पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रैली में रविवार को एक दिल दहलाने वाला हादसा हो गया।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रैली में रविवार को एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ। उनके 'हकीकी आजादी मार्च' के दौरान एक महिला पत्रकार की मौत हो गई, जिसके बाद मार्च को एक दिन के लिए रोक दिया गया। महिला पत्रकार की कंटेनर के नीचे आने से मौत हुई।
मृतक पत्रकार की पहचान 'चैनल 5' की रिपोर्टर सदाफ नईम के रूप में हुई है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इमरान खान जिस कंटेनर पर थे उसी के नीचे आकर पत्रकार की मौत हुई। वह अपने चैनल के लिए इमरान खान का एक्सक्लूजिव इंटरव्यू लेना चाहती थीं। इसीलिए वह दौड़कर कंटनेर के सामने पहुंच गईं और यह हादसा हो गया। इमरान खान की यह रैली लाहौर में कमोके से जीटी रोड की तरफ जा रही थी।
इसके बाद, इमरान खान ने ट्वीट किया, 'आज हमारे मार्च के दौरान हादसे में चैनल 5 की रिपोर्टर सदफ नईम की मौत से स्तब्ध हूं और गहरा दुख हुआ। मेरे पास दुख व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं है। मेरी प्रार्थना और संवेदना इस दुखद समय में परिवार के साथ है। हमने आज के लिए मार्च रद्द कर दिया है।'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी पत्रकार के प्रति दुख जताया है। उन्होंने कहा कि सदफ नईम बहुत ही जीवंत और मेहनती रिपोर्टर थीं।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इमरान खान के ही कंटेनर से टकराकर पत्रकार की मौत हुई है। हालांकि इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हुई है। ना ही घटना का कोई वीडियो सामने आया है। दुनियां टीवी की खबर के अनुसार, सदफ अपने टीवी चैनल के लिए इमरान खान का इंटरव्यू करने की कोशिश कर रही थीं। सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने भी सदाफ की मौत पर शोक जताया है और सवाल उठाया है कि आखिर खान के कंटेनर से कुचलकर पत्रकार की मौत कैसे हुई है?
बता दें कि, हकीकी आजादी मार्च चौथे दिन सोमवार (31 अक्टूबर) को अब कामोके से शुरू होगा। पहले इसे तीसरे दिन की समाप्ति पर ही गुजरांवाला पहुंचना था। ये मार्च शुक्रवार (28 अक्टूबर) को शुरू हुआ था।
अपने बिजनेस को बढ़ाने और दुनियाभर में दर्शकों को अपने साथ जोड़ने की स्ट्रैटजी के तहत बीबीसी ने आधिकारिक तौर पर अपनी नॉर्थ अमेरिकन वेबसाइट को फिर से लॉन्च कर दिया है
अपने बिजनेस को बढ़ाने और दुनियाभर में दर्शकों को अपने साथ जोड़ने की स्ट्रैटजी के तहत बीबीसी ने आधिकारिक तौर पर अपनी नॉर्थ अमेरिकन वेबसाइट को फिर से लॉन्च कर दिया है। यह वेबसाइट बीबीसी स्टूडियो में ग्लोबल डिस्ट्रीब्यूशन के सीईओ रेबेका ग्लासो के नेतृत्व में लॉन्च किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पहल अमेरिका और उसके बाहर ब्रॉडकास्टर की उपस्थिति को मजबूत करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
पुन: बीबीसी की वेबसाइट लॉन्चिंग ऐसे समय पर हुई है, जब इसे सार्वजनिक फंडिंग के संबंध में यूके रेगुलेटर्स से बढ़ती जांच और दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, बता दें कि बीबीसी ने अपने बजट में लगभग £500 मिलियन की कटौती करने का मन बनाया है, जिसे देश के प्रधानमंत्री ने "स्वागतयोग्य" बताया है।
बीबीसी स्टूडियोज इन दिनों बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसके फंड से यूके में बीबीसी स्टूडियोज पब्लिक सर्विस जर्नलिज्म और कंटेंट का समर्थन करता है। बीबीसी स्टूडियो स्क्रिप्टेड शो से लेकर रेडियो कार्यक्रम, डिजिटल फीचर और पॉडकास्ट तक सब कुछ तैयार करता है।
स्टूडियो डिवीजन ने पिछले साल बीबीसी.कॉम का अधिग्रहण किया था, और डेबोरा टर्नस (Deborah Turness) के नेतृत्व में इसके ग्लबोल न्यूज ऑपरेशन को बीबीसी स्टूडियो में विलय कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीबीसी.कॉम यूआरएल को बरकरार रखते हुए संशोधित वेबसाइट अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए अधिक वैयक्तिकृत अनुभव प्रदान करती है। इसमें नए इंटर्नल कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम, बेहतर नेविगेशन टूल्स और दर्शक जुड़ाव के लिए ऐडवर्टाइजिंग प्लेसमेंट फीचर्स है।
बीबीसी स्टूडियोज ने अगले साल यू.एस. में अपना पहला ब्रैंड कैंपेन शुरू करने की योजना बनाई है और एक यू.एस अनुकूलित पॉडकास्ट "द ग्लोबल स्टोरी" पेश किया है।
गेर्शकोविच को मार्च में मॉस्को से लगभग 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) पूर्व में रूस के शहर येकातेरिनबर्ग में रिपोर्टिंग के दौरान हिरासत में लिया गया था।
मॉस्को की एक अदालत ने वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार इवान गेर्शकोविच की हिरासत 30 जनवरी तक बढ़ा दी है। वह जासूसी के आरोप में गिरफ्तार हैं। रूसी समाचार एजेंसी की ओर से यह जानकारी सामने आयी है।
अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मामले का विवरण गोपनीय है, जिस वजह से मंगलवार को सुनवाई बंद कमरे में हुई।
गेर्शकोविच को मार्च में मॉस्को से लगभग 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) पूर्व में रूस के शहर येकातेरिनबर्ग में रिपोर्टिंग के दौरान हिरासत में लिया गया था।
रूस की संघीय सुरक्षा सेवा ने आरोप लगाया कि पत्रकार ने ‘अमेरिका के निर्देशों पर कार्य करते हुए, रूस के सैन्य-औद्योगिक परिसर के उद्यमों में से एक की गतिविधियों के बारे में एक खुफिया जानकारी एकत्र की।’
गेर्शकोविच और उसकी संस्थान ‘जर्नल’ ने आरोपों को खारिज किया है जबकि अमेरिकी सरकार ने पत्रकार की हिरासत को अनुचित बताया है। रूस के अधिकारियों ने जासूसी के आरोपों से संबंधित किसी भी तरह के सबूत का ब्यौरा नहीं दिया है।
हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ अपना बड़ा हमला शुरू किया, इसके बाद हुई हिंसा में गाजा पट्टी में कम से कम 50 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए हैं
हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ अपना बड़ा हमला शुरू किया, इसके बाद हुई हिंसा में गाजा पट्टी में कम से कम 50 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए हैं।पत्रकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
सोमवार को जारी की अपनी रिपोर्ट में न्यूयॉर्क स्थित इस गैर-लाभकारी संस्था ने बताया कि मरने वाले 50 लोगों में से 45 फिलिस्तीनी, चार इजरायली और एक लेबनानी था।
इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने यह भी बताया कि उग्र संघर्ष के बीच पत्रकारों की मौत का दूसरा सबसे घातक दिन 18 नवंबर को हुआ, जिसमें पांच लोग मारे गए, जबकि युद्ध का सबसे घातक दिन इसका पहला दिन यानी 7 अक्टूबर था, जिसमें छह पत्रकार मारे गए।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, 11 पत्रकार घायल हुए, तीन लापता हैं और 18 पत्रकारों को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया।
संस्था ने कहा कि वह अन्य पत्रकारों के मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लेने, चोट पहुंचाने या धमकाने और मीडिया कार्यालयों और पत्रकारों के घरों को नुकसान पहुंचाने की कई अपुष्ट रिपोर्टों की भी जांच कर रही है।
CPJ के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम समन्वयक शेरिफ मंसूर ने कहा कि CPJ इस बात पर जोर देता है कि पत्रकार संकट के समय महत्वपूर्ण काम करने वाले नागरिक हैं और उन्हें युद्धरत दलों द्वारा निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष को कवर करने के लिए पूरे क्षेत्र के पत्रकार बलिदान दे रहे हैं। विशेष रूप से गाजा में रहने वालों ने अभूतपूर्व क्षति का भुगतान किया है और भुगतान करना जारी रखा है और उन्हें तेजी से खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
मंगलवार सुबह तक, गाजा में मरने वालों की संख्या 11,078 थी, जिनमें से 4,506 बच्चे और 3,027 महिलाएं थीं।
इजराइल में 1,200 से अधिक मौतें हुई थीं, जबकि वेस्ट बैंक में यह संख्या बढ़कर 213 हो गई हैं।
खाड़ी देशों (गल्फ कंट्रीज) में 20 वर्षों तक काम करने का अनुभव रखने वाले माइकल जाबरी-पिकेट (Michael Jabri-Pickett) दुबई के सबसे पुराने अंग्रेजी मीडिया ऑर्गनाइजेशन का हिस्सा बन गए हैं।
खाड़ी देशों (गल्फ कंट्रीज) में 20 वर्षों तक काम करने का अनुभव रखने वाले माइकल जाबरी-पिकेट (Michael Jabri-Pickett) दुबई के सबसे पुराने अंग्रेजी मीडिया ऑर्गनाइजेशन का हिस्सा बन गए हैं। हाल ही में उन्हें 'खलीज टाइम्स' (Khaleej Times) का एडिटर-इन-चीफ नियुक्त किया गया है।
साल 2003 में वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ संयुक्त अरब अमीरात चले गए थे। 2005 में Emirates Today को लॉन्च करने में मदद करने से पहले उन्होंने दुबई में 'गल्फ न्यूज' के साथ अपना करियर शुरू किया था। 2007 में, वह अबू धाबी आ गए, जहां 2008 में उन्होंने 'द नेशनल अखबार' की लॉन्चिंग के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2019 में, संयुक्त अरब अमीरात में 16 सालों में पांच अलग-अलग न्यूज ऑर्गनाइजेशन में काम करने के बाद वह कतर फाउंडेशन में न्यूजरूम स्थापित करने और उसका संचालन करने के लिए दोहा चले गए थे।
अपनी इस नई भूमिका को लेकर जाबरी पिकेट ने कहा कि मध्य पूर्व में जहां से यह सफर शुरू हुआ था, वहां वापस लौटना मेरे लिए रोमांचक है। दुबई रहने के लिए एक अच्छी जगह है।
फिलिपींस में मारे गए पत्रकारों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है। रविवार को फेसबुक लाइव कार्यक्रम के दौरान एक रेडियो एंकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
फिलिपींस में मारे गए पत्रकारों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है। रविवार को फेसबुक लाइव कार्यक्रम के दौरान एक रेडियो एंकर की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
57 वर्षीय जुआन जुमालोन, 94.7 गोल्ड एफएम कैलाम्बा स्टेशन पर अपना सेबुआनो भाषा का शो करते थे। उन्हें 'डीजे जॉनी वॉकर' के नाम से भी जाना जाता है। मिंडानाओ के दक्षिणी द्वीप पर स्थित अपने घर में बने स्टूडियो में जुमालन मौजूद थे, जब एक बंदूकधारी ने उनके सिर में गोली मार दी।
पुलिस के मुताबिक, मिसामिस ऑक्सिडेंटल प्रांत के कालाम्बा शहर में सुबह के लाइव प्रसारण के दौरान एंकर को दो गोली मारी गई। चार प्रसारक जुआन जुमालोन के घरेलू रेडियो स्टेशन में प्रवेश किया था। बंदूकधारी ने जुमालोन से ऑन-एयर एक घोषणा करने की बात कही थी, जिसके बाद उन्होंने आरोपी को स्टूडियों में आने दिया। बाद में हमलावर ने दो बार गोली मारी और उनके गले से सोने की चेन छिनकर भाग गया। यह पूरी घटना स्टूडियो में लगे कैमरा में रिकॉर्ड हो गई।
हालांकि, फेसबुक लाइवस्ट्रीम पर आरोपी को नहीं देखा गया, लेकिन पुलिस ने घर व पड़ोसियों के यहां लगे कैमरों की जांच-पड़ताल की है।
वहीं, राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर ने गोलीबारी की निंदा की। उन्होंने अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने का आदेश दिया है। मार्कोस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, 'हमारे लोकतंत्र में पत्रकारों पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और जो लोग प्रेस की स्वतंत्रता को खतरे में डालते हैं, उन्हें अपनी हरकतों का परिणाम भुगतना पड़ेगा।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन एक नई भूमिका में नजर आएंगे।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन एक नई भूमिका में नजर आएंगे। दरअसल, उन्होंने हाल ही में घोषणा की है कि वह अब एक न्यूज चैनल के साथ काम करेंगे। एक्स पर अपना वीडियो शेयर कर उन्होंने जानकारी दी कि अब वह 'जीबी न्यूज' में एक कार्यक्रम को होस्ट करेंगे।
एक्स पर पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन ने कहा, 'मुझे बहुत खुशी है कि मैं जल्द ही जीबी न्यूज पर आपके साथ जुड़ने जा रहा हूं।'
उन्होंने कहा कि वह इस नए टीवी चैनल पर रूस, चीन, यूक्रेन में यद्ध इन सभी चुनौतियों से निपटने को लेकर मैं अपनी बात रखेंगे।
I’m very much looking forward to joining GB News https://t.co/D3bXVDlDss
— Boris Johnson (@BorisJohnson) October 27, 2023
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीबी न्यूज की ओर से कहा गया कि पूर्व पीएम जॉनसन 2024 से न्यूज प्रजेंटर, प्रोग्राम मेकर और कमेंटेटर के तौर पर काम करेंगे। जीबी न्यूज ने कहा कि अगले साल ब्रिटेन में चुनाव होने वाले हैं साथ ही अमेरिका के चुनावों को कवर करने में जॉनसन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। राजनीति में प्रवेश करने से पहले एक पत्रकार के रूप में काम करने वाले जॉनसन 'डेली मेल' के लिए कॉलम भी लिखते हैं।
गौरतलब है कि ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन साल 2019 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे। साल 2022 में एक के बाद एक स्कैंडल का खुलासा होने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इस साल जून महीने में बोरिस जॉनसन को संसद पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उन पर कोरोना महामारी के समय लॉकडाउन का उल्लंघन करने और इसे लेकर संसद को गुमराह करने का आरोप लगा। पूर्व पीएम ने संसद को गुमराह करने की बात कबूल भी की थी।
गाजा में इजरायल के हवाई हमलों में अलजजीरा चैनल के पत्रकार वेल अल-दहदौह की पत्नी, बेटी और बेटा समेत तमाम लोगों की गई जान
गाजा में इजरायल के हवाई हमलों में बुधवार की रात अलजजीरा (Al Jazeera) चैनल के पत्रकार वेल अल-दहदौह (Wael al-Dahdouh) के परिवार की मौत हो गई। दहदौह के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा और बेटी शामिल थे। दहदौह को यह खबर तब मिली जब वह गाजा पर इजरायली हमलों को कवर कर रहे थे।
बताया जाता है कि यह हमला उस जगह हुआ, जहां अलजजीरा अरबी के ब्यूरो प्रमुख दहदौह के परिवार ने इस्राइल की चेतावनी के बाद भागकर शरण ले रखी थी। ‘अलजजीरा’ ने सोशल प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जारी एक बयान में अल-दहदौह के परिवार के सदस्यों की मृत्यु की पुष्टि की और शोक व्यक्त किया।
Al Jazeera condemns the killing of its journalist Wael Al-Dahdouh's family in Gaza. pic.twitter.com/aFFLvSYCe9
— Al Jazeera Breaking News (@AJENews) October 25, 2023
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चैनल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सभी नागरिकों को दक्षिण गाजा की ओर जाने की चेतावनी के बाद दहदौह के परिवार ने अपने पड़ोस में बमबारी के बाद नुसीरत शिविर में शरण ली थी। बुधवार रात इजरायली सेना ने मध्य गाजा में स्थित इस शिविर को निशाना बनाया, जहां दहदौह की पत्नी, बेटा और बेटी समेत तमाम लोगों की मौत हो गई।
The family of Al Jazeera’s Gaza bureau chief Wael Dahdouh has been killed in an Israeli attack at the Al Nuseirat Camp in central Gaza, where they had forcibly evacuated to shelter from Israeli bombardments ⤵️ pic.twitter.com/ya64Lgunbp
— Al Jazeera English (@AJEnglish) October 25, 2023
इजरायल की सेना ने इस हमले पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। बता दें कि गाजा में इजरायली सेना की बमबारी जारी है। गाजा में इजरायल के हवाई हमलों में अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं।
गाजा पर हुए हमले में अब तक 16 फिलिस्तीनी पत्रकारों की जान जा चुकी है। हमले के दौरान कई पत्रकार घायल भी हुए हैं।
इजरायल और फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के बीच पिछले 14 दिनों से जंग जारी है। हमास ने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल पर घातक हमला किया था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद से इजरायल भी गाजा पट्टी पर जवाबी हमले कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाजा पर हुए हमले में अब तक 16 फिलिस्तीनी पत्रकारों की जान जा चुकी है। हमले के दौरान कई पत्रकार घायल भी हुए हैं। फिलिस्तीनी पत्रकार संगठन सिंडिकेट ने इसकी जानकारी दी।
सिंडिकेट ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि गाजा पर 13 दिनों से जारी इजरायली हमलों में 50 स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों को निशाना बनाया। इसके अलावा 2 पत्रकार लापता हो गए। ये दोनों पत्रकार गाजा में सत्तारूढ़ फिलिस्तीनी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) और इजरायल के बीच तनाव को कवर कर रहे थे।
बयान में यह भी कहा गया कि गाजा में लगातार बिजली कटौती और इंटरनेट समस्या के कारण पत्रकारों की कवरेज जारी रखने की क्षमता सीमित हो गई है। सिंडिकेट ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए दखल देने की अपील की है।
हमले के दौरान एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के पूर्व वीडियो पत्रकार यानिव जोहर (Yaniv Zohar), उनकी पत्नी और दो बेटियों की भी मौत हो गई।
हमास और इजरायल के बीच जंग 11वें दिन जारी है। गाजा पट्टी से चलने वाले चरमपंथी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल पर घातक हमला कर दिया था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के दौरान एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के पूर्व वीडियो जर्नलिस्ट यानिव जोहर (Yaniv Zohar), उनकी पत्नी और दो बेटियों की भी मौत हो गई। वह अपने घर पर अपने परिवार के साथ मृत पाए गए थे। वह 54 साल के थे।
यानिव जोहर ने तीन दशकों तक अपने देश के संघर्षों और प्रमुख मुद्दों पर कवरेज की थी। जोहर ने 2005 से 2020 यानी 15 वर्ष तक एपी के इजरायल ब्यूरो के लिए काम किया और देश की सभी प्रमुख घटनाओं को कवर किया।
एपी की एग्जिक्यूटिव एडिटर जूली पेस ने कहा कि जोहर दक्षिणी इजरायल में एक तरह से एपी की आंख और कान थे। तमाम घटनाक्रम पर हमेशा सबसे पहले हरकत में आते थे।
जोहर पिछले कई वर्षों से दैनिक अखबार ‘इजराइल हयोम’ में फोटो पत्रकार के तौर पर काम कर रहे थे।
अखबार ने एक बयान में कहा कि वह एक अद्भुत मित्र, एक समर्पित पिता और उदार व्यक्ति थे। इसमें कहा गया कि वह तमाम कठिन परिस्थितियों के बावजूद अनूठे दृश्यों की तस्वीरें लेने के बाद अगले काम के लिए जुट जाते थे।
बीबीसी ने मिडिल ईस्ट में अपने छह पत्रकारों को हिरासत ऑफ एयर कर दिया है और सोशल मीडिया पर किए गए इन पत्रकारों के पोस्ट की जांच शुरू कर दी है
बीबीसी कथित अनिष्पक्षता को लेकर विवाद में तब घिर गया, जब मिडिल ईस्ट स्थित उसके कुछ पत्रकार अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए हमास द्वारा इजरायली नागरिकों की हत्या को उचित ठहराते नजर आए। हालांकि मामला संज्ञान में आते ही बीबीसी ने मिडिल ईस्ट में अपने छह पत्रकारों को ऑफ एयर कर दिया है और सोशल मीडिया पर किए गए इन पत्रकारों के उन पोस्ट की जांच शुरू कर दी है, जो इजरायल के खिलाफ व हमास की गतिविधियों का समर्थन करते प्रतीत होते थे।
बता दें कि ये पत्रकार इजरायल पर किए हमास के हमले का जश्न मना रहे थे, जिसमें लगभग 1,300 इजरायली लोग मारे गए थे। इतना ही नहीं इन पत्रकारों ने आतंकवादी संगठन हमास की तुलना स्वतंत्रता सेनानियों से की थी। साथ ही इन पत्रकारों ने 7 अक्टूबर को हमास के हमले को "उम्मीद की सुबह" (morning of hope) करार दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकारों द्वारा उठाया गया यह कदम बीबीसी के निष्पक्षता के कड़े नियमों के खिलाफ है। बीबीसी के ये नियम सोशल मीडिया पर उसके पत्रकारों की गतिविधियों को भी कवर करते हैं।
बीबीसी न्यूज के जिन अरबी पत्रकारों ने पोस्ट लिखी या लाइक किए, उनमें मिस्र और लेबनान स्थित पत्रकार भी शामिल थे। ये सभी पत्रकार फिलिस्तीन का समर्थन करते या इजरायल की स्थिति की आलोचना करते थे।
वहीं, बीबीसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम इस मामले की तत्काल जांच कर रहे हैं। हम अपने संपादकीय और सोशल मीडिया दिशानिर्देशों के उल्लंघन के आरोपों को अत्यंत गंभीरता से लेते हैं और यदि हमें उल्लंघन मिलता है, तो निश्चित ही हम कार्रवाई करेंगे, जिसमें अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शामिल है।