सूचना प्रसारण मंत्रालय और प्रसार भारती में तनातनी की खबरों के बीच...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
सूचना प्रसारण मंत्रालय
और प्रसार भारती में तनातनी की खबरों के बीच सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने
प्रसार भारती के कामकाज पर सवाल उठाया है। 'जागरण राउंड टेबल' में विशेष चर्चा के दौरान उन्होंने अपने ‘मन की
बात’ रखी, जिसे दैनिक जागरण ने विस्तार से प्रकाशित किया है। उनकी इस चर्चा को आप यहां पढ़ सकते हैं-
दैनिक जागरण की संपादकीय टीम के साथ राउंड टेबल में हुई विशेष चर्चा के दौरान सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि निजी टेलिविजन ब्रॉडकास्टर आधे से भी कम खर्च में बेहतर कंटेंट उपलब्ध करा रहे हैं जबकि जनता के टैक्स के पैसे की बड़ी रकम खर्च करने के बावजूद प्रसार भारती के कार्यक्रमों की लोकप्रियता और गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है। 'जागरण राउंड टेबल' में विशेष चर्चा में मंत्री ने साफ कर दिया है कि उन्हें कोई डरा नहीं सकता है। वह जानती हैं कि छवि बिगाड़ने की कोशिश हो रही है लेकिन वह सरकारी पैसे के खर्च की जवाबदेही का सवाल उठाना नहीं छोड़ेंगी।
प्रसार भारती की स्वायत्तता में दखलंदाजी-देश के एकमात्र सार्वजनिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती की स्वायत्तता में दखलंदाजी की खबरें पिछले कुछ दिनों से चर्चा में रही हैं। स्मृति से जब टिप्पणी मांगी गई तो उन्होंने बेबाक कहा- इन खबरों का लक्ष्य यह होता है कि स्मृति ईरानी का थोड़ा हाथ मरोड़ दो, जिससे समाज में उसकी गलत इमेज बने और वो सवाल पूछना छोड़ दे। लेकिन ऐसा नहीं होगा, मैं इस कुर्सी पर बैठी इसीलिए हूं कि जिम्मेदारी तय हो, टैक्सपेयर के पैसों का जवाब दिया जाए और संस्थान दूसरे ब्रॉडकास्टर की तुलना में अच्छा करे।'
स्मृति ईरानी ने कहा कि
देश के आम आदमी के टैक्स का लगभग 2500 करोड़ रुपये हर साल पब्लिक ब्रॉडकास्टर को जिंदा रखने के लिए दिया जाता है,
ताकि इन पैसों से देशभर में ब्रॉडकास्ट का एक नेटवर्क बिछाया जा सके
और कॉन्टेंट क्वालिटी बेहतर बनाया जा सके। प्रसार भारती में कंटेंट को लेकर बहुत
सारी चुनौतियां हैं। प्राइवेट ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती के आधे बजट में बेहतर काम
करके ज्यादा रेवेन्यू ले जाते हैं। ऐसे में सरकार और सूचना व प्रसारण मंत्रालय की
जिम्मेदारी बनती है कि वो आयकर दाताओं के पैसे की जवाबदेही तय करे।
सरकार के अधीन प्रसार
भारती
विशेष चर्चा के दौरान
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे उस दिशा में आगे कदम बढ़ाएंगी, जब प्रसार भारती को यूपीए के
समय सरकार के अधीन लाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा था। इसके जवाब में
उन्होंने कहा कि मैं इससे वाकिफ नहीं हूं फिर भी इसका समर्थन नहीं करती हूं
क्योंकि स्वायत्तता के साथ जिम्मेदारी तय किया जाना संभव है। प्रसार भारती के
कामकाज में अगर प्रबंधन में अनुशासन आ जाए तो सब कुछ दुरुस्त हो सकता है। लड़ाई की
खबरों को तूल देकर कोई यह फैलाए कि सरकार का ध्येय प्रसार भारती को बंद करना है तो
यह गलत है। यह तो यूपीए की सोच थी।
पीएम मोदी और मीडिया के
रिश्ते-
पीएम मोदी और मीडिया के
रिश्ते की कशमकश पर जब उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि न्यूज को बिना किसी व्यूज के प्रस्तुत करना होता
है। लेकिन कुछ की नीति ही मोदी का विरोध है। पीएम ने खुद कहा है कि मोदी का विरोध
देश के विरोध में न तब्दील हो जाए यह ध्यान में रखना चाहिए। नरेंद्र मोदी एक अकेले
ऐसे नेता है, जो
ऐसे कई अवरोध, जहरीले हमलों के बावजूद नेता बने, क्योंकि देश की जनता उनके साथ है।
प्रिंट मीडिया में
एफडीआई-
सरकार विदेशी निवेश को
प्रोत्साहन दे रही है। जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रिंट मीडिया में एफडीआई की
मौजूदा सीमा भी बढ़ने की उम्मीद है, तो इस पर सूचना प्रसारण मंत्री ने जवाब दिया, ‘मेरा मानना है कि स्वदेशी प्रेस और उसके मालिकाना हक को ज्यादा तवज्जो
मिले। आज क्रॉस ओनरशिप एक बड़ी चर्चा का मुद्दा बन चुका है। अगर हम विदेशी निवेश
की बात करते हैं, तो कहीं न कहीं मीडिया की संवेदनशीलता
को समझना होगा। विदेशी निवेश कॉन्टेंट में, मैनेजमेंट
या संपादकीय में हो, यह एक चर्चा का विषय है।’
एफएम रेडियो का
विस्तार-
सरकार के एफएम रेडियो
के विस्तार पर आगे बढ़ने के फैसले का खुलासा करते हुए सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा
कि देश भर में 600 नये एफएम रेडियो स्टेशनों की नीलामी की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है और यह
प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। हालांकि निजी एफएम रेडियो पर न्यूज कंटेंट को अनुमति
नहीं दिये जाने की दो टूक बात कह स्मृति ने साफ कर दिया कि रेडियो न्यूज पर
आकाशवाणी का एकाधिकार बना रहेगा। निजी एफएम चैनलों को आकाशवाणी के समाचार बुलेटिन
को भी रिले करने की अनुमति नहीं मिलेगी।
बीबीसी की तर्ज चैनल-
बीबीसी की तर्ज पर कोई
चैनल शुरू करने की योजना के सवाल पर स्मृति ईरानी ने इस बात से भी इनकार कर दिया
कि ऐसी कोई योजना है भी।
‘फेक
न्यूज’ पर सूचना-प्रसारण मंत्रालय का पक्ष-
फेक न्यूज एक गंभीर
मसला है जिसके जरिए एजेंडा सेट करने की कोशिश हो रही और तमाम विचारधाराओं के लोग
इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में जब उनसे सवाल किया गया कि उनका मंत्रालय इस पर
क्या करने जा रहा, तो
उन्होंने जवाब दिया कि इसे लेकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से चर्चा की गई है। प्रेस
काउंसिल के हस्तक्षेप के बावजूद एक ही रास्ता बचता है कि हम उनको रेवेन्यू से
समर्थन देना बंद कर दें। ऐसा मामला हमारे सामने आता है तो डीएवीपी को निर्देश देते
हैं कि ऐसे अखबार के पास भारत सरकार से जुड़ा कोई विज्ञापन न जा पाए। वैसे फेक न्यूज
से बचाव के लिए हिंदुस्तान में ढ़ाल तो अखबार के एडिटर को ही बनना पड़ेगा।
(साभार: दैनिक जागरण)
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सार्वजनिक सेवा प्रसारक ‘प्रसार भारती’ (Prasar Bharati) और ‘नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन’ (NBA) ने कंटेंट पार्टनरशिप की घोषणा की है। इस पार्टनरशिप के तहत प्रसार भारती के स्पोर्ट्स चैनल ‘दूरदर्शन स्पोर्ट्स’ (DD Sports) और इसके यूट्यूब चैनल ‘प्रसार भारती स्पोर्ट्स’ पर एनबीए के क्लासिक कंटेंट, डॉक्यूमेंट्रीज, गेम हाईलाइट्स और घोषणाओं का प्रसारण किया जाएगा।
‘एनबीए इंडिया’ के ग्लोबल कंटेंट और मीडिया डिस्ट्रीब्यूशन के हेड सनी मलिक का कहना है, ‘एनबीए की खास प्रोग्रामिंग और हाईलाइट्स की पेशकश के लिए प्रसार भारती के साथ पार्टनरशिप कर हम बेहद खुश हैं। प्रसार भारती ने भारत में एनबीए के प्रशंसकों की संख्या बढ़ाने और उन्हें देशव्यापी कंटेंट प्रदान करने के हमारे विजन को साझा किया है।’
वहीं, दूरदर्शन के महानिदेशक मयंक अग्रवाल का कहना है कि देश में दूरदर्शन स्पोर्ट्स का खास स्थान है। उन्होंने कहा, ‘हम डीडी स्पोर्ट्स के कंटेंट को और मजबूती प्रदान करने में जुटे हैं और एनबीए की प्रोग्रामिंग में स्पोर्ट्स क्लस्टर में तमाम तरह की पेशकश शामिल है। हम भारत में प्रशंसकों के लिए आसान पहुंच बनाने और उन्हें दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक के बारे में बताना चाहते हैं।’
भारतीय प्रशंसक एनबीए को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फॉलो कर सकते हैं और नवीनतम खबरों, अपडेट्स, स्कोर, शिड्यूल्स, वीडियोज आदि के लिए एनबीए के ऑफिसियर ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं।
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एक दशक से ज्यादा समय से प्रिंट, टीवी और ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पॉलिटिक्स, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों को कवर कर रहीं अवॉर्ड विजेता पत्रकार नेहा दीक्षित ने अपना पीछा किए जाने और जान से मारने की धमकियां मिलने की शिकायत दर्ज कराई है।
एक ट्वीट में दीक्षित ने लिखा है, ‘सितंबर 2020 से मेरा पीछा किया जा रहा है। पीछा करने वाले ने फोन पर मुझे दुष्कर्म किए जाने, तेजाब से हमला करने और जान से मारने की धमकी दी है।’
Some update from my end: #PressFreedom #RapeThreat #LifeThreat #Offlineviolence pic.twitter.com/cpNgzwvGDr
— Neha Dixit (@nehadixit123) January 27, 2021
बता दें कि दीक्षित के काम को द न्यूयॉर्क टाइम्स, अल-जजीरा, कारवां और द वायर सहित तमाम इंटरनेशनल आउटलेट्स में पब्लिश किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। इनमें वर्ष 2011 में यूरोपियन कमीशन का Lorenzo Natali Media Prize, वर्ष 2014 में the Kurt Schork Award और वर्ष 2016 में मिला चमेली देवी जैन अवॉर्ड शामिल है।
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मीडिया पर तीखा हमला बोलते हुए राजनीतिक विश्लेषक शहजाद पूनावाला का कहना है कि मीडिया का समय अब समाप्त हो चुका है और आज की तारीख में जिस व्यक्ति के पास सोशल मीडिया अकाउंट है और स्मार्टफोन है, वह पत्रकार हो सकता है।
‘गवर्नेंस नाउ’ (Governance Now) के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ एक बातचीत में शहजाद पूनावाला का कहना था, ‘सोशल मीडिया के लोकतांत्रिक होने और इसका विस्तार होने के साथ ही आजकल एक नई प्रकार की पत्रकारिता उभर रही है, जहां कोई भी व्यक्ति फोटो ले सकता है, स्टोरी लिख सकता है और सीधे इसे पोस्ट कर सकता है।’
पब्लिक पॉलिसी प्लेटफॉर्म पर ‘विजिनरी टॉक सीरीज’ (Visionary Talk series) के तहत होने वाले इस वेबिनार के दौरान शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘पत्रकारों और मीडिया को समझना चाहिए कि पत्रकारिता आजकल लोकतांत्रिक और डायनिमिक हो गई है। अब यह किसी विशेष विचारधारा, पार्टी या परिवार से अधिक जुड़ी नहीं है, जिस तरह से पिछले 70 वर्षों से होता रहा है। आजकल तो जिस व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है और उसका सोशल मीडिया अकाउंट है, वह पत्रकार है।’
एक मीडिया हाउस पर निशाना साधते हुए पूनावाला का कहना था, ‘उनके पत्रकारों के संबंध सरकार के साथ काफी गहरे होते थे और वे अपने फोन पर कैबिनेट के गठन का फैसला करते थे। आजकल इन लोगों के पास इस तरह की पावर नहीं है। आजकल कोई इन्हें नहीं पहचानता, क्योंकि ये लोग एक खास परिवार के लिए प्रोपेगैंडा कर रहे थे। अब इस तरह की पत्रकारिता खत्म हो चुकी है।’
इस बातचीत के दौरान भारत के कोविड टीकाकरण अभियान के बारे में पूनावाला का कहना था, ‘शुरू में स्वास्थ्य संकट से निपटने का राजनीतिकरण किया गया था। पहले प्रधानमंत्री से सवाल किया गया कि उन्होंने लॉकडाउन क्यों नहीं लगाया और लॉकडाउन लगाने के बाद उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है और प्रवासियों को घर जाने की अनुमति देने की मांग करने लगे। जब प्रवासियों को घर भेजा गया तो ये लोग सवाल उठाने लगे कि संक्रमण के खतरे के बीच प्रवासियों को घर क्यों भेजा गया। जब सरकार ने देश मे अनलॉक करने का फैसला लिया तो इन लोगों ने तब भी सवाल उठाए।’
पूनावाला के अनुसार, ‘इसके बाद इन लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि जब यूके और यूएस में वैक्सीन आ गई है तो भारत ने अभी तक इसे क्यों नहीं बनाया है। जब भारत में वैक्सीन आई तो उन्होंने कहा कि यह भाजपा की वैक्सीन है और व्यक्ति को नपुंसक बना देती है और पूछा कि पीएम को वैक्सीन क्यों नहीं लग रही है। क्या महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर राजनीति की जा सकती है? कोविद -19 संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुनिया भर में तारीफ हो रही है। प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगा, ऐसा कर उन्होंने पात्रता के वीवीआईपी कल्चर को समाप्त कर दिया है।’
उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब वह राष्ट्रवाद की बात करते हैं या जवानों का सम्मान करते हैं तो उन्हें मोदी समर्थक माना जाता है। विपक्ष को यह सोचना और तय करना होगा कि अगर कोई राष्ट्रवाद की बात करता है तो उसे किसी विशेष राजनीतिक दल से क्यों जोड़ा जाना चाहिए?’
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया' (पीसीआई) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन' (एनबीए) से जवाब मांगा, जिसमें मीडिया, चैनलों और नेटवर्क के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई के लिए ‘मीडिया ट्रिब्यूनल' (Media Tribunal) गठित करने की मांग की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की एक पीठ ने याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें मीडिया व्यवसाय नियमों से संबंधित संपूर्ण कानूनी ढांचे पर गौर करने और दिशानिर्देशों का सुझाव देने के लिए भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश या शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति की स्थापना की भी मांग की गई है।
पीठ ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय, पीसीआई और एनबीए के अलावा, ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन' (एनबीएफ) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी' (एनबीएसए) को भी नोटिस जारी किया है।
बता दें कि यह याचिका फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा और सिविल इंजीनियर नितिन मेमाने ने दायर की है, जिसकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई। याचिका में कहा गया कि मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, एक अनियंत्रित घोड़े की तरह हो गया है, जिसे नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को इसी मामले पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया है।
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प्रसार भारती ने कंटेंट को एक्सचेंज करने के इरादे से ‘नोवी डिजिटल एंटरटेनमेंट’ (Novi Digital Entertainment) के साथ एक करार किया है, ताकि ‘डीडी इंडिया’ (DD India) को यूके, यूएसए और कनाडा में भी देखा जा सके और वह भी ‘हॉटस्टार’ (Hotstar) पर। यह समझौता 22 जनवरी से मान्य है।
इस चैनल को ‘हॉटस्टार’ पर देखने के लिए चैनल कैटेगरी में जाकर सर्च ऑप्शन में डीडी इंडिया लिखकर सर्च कराना होगा। हॉटस्टार के साथ किया गया ये समझौता दूरदर्शन के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत वह अंतरराष्ट्रीय दर्शक वर्ग को विकसित करना चाहता है और भारत के लिए इस चैनल को एक वैश्विक आवाज बनाना चाहता है।
प्रसार भारती ने ट्वीट कर कहा कि वैश्विक स्तर पर डीडी का विस्तार करने और यूके, यूएस व कनाडा में डिजिटल को पसंद करने वाले (digitally savvy) साउथ एशियन युवाओं को इससे जोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया है। इन देशों में हॉटस्टार पर डीडी इंडिया को लॉन्च कर बेहद खुशी है।
.@DDIndialive is now available on Hotstar in UK, USA & Canada - As a step towards expanding global footprint of DD & to engage younger digitally savvy South Asian audiences in UK, US & Canada, Prasar Bharati is happy to announce launch of DD India on Hotstar in these countries. pic.twitter.com/n5UTLtfgQK
— Prasar Bharati प्रसार भारती (@prasarbharati) January 23, 2021
‘IBF’ द्वारा स्थापित स्व नियामक संस्था ‘BCCC’ देश में टेलिविजन चैनल्स द्वारा प्रसारित किए जा रहे कंटेंट पर नजर रखने का काम करती है।
‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ (IBF) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल को ‘ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल’ (BCCC) का नया चेयरपर्सन नियुक्त किया है।
‘IBF’ द्वारा स्थापित स्व नियामक संस्था ‘BCCC’ देश में टेलिविजन चैनल्स द्वारा प्रसारित किए जा रहे कंटेंट पर नजर रखने का काम करती है। वर्ष 2011 में गठित 13 सदस्यीय यह कमेटी अब तक कंटेंट से संबंधित 96000 से ज्यादा शिकायतों को सुन चुकी है।
जस्टिस गीता मित्तल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस विक्रमजीत सेन की जगह लेंगी, जिनका बीसीसीसी के चेयरपर्सन के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया है।
जस्टिस मित्तल ने दिल्ली के लेडी इरविन कॉलेज और लेडी श्रीराम महिला महाविद्यालय से पढ़ाई की है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से लॉ की डिग्री ली है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में जज और कार्यवाहक चीफ जस्टिस के रूप में कार्य करने के बाद उन्हें अगस्त 2018 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं जस्टिस गीता मित्तल ‘BCCC’ की पहली महिला चेयरपर्सन भी बनी हैं।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठी अखबार Sachoti के एडिटर राजकुमार छाजेड़ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि महाराष्ट्र पुलिस ने छाजेड़ द्वारा सर्कुलेट किए गए एक वॉट्सऐप मैसेज के आधार पर उन पर दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया है।
जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पिटाले की खंडपीठ ने वॉट्सऐप मैसेज को लेकर महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या आपको लगता है कि यह संदेश वास्तव में दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने के लिए है? साथ ही कहा कि यदि आप हर चीज को लेकर अतिसंवेदनशील हो जाएंगे, तो ये मुश्किल हो जाएगा।
57 वर्षीय छाजेड़ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के निवासी हैं। वह रत्नागिरी जिले के चिपलून में एक गौशाला भी चलाते हैं। उनके मुताबिक, पैसों को लेकर हुए विवाद की वजह से कुछ लोगों ने उनकी गौशाला में तोड़फोड़ की और वहां बंधी गायों की पिटाई की।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि अगले दिन छाजेड़ ने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने के इरादे से एक वॉट्सऐप मैसेज सर्कुलेट किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें स्थानीय अदालत से जमानत मिल गई। लेकिन उन्होंने अब अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने और नुकसान की हुई भरपाई के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
छाजेड़ ने कहा कि उन्होंने पुलिस से हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अनुरोध किया था, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। पुलिस को ये लगता है कि कुछ गौशाला संरक्षकों को किया उनका वॉट्सऐप मैसेज उनके लिए परेशानी का सबब बन गया।
पीठ ने सरकारी वकील डॉ. एफआर शेख से पूछा, ‘क्या आपने मैसेज देखा है और यह किस अपराध का खुलासा करता है?’
इस पर शेख ने कहा, 'छाजेड़ के खिलाफ 14 अन्य मामले दर्ज हैं और इस विशेष मामले में उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (जानबूझकर कृत्यों से धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना) लागू होती है।
जस्टिस शिंदे ने फिर से मैसेज को देखा और कहा, ‘उन्होंने मैसेज में किसी भी धर्म का उल्लेख नहीं किया है। इसके बाद जस्टिस ने फिर पूछा कि क्या उन्होंने किसी जाति का या फिर किसी विशेष वर्ग के लोगों का उल्लेख किया है? जस्टिस ने कहा कि मैसेज में उनकी मुख्य पीड़ा का पता चलता है कि सरकार गौशाला को अनुदान नहीं दे रही है।
फिर शेख ने कहा कि मैसेज में एक समुदाय के खिलाफ विशिष्ट आरोप है। इस पर, पीठ ने कहा, ‘यदि तथ्यों पर जाएं, तो ये एक समुदाय के खिलाफ आरोप नहीं हैं। ये ऐसी चीजें हैं जो हुई हैं। यह उनकी पीड़ा है, जो बताती है कि उनके शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जांच अधिकारी से इस मामले में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वकील ने पीठ के समझ थोड़ा और समय मांगा। अदालत ने फिलहाल सुनवाई 8 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
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पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा ठाकुरता के खिलाफ गुजरात के कच्छ जिला अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। मामला अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे से संबंधित है, जो 2017 में दायर किया गया था।
इस मामले में गुरुवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बयान जारी कर इसकी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर कहा, ‘परांजय ठाकुरता के खिलाफ निचली अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना इस बात का एक और उदाहरण है कि बिजनेस हाउस किसी भी तरह की होनी वाली आलोचनाओं के प्रति कितने असहिष्णु हो गए हैं कि इसकी वजह से लगातार इनकी ओर से स्वतंत्र और निडर पत्रकारों को टारगेट किया जा रहा है।’
गिल्ड ने ठाकुरता के खिलाफ कार्रवाई को ‘प्रेस को बोलने की आजादी’ पर कुठाराघात के रूप में वर्णित किया है और कहा है कि ये स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो गया है कि न्यायपालिका भी अब इसका हिस्सा बन गई है।
एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में अडानी ग्रुप से ठाकुरता के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने की मांग की और कहा कि एडिटर्स गिल्ड ये देखकर बहुत निराश है कि कैसे इन मामलों में प्रेस को दबाने के लिए न्यायतंत्र का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल सत्ता में बैठे लोग मीडिया के किए गए खुलासे को दबाने के लिए करते हैं।
दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुराता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि केंद्र ने अडानी पावर लिमिटेड को कच्चे माल के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमों में संशोधन किया था, जिससे 500 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।
पत्रकार ठाकुरता के वकील आनंद याग्निक के मुताबिक अडानी समूह को लेकर जिस वेबसाइट पर लेख प्रकाशित किया था, उसमें सभी के खिलाफ शिकायतें वापस ले ली गई हैं, लेकिन ठाकुरता के खिलाफ मामला वापस नहीं लिया गया है। वकील के मुताबिक, जब लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है, तो आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस क्यों नहीं ले रहे हैं। वकील ने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
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हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ (India TV) में सिद्धार्थ बिश्वास ने बतौर AVP (Strategy and Special Project) जॉइन किया है। बिस्वास इससे पहले पीटीसी नेटवर्क से जुड़े हुए थे और हेड (ब्रैंड मार्केटिंग और डिजिटल) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व में बिश्वास ‘जी’ (Zee), ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) और ‘जागरण प्रकाशन’ (Jagran Prakashan) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संसथानों में ब्रैंड मार्केटिंग का काम संभाल चुके हैं।
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मुंबई की सेशन कोर्ट ने टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इस बारे में 20 जनवरी 2021 को आदेश जारी किए।
बता दें कि टीआरपी घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
न्यायिक हिरासत में ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम होने के बाद दासगुप्ता को 15 जनवरी को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह दूसरी बार है जब दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज की गई है। इससे पहले मुंबई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने चार जनवरी को दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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