20 अध्यायों में समाहित यह पुस्तक पूर्ण रूप से मोबाइल पत्रकारिता के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हुई प्रतीत होती है
बदलते तकनीकी परिवेश में इंटरनेट और मोबाइल के आगमन ने पत्रकारिता को बहुत आसान बना दिया है। आज का युग मोबाइल का युग है। मोबाइल, प्रतिदिन नई तकनीक तथा अच्छे माइक्रोफोन व अच्छी क्वालिटी के कैमरा होने के कारण पत्रकारिता के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।
ऐसे समय में जब मोबाइल पत्रकारिता अपनी चरम सीमा पर है, तब डॉ. कुमार कौस्तुभ द्वारा लिखी पुस्तक ‘मोबाइल पत्रकारिता’ प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए उपयोगी है, जो पत्रकारिता से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से संबंध रखता है।
कुल 20 अध्यायों में समाहित यह पुस्तक अपने आप में पूर्ण रूप से मोबाइल पत्रकारिता के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हुई प्रतीत होती है। इस पुस्तक में मोबाइल पत्रकारिता के उद्भव व विकास, मोबाइल पत्रकारिता के प्रयोग, मोबाइल पत्रकारिता के लिए जरूरी संसाधन, लाइव स्ट्रीमिंग, सोशल मीडिया पत्रकारिता व 'हैशटैग' के प्रयोग, 5G से बदलती मोबाइल पत्रकारिता आदि पहलुओं को विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया है।
इस पुस्तक में भारत में कुल इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल उपयोगकर्ता आदि से संबंधित विवरण को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया है। साथ ही मोबाइल पत्रकारिता के लिए जरूरी संसाधन जैसे मोबाइल हैंडसेट, सेल्फी स्टिक, ट्राइपॉड,पावर बैंक, गिंबल, बैकअप, डाटा ट्रांसफर केबल आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। सोशल मीडिया में आमतौर पर मोबाइल पत्रकारिता के लिए जरूरी बातों की भी चर्चा इस पुस्तक में की गई है।
डॉ. कुमार कौस्तुभ द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में मोबाइल पत्रकारिता में फेक न्यूज़, बैड न्यूज़, अच्छी न्यूज़ आदि को बेहतरीन तरीके से समझाया गया है और पुस्तक के अंत में मोबाइल पत्रकारिता के लिए संक्षिप्त मार्गदर्शिका अत्यंत उपयोगी साबित होती है। अतः मैं इस पुस्तक को पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत संवाददाताओं व मीडिया शिक्षकों और छात्रों को पढ़ने की संस्तुति देता हूं।
डॉ. रोशन मस्ताना, सहायक प्रोफेसर, जनसंचार व मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र।
डॉ. कुमार कौस्तुभ द्वारा लिखी पुस्तक ‘मोबाइल पत्रकारिता’ का कवर पेज आप यहां देख सकते हैं-
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फिरोजाबाद के जिलाध्यक्ष अखिलेश सक्सेना को आगरा मण्डल का अध्यक्ष व आलोक तनेजा को उत्तराखंड का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया
ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की प्रांतीय समिति की बैठक रविवार को उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के विंध्याचल स्थित गोयनका धर्मशाला में हुई। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रदेश के प्रत्येक जिलों के अलावा पंजाब से भी ग्रामीण पत्रकारों की भागीदारी रही।
इस मौके पर सौरभ कुमार का कहना था कि नैतिक मूल्यों के ढहते महल को बचाने में पत्रकार अंगद के पांव बनें। उन्होंने कहा कि समाज की रक्षा वही पत्रकार कर सकता है, जो खुद अपने परिवार को सशक्त तथा सुदृढ़ बनाता है। प्रदेश महासचिव देवी प्रसाद ने संगठन को मजबूत करने पर बल दिया तथा पीत पत्रकारिता से दूर रहते हुए निडर होकर सही तथ्यों को समाज के सामने लाने की बात की, वहीं पत्रकार उत्पीड़न पर एकजुट रहकर संघर्ष का आह्वान किया। इस अवसर पर फिरोजाबाद के जिलाध्यक्ष अखिलेश सक्सेना को आगरा मण्डल का अध्यक्ष बनाया गया। आलोक तनेजा को उत्तराखंड का अतिरिक्त प्रभार सोंपा गया।
कार्यक्रम में तमाम वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए, जिनमें कुछ ने अपने अनुभव, कुछ ने कतिपय घटनाओं का उल्लेख, कुछ ने पत्रकारिता क्षेत्र में खुद के योगदान की चर्चा की तो कुछ ने आदर्श पत्रकारिता एवं मूल्यों के संरक्षण तथा बदलते दौर के साथ चलने की अपील की। वक्ताओं में प्रदेश के उपाध्यक्ष शंकर देव तिवारी, कैप्टन.वीरेन्द्र सिंह, श्रवण कुमार द्विवेदी, महामंत्री डॉ केजी गुप्ता, राजेन्द्र सोनी, डॉ केजी गुप्ता, कोषाध्यक्ष उमाशंकर चौधरी,जिलाध्यक्ष गौरीशंकर सिंह के अलावा स्थानीय पत्रकारों में दैनिक जागरण के प्रभारी सतीश रघुवंशी तथा मर्द/विंध्यप्रसाद के सम्पादक सलिल पांडेय शामिल थे।
स्थानीय पत्रकारों में राजेन्द्र मिश्र 'अतृप्त' संजय दुबे, प्रदीप शुक्ल, राजू सिंह,वतन शुक्ल, रघुवर मौर्य भी उपस्थित रहे। आए हुए अतिथियों को मंडल अध्यक्ष हौशिला प्रसाद त्रिपाठी व राजेश अग्रहरि ने माल्यार्पण कर व अंग वस्त्र से सम्मानित किया। बैठक का संचालन प्रांतीय संगठन मंत्री महेन्द्र सिंह ने किया।
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हर साल चयनित बंदियों और जेल अधिकारियों को दिए जाते हैं ये अवॉर्ड्स, इस साल तीन श्रेणियों में हुआ चयन
मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) पर लखनऊ की जिला जेल में कैदियों व जेल प्रशासन को ‘तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स’ से सम्मानित किया गया। जेलों के सुधार की दिशा में कार्यरत ‘तिनका तिनका’ फाउंडेशन की ओर से पेंटिंग श्रेणी में 13 बंदियों को पुरस्कार दिया गया। (इनमें चार मुख्य पुरस्कार और 9 सांत्वना पुरस्कार दिए गए) इसके अलावा जेल में विशेष काम के लिए 8 बंदियों और विशेष जेल सेवा के लिए 8 जेलकर्मियों को पुरस्कार दिया गया।
यह पुरस्कारों का पांचवा साल है। इस साल ये पुरस्कार तीन श्रेणियों- पेंटिंग, विशेष प्रतिभा और जेल प्रशासकों के लिए पुरस्कार के तहत दिए गए। इस साल छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल से अजय को पेंटिंग में प्रथम पुरस्कार दिया गया है। दूसरा पुरस्कार भोपाल केंद्रीय जेल के संजय फूल सिंह को दिया गया है। तीसरा पुरस्कार उत्तर प्रदेश के दो बंदियों को दिया गया है। 56 वर्षीय निगम पंवार को सहारनपुर जिला जेल से और बरेली जिला जेल से 30 वर्षीय बंदी दिनेश कुमार को यह पुरस्कार दिया गया है।
पेंटिग में 9 सांत्वना पुरस्कार भी दिए गए हैं। इस बार छत्तीसगढ़ की सेंट्रल जेल, बिलासपुर जेल को 3 पुरस्कार दिए गए हैं। 30 साल के प्रेम सिंह तिहाड़ जेल में बंद हैं। वे पहले फिजियोथेरेपिस्ट थे। 27 वर्षीय भार्गव मनसुख बुटानी गुजरात में सूरत की लाजपोर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उत्तर प्रदेश से पूनम शाक्या और अरूण राणा को भी पुरस्कार दिए गए हैं। पूनम मैनपुरी जिला जेल की बंदी है और अरूण गाजियाबाद जिला जेल में बंदी हैं। मध्य प्रदेश की भोपाल सेंट्रल जेल में बंद 42 वर्षीय सचिन राय और सेंट्रल जेल, भटिंडा के 34 वर्षीय राजा राम को भी सांत्वना पुरस्कार मिला है। राजा राम ‘तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड 2018’ में पेंटिंग की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार जीते थे।
विशेष प्रतिभा की श्रेणी में 8 बंदियों को पुरस्कार दिए गए हैं। 46 वर्षीय नवीन आहूजा तिहाड़ जेल में सजायाफ्ता बंदी हैं। जेल में रहते हुए उन्होंने बी.कॉम. की डिग्री और कंप्यूटर में निपुणता हासिल की है। वह साबुन, डिटर्जेंट, हाथ धोने का साबुन व अगरबत्ती समेत अन्य चीज़ों को बनाने में निपुण हैं। वह अन्य बंदियों को इन्हें बनाने के लिए प्रशिक्षण भी देते हैं। 25 साल की संध्या उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में सजायाफ्ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त कराने को आगे बढ़ाते हुए संध्या जेल में कपड़े के थैले बना रही हैं। वह बंदियों के बच्चों को भी पढ़ाती हैं।
विशेष प्रतिभा में आगरा जिला जेल के उदय स्वरूप औऱ तुहिना को तिनका तिनका जेल सुधार मॉडल से जेल रेडियो चलाने के लिए सम्मानित किया गया। वे खास तौर पर इस समारोह के लिए बुलाए गए थे। इन दोनों बंदियों ने तिनका तिनका जेल सुधार के मॉडल पर आगरा जेल में रेडियो स्थापित करने में विशेष भूमिका निभाई है।
फिरोजाबाद जिला जेल में बंद 35 वर्षीय कमलेश अपनी साथी महिला बंदियों को बीमारी और जरूरत के समय में सहायता देती हैं। 22 साल की योगेश्वरी भोपाल जेल में सजायाफ्ता हैं। वह एक योग्य मनोवैज्ञानिक हैं और वह महिला बंदियों के जीवन में सुधार लाने के लिए सकारात्मक और रचनात्मक प्रयास कर रही हैं। 28 वर्षीय चरण सिंह राजस्थान की अलवर सेंट्रल जेल में सजायाफ्ता हैं। वह सीआरपीएफ में सब-इंस्पेक्टर हैं। वह जेल रेडियो में जॉकी भी हैं। 60 वर्षीय, उत्तम शांतराम पोतदार इन-हाउस जेल रेडियो में एक रेडियो जॉकी के रूप में काम कर रहे हैं, जिसे ‘एफएम लाई भर्री’ कहा जाता है जिसमें उन्होंने जेल सुधारों से संबंधित कई कार्यक्रमों की रचना की है।
8 जेल अधिकारियों को भी इस साल ‘तिनका तिनका’ अवार्ड दिए गए। बांदा के जेलर रंजीत कुमार सिंह, लखनऊ से संतोष कुमार सिंह, कौशांबी से बी एस मुकुंद, मैनपुरी से ब्रजेश कुमार, नारी बंदी निकेतन लखनऊ से शबनम निगार, महाराष्ट्र से समाकांत चंद्रकांत शडगे, कपूरथला से सुरिंदर पाल खन्ना, अलवर से भरत लाल मीणा को सम्मानित किया गया है। लखनऊ जिला कारागार के सुपरिटेंडेंट पी एन पांडे को विशेष जेल सेवा सम्मान दिया गया।
इस मौके पर जेलों पर वर्तिका नन्दा की किताब ‘तिनका तिनका डासना’ का भी विमोचन किया गया। वर्तिका नन्दा को 2014 में भारत के राष्ट्रपति से स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। पुरस्कार के तहत बांदा जेल में बना विशेष मोमेंटो, जेल में बने कुछ थैले, जेलों पर किताबें और एक सर्टिफिकेट दिया गया है। बंदियों को जेल की अपनी तरह की खास कॉफी टेबल बुक ‘तिनका तिनका मध्य प्रदेश’ भी दी गई है।
ये सभी पुरस्कार देश के जेलों में सुधार के लिए लंबे समय से काम कर रहीं और ‘तिनका तिनका’ की संस्थापक वर्तिका नन्दा, उत्तर प्रदेश के कारागार महानिदेशक आनन्द कुमार, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने दिए। ‘तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स’ हर साल चयनित बंदियों और जेल प्रशासन को देश की किसी जेल में दिए जाते हैं। इस साल निर्णायक मंडल में जावेद अहमद, (महानिदेशक, एनआईसीएफएस), राम फल यादव(महानिदेशक, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) और वर्तिका नन्दा ( संस्थापक, तिनका तिनका) शामिल रहे।
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डॉक्टरों ने बच्चे के ऑपरेशन पर करीब साढ़े आठ लाख रुपए का खर्च बताया है, अगले महीने दिल्ली में होना है ऑपरेशन
तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके पत्रकार दंपती आलोक वाणी और अंजलि तिवारी को अपने बेटे विराट के इलाज के लिए आर्थिक सहयोग की जरूरत है। दरअसल, विराट की उम्र अभी महज 14 महीने है और उसके फेफड़ों में गांठें (Systs) हैं। फिलहाल विराट की एक ही किडनी काम कर रही है। गांठों से प्रभावित फेफड़े के एक हिस्से को निकाला जाना है, ताकि यह आगे न फैलें। इसके लिए डॉक्टरों ने विराट का ऑपरेशन बताया है।
इन दिनों मध्य प्रदेश के इंदौर में रह रहे अंजलि और आलोक को विराट की सर्जरी दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में करानी है। विराट की सर्जरी जनवरी 2020 के पहले हफ्ते में होनी है, लेकिन इसमें करीब साढ़े आठ लाख रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में आलोक ने बेटे के इलाज के लिए आर्थिक रूप से मदद जुटाने के लिए एक कैंपेन चलाया है, ताकि उसका इलाज सही से हो सके और आर्थिक समस्या आड़े न आए। उन्होंने फंड जुटाने के लिए ‘मिलाप’ प्लेटफॉर्म का सहारा भी लिया है और इस बारे में पूरी जानकारी दी है।
इसके अलावा इच्छुक व्यक्ति अकाउंट नंबर : 20120475515, IFSC code: SBIN0003432 पर आर्थिक मदद कर सकते हैं। आलोक वाणी के नाम से ये खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का है। यूपीआई- alokvani@oksbi के द्वारा सीधे बैंक खाते में राशि जमा कराई जा सकती है। हालांकि, विराट की मदद के लिए कई लोग आगे आ रहे हैं, लेकिन अभी यह राशि पर्याप्त नहीं हुई है। आलोक से 9893111536 और अंजलि से 9479638659 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक कर सकते हैं।
बता दें कि आलोक और अंजलि ने ‘डीडी न्यूज’ के साथ पत्रकारिता की शुरुआत की थी। इसके बाद दोनों लंबे समय तक ‘इंडिया टीवी’, दिल्ली में कार्यरत रहे। फिर यहां से अपनी पारी को विराम देकर वे ‘सीएनबीसी’ में काम करने लगे। इसके बाद आलोक ने ‘नई दुनिया’ और ‘पीपुल्स समाचार’ के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाई और फिर ‘विटीफीड’ से होते हुए ‘घमासान डॉट काम’ के साथ जुड़ गए। हालांकि, यहां से भी अब उन्होंने बाय बोल दिया है, लेकिन विभिन्न मीडिया संस्थानों के लिए वह अब भी लिख रहे हैं। वहीं, अंजलि ने ‘पीपुल्स समाचार’ आदि मीडिया संस्थानों में काम करने के बाद अब पूरी तरह घर की जिम्मेदारी संभाल ली है। फिलहाल आलोक व अंजलि बेटे विराट के ऑपरेशन के लिए धनराशि जुटाने में लगे हुए हैं।
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सेंटर फॉर मीडिया रिसर्च एंड एनालिसिस की ओर से आयोजित ‘मीडिया मंथन 2019’ में वरिष्ठ पत्रकारों ने रखे अपने विचार
नई दिल्ली के न्यू महाराष्ट्र सदन में मंगलवार को ‘मीडिया मंथन 2019’ का आयोजन किया गया। ‘सेंटर फॉर मीडिया रिसर्च एंड एनालिसिस’ (CMRA) की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में तमाम पत्रकारों और दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े कई कॉलेजों के विद्यार्थियों के साथ ही आईआईएमसी, माखनलाल चतुर्वेदी, श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने भी शिकरत की।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल का कहना था कि वर्तमान में मीडिया व्यावसायीकरण के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में वह सामाजिक उत्तरदायित्वों को पीछे छोड़ता जा रहा है। उनका कहना था कि किसी भी परिस्थिति में पत्रकार और पत्रकारिता के विद्यार्थियों को अपने सकारात्मक विचारों और राष्ट्रीयता की सोच को कभी मरने नहीं देना चाहिए। नागरिक संशोधन विधेयक के बारे में उनका कहना था कि विरोधी ताकतों द्वारा इस मुद्दे पर आम जनता को गुमराह करके धर्म के नाम पर बांटा जा रहा हैं। इसके साथ ही उन्होंने व्यावसायिक मीडिया के दुष्परिणामों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में खोजी पत्रकारिता दम तोड़ रही है।
पहले सत्र के वक्ता उमेश उपाध्याय ने बताया कि वर्तमान में टेलिविजन पत्रकारिता सिर्फ डिबेट तक सीमित होकर रह गई है। मीडिया ने अपने सिद्धांतों को भुलाकर समाज में नकारात्मक भाव को बढ़ाने वाली सामग्री को ज्यादा महत्व देना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में टीवी पत्रकारिता की विश्वसनीयता में कमी आयी है।
दूरदर्शन के वरिष्ठ संपादक अशोक श्रीवास्तव का कहना था कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों में वैचारिक मंथन होना बहुत जरूरी है। आज की मुख्य धारा की मीडिया का स्वरूप अराजकवादी हो चुका है। टीवी चैनल्स के डिबेट कार्यक्रमों में हिन्दू मुस्लिम का मुद्दा प्रमुखता से दिखाया जा रहा है। इस तरह की डिबेट का मकसद सिर्फ टीआरपी को बढ़ाना है। इसके चलते तमाम मीडिया चैनल्स झूठे तथ्यों को जनता को दिखाकर गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं।
‘ऑर्गेनाइजर’ के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार प्रफुल्ल केतकर ने ब्रेकिंग न्यूज की अवधारणा को समाज के लिए घातक बताया। उनका कहना था कि टीआरपी के कारण मीडिया तथ्यों की जांच किए बिना ही समाचारों को दिखा रहा है। इस कारण फेक न्यूज तेजी से फैल रही है। उन्होंने मीडिया को सकारात्मक दिशा में कार्य करने की सलाह दी ।
द्वितीय सत्र के वक्ता विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने संस्कृति को जीवन मूल्य बताते हुए कहा कि वर्तमान में भारतीय संस्कृति की सुरक्षा के तमाम सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में मीडिया को संस्कृति से संबंधित विषयों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, ताकि भारतीय संस्कृति को संग्रहित किया जा सके। उन्होंने बताया कि पारिवारिक संस्कृति के अभाव का ही नतीजा है कि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से दूर होती जा रही है। आलोक कुमार का कहना था कि सभ्यता आती-जाती रहती है, जबकि संस्कृति निरन्तर चलती रहती है।
‘आईआईएमसी’ के पूर्व महानिदेशक के.जी सुरेश ने कहा कि समाज के अच्छे मुद्दों को मीडिया में लाकर सकारात्मक पत्रकारिता को बढ़ावा देना होगा। साथ ही उन्होंने नारी सशक्तिकरण को विकसित करने पर विशेष जोर दिया। कार्यक्रम संयोजक रविन्द्र चौधरी ने कहा कि मीडिया के अंदर राष्ट्रीय विचारों का प्रवाह होना चाहिए। सीएमआरए संगठन की उपयोगिता और उद्देश्य के बारे में बताते हुए उन्होंने सामाजिक,सांस्कृतिक विषयों पर चिंतन करने की जरूरत बताया। मंच का संचालन कर रहे शेखर त्रिवेदी ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
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पत्रकार के भाई की ओर से भी दर्ज कराई गई है क्रॉस एफआईआर, फिलहाल इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है
मारपीट के आरोप में पुलिस ने हिंदी दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ के आगरा एडिशन में कार्यरत रिपोर्टर पवन तिवारी समेत कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। फिलहाल इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि मारपीट में घायल व्यक्ति का अभी उपचार चल रहा है। उसके बयान के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, पवन तिवारी का कहना है कि दूसरे पक्ष के लोग गाड़ियों में भरकर आए थे और मारपीट शुरू कर दी थी। पवन तिवारी के भाई अमित तिवारी पक्ष की ओर से भी इस मामले में क्रॉस एफआईआर दर्ज कराई गई है।
इस घटना के बारे में एत्माद्दौला थाने के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि पवन तिवारी के भाई अमित तिवारी इवेंट आयोजित करने का काम करते हैं। पिछले दिनों रामबाग में किसी कार्यक्रम के आयोजन को लेकर उनका शिकायकर्ता उजैर खां से विवाद हो गया था। इस विवाद में दोनों पक्षों के बीच मारपीट भी हुई थी। उजैर खां ने पवन तिवारी व अमित तिवारी समेत कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
एफआईआर में उजैर खां ने बताया है कि इस विवाद के चलते पवन तिवारी ने अपने भाई और कई लोगों के साथ मिलकर मारपीट की घटना को अंजाम दिया। यही नहीं, उनकी गाड़ी के शीशे भी तोड़ दिए और 50 हजार रुपयों समेत कई महत्वपूर्ण कागज भी चुरा लिए। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
इस बारे में दर्ज कराई शिकायत की कॉपी आप यहां देख सकते हैं।
वहीं, पवन तिवारी पक्ष की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर की कॉपी आप यहां देख सकते हैं।
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‘साहसी भारत’ पत्रिका के संपादक अलीम कादरी को ब्रेन हैमरेज के बाद शनिवार को लखनऊ स्थित केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था
लखनऊ के पत्रकार अलीम कादरी पांच दिन के कड़े संघर्ष के बाद दुनिया छोड़ गये। बृहस्पतिवार शाम चार बजे लखनऊ स्थित ‘केजीएमयू’ के चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शनिवार की शाम इस हट्टे कट्टे पत्रकार को जबरदस्त ब्रेन स्ट्रोक पड़ा था, जिसके बाद इन्हें ट्रामा सेंटर में वेंटीलेटर पर रखा गया था। अलीम अपने पीछे बूढ़ी मां, पत्नी और तीन छोटे-छोटे बच्चे छोड़ गये हैं। शुक्रवार को दोपहर दो बजे जुमे की नमाज के बाद लखनऊ के ऐशबाग स्थित कब्रिस्तान में इन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जायेगा।
'साहसी पत्रिका' के संपादक अलीम कादरी जाते-जाते तमाम ‘साहसी कारनामे’ दिखा गये। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार मौत के चार दिन पहले कादरी को इतना जबरदस्त ब्रेन हैमरेज हुआ था कि दिमाग की नसें लगभग फट गयी थीं , फिर भी वो चार दिन तक मौत से जंग लड़ते रहे।
कादरी के ब्रेन स्ट्रोक की घटना से लेकर उनकी मौत तक लखनऊ के पत्रकारों की तादाद ने बहुत कुछ संदेश दे दिए। साबित हो गया कि अपने हमपेशेवरों के बीच लोकप्रिय पत्रकार बनने के लिए बड़े बैनर की नहीं, बल्कि अपने काम, व्यवहार और विचार की अहमियत होती है, जिससे कोई भी हरदिल अजीज बन जाता है।
कादरी छोटी सी पत्रिका और न्यूज पोर्टल चलाते थे। उनकी प्रेस मान्यता भी नहीं थी। फिर भी जिस तरीके से पत्रकारों ने बीमारी से लेकर उनकी अंतिम यात्रा में शिरकत की तो लगा कि ये गलत धारणा है कि लखनऊ में मान्यता प्राप्त पत्रकारों और गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों के बीच कोई खाई है। यही नहीं, मरहूम के इलाज के लिए हिंदू पत्रकार भाई मुस्लिम अजीजों से भी बहुत आगे रहे।
कादरी की इस कद्र को देखकर लगा कि उनके जैसे लोगों के व्यवहार, सौहार्द और संस्कारों की ताकत से ही हमारा देश साहसी भारत बना है। अलीम कादरी रहें न रहें, लेकिन इन जैसे पत्रकारों का इल्म और साहस भारतीय पत्रकारिता की नसों में दौड़ता रहेगा और भारत को साहसी भारत बनने की ताकत देता रहेगा।
अलविदा अलीम कादरी
(वरिष्ठ पत्रकार नवेद शिकोह की फेसबुक वॉल से साभार)
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मंगलवार की दोपहर से लापता चल रहा था पत्रकार, तभी से तलाश में जुटे हुए थे परिजन और मित्र
दैनिक जागरण के आगरा संस्करण में कार्यरत पत्रकार मृत्युंजय शुक्ल ने आत्महत्या कर ली है। शुक्रवार को उनका शव रेलवे लाइन के पास मिला है। परिजनों ने कपड़ों से शव की शिनाख्त कर ली है। बताया जाता है कि डिप्रेशन के चलते उन्होंने यह कदम उठाया है। मृत्युंजय मंगलवार से लापता चल रहे थे। उनका मोबाइल घर पर ही पड़ा मिला था। परिजन और मित्र तभी से उनकी तलाश में जुटे थे, लेकिन उनका पता नहीं चल पा रहा था।
बहेड़ी (बरेली) के मूल निवासी मृत्युंजय लंबे समय से आगरा में मीडिया संस्थानों के साथ जुड़े हुए थे। अक्टूबर में ही मृत्युंजय के पिता का देहांत हुआ था। फिलहाल परिजन मृत्युंजय के शव को पोस्टमार्टम के बाद पैतृक निवास बरेली ले जा रहे हैं।। DNA के भी प्रयास हो रहे हैं।
मृत्युंजय के आत्महत्या करने की खबर सुनकर उनके पत्रकार साथी काफी हैरान और सदमे में हैं। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि मृत्युंजय इस तरह का कदम उठा सकते हैं। इन पत्रकारों का कहना है कि मृत्युंजय पत्रकारिता में आकर बेहद उत्साहित था। न जाने ऐसा क्या हुआ कि उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा। मृत्युंजय के आत्महत्या करने की बात सुनकर पत्रकारों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।
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13 से 15 दिसंबर तक लखनऊ में आयोजित किया जाएगा यह कार्यक्रम
दैनिक जागरण ‘संवादी’ का छठा संस्करण 13 दिसंबर से 15 दिसंबर तक होने जा रहा है। यह आयोजन लखनऊ के गोमती नगर स्थित भारतेंदु नाट्य अकादमी में किया जाएगा। तीन दिवसीय इस उत्सव में साहित्य, राजनीति, संगीत, खान-पान, सिनेमा, धर्म और देशभक्ति समेत कई मुद्दों पर खुलकर चर्चा होगी।
इस कार्यक्रम में भारतीय साहित्य के स्तंभ एवं मूर्धन्य साहित्यकार नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, कृष्णा सोबती एवं नवनीता देव सेन को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी। कार्यक्रम में प्रवेश निशुल्क रखा गया है।
हिंदी में मौलिक शोध को बढ़ावा देने के लिए ‘दैनिक जागरण’ के अभियान ‘हिंदी हैं हम’ के तहत इस कार्यक्रम में ‘ज्ञानवृत्ति’ के विजेताओं की घोषणा भी की जायेगी। इस अभियान के विजताओं को कम से कम छह महीने और अधिकतम नौ महीने के लिए दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति दी जाती है।
‘संवादी’ में दैनिक जागरण की नई पहल ‘सृजन’ का कॉपीराइट बाजार भी लगेगा। इस कॉपीराइट बाजार में शामिल होने के लिए हिंदी के तमाम प्रकाशकों को आमंत्रित किया गया है। इसमें युवा लेखकों को प्रकाशकों के समक्ष अपनी बात रखने का अवसर भी मिलेगा।
बता दें कि दैनिक जागरण सृजन देश के युवा लेखकों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने का एक मंच है। यह मंच हिंदी में सृजनात्मक लेखन का जज्बा रखने वाले युवाओं को अपने सपने को हकीकत में बदलने का अवसर देता है। इस साल लखनऊ विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस उपलक्ष्य में विशेष रूप से तैयार किये सत्र का भी आयोजन भी यहां किया जाएगा
कार्यक्रम से संबंधित विस्तृत जानकारी http://jagranhindi.in/ अथवा www.jagranhindi.in पर क्लिक कर ली जा सकती है।
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जल्द ही आगरा, बनारस, मेरठ, देहरादून और हल्द्वानी में भी इस तरह के आयोजन किए जाएंगे
‘अमर उजाला वेब सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ (एयूडब्ल्यू) आईटी के प्रोजेक्ट्स भी शुरू करने की तैयारी में है। इसके तहत ‘सीआईआई’ लखनऊ व ‘एयूडब्ल्यू’ द्वारा सीआईआई के विभूति खंड स्थित कार्यालय सभागार में आयोजित आईटी कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने इससे जुड़ी जानकारी व अनुभव साझा किए।
कॉन्फ्रेंस में अमर उजाला के आईटी हेड आयुष्मान सिन्हा ने इस पहल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'हमारे अधिकांश उपभोक्ता सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) से हैं और उनकी आईटी से संबंधित समस्याओं को समझते हुए इस तरह की पहल शुरू की गई है।‘ उन्होंने बताया कि अब से एमएसएमई ‘अमर उजाला’ के सभी स्थानीय कार्यालयों में आईटी सर्विस के लिए संपर्क कर सकेंगे।
बताया जाता है कि आईटी पर होने वाले खर्च को कैसे कम किया जाए, इसके लिए यह कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी। जल्द ही आगरा, बनारस, मेरठ, देहरादून और हल्द्वानी में भी इस तरह की कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएंगी।
(साभार: अमर उजाला)
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दिल्ली में चल रही प्रदर्शनी में इन चारों भारतीयों की तस्वीरों को भी शामिल किया गया है
फोटो जर्नलिज्म के क्षेत्र में दुनिया भर की सम्मानित आंद्रेई स्टेनिन प्रेस फोटो प्रतियोगिता 2019 में चार भारतीय युवाओं ने अपने झंडे गाड़े हैं। इस प्रतियोगिता में 80 देशों के 18 से 32 साल की उम्र के 6000 से ज्यादा युवाओं ने भाग लिया था।
कोलकाता के पत्रकार और फ्रीलांस डॉक्यूमेंट्री फोटोग्राफर देवरचन चटर्जी ने विरोध आंदोलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी तस्वीर के लिए शीर्ष समाचार श्रेणी में प्रतियोगिता जूरी का पुरस्कार जीता है। अमित मौलिक और अयानवा सिल ने खेल श्रेणी में बेहतरीन और गतिशील चित्रों का योगदान दिया है। शांतनु डे ने कोलकाता में बहुरूपी अभिनेताओं से स्ट्रीट ग्लास कटर तक विलुप्त होने की श्रृंखला के कगार पर शामिल व्यवसायों को दिखाया है।
प्रतियोगिता के विजेताओं की तस्वीरों की प्रदर्शनी इन दिनों दिल्ली के रफी मार्ग स्थित एआईएफएसीएस गैलरी में लगी है। यह प्रदर्शनी पांच दिसंबर तक चलेगी। इस प्रदर्शनी में रूस, भारत, दक्षिण अफ्रीका, इटली, अमेरिका, फ्रांस सहित कई देशों के सर्वश्रेष्ठ युवा फोटोग्राफरों द्वारा तैयार तस्वीरें दिखाई जा रही हैं। यह आयोजन दूसरी बार रोसिया सेगोडन्या समाचार एजेंसी द्वारा यूनेस्को के सहयोग से किया जा रहा है। प्रदर्शनी में भारत के इन चारों विजेताओं द्वारा ली गई तस्वीरें भी शामिल हैं।
आंद्रेई स्टेनिन इंटरनेशनल प्रेस फोटो प्रतियोगिता का उद्देश्य युवा फोटोग्राफर्स को सपोर्ट करना और आधुनिक फोटो जर्नलिज्म के कार्यों पर जनता का ध्यान आकर्षित करना है। यह उन युवा फोटोग्राफर्स के लिए एक प्लेटफॉर्म है, जो प्रतिभाशाली, संवेदनशील और कुछ नया करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
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