समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया (एसपीएन) ने अपने बुके में और एक फ्री-टू-एयर (एफटीए) हिंदी मूवी चैनल जोड़ लिया है। ‘सोनी वाह’ नाम का यह चैनल अब हिंदी स्पीकिंग मार्केट में डीडी फ्रीडिश और कुछ केबल नेटवर्क्स जैसे- इनकेबल, डेन, फास्टवे, जीटीपीएल आदि पर उपलब्ध है। ‘फिल्मों का मेला’ टैगलाइन के साथ, सोनी वाह, सो
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार की दोपहर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स के लिए गुरुवार को गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार की दोपहर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की। नई गाइडलाइंस के दायरे में फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और नेटफ्लिकस, अमेजॉन प्राइम और हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मौके पर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना था, 'सरकार का मानना है कि मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक लेवल-प्लेइंग फील्ड होना चाहिए इसलिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा। लोगों की मांग भी बहुत थी।' प्रकाश जावड़ेकर ने कहा जिस तरह फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड हैं, टीवी के लिए अलग काउंसिल बना है उसी तरह ओटीटी के लिए भी नियम लाए जा रहे हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद सरकार ने नए नियम लागू करने पर विचार किया है। उनका कहना था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के पास किसी तरह का कोई बंधन नहीं है। इसलिए तमाम आपत्तिजनक सामाग्रियां बिना किसी रोकटोक के दिखाई जाती हैं। इसी के मद्दे नजर सरकार को ये लगता है कि सभी लोगों को कुछ नियमों का पालन करना होगा।
We have decided to have 3 tier mechanism for OTT platforms;
— PIB India (@PIB_India) February 25, 2021
▪️OTT and Digital news media have to disclosed their details
▪️Grievance redressal system for Digital and OTT platforms
▪️Self regulatory body headed by retired SC or HC judge
Union Minister @PrakashJavdekar pic.twitter.com/6QdCK44yxA
वहीं, रविशंकर प्रसाद का कहना था, ‘सोशल मीडिया कंपनियों का भारत में कारोबार करने के लिए स्वागत है। इसकी हम तारीफ करते हैं। व्यापार करें और पैसे कमांए। सरकार असहमति के अधिकार का सम्मान करती है लेकिन यह बेहद जरूरी है कि यूजर्स को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाने के लिए फोरम दिया जाए।’ प्रसाद ने कहा, ’हमारे पास कई शिकायतें आईं कि सोशल मीडिया पर मार्फ्ड तस्वीरें शेयर की जा रही हैं। आतंकी गतिविधियों के लिए इनका इस्तेमाल हो रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग का मसला सिविल सोसायटी से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।’
Guidelines for Social Media Platforms
— PIB India (@PIB_India) February 25, 2021
A Grievance redressal mechanism should be developed and there should be a Grievance Redressal Officer
Should be registered within 24 hours and disposed in 15 days: Union Minister @rsprasad#ResponsibleFreedom #OTTGuideline pic.twitter.com/8A0DQycQqe
सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस
- इसमें दो तरह की कैटिगरी हैं: सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडियरी।
- सबको शिकायत निवारण व्यवस्था (ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म) बनानी पड़ेगी। 24 घंटे में शिकायत दर्ज करनी होगी और 14 दिन में निपटाना होगा।
- अगर यूजर्स खासकर महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ की शिकायत हुई तो 24 घंटें में कंटेंट हटाना होगा।
- सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया को चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर रखना होगा जो भारत का निवासी होगा।
- एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन रखना होगा जो कानूनी एजेंसियों के चौबीसों घंटे संपर्क में रहेगा।
- मंथली कम्प्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी।
- सोशल मीडिया पर कोई खुराफात सबसे पहले किसने की, इसके बारे में सोशल मीडिया कंपनी को बताना पड़ेगा।
- हर सोशल मीडिया कंपनी का भारत में एक पता होना चाहिए।
- हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास यूजर्स वेरिफिकेशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
- सोशल मीडिया के लिए नियम आज से ही लागू हो जाएंगे। सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को तीन महीने का वक्त मिलेगा।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए गाइडलाइंस
- ओटीटी और डिजिटल न्यूज मीडिया को अपने बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी। रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।
- दोनों को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्ती हेड करेगी।
- सेंसर बोर्ड की तरह ओटीटी पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था हो। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
- डिजिटल मीडिया पोर्टल्स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार नहीं है।
गौरतलब है कि लंबे समय से नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने पर बहस चल रही थी। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर केंद्र सरकार से अब तक की गई कार्रवाइयों पर जवाब दाखिल करने को कहा था।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने के मुद्दे पर कुछ कदम उठाने पर विचार कर रही है।
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पुलिस ने मध्य प्रदेश के दतिया जिले में एक फर्जी पत्रकार को गिरफ्तार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पकड़ा गया फर्जी पत्रकार कई बड़े न्यूज चैनल्स और अखबारों के फर्जी आईडी बनवाकर क्षेत्र में अवैध रूप से वसूली कर रहा था।
आरोपी ने अपना एक होर्डिंग भी छपवाकर दतिया व्यापार मेले के बाहर लगा दिया था, जिसमें उसने खुद को मीडिया पार्टनर बताया था। अन्य पत्रकारों ने जब अपने चैनलों का नाम और फर्जी पत्रकार का नाम देखा तो कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने करीब 21 वर्षीय इस फर्जी पत्रकार को उसके घर से कई दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार कर लिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार देर रात स्थानीय पत्रकार ने राजघाट कॉलोनी महावीर वाटिका निवासी अनुज पुत्र अनिल गुप्ता पर फर्जी पत्रकार बनकर लोगों से अवैध वसूली करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एसपी अमन सिंह राठौड़ के निर्देश पर सोमवार को पुलिस ने आरोपी के घर दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ करने पर अनुज के पास कई चैनलों और अखबारों के साथ पीआरओ का लेटर फ्रेम में जड़ा हुआ मिला। कई युवक-युवतियों को पत्रकार बनाने संबंधी दस्तावेज व नियुक्ति पत्र भी आरोपी के घर से जब्त किए गए। पुलिस अनुज से पूछताछ कर रही है।
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डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म thequint.com के स्वामित्व वाली और संचालक कंपनी ‘क्विंट डिजिटल मीडिया’ (Quint Digital Media) को कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर रितु कपूर को पुन: नामित (re-designate) किए जाने के प्रस्ताव को शेयरहोल्डर्स (Shareholders) की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही कंपनी को वंदना मलिक को नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को भी शेयरहोल्डर्स से मंजूरी मिल गई है। यह नियुक्ति पांच साल के लिए होगी।
‘क्विंट डिजिटल मीडिया’ ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इस बारे में जानकारी दी है। बताया जाता है कि 20 जनवरी को एक मीटिंग में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने रितु कपूर को कंपनी के एमडी और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर पद पर नियुक्त किए जाने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी थी। इस निर्णय पर शेयरधारकों की मुहर लगनी बाकी थी।
बता दें कि कंपनी ने 30 दिसंबर 2020 को जानकारी दी थी कि राघव बहल ने कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी का कहना था कि 29 दिसंबर 2020 के बाद मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से राघव बहल का इस्तीफा प्रभावी हो गया है। हालांकि, बहल कंपनी के बोर्ड में नॉन-एग्जिक्यूटिव प्रमोटर डायरेक्टर के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे। 29 दिसंबर को कंपनी के एमडी राघव बहल के इस्तीफे के बाद क्विंट डिजिटल मीडिया की सीईओ रितु कपूर को एमडी का अतिरिक्त पद सौंपा गया था।
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चीन ने पिछले साल गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में मारे गए अपने सैनिकों की संख्या पर सवाल उठाने वाले अपने ही तीन पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के अधिकारियों का कहना है कि तीनों को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार किए गए पत्रकारों में इकनॉमिक ऑब्जर्वर के साथ काम कर चुके 38 वर्षीय किउ जिमिंग भी शामिल हैं। किउ के अलावा एक ब्लॉगर को बीजिंग से अरेस्ट किया गया है, वहीं 25 वर्ष के एक ब्लॉगर यांग को दक्षिण पश्चिमी सूबे सिचुआन से अरेस्ट किया गया है। किउ पर आरोप है कि उन्होंने आंकड़ों पर सवाल उठाकर सेना की शहादत का अपमान किया है। तीनों को समाज में गलत प्रभाव डालने वाली जानकारी देने के आरोप में अरेस्ट किया गया है।
दरअसल, कुछ दिनों पूर्व ही चीनी सेना ने आधिकारिक तौर पर बताया था कि पिछले साल 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प में उसके चार सैनिकों की मौत हुई थी और एक सैनिक की मौत बाद में हुई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
उस वक्त चीनी सेना ने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया था, लेकिन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में 40 से 50 सैनिकों की मौत की बात कही गई थी। हालांकि चीन ने अब करीब आठ महीने बाद अपने सैनिकों की मौत की बात तो स्वीकारी, लेकिन आंकड़ा सिर्फ चार का ही दिया। चीन सरकार के इसी आंकड़े पर किउ ने सवाल उठाया था। उन्होंने यह आंकड़ा कुछ ज्यादा होने की बात कही थी। इसके साथ ही किउ ने चीन सरकार की ओर आठ महीनों के बाद आंकड़ा जारी करने पर भी सवाल उठाया था।
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‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) ने समयबद्ध फैसले के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से न्यू टैरिफ ऑर्डर-2.0 (NTO 2.0) के मामले को तत्काल सूचीबद्ध (Listing) करने की गुजारिश की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘ट्राई’ ने न्यू टैरिफ ऑर्डर-2.0 के मामले को इसी महीने सूचीबद्ध करने के लिए कहा है, ताकि इस पर फैसला आ सके। रिपोर्ट के अनुसार, ‘ट्राई’ के चेयरमैन पीडी वाघेला उपभोक्ताओं के हितों को मद्देनजर नए टैरिफ ऑर्डर को जल्द से जल्द लागू कराना चाहते हैं।
बता दें कि पिछले साल जनवरी में ट्राई ने नए न्यू टैरिफ ऑर्डर (NTO 2.0) को लागू करने का आदेश दिया था, जिसके बाद ब्रॉडकास्टर्स के ग्रुप ने बॉम्बे हाई कोर्ट में ट्राई के आदेश को चुनौती दी थी। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
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अर्जेंटीना (Argentina) में कोराना वायरस टीकाकरण (Corona Vaccination) को लेकर प्राथमिकता समूह से बाहर के लोगों को टीका दिए जाने पर विवाद इस कदर गहरा गया कि यहां के स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा तक देना पड़ गया। दरअसल, विवाद के बीच अर्जेंटीना (Argentina) के राष्ट्रपति अल्बर्टों फर्नांडीज ने स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देने को कहा दिया था, जिसके बाद उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
स्वास्थ्य मंत्री पर आरोप लगा है कि उन्होंने टीकाकरण के लिए प्राथमिकता समूह में नाम न होने के बावजूद एक मशहूर स्थानीय पत्रकार को टीका दिए जाने की सिफारिश की।
राष्ट्रपति ने अपने ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ से स्वास्थ्य मंत्री गिनीज गोंजालेज गार्सिया को तुरंत इस्तीफा देने का आदेश देने को कहा, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कोरोना वायरस से निपटने को लेकर गार्सिया प्रभार संभाल रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार होरासिओ वेरबिट्सकी ने मंत्री गार्सिया से टीकाकरण का अनुरोध किया था और मंत्री ने उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय बुलाया था। वहां शुक्रवार को उन्हें स्पूतनिक वी के टीके की खुराक दी गई थी।
वैसे यहां ऐसे कई मामले आए हैं जब मेयर, सांसदों, कार्यकर्ताओं, सत्ता के करीबी लोगों को टीके दिए गए, जबकि प्राथमिकता समूह में उनका नाम नहीं था। हालांकि प्राथमिकता के तहत देश में सबसे पहले डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को टीके दिए जाने हैं। अर्जेंटीना में कोविड-19 से 20 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 50,857 लोगों की मौत हुई है।
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80 देशों के 203 से ज्यादा खोजी पत्रकार संगठनों की सर्वोच्च संस्था ने वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी को हिंदी भाषा के लिए संपादक नियुक्त किया गया है
80 देशों के 203 से ज्यादा खोजी पत्रकार संगठनों की सर्वोच्च संस्था ‘ग्लोबल इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क’ (जीआईजीएन) ने वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी को हिंदी भाषा के लिए संपादक नियुक्त किया गया है और वे भोपाल से ही अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। दीपक तिवारी ढाई दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। साहित्य और लेखन में रुचि रखने वाले तिवारी ने इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा विदेश यात्राएं भी की हैं।
तिवारी मूल रूप से मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले हैं। वे देश की प्रमुख अंग्रेजी पत्रिका ‘द वीक’ के विशेष संवाददाता के रूप में भोपाल में अपनी सेवाएं भी दी हैं। वह देश की प्रतिष्ठित संवाद समिति के दिल्ली मुख्यालय में भी काम कर चुके हैं। उन्हें पंचायती राज से संबंधित मुद्दों पर श्रेष्ठ रिपोर्टिंग के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह देश-विदेश में कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। तिवारी ने सागर के डॉ. सर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पत्रकारिता में स्नातक किया है।
विश्व की प्रतिष्ठित संस्था जीआईजीएन पूरी दुनिया में खोजी पत्रकारिता के नए-नए आयामों की आपस में चर्चा करके उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम करती है। इस संगठन का मुख्यालय वॉशिंगटन में है, जबकि इसकी सेवाएं फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी, अफ्रीकी, चीनी, अरबी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी भाषा में चलती है और प्रत्येक भाषा का एक अलग संपादक है।
जीआईजीएन पत्रकारिता की नई तकनीकों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर एक रिसोर्स सेन्टर चलता है, जिसे कोई भी पत्रकार उपयोग कर सकता है। दीपक तिवारी को हिंदी भाषा में इस तरह की पत्रकारिता को विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई है। जीआईजीएन का हर दो वर्ष में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होता है जिसमें भारत समेत पूरी दुनिया के पत्रकार हिस्सा लेते हैं। यह संस्था आने वाले समय में हिंदी के पत्रकारों के लिए फेलोशिप भी प्रदान करेगी।
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दिल्ली के द्वारका इलाके में पिछले हफ्ते हुई स्थानीय यूट्यूब चैनल के पत्रकार दलबीर सिंह (34) की हत्या के मामले में पुलिस ने उसके भांजे गुरमीत को गिरफ्तार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 22 वर्षीय गुरमीत को गोला डेयरी (Goyla Dairy) से गिरफ्तार किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि पूछताछ के दौरान गुरमीत ने बताया कि दलबीर सिंह उसका मामा था। परिवार ने करीब दो महीने पूर्व उसकी शादी तय की थी। दलबीर सिंह ने शादी समारोह में हर्ष फायरिंग के लिए उसे एक पिस्टल दी थी।
पुलिस के अनुसार, पिस्टल के लिए दलबीर सिंह रुपयों की मांग कर रहा थी। गुरमीत इसके लिए सिर्फ दस हजार रुपये देने को तैयार था, लेकिन दलबीर ज्यादा रुपये मांग रहा था। 16 फरवरी को दोनों काकरोला इलाके में मिले, जहां से दलबीर सिंह उसे अपने घर के पास ले गया। यहां पैसों को लेकर दोनों के बीच बहस हो गई और गुस्से में गुरमीत ने दलबीर के सिर में गोली मार दी।
पिछले दिनों पुलिस को सूचना मिली कि गुरमीत उस पिस्टल को बेचने की तैयारी कर रहा है। सूचना पर पुलिस ने गुरमीत को कुतुब विहार इलाके से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को उसके कब्जे से पिस्टल बरामद हुई है। उस पर आर्म्स एक्ट और हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि जेजे कॉलोनी, भरत विहार के रहने वाले दलबीर सिंह की 16 फरवरी को घर के पास सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यहां पर वह पत्नी और तीन बच्चों के साथ किराये के मकान में रहते थे।
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ग्रेटा थनबर्ग टूल किट मामले में दिशा रवि की गिरफ्तारी पर हंगामा जारी है। शुक्रवार दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। दिशा के वकील ने याचिका में मीडिया ट्रायल रोकने की मांग की थी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने मीडिया ट्रायल रोकने से इनकार कर दिया और मीडिया को निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को सनसनीखेज ना बनाया जाए और ऐसी खबरें न दिखाई जाएं, जिससे जांच और आरोपी के अधिकार प्रभावित हो।
गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने किसान आंदोलन से जुड़ी टूलकिट साझा करने के मामले में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली पुलिस व कई मीडिया हाउस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिका में दिशा रवि ने पुलिस पर उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने का आरोप लगाया है।
दिशा के वकील ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से दिशा के खिलाफ अपना मामला बना रही है। वकील ने एक विशिष्ट चैनल के वीडियो का उल्लेख करते हुए कहा कि न्यूज एंकर और रिपोर्टर का कहना है कि उन्हें साइबर सेल के स्रोतों से जानकारी मिली है। इस पर कोर्ट ने दिशा के वकील से पूछा कि क्या वह यह दावा करने की कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस ने वास्तव में इसे लीक किया था। कोर्ट ने कहा कि ये न्यूज चैनल कह रहे हैं कि उन्हें इसकी सूचना दिल्ली पुलिस से मिली है।
कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया से उसके सोर्स के बारे में नहीं पूछ सकते, लेकिन जानकारी सही होना भी जरूरी है। निजता का अधिकार, फ्री स्पीच और देश की संप्रभुता में संतुलन करना जरूरी है। इस मामले में फिलहाल चार किसानों की जानकारी आई है, वह दिखा रही है कि इस मामले में खबरों को सनसनीखेज भी बनाया गया।
कोर्ट ने आगे कहा कि चैनल के एडिटर को भी देखना होगा कि मामले को सनसनीखेज न बनाया जाए और न ही ऐसी खबर की जाएं, जिससे जांच और आरोपी के अधिकार प्रभावित हो।
इसके साथ ही कोर्ट ने दिशा रवि को यह निर्देश भी दिया है कि वह पुलिस की छवि को खराब करने की कोशिश न करें। इससे पहले दिशा के वकील ने मांग की कि केस से जुड़ी हुई जानकारी सार्वजनिक न कि जाए। वकील ने कहा कि दिशा को गिरफ्तार करके दिल्ली लाया गया, लेकिन वकील को जानकारी तक नहीं दी कि दिशा को किस कोर्ट में पेश करेंगे।
दिशा के वकील ने कोर्ट में कहा कि खबरों में ये भी बता दिया गया कि जांच के दौरान पुलिस ने दिशा से क्या-क्या सवाल पूछे। इतना ही नहीं, मीडिया में दिशा का कथित बयान भी चलाया गया। ये सब लीक हुई जानकारी के आधार पर हुआ है।
वहीं, दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि दिशा के वकील जिन खबरों और ट्वीट की बात कर रहे हैं, अभी उसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। लेकिन अगर कोर्ट चाहे तो इस मामले में सोमवार तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया में जो रिपोर्टिंग हो रही है, वह जरूरी नहीं है कि सच हो। कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और चार्जशीट दायर नहीं होती, तब तक केस से जुड़ी कोई जानकारी सार्वजनिक न की जाए।
बता दें कि दिशा की याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस और सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह टूल किट एफआईआर से से जुड़े हुए हैं जो भी जांच है, उसकी जानकारी सार्वजनिक न करें। निशा रवि को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया और उसको लेकर दिल्ली पुलिस बंगलुरु से दिल्ली आ गई बेंगलुरु की अदालत में याचिका दायर करने का मौका नहीं दिया गया। मीडिया ट्राई की वजह से दिशा रवि की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। लिहाज़ा उस पर रोक लगाई जाए। मीडिया में दिशा रवि और ग्रेटा थनबर्ग के बीच की जो वॉट्सऐप चैट चल रही है, उसको भी चलाने से रोका जाए, क्योंकि इससे दिशा रवि के फ्री एंड फेयर ट्रायल के अधिकार को छीना जा रहा है।
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दिल्ली की एक अदालत ने वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को बुधवार को बरी कर दिया है। कोर्ट में यह मामला दो साल से अधिक समय तक चला। वहीं इस मामले को लेकर अब भारतीय महिला प्रेस वाहिनी (आईडब्ल्यूपीसी) का बयान सामने आया है।
आईडब्ल्यूपीसी ने पूर्व मंत्री एमजे अकबर द्वारा दायर मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी का बरी होने को महिला पत्रकारों की जीत करार दिया है।
आईडब्ल्यूपीसी का कहना है कि एक महिला पत्रकार के रूप में रमानी ने हमेशा ही यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाजें उठाईं हैं। वह न्यूज रूम में अप्रिय टिप्पणियों से दूर रही हैं और बुरी नजरों से बचती रही हैं।
बता दें कि #MeToo कैंपेन के तहत 2018 में प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर तकरीबन 20 साल पहले उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में 15 अक्टूबर 2018 को मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाते वक्त यह कहते हुए रमानी को बरी कर दिया कि एक महिला को दशकों के बाद भी किसी भी मंच पर अपनी शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। इस दौरान अदालत ने यह भी माना कि किसी महिला को अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर दंडित नहीं किया जाना चाहिए।
एक बयान में आईडब्ल्यूपीसी ने कहा कि वह रमानी को बरी किए जाने के अदालत के फैसले का स्वागत करती है। यह महिला पत्रकारों की जीत है, जिन्होंने हमेशा ही यौन उत्पीड़न का विरोध किया है।
बयान में यह भी कहा गया, ‘हम सभी सुरक्षित कार्यस्थल चाहते हैं, लेकिन भेड़िये अंदर ही बैठे हुए हैं।’ संगठन ने कहा कि वह मुद्दे पर रमानी के संकल्प की प्रशंसा करता है।
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