि दो समुदायों के बीच कोई मामला हुआ, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आप इतनी सावधानी तो बरत ही सकते हैं कि किसी वर्ग और समुदाय को चोट न पहुंचे।
उनका कहना था कि पत्रकार अपनी आचार संहिता स्वयं तय कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं, यहीं से गड़बड़ होती है। मीडिया को अपने अधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए।’
आलोक मेहता के अनुसार, ‘मीडिया को पारदर्शिता भी बरतनी होगी। आप यदि पत्रकारिता का पेशा चुनते हैं तो आपको भविष्य का ख्याल रखना होगा। आपको देखना होगा कि आने वाली पीढ़ियों को क्या मिलेगा। पत्रकारिता के मूल्यों का पालन कीजिए। आप ऐसे लिखिए कि लोगों को लगे कि यदि अमुक व्यक्ति ने लिखा है तो सही लिखा होगा। मीडिया का काम समाज में निराशा पैदा करना नहीं है।’
कार्यक्रम में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे। आईआईएमसी के डीन अकादमिक प्रो. (डॉ.) गोविंद सिंह ने आलोक मेहता का स्वागत किया। डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विकास पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार ने किया।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।अपने दो दशक से भी अधिक के मीडिया सफर में उन्होंने एक से एक बेहतरीन ग्राउंड रिपोर्टिंग और शो किए हैं। सालों तक वह ‘एनडीटीवी‘ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा रही हैं।
जानी-मानी टीवी एंकर और पत्रकार ऋचा जैन कालरा के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। दरअसल, उन्हें ‘Caparo Maruti Limited’ ( Joint Venture Between MSIL and Lord Swaraj Paul Caparo Group) और ’Caparo Engineering India Ltd’ (CEIL) में स्वतंत्र निदेशक चुना गया है।
ऋचा जैन कालरा को उनके लंबे अनुभव और दक्षता को देखते हुए लॉर्ड स्वराज पॉल के ‘Caparo India Group‘ में यह अहम जिम्मेदारी दी गई है। ऋचा जैन कालरा की यह उपलब्धि इस मायने में भी खास है क्योंकि देश में गिने-चुने पत्रकार/एंकर ही खबरों के साथ-साथ कॉरपोरेट की दुनिया में भी खास मुकाम हासिल कर पाते हैं।
अपने दो दशक से भी अधिक के मीडिया सफर में उन्होंने एक से एक बेहतरीन ग्राउंड रिपोर्टिंग और शो किए हैं। सालों तक वह ‘एनडीटीवी‘ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान का हिस्सा रही हैं।
पिछले साल उन्होंने डिजिटल की ओर अपने कदम बढ़ाते हुए ‘अच्छी खबर’ (Achchi Khabar) नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की है। ऋचा इस चैनल की फाउंडर और सीईओ हैं। इस चैनल पर दर्शकों को ऐसी कहानियों से रूबरू करवाया जाता है, जो न सिर्फ सकारात्मक होती हैं, बल्कि लोगों के जीवन में एक नए उत्साह और उमंग को भरने का कार्य करती हैं।
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बिहार के जमुई में बेखौफ बदमाशों द्वारा बुधवार को दिनदहाड़े गोली मारकर ‘प्रभात खबर‘ के पत्रकार गोकुल कुमार की हत्या का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोकुल कुमार (35) सिमुलतल्ला थाना क्षेत्र के लीलावरण गांव के रहने वाले थे और प्रभात खबर में रिपोर्टर के पद पर कार्यरत थे।
बताया जाता है कि मोटरसाइकिल सवार पांच हमलावर सुबह से ही गोकुल कुमार (35) के घर के नजदीक रास्ते में घात लगाकर इंतजार कर रहे थे। नाश्ता करने के बाद करीब 11 बजे जैसे ही गोकुल कुमार वहां से गुजरे, बदमाशों ने उन पर नजदीक से गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। बदमाशों ने एक गोली गोकुल कुमार की कनपटी पर, दूसरी सीने में और तीसरी पीठ में मारी।
वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश मौके से फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही पत्रकार के परिजन और पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और घायल गोकुल को इलाज के लिए जमुई के सदर अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने गोकुल कुमार को मृत घोषित कर दिया।
गोकुल के पिता नागेन्द्र यादव का कहना है कि पंचायत चुनाव की रंजिश में उनके बेटे की हत्या की गई है। नागेन्द्र यादव के अनुसार, गोकुल कुमार ने इस बार पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी को मुखिया पद के लिए प्रत्याशी बनाया था, जो विरोधी खेमे को नागवार गुजरा और उन्होंने इस घटना को अंजाम दे दिया। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है और परिजनों ने जिन लोगों पर आशंका जताई है, उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
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‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) एवं ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ द्वारा बुधवार को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के उपलक्ष्य में विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया। ‘विभाजन की विभीषिका’ विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने कहा कि इतिहास में अगर हमसे गलतियां हुईं हैं तो उन गलतियों को सुधारने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है।
उनका कहना था कि वर्ष 1947 में देश बंट गया, लेकिन अब मुल्क नहीं बंट सकता। अब सिर्फ हिंदुस्तान रहेगा और हिंदुस्तान पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा कि कैसे सभी लोग चाहे वे किसी भी धर्म, संप्रदाय के हों, हिंदुस्तान की सरजमीं पर अमन-चैन से रह सकते हैं। यह हिंदुस्तान की जमीन की खूबी है। आज हमारी एक ही पहचान है कि हम भारतीय हैं। हम सभी मिलकर भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि भारत पूरी दुनिया के समक्ष एक मॉडल की तरह है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैं। हम दुनिया को सुख, शांति और वैभव का संदेश देने वाले देश हैं।
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में मुख्यत: विभाजन की पीड़ा को ही व्यक्त किया जाता है, लेकिन आईआईएमसी के इस आयोजन में आज एक गंभीर अकादमिक विमर्श दिखाई दे रहा है, जो एक अनुकरणीय पहल है। उन्होंने बताया कि विभाजन की विभीषिका का एक पहलू यह भी है कि विश्व की इस भयानक त्रासदी की पीड़ा झेलकर भी भारत आने वाले शरणार्थियों ने अपने अंदर मौजूद मानवता की भावना को कम नहीं होने दिया। उनके द्वारा बड़े संख्या में खोले गए स्कूल, आश्रम और अस्पताल इसके उदाहरण हैं।
वरिष्ठ पत्रकार एवं ‘संडे मेल’ के पूर्व संपादक त्रिलोक दीप ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे रावलपिंडी में रहते थे और जब पाकिस्तान बना, उस समय वह करीब 12 साल के थे। उन्होंने बताया कि 1947 में होली के आसपास उन्होंने कुछ धार्मिक नारे सुने, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें अपने घरों में बंद हो जाने को कहा। बाद में बड़ी संख्या में लोगों को दो हफ्ते तक कैंपों में रखा गया। उन्होंने बताया कि इस घटना से उन्हें विभाजन का पूर्वाभास हो गया था। वे यह बताते हुए भावुक हो गए कि पत्रकार होने के नाते कैसे वे आजादी के बाद रावलपिंडी गए और अपने घर और स्कूल भी गए। उन्होंने बताया कि उन्हें उस मुल्क की बहुत याद आती है, उस जमीन की बहुत याद आती है।
वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला ने कहा कि वे एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसने विभाजन का दंश बहुत करीब से देखा और झेला है। उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि पाकिस्तान से सिर्फ हिंदू ही भारत आए, लेकिन ऐसा नहीं है। कांग्रेस विचारधारा पर यकीन रखने वाले कई मुस्लिम भी पाकिस्तान से भारत आए। उन्होंने बताया कि जो शरणार्थी भारत आए, उनका इस देश की अर्थव्यवस्था में आज बहुत बड़ा योगदान है। शरणार्थियों में ज्यादातर व्यवसाय करने वाले लोग थे।
वरिष्ठ लेखक कृष्णानंद सागर ने कहा कि विभाजन एक बहुत बड़ी त्रासदी थी, जिसकी जमीनी वास्तविकता सरकारी आंकड़ों से बहुत अलग है। उन्होंने बताया कि वे ऐसी सैकड़ों दुर्घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी हैं, जहां ट्रेनों में लोगों को काटा गया, गोलीकांड हुए, लोगों को कैंपों में रखा गया और उन्हें वहां कई प्रकार की यातनाएं झेलनी पड़ीं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का जिक्र करते हुए बताया कि पुस्तक में विभाजन की त्रासदी के साक्षी रहे 350 लोगों के साक्षात्कार हैं और पुस्तक चार खंडों में प्रकाशित हुई है।
कार्यक्रम की शुरुआत में फिल्म्स डिवीजन द्वारा देश के विभाजन पर निर्मित एक लघु फिल्म दिखाई गई। कार्यक्रम का संचालन उर्दू पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने दिया।
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वरिष्ठ पत्रकार शिवदास श्रीवत्सन का रविवार को निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे और अपने दोस्तों और पत्रकार मंडलियों में ‘वत्सन’ के नाम से लोकप्रिय थे। बताया जा रहा है कि उन्हें सिर में चोट लगी थी, जिसके बाद उन्हें कोझीकोड के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
श्रीवत्सन के परिवार में उनकी पत्नी रेमा व एक पुत्र दीपक हैं। वह ‘तेलंगाना टुडे’ से एसोसिएट एडिटर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने विजयवाड़ा में ‘डेक्कन क्रॉनिकल’ में स्पोर्ट्स डेस्क से अपना करियर शुरू किया था। ‘द हिंदू’ में स्पोर्ट्स डेस्क में एक कार्यकाल के बाद वे न्यूज एडिटर के रूप में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ कोयंबटूर लौट आए।
एक खेल पत्रकार के तौर पर उन्होंने फिल्मों में भी गहरी रुचि ली। बाद में उन्होंने ‘द हिंदू’ में रहते हुए हैदराबाद आ गए और न्यूज एडिटर का पदभार संभाला। ‘द हिंदू’ के साथ काम करते हुए श्रीवत्सन ने कई जिम्मेदार पदों पर काम किया। वह 2021 में सेवानिवृत्त होने से पहले एसोसिएट एडिटर के रूप में ‘तेलंगाना टुडे’ में शामिल हुए।
उन्होंने दो उपन्यास ‘दि इनर कॉलिंग’ (The Inner Calling) और ‘द कंट्रीसाइड एल्बम’ (The Countryside Album) भी लिखे।
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‘पीटीसी पंजाबी‘ (PTC Punjabi) द्वारा हर साल आयोजित किए जाने वाले टेलीविजन शो ‘वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप’ (Voice Of Punjab Chhota Champ) के सीजन-8 का समापन छह अगस्त को पंजाब के मोहाली में हुआ।
इस साल संगीत के क्षेत्र की यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी अमृतसर के अर्जुन सिंह ने जीती। ‘पीटीसी पंजाबी‘ के मोहाली स्टूडियो में ‘वॉयस ऑफ पंजाब‘ सीजन-8 के ग्रैंड फिनाले में अर्जुन को विजेता घोषित किया गया, साथ ही लुधियाना की मेहकजोत कौर प्रथम उपविजेता और हिमाचल प्रदेश के रहने वाले वंश को द्वितीय उपविजेता घोषित किया गया।
‘पीटीसी नेटवर्क‘ के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष रबिन्द्र नारायण ने अर्जुन सिंह को 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के विजेता की ट्रॉफी प्रदान की। साथ ही उन्होंने सभी फाइनलिस्ट्स और इस सीजन में पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से भाग लेने वाले प्रतिभागियों को उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले, पंजाब के विभिन्न हिस्सों से आए 24 प्रतियोगियों ने इस सीजन में मेगा ऑडिशन में जगह बनाई, जिसमे शीर्ष सात प्रतियोगियों को शो की जूरी द्वारा उनके अद्भुत प्रदर्शन (जो की कई स्तरों से गुजरा) के आधार पर चुना गया था। जैसे-जैसे शो आगे बढ़ा, इसकी यात्रा के दौरान कई प्रतियोगियों को विभिन्न राउंड में बाहर होना पड़ा।
'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के लिए ऑडिशन अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला और मोहाली जिलों में आयोजित किए गए थे। इस सीजन के जजों में मशहूर संगीत निर्देशक सचिन आहूजा, प्रसिद्ध गायक और अभिनेता अमर नूरी, गीतकार और गायक बीर सिंह शामिल थे। कलाकार हशमत सुल्ताना और अफसाना खान द्वार समापन समारोह में शानदार प्रदर्शन किया गया।
इनके अलावा, अतुल शर्मा, गुरमीत सिंह, रविंदर ग्रेवाल, सुरिंदर खान, खान साब, फिरोज खान, सज्जन अदीब, प्रीत हरपाल, ममता जोशी, इंद्रजीत निक्कू और जी खान जैसे कई कलाकार मेहमानों को 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' सीजन 8 के विभिन्न राउंड्स में स्पेशल जज के तौर पर आमंत्रित किया गया था।
बता दें कि यह शो पंजाबी संगीत और फिल्म उद्योग को नई युवा प्रतिभाओं से जोड़ता है, साथ ही युवाओं को उनके सपनों को पूरा करने का अवसर प्रदान करते हुए पंजाबी संस्कृति को भी बढ़ावा देता है। ‘पीटीसी नेटवर्क‘ ने पहली बार 2013 में 'वॉयस ऑफ पंजाब छोटा चैंप' रियलिटी शो की शुरुआत पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत को बढ़ावा देने के अपने उद्देश्य से की थी।
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अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को नामंजूर कर दी। कोर्ट ने इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए पिछली दो अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मलयालम न्यूज पोर्टल ‘अझीमुखम’ के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव कप्पन को अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। कप्पन उस समय हाथरस जिले में 19 साल की एक दलित लड़की की बलात्कार के बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे। उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कप्पन फिलहाल उत्तर प्रदेश की मधुरा जेल में बंद हैं।
गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस जिले के एक गांव में चार लोगों ने 19 साल की एक दलित लड़की से दरिंदगी की थी, उसे गंभीर हालत में दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
पीड़िता के शव को जिला प्रशासन ने आधी रात में ही कथित रूप से मिट्टी का तेल डालकर जलवा दिया था। लड़की के परिजन ने आरोप लगाया था कि जिला प्रशासन ने उनकी मर्जी के बगैर पीड़िता का अंतिम संस्कार जबरन करा दिया।
कप्पन की जमानत याचिका को मथुरा की एक अदालत ने नामंजूर कर दिया था। उसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
यूपी सरकार की ओर से कप्पन पर आरोप लगाया गया है कि वह पीएफआई के एक्टिव सदस्य हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार एवं मलयालम दैनिक अखबार ‘मेट्रो वार्ता’ के प्रधान संपादक आर. गोपीकृष्णन का निधन हो गया है। करीब 65 वर्षीय गोपीकृष्णन पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। रविवार की दोपहर करीब डेढ़ बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं।
गोपीकृष्णन के निधन पर मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन, विपक्ष के नेता वी डी सतीशन, वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्नीथला समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं और पत्रकारों ने शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
गोपीकृष्णन ने दैनिक अखबार ‘दीपिका’ से पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने कोट्टयम और नई दिल्ली में ‘मंगलम‘ के डिप्टी एडिटर के तौर पर काम किया। बाद में उन्होंने ‘केरल कौमुदी‘ दैनिक अखबार के डिप्टी एडिटर की जिम्मेदारी भी संभाली।
गोपीकृष्णन जाने-माने लेखक भी थे। उन्होंने नई दिल्ली में एक सहकर्मी पत्रकार के साथ मिलकर डैन ब्राउन के मशहूर उपन्यास ‘दा विंची कोड’ (Da Vinci Code) का मलयालम भाषा में अनुवाद भी किया था।
वर्ष 1985 और 1988 में उन्होंने केरल सरकार से सर्वश्रेष्ठ पत्रकार का पुरस्कार जीता था। इसके अलावा राजनीतिक रिपोर्टिंग के लिए उन्हें एम शिवराम पुरस्कार, वी करुणाकरण पुरस्कार, के सी सेबेस्टियन पुरस्कार, सी एच मोहम्मद कोया पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
गोपीकृष्णन ने केरल से स्नातक करने के बाद बुल्गारिया में जियोर्गी दिमित्रोव इंस्टीट्यूट ऑफ जनर्लिज्म से पत्रकारिता की पढ़ाई भी की थी।
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बिहार की राजधानी पटना में एक पत्रकार द्वारा खुद को गोली मारकर जान देने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पत्रकार ने एक सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसमें उसने एक महिला पर आत्महत्या के लिए उकसाने समेत कई आरोप लगाए हैं। सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, पटना में खगौल के गाड़ीखाना निवासी विशाल कुमार (32) लंबे समय से पटना के एक दैनिक अखबार में संवाददाता के रूप में काम कर रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विशाल जिस मकान में रहता था, वह मकान वंदना नामक महिला का था, जिससे उसका प्रेम प्रसंग चल रहा था। आरोप है कि वंदना लंबे समय से विशाल को सुसाइड के लिए उकसा रही थी। बताया जाता है कि इस बारे में विशाल ने मेल पर सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसे उसने अपनी बहन के वॉट्सऐप पर भी भेजा है।
इस नोट में विशाल ने लिखा है कि मुझे सुसाइड के लिए वंदना और उसके बच्चों ने उकसाया है। विशाल ने लिखा है, ‘वंदना ने मुझसे कहा कि मैं घर पर लाइसेंसी पिस्टल छोड़कर आई हूं। दम है तो खुदकुशी करके दिखाओ। मैं मां के घर टीवी के सामने बैठी हूं। सभी के साथ बैठकर तुम्हारी मौत की खबर देखूंगी।‘ अपने सुसाइड नोट में विशाल ने यह भी लिखा है कि वंदना और उसने दो अक्टूबर 2020 को शादी कर ली थी। वंदना जदयू नेता है। वंदना का रसूखदारों से संपर्क है, उसने ही अपने पति की भी हत्या कराई थी।
इसके बाद विशाल ने वंदना को कई फोन किए लेकिन उसने नहीं उठाया। वंदना द्वारा कॉल न उठाए जाने के बाद विशाल ने नाराज होकर खुद को गोली मार ली। विशाल द्वारा खुद को गोली मारने की खबर मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे इलाज के लिए दानापुर स्थित एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया। विशाल की गंभीर हालत देखते हुए डाक्टरों ने उसे आईजीआईएमएस रेफर कर दिया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद देर शाम इलाज के दौरान विशाल ने दम तोड़ दिया फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है।
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हरियाणा में रेवाड़ी रेलवे स्टेशन पर दिल्ली की एक महिला पत्रकार के साथ दो स्टेशन मास्टरों द्वारा कथित तौर पर छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। इस मामले में महिला पत्रकार की ओर से एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। अपनी एफआईआर में महिला पत्रकार ने दोनों स्टेशन मास्टरों पर उसे जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी लगाया है। महिला पत्रकार की शिकायत पर पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के पश्चिम एक्सटेंशन निवासी करीब 40 वर्षीय महिला पत्रकार सोमवार को एक पारिवारिक कार्यक्रम के सिलसिले में रेवाड़ी आई थीं। शाम करीब सात बजे वह अपने भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली जाने के लिए रेवाड़ी स्टेशन पर पहुंची थीं। जहां तबियत खराब होने पर उन्हें शौचालय जाने की जरूरत हुई।
महिला पत्रकार का आरोप है जब वह टॉयलेट की ओर गईं तो वहां पर ताला लगा हुआ था। इसके बाद महिला स्टेशन सुपरिंटेंडेंट कार्यालय में टायलेट की चाबी मांगने गई। महिला का आरोप है कि उसने कार्यालय में स्टेशन मास्टर से चाबी मांगी तो उन्होंने टॉयलेट को गंदा किए जाने की बात कहकर चाबी देने से मना कर दिया.
पुलिस को दी गई एफआईआर के मुताबिक महिला पत्रकार का आरोप है कि स्टेशन मास्टर विनय शर्मा और रामावतार ने न केवल उसे शौचालय की चाबी देने से इनकार किया, बल्कि उसके साथ छेड़छाड़ की। विरोध करने पर दोनों आरोपितों ने उसके साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी। यही नहीं, मामले की पुलिस या अन्य किसी से शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी भी दी।
पीड़िता द्वारा यह बताए जाने के बाद कि वह एक पत्रकार है और उनकी शिकायत करेगी, जिस पर दोनों स्टेशन मास्टर आग बबूला हो गए और मारपीट करने पर उतर आए। इसके बाद महिला पत्रकार ने किसी तरह से खुद को दोनों के चंगुल से छुड़ाया और मामले की शिकायत जीआरपी पुलिस से की।
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मध्य प्रदेश में युवती की हत्या के आरोप में फरार चल रहे फर्जी पत्रकार के मामले में नया मोड़ आ गया है। दरअसल, अब आरोपी फर्जी पत्रकार का शव बरामद हुआ है। पुलिस के अनुसार सोमवार को उसका शव तिलवारा घाट के पास पानी में मिला है। बता दें कि करीब दो दिन पूर्व मध्य प्रदेश में हाईवे पर नर्मदा नदी के पुल पर पुलिस को कार में एक युवती का शव बरामद हुआ था। बाद में उसकी पहचान पेटीएम कंपनी की एम्प्लॉयी अनिभा केवट (25) के रूप में हुई थी।
कार की तलाशी में पुलिस को एक पिस्टल, एक कारतूस का खोखा, एक निजी न्यूज चैनल की माइक आइडी भी मिली थी। इसके साथ ही प्रेस लिखा एक परिचय पत्र भी मिला था, जिसमें बादल पटेल निवासी बिलपुरा अंकित है।
आरोप था कि बादल पटेल नामक इस युवक ने अनिभा की हत्या की है और वह युवती के शव को वहां छोड़ गया था। जांच में पुलिस के पता चला था कि अनिभा की हत्या त्रिकोणीय प्रेम संबंधों में की गई है। घटना के बाद से बादल फरार चल रहा था। पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी।
गौरतलब है कि पुलिस ने कुछ महीनों पूर्व इलाके में चल रहे फर्जी पत्रकारों के गिरोह का पर्दाफाश किया था। बादल भी इसी गिरोह का सदस्य था। इस मामले में उसकी गिरफ्तारी भी हुई थी और वह जेल भी गया था। पुलिस के अनुसार, बादल की अनिभा से दोस्ती थी। बादल के जेल जाने के बाद अनिभा की दोस्ती किसी कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत एक युवक से हो गई थी।
जेल से बाहर आने के बाद बादल को जब इस बात का पता चला तो वह भड़क गया और उसने उक्त युवक की पिटाई भी कर दी थी। कुछ दिनों के बाद कंपनी ने उक्त मैनेजर का भोपाल ट्रांसफर कर दिया, इसके बाद भी वह अनिभा के संपर्क में था।
पुलिस के अनुसार, इसी बात से गुस्सा होकर बादल अपने साथ दोस्त की कार में अनिभा को घुमाने की बात कहकर ले गया और गोली मारकर उसकी हत्या करने के बाद फरार हो गया। अब बादल का शव मिलने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल अस्पताल पहुंचाकर मामले की जांच शुरू कर दी है।
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