देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) ने यूनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशंस ऑफ उज्बेकिस्तान के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं
देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) ने यूनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशंस ऑफ उज्बेकिस्तान के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य पत्रकारिता और जनसंचार शिक्षा को प्रोत्साहन देना एवं मौलिक, शैक्षणिक एवं व्यावहारिक अनुसंधान के क्षेत्रों को परिभाषित करना है।
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने एमओयू के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस समझौते के माध्यम से दोनों संस्थान टीवी, प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया, जनसंपर्क, मीडिया भाषा विज्ञान और विदेशी भाषाओं जैसे विषय पर शोध को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा कि इस समझौते से हमें एक दूसरे की कार्यप्रणालियों एवं अनुभवों को जानने एवं समझने का मौका मिलेगा। इसके अलावा यह समझौता अनुसंधान और शैक्षिक डेटा के आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित करेगा और संयुक्त कार्यक्रमों को आयोजित करने के अवसरों का भी जरिया बनेगा।
प्रो. द्विवेदी के मुताबिक आईआईएमसी का उद्देश्य आज की जरूरतों के अनुसार ऐसा मीडिया पाठ्यक्रम तैयार करना है, जो छात्रों के लिए रोजगापरक हो। इस दिशा में हम यूनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशंस ऑफ उज़्बेकिस्तान के साथ मिलकर कार्य करने के लिए अग्रसर हैं। इसके साथ ही संस्थान का उद्देश्य छात्रों और संकाय सदस्यों को वैश्विक संपर्क प्रदान करना भी है। हमने आने वाले वर्षों में विदेशी शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग का विस्तार करने और अनुसंधान और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने का लक्ष्य रखा है।
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लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और ‘पायनियर’ के ब्यूरो चीफ राज बहादुर सिंह का निधन हो गया है। करीब 55 वर्षीय राज बहादुर सिंह कुछ समय से पीजीआई में भर्ती थे, जहां मल्टी आर्गन फेल्योर के कारण आज उनका निधन हो गया।
राज बहादुर सिंह के परिवार में पत्नी मधु और दो पुत्र अविरल राज सिंह और अविजित राज सिंह हैं। पॉलिटिकल बीट पर राज बहादुर सिंह की काफी अच्छी पकड़ थी। वह पूर्व में ‘दैनिक जागरण’ में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके थे।
राज बहादुर सिंह के निधन पर तमाम राजनेताओं और पत्रकारों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए ईश्वर से उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और शोक संतप्त परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी राज बहादुर सिंह के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है। अपने ट्वीट में केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा है, ‘वरिष्ठ पत्रकार श्री राज बहादुर सिंह जी का निधन अत्यंत दुःखद है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोक संतृप्त परिजनों को इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’
वरिष्ठ पत्रकार श्री राज बहादुर सिंह जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) June 1, 2023
ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोक संतृप्त परिजनों को इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति!
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साहित्य के लिए कमलेश कमल को यह सम्मान दिया जाएगा, जो विगत दो दशकों से साहित्य एवं भाषा-विज्ञान के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहे हैं।
वर्ष 2022 के लिए बहुप्रतीक्षित विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा हो गई है। साहित्य के लिए कमलेश कमल को यह सम्मान दिया जाएगा, जो विगत दो दशकों से साहित्य एवं भाषा-विज्ञान के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहे हैं। वह देश भर के विश्वविद्यालयों व प्रमुख संस्थाओं में हिंदी भाषा के शुद्ध रूप का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनकी पुस्तकें देशभर में पढ़ी जाती हैं।
कमलेश कमल के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के चार अन्य लोगों को यह सम्मान दिया जाएगा। प्लास्टिक के विरोध में गांव-गांव और शहर-शहर में सघन अभियान चलाने वाली डाॅ. अनुभा पुंढीर को समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए विष्णु प्रभाकर स्मृति सम्मान देने की घोषणा हुई है।
अनुभा जानी-मानी नृत्यांगना भी हैं लेकिन अपने गृह राज्य उत्तराखंड में प्लास्टिक के इस्तेमाल के विरोध में उन्होंने लाखों लोगों को अपनी संस्था की ओर से कपड़े के थैले मुहैया कराए। उनके प्रयास से असंख्य लोगों ने खुद को सदा के किए प्लास्टिक से अलग थलग कर लिया।
इनके अलावा अहमदाबाद गुजरात के जनक दवे को पत्रकारिता के लिए, गांधीनगर के सीताराम बरोट 'सत्यम' को शिक्षा के लिए और दिल्ली की अपर्णा सारथे को कला के लिए विष्णु प्रभाकर स्मृति सम्मान दिए जाएंगे। जनक दबे ने जान जोखिम में डालकर यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्र की शानदार लाइव कवरेज की। इसी प्रकार, लेखन और अन्य प्रदर्शन कला के जरिए बच्चों को शिक्षित करने के क्षेत्र में सीताराम बरोट की भूमिका बहुत अहम है।
राष्ट्रीय स्तर का यह सम्मान गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा, नई दिल्ली और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान, नोएडा द्वारा संचालित सन्निधि संगोष्ठी की ओर से दिया जाएगा। पिछले दस सालों से सन्निधि संगोष्ठी द्वारा हरेक साल में दिसंबर में काका साहब कालेलकर और जून में विष्णु प्रभाकर की याद में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली पांच-पांच युवा-हस्तियों को काका साहब कालेलकर सम्मान और विष्णु प्रभाकर सम्मान से सम्मानित किया जाता है।
ये सम्मान युवा हस्तियों में नैतिक ऊर्जा भरते हैं और युवाओं में उत्साह का संचार होता है। वह प्रोत्साहित होकर सृजन के नए आयाम रचते हैं।
विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल कुमार ने बताया कि इस साल विष्णु प्रभाकर सम्मान समारोह 17 जून को दिल्ली स्थित सन्निधि सभागार में आयोजित किया जाएगा।
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संसद भवन के सामने धरना और प्रदर्शन की तारीख कॉन्फेडरेशन की कार्यकारिणी की बैठक में किया जाएगा।
कॉन्फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजेंसी एम्प्लॉयीज आर्गनाइजेशन ने वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट की बहाली, पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने, मीडिया संस्थानों में पत्रकारों और गैरपत्रकार कर्मचारियों की अवैध छंटनी के विरोध में जुलाई में संसद सत्र के दौरान प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।
यह फैसला दिल्ली में आयोजित कॉन्फेडरेशन की वार्षिक आमसभा में लिया गया। आमसभा में देश के प्रमुख सशक्त मीडिया संगठनों नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया), इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पीटीआई एम्प्लॉयीज यूनियन, यूएनआई वर्कर्स यूनियन, ऑल इंडिया न्यूजपेपर्स एम्प्लॉयीज फेडरेशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ न्यूजपेपर्स एम्प्लॉयीज और द ट्रिब्यून एम्प्लॉयीज यूनियन चंडीगढ़ के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लेकर मीडियाकर्मियों की मांगों को लेकर देशव्यापी आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है।
कॉन्फेडरेशन के महासचिव एम एस यादव ने बताया कि दिल्ली के सम्राट होटल में आयोजित आमसभा में एनयूजे के अध्यक्ष रास बिहारी के अध्यक्ष और द ट्रिब्यून एम्प्लॉयीज यूनियन के अध्यक्ष अनिल गुप्ता को कॉन्फेडरेशन का उपाध्यक्ष चुना गया गया। कॉन्फेडरेशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष रास बिहारी की अध्यक्षता में हुई आमसभा की बैठक में पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मचारियों की सभी समस्याओं को लेकर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में एनयूजेआई के महासचिव प्रदीप तिवारी, आईएफडबल्यूजे के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन, महासचिव परमानंद पांडे, आईजेयू के अध्यक्ष श्रीनिवास रेड्डी, महासचिव बलविंदर जम्मू, पीटीआई फेडरेशन के भुवन चौबे, यूएनआई यूनियन के एम एल जोशी, ट्रिब्यून इम्पालाइज यूनियन के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता, एआईएनईएफ, एनएफएनई के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
यादव ने बताया कि कॉन्फेडरेशन से संबद्ध सभी राष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने सर्वसम्मति से मीडियाकर्मियों की मांगों को लेकर देशव्यापी आंदोलन करने का फैसला किया है। संसद पर प्रदर्शन करके राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि देशव्यापी अभियान के तहत राज्यों के राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों और सांसदों को ज्ञापन देकर मीडियाकर्मियों की मांगों को लेकर ध्यान आकर्षित किया जाएगा। सभी संगठनों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि राज्यों में अपने-अपने क्षेत्र के सांसदों और जनप्रतिनिधियों को मांगों के बारे में ज्ञापन देंगे।
यादव ने कहा कि दिल्ली में संसद भवन के सामने धरना और प्रदर्शन की तारीख कॉन्फेडरेशन की कार्यकारिणी की बैठक में किया जाएगा। प्रदर्शन से पहले पूरे देश में मीडियाकर्मियों की मांगों को लेकर राज्यों में सम्मेलन और विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी की ओर से नई दिल्ली में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी की ओर से नई दिल्ली के ‘द अशोका’ होटल में दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 25 और 26 मई को आयोजित इस कार्यक्रम में बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने न सिर्फ सरकार की उपलब्धियां बताईं, बल्कि मीडिया से संवाद भी किया।
केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक स्लाइड शो के जरिये सरकार की उपलब्धियां बताते हुए नौ साल के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा किए गए तमाम प्रमुख कार्यों का ब्योरा दिया।इन प्रमुख फैसलों में उन्होंने कोविड-19 के दौरान देश भर में मुफ्त में हुए वैक्सीनेशन, डिजिटल क्रांति, तमाम परिवारों को पक्का घर, खुले में शौच से निजात के लिए किए गए प्रयास, उज्ज्वला योजना, घरों तक पानी पहुंचाने के लिए बिछाई गईं पाइप लाइन, गरीब व कमजोर तबके के लिए मुफ्त राशन योजना, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, आयुष्मान योजना, जनऔषधि केंद्रों की शुरुआत, एक रुपये में सैनिटरी पैड, एयरपोर्ट जैसे भव्य रेलवे स्टेशन आदि का विस्तार से जिक्र किया।
इसके बाद सरकार की उपलब्धियों को दर्शाती एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया और उसके बाद रात्रिभोज का कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, मुख्य प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राजनेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य सैयद जफर इस्लाम, पूर्व पत्रकार व राजनेता शाजिया इल्मी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ लीडर शामिल हुए।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी के शीर्ष नेताओं ने 25 और 26 मई को एक बड़ा आयोजन किया और सरकार की उपलब्धियां गिनाईं।
दिल्ली के ‘द अशोका’ होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी, मुख्य प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राजनेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य सैयद जफर इस्लाम, पूर्व पत्रकार व राजनेता शाजिया इल्मी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ लीडर शामिल हुए।
इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा का कहना था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के नौ साल का कार्यकाल पूरा होने के उपलक्ष्य में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। आप सभी लोग यहां उपस्थित हुए, इसके लिए मैं आपका आभारी हूं।’
वहीं, केंद्रीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक स्लाइड शो के जरिये सरकार की उपलब्धियां बताते हुए नौ साल के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार द्वारा किए गए तमाम प्रमुख कार्यों का ब्योरा दिया। इसके बाद सरकार की उपलब्धियों को दर्शाती एक शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
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लोकमत मीडिया ग्रुप के चेयरमैन व राज्यसभा के पूर्व सदस्य विजय दर्डा की किताब- रिंगसाइड: अप, क्लोज एंड पर्सनल ऑन इंडिया एंड बियॉन्ड (RINGSIDE: Up, Close & Personal on India & Beyond) जल्द ही मार्केट में दस्तक देगी। 30 मई को इस किताब का विमोचन किया जाएगा।
यह कार्यक्रम मंगलवार, 30 मई 2023 को शाम 4.30 बजे नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के स्पीकर हॉल में आयोजित किया जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लोकसभा सांसद डॉ. शशि थरूर इस किताब का विमोचन करेंगे। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार व पूर्व संपादक संजय बारू भी इस गरिमामयी शाम में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।
इंडिया टुडे टेलीविजन के कंसल्टिंग एडिटर व पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई इस कार्यक्रम के दौरान विजय दर्डा से उनकी किताब को लेकर चर्चा करेंगे।
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हिमाचल प्रदेश के मनाली में गोवा की महिला पत्रकार से मारपीट का मामला सामने आया है। महिला पत्रकार ने आरोप लगाया है कि करीब 20 लोगों ने उसके साथ मारपीट की है। महिला पत्रकार ने इस मामले में मनाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
जाह्नवी पत्नी अनसान सनी उम्र 31 वर्ष निवासी गोवा ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि वह पत्रकार हैं और 28 मार्च 2023 से मनाली गांव में रह रही हैं। जाह्नवी के अनुसार, वह किराए पर स्कूटी लेकर पति के साथ वशिष्ठ मंदिर गई थीं। वशिष्ठ मंदिर से आगे एक गली में स्कूटी पार्क करने को लेकर एक युवक ने एतराज जताया तो उनके पति स्कूटी पार्क करने के लिए दूसरी जगह चले गए। इस बीच उस युवक ने उनके साथ मारपीट और गालीगलौज की। पति के लौटकर आने पर वह युवक उनसे भी उलझ पड़ा और मारपीट की। इससे उनके पति को चोटें आई हैं।
जाह्नवी के अनुसार, इस दौरान उनकी सहेली अरुणिमा कौशिक व स्टेटली जैन भी आ गए। इस बीच स्थानीय लोगों ने उस युवक को वहां से हटा दिया। इसके बाद ग्रामीण उनसे ही उलझने लगे। इसके बाद करीब 20 लोगों ने उनके साथ मारपीट की।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि शांति भंग करने तथा मारपीट करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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वरिष्ठ पत्रकार डॉ. दिग्विजय सिंह के 12 साल के बेटे श्रियांश वत्स को कैंसर हो गया है। श्रियांश नोएडा के कैंब्रिज स्कूल का छात्र है। बच्चे का ट्रीटमेंट दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों ने इलाज का खर्च 20 लाख रुपए से ज्यादा बताया है। वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह पैसे जुटाने के लिए हर तरह से प्रयासरत हैं। लिहाजा उन्होंने लोगों से मदद की अपील भी की है।
दिग्विजय सिंह की पत्नी तूलिका सिंह भी पत्रकार फ्रीलांस जर्नलिस्ट के तौर पर कार्यरत हैं।
वर्ष 2001 में पत्रकारिता की पारी शुरू करने वाले डॉ. दिग्विजय सिंह अपने दो दशक के लंबे करियर में ‘न्यूज वन इंडिया’, ‘आजतक’, ‘स्टार न्यूज’, ‘आईबीएन7’, ‘जी न्यूज’, ‘न्यूज नेशन’ और ‘इंडिया टीवी’ जैसे चैनलों में अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। वह ‘दैनिक भास्कर’ ग्रुप की रेडियो डिवीजन ‘माई एफएम’ के लिए भी बतौर स्क्रिप्ट राइटर काम कर चुके हैं।
इसके अलावा उन्होंने ‘सोनी टीवी’ के शो प्रायश्चित, अदालत और ‘इमेजिन टीवी’ के चर्चित शो राखी का इंसाफ की क्रिएटिव टीम का नेतृत्व किया है। पत्रकार होने के साथ साथ डॉ. दिग्विजय सिंह कविता और कहानियों का लेखन भी करते हैं।
यहां दिग्विजय सिंह की पत्नी तूलिका सिंह का अकाउंट नंबर और फोनपे स्कैनर दिया गया है। आप यथासंभव मदद कर सकते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट सुदर्शन न्यूज सहित कुछ न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक मुस्लिम व्यक्ति पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाने वाली खबरों को हटाने का आदेश दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट सुदर्शन न्यूज सहित कुछ न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक मुस्लिम व्यक्ति पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाने वाली खबरों को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, यूट्यूब, गूगल, ट्विटर, सुदर्शन न्यूज, ओडिशा टीवी, भारत प्रकाशन और सुरेश चव्हाणके को नोटिस भी जारी किया है।
जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच अजमत अली खान द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें यह मांग की गई है कि 19 अप्रैल को उसके खिलाफ एक महिला की ओर से जबरन धर्मांतरण की शिकायत को लेकर दर्ज एफआईआर से संबंधित खबरें हटाने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में कहा गया है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस अभी जांच कर रही है और ऐसे में इस संबंध में सुदर्शन न्यूज और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर खबरें चलाकर जांच को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है और वीडियो का प्रसार स्वतंत्र जांच के साथ-साथ उनकी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन रहा है।
वहीं, सुनवाई के दौरान गूगल ने कहा कि इस मामले में एफआईआर पहले ही दर्ज की जा चुकी है, ऐसे में वीडियो अपलोड करने वाले का भी पक्ष सुना जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (NBDA) ने कहा कि जिस चैनल को प्रतिवादी बनाया गया है, वह उसके संगठन का सदस्य नहीं है।
वहीं, दूसरी ओर, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से पेश वकील ने कहा कि खान के 9 मई के ई-मेल में समाचार रिपोर्टों के लिंक शामिल हैं, इस पर गौर किया जाएगा। साथ यह भी कहा कि वह केवल छपी हुई खबरों पर ही गौर करता है, वेबसाइट पर अपलोड हुई सामग्री पर नहीं। उसके बाद कोर्ट ने यूट्यूब, गूगल, ट्विटर, सुदर्शन टीवी, ओडिशा टीवी, भारत प्रकाशन और सुरेश चव्हाणके को नोटिस जारी कर दिया।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया और मामले में की गई जांच के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया। जस्टिस सिंह ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील से शिकायतकर्ता से संपर्क करने और याचिका के लंबित होने के बारे में उसे सूचित करने को भी कहा है।
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राजेश बादल, वरिष्ठ पत्रकार ।।
भोपाल का माधवराव सप्रे स्मृति समाचार संस्थान हिन्दुस्तान ही नहीं, समूचे विश्व में अनूठा है। यहां करोड़ों पन्नों में इस मुल्क की अद्भुत और दुर्लभ दास्तानें सुरक्षित हैं। पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर ने यह अनमोल उपहार हमें सौंपा है। इसी नायाब अभिलेखागार में माधवराव सप्रे की याद में ग्यारह और बारह मई को शानदार जलसा हो रहा है। इसमें देशभर के अनेक विद्वान हिस्सा लेने आ रहे हैं। प्रसंग के तौर पर बता दूं कि सप्रे जी पत्रकारिता के ऐसे पूर्वज हैं, जिन्होंने महात्मा गांधी से भी कई बरस पहले पूर्ण स्वराज और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अभियान छेड़ा था।
अब बात हो जाए सप्रे जी की पत्रकारिता के बारे में-
आजादी से पहले हिंदी और हिंदी पत्रकारिता के विकास में गैर हिंदीभाषियों का योगदान अद्भुत और अविस्मरणीय है। इनमें महात्मा गांधी, कन्हैया लाल मानक लाल मुंशी, सी राजगोपालाचारी, प्रेमचंद और सरदार भगत सिंह जैसे कई नाम हैं। लेकिन माधवराव सप्रे का नाम सबसे ऊपर है। उस गुलाम हिन्दुस्तान में उन्होंने कलम और विचारों से लोगों को जगाने का जो काम किया, दुनिया के इतिहास में उसकी कोई मिसाल नहीं है। दरअसल माधव राव सप्रे भारतीय स्वाधीनता संग्राम के क्षितिज पर महात्मा गांधी के उदय से पहले बहुत बड़ा नाम था। उन्होंने 13 अप्रैल 1907 से लोकमान्य तिलक के लोकप्रिय मराठी केसरी का हिंदी में ‘हिंदी केसरी’ नाम से प्रकाशन किया। इसका उद्देश्य था- राजनीतिक गुलामी दूर करके पूर्ण स्वराज प्राप्त करना। ‘हिंदी केसरी’ में स्वतंत्रता सेनानियों का खुला समर्थन होता था, स्वराज हासिल करने के तरीकों पर वैचारिक आलेख छपते थे। स्वदेशी का प्रचार और विदेशी का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित करने वाला साहित्य छपता था। गोरी सरकार ये तेवर बर्दाश्त नहीं कर पाई। आखिरकार सप्रे जी और सहयोगी संपादक कोल्हटकर को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया। वे जेल में डाल दिए गए।
अलौकिक आभा से पत्रकारिता दमकती है पर, हिंदी केसरी उनका पहला शाहकार नहीं था। हिंदी केसरी से साल भर पहले उन्होंने नागपुर से मई 1907 में ‘हिंदी ग्रन्थमाला’ का प्रकाशन शुरू किया था। इसके लिए हिंदी ग्रन्थ प्रकाशन मण्डली का गठन किया गया था। उसमें भारत को आजाद कराने वाले ओजस्वी लेख प्रकाशित किए जाते थे। इस कड़ी में सप्रे जी के एक आलेख स्वदेशी आंदोलन और बायकॉट ने तो अवाम को झकझोर दिया था। जिस अंक में यह लेख छपा था, उस पर बंदिश लगा दी गई थी। ऐसे ही तेज तर्राट लेखों ने गोरी हुकूमत को हिला दिया था। गोरे इनसे भयभीत रहते थे। अंग्रेज सरकार ने डाकखाने से उन ग्राहकों के डाक के पते हासिल किए, जिन्हें हिंदी ग्रंथमाला के अंक भेजे जाते थे। फिर उन्हें मजबूर किया गया कि वे सप्रे संपादित ग्रंथमाला को मंगाना बंद कर दें। यही नहीं, सरकारी कर्मचारियों से कहा जाता था कि वे इन अंकों को पढ़ना बंद कर दें। यदि उनके पास ये अंक पाए जाते तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता। इसके बाद पुलिस उनके खिलाफ मामला दर्ज करती और तीन साल के लिए वे जेल में डाल दिेए जाते। हिंदी ग्रंथमाला से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ के पेंड्रा रोड से सन 1900 की जनवरी में छत्तीसगढ़ मित्र का प्रकाशन प्रारंभ किया था। यह एक वैचारिक पत्रिका थी। कहा जा सकता है कि हिंदी में समालोचना का प्रारंभ छत्तीसगढ़ मित्र ने ही किया। हिंदी के अनेक जाने-माने लेखक इस पत्रिका में लिखते थे।
सप्रे जी ने 1904 में अर्थशास्त्र जैसे कठिन विषय की आसान शब्दावली तैयार कर दी थी। इस शब्दावली में अंग्रेजी के 1320 शब्दों के लिए हिंदी के 2115 नए शब्द गढ़े गए थे। दो साल बाद यह वैज्ञानिक शब्दकोश छपकर सामने आया। हिंदी भाषा इसके बाद बेहद अमीर हो गई। माधवराव सप्रे ने अपने छत्तीसगढ़ मित्र में छह कहानियां लिखीं। बाद में इन कहानियों को देवी प्रसाद वर्मा ने एक संकलन के रूप में प्रकाशित किया। इनमें एक टोकरी भर मिट्टी को हिंदी की पहली मौलिक कहानी माना गया। बताने की जरूरत नहीं कि एक भारतीय आत्मा के नाम से विख्यात दादा माखनलाल चतुर्वेदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र और संविधान सभा के सदस्य रहे महान हिंदी सेवी सेठ गोविन्द दास के लेखन और पत्रकारिता को सप्रे जी ने ही तराशा था। पिछले साल इन्हीं विलक्षण माधवराव सप्रे के जन्म का 150वां साल था।
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