‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह को अलविदा कहकर अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ’
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह को अलविदा कहकर अंग्रेजी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ’ (Times Now) का दामन थामने वालीं वरिष्ठ पत्रकार पद्मजा जोशी को यहां बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें यहां 10 बजे के प्राइम टाइम शो ‘द न्यूजऑवर’ (The Newshour) को होस्ट करने की कमान सौंपी गई है और वह चैनल का नया एजेंडा सेट करने के लिए एडिटोरियल टीम के साथ मिलकर काम करेंगी। इसके अलावा वह आने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए चैनल के लिए रिपोर्ताज तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाएंगी।
पद्मजा जोशी ‘टाइम्स नाउ’ के नोएडा ऑफिस से अपना कामकाज देखेंगी और चैनल के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर को रिपोर्ट करेंगी। इस बारे में ‘टाइम्स नाउ’ के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर का कहना है, ‘पद्मजा जोशी के आने से चैनल के प्राइम टाइम को तो पहचान मिलेगी ही, साथ ही आने वाले चुनावों की कवरेज में भी हमें उनके ज्ञान और अनुभव का लाभ मिलेगा।’ वहीं, पद्मजा जोशी का कहना है, ‘अपनी नई पारी को लेकर मैं बहुत खुश हूं। यह चैनल अपनी खबरों में क्रेडिबिलिटी और एक्यूरेसी के लिए जाना जाता है।’
पद्मजा जोशी की खास बात यह है कि वो बेवजह चीख-चिल्लाकर अपनी बात रखने में विश्वास नहीं रखतीं। पद्मजा पूरी शालीनता और संजीदगी के साथ सवाल पूछती हैं, लेकिन इससे उनके सवालों की धार प्रभावित नहीं होती। उन्हें बखूबी पता है कि कब कैसे शब्दों का कितना इस्तेमाल करना है। पद्मजा जोशी की गिनती तेज तर्रार पत्रकारों में होती है और उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का काफी अनुभव है। अपने एक दशक से ज्यादा के पत्रकारीय करियर में वह रिपोर्टर, प्रड्यूसर और कमेंटेटर के साथ-साथ प्राइम टाइम न्यूज एंकर के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।
पद्मजा ने अपने करियर की शुरुआत बतौर रिपोर्टर की थी और डेढ़ साल तक रिपोर्टर की भूमिका निभाने के बाद उन्हें ‘स्टार न्यूज़’ में बतौर एंकर ख़बरों को प्रस्तुत करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने खुद को टीवी पत्रकारिता का हिस्सा बना लिया। 2007 में उन्होंने अंग्रेजी न्यूज़ चैनल ‘एक्स न्यूज़’ के साथ नई पारी की शुरुआत की, यहां उन्हें प्रड्यूसर की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि, पद्मजा का ये सफ़र ज्यादा लंबा नहीं रहा। केवल 8 महीने में ही उन्होंने ‘एक्स न्यूज़’ का साथ छोड़कर ‘हेडलाइंस टुडे’ ( अब इंडिया टुडे टीवी) जॉइन कर लिया। ‘हेडलाइन टुडे’ में पद्मजा ने एंकर और एसोसिएट एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर की भूमिका निभाई। करीब 6 साल यहां बिताने के बाद वो 2014 में ‘टाइम्स नाउ’ से बतौर न्यूज़ एडिटर जुड़ीं और फिर वापस ‘इंडिया टुडे’ समूह का हिस्सा बन गईं। अब एक बार फिर से उन्होंने ‘टाइम्स नाउ’ का दामन थाम लिया है।
शो के को-होस्ट के साथ ही महिला टीवी होस्ट ने की इस बयान की जमकर आलोचना
अमेरिकन एक्टर और फिल्म निर्माता ‘क्लिंट ईस्टवुड’ (Clint Eastwood) की आगामी फिल्म ‘रिचर्ड ज्वैल’ (Richard Jewell) इन दिनों चर्चाओं में बनी हुई है। इस फिल्म में दिवंगत पत्रकार कैथी स्क्रैग्स (Kathy Scruggs) के जीवन से जुड़े पहलुओं के चित्रण को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, फिल्म में अमेरिक अखबार ‘द अटलांटा-जर्नल संविधान’ (The Atlanta Journal-Constitution) की रिपोर्टर कैथी स्क्रैग्स को गोपनीय जानकारी जुटाने के लिए अपने सूत्रों (सोर्सेज) के साथ सोते हुए चित्रित किया गया है।
इस फिल्म के बारे में ‘फॉक्स न्यूज’ के होस्ट जेसी वॉटर्स (Jesse Watters) ने यह कहकर तहलका मचा दिया है कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ फिल्मों या टीवी शो का हिस्सा नहीं है, बल्कि असल जिंदगी में भी यह नियमित रूप से होता है।
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ (The Washington Post) की रिपोर्ट के अनुसार, ‘फॉक्स’ के लाइव शो ‘द फाइव’ (The Five) में जेसी वॉटर्स ने कहा, ‘यह हमेशा से होता है, अली वॉटकिन्स (Ali Watkins) कई सालों तक रिपोर्टर रहीं और वह महत्वपूर्ण खबरें निकालने के लिए करीब चार साल तक अपने सूत्र के साथ सोई थीं।’
वॉटर्स के इस बयान के साथ ही उनकी आलोचना शुरू हो गई है। अमेरिकन टीवी होस्ट ‘एसई कप’ (SE Cupp) ने एक ट्वीट कर वॉटर्स की जमकर खिंचाई की है। इस ट्वीट में उनका कहना है, ‘यह काफी घृणित और आधारहीन आरोप है। फॉक्स को अपनी महिला रिपोर्टर के लिए इसकी निंदा करनी चाहिए।’
This is a really disgusting, baseless charge, and one Fox should denounce for the sake of its own female reporters. https://t.co/ICdIZHNKsY via @mediaite
— S.E. Cupp (@secupp) December 12, 2019
यही नहीं, वॉटर्स के को-होस्ट ‘जुआन विलियम्स’ (Juan Williams) ने भी वॉटर्स की आलोचना की है। विलियम्स का कहना है, ‘मुझे आपकी इस बात से आपत्ति है। मुझे नहीं लगता कि अधिकांश महिला रिपोर्टर्स ऐसा करती होंगी।’ इस पर वॉटर्स का कहना था, ‘मैं सभी महिला रिपोर्ट्स के बारे में ऐसा नहीं कह रहा हूं, पुरुष रिपोर्टर्स भी ऐसा करते होंगे। मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि ऐसा होता रहा है और पूर्व में कई बार हुआ है।’ ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ के हवाले से यह भी कहा गया है कि कैथी स्क्रैग्स के अपने सूत्रों के साथ इस तरह के संबंधों के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
'द वाशिंगटन पोस्ट' में छपी इस पूरी स्टोरी को पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
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नए नागरिकता कानून का विरोध कर रहे हैं जामिया विश्वविद्यालय के छात्र, महिला पत्रकारों को दौड़ाया
नए नागरिकता कानून के विरोध में शनिवार को दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में जमकर हंगामा हुआ। इस कानून के विरोध में गुस्साए छात्रों ने मीडिया पर हमला कर दिया। छात्रों के हमले में कई मीडियाकर्मी घायल हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मीडियाकर्मियों के कैमरों को भी तोड़ दिया।
बता दें कि यहां के छात्रों ने शुक्रवार को भी विरोध प्रदर्शन किया था। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ा था। शनिवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्र हिंसक हो गए और उन्होंने मीडिया को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इस दौरान महिला पत्रकारों को भी दौड़ाया गया। मीडियाकर्मियों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई।
बताया जाता है कि शनिवार सुबह से ही बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी जामिया के बाहर खड़े हुए थे। वे विरोध कर रहे छात्रों से बातचीत कर उनके आक्रोश का कारण जानना चाह रहे थे। इस दौरान कुछ लोग मीडिया का विरोध कर रहे थे और मीडिया गो बैक-गो बैक कर रहे थे। इन लोगों ने जामिया के गेट पर भी मीडिया वापस जाओ के पोस्टर लगाए हुए थे। इसी दौरान जब वहां पर आरजेडी के नेता पप्पू यादव पहुंचे तो उनसे बात करने के लिए जैसे ही मीडियाकर्मी उनके पास पहुंचे, तभी भीड़ ने मीडिया पर हमला कर दिया।
हमले में ‘इंडिया न्यूज’ के पत्रकार अजीत श्रीवास्तव, कैमरामैन राजन सिंह और ‘एबीपी न्यूज’ के कैमरामैन भूपेंद्र रावत घायल हो गए। राजन सिंह और भूपेंद्र रावत का कैमरा भी टूट गया। यही नहीं, 'एएनआई' के विडियो जर्नलिस्ट वसीम जैदी और रिपोर्टर धनेश पर भी हमला किया गया। 'नवोदय टाइम्स' के फोटो जर्नलिस्ट नीरज कुमार के साथ न केवल मारपीट की गई, बल्कि उनका कैमरा भी छीन लिया गया। इस संबंध में उन्होंने लोकल थाने में शिकायत दर्ज की। पत्रकारों ने इस घटना की निंदा करते हुए प्रशासन से त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है।
छात्रों के हमले में मीडियाकर्मी किस तरह घायल हुए हैं और उन्होंने पुलिस को जो एफआईआर दी है, वह आप यहां देख सकते हैं।
मीडिया पर प्रदर्शनकारियों ने किस तरह हमला किया, उसका विडियो आप यहां देख सकते हैं।
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प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मांग पर गठित की गई है कमेटी, 15 दिन में तैयार करेगी अपनी रिपोर्ट
देश के प्रतिष्ठित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCNUJC), भोपाल में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। यहां दो फैकल्टी प्रोफेसर्स के खिलाफ विद्यार्थियों ने काफी देर तक प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि दोनों प्रोफेसर्स विश्वविद्यालय का माहौल खराब कर रहे हैं और छात्रों को जातिगत तौर पर बांट रहे हैं। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने छात्रों को शांत कराया।
दरअसल, प्रदर्शन कर रहे विद्य़ार्थियों का आरोप था कि यूनिवर्सिटी के दो फैकल्टी प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार सोशल मीडिया पर जाति विशेष के नाम पर लगातार पोस्ट कर रहे हैं और हैशटैग चला रखा है। छात्र दोनों प्रोफेसर्स को निलंबित किए जाने की मांग कर रहे थे। इसको लेकर विद्यार्थियों ने गुरुवार को भी धरना दिया था। शुक्रवार को भी कुलपति के कार्यालय के बाहर छात्र धरने पर बैठे थे। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समझाने के बावजूद जब विद्यार्थी नहीं माने तब पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद पुलिस ने विद्यार्थियों को वहां से हटाया। हंगामे के दौरान तीन छात्र बेहोश भी हो गए, जिन्हें एंबुलेंस से अस्पताल ले जाना पड़ा था। विद्यार्थियों ने पुलिस पर मारपीट के आरोप लगाए हैं। आरोप है कि पुलिस ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे छात्रों को घसीटकर पांचवीं मंजिल से तीसरी मंजिल पर उतारा।
इस मामले में एडिशनल एसपी संजय साहू का कहना है कि छात्रों की मांग पर जांच कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में छात्रों को भी शामिल किया गया है। यह कमेटी 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। वहीं, रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल का कहना है कि यह कमेटी तथ्यों के आधार पर जांच करेगी। छात्रों ने जिन दो प्रोफेसर्स पर आरोप लगाए हैं, फिलहाल विश्वविद्यालय परिसर में उनके प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। जांच के बाद ही उन्हें विश्वविद्यालय में प्रवेश करने दिया जाएगा। इस बारे में दिलीप मंडल का कहना है कि विश्वविद्यालय में क्या विरोध हुआ, यह बात उनके संज्ञान में नहीं है। वहीं, मुकेश कुमार ने छात्रों द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है।
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कई अन्य सचिवों के कार्यक्षेत्र में किया गया है फेरबदल, केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने इन नियुक्तियों को मंजूरी दे दी है
बिहार कैडर के 1986 बैच के आईएएस अधिकारी रवि मित्तल को ‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) में नया सचिव नियुक्त किया गया है। वह अमित खरे का स्थान लेंगे, जिन्हें ‘उच्च शिक्षा विभाग’ (Department of Higher Education) का नया सचिव बनाया गया है। बता दें कि इन दिनों मित्तल वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) में विशेष सचिव के तौर पर काम कर रहे थे। वहीं, सुशील कुमार को खनन सचिव और प्रवीण कुमार को कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में सचिव बनाया गया है।
इसके अलावा राजेश भूषण को जहां ग्रामीण विकास विभाग में सचिव की जिम्मेदारी दी गई है, वहीं सुनील कुमार पंचायती राज मंत्रालय में सचिव बनाए गए हैं। बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने इन नियुक्तियों को मंजूरी दे दी है।
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पिछले महीने संजय गुप्ता ने इस पद से दे दिया था इस्तीफा
‘स्टार’ (Star) और ‘डिज्नी इंडिया’ (Disney India) का नया कंट्री मैनेजर के. माधवन को नियुक्त किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सभी विभागों के हेड अब माधववन को रिपोर्ट करेंगे। माधवन की रिपोर्टिंग सीधे ‘स्टार’ (Star) और ‘डिज्नी इंडिया’ (Disney India) के चेयरमैन और ‘द वॉल्ट डिज्नी कंपनी, एशिया पैसिफिक’ (The Walt Disney Company, Asia Pacific) के प्रेजिडेंट उदय शंकर को होगी।
माधवन इससे पहले ‘स्टार इंडिया’ (Star India) के मैनेजिंग डायरेक्टर (साउथ बिजनेस) थे। वह वर्ष 2016 से यह जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह वर्तमान में दक्षिण भारत के चार राज्यों में ‘स्टार’ के बिजनेस को देखने के साथ ही मलयालम, कन्नड़, तमिल और तेलुगू में प्रादेशिक चैनल्स का कामकाज संभाल रहे थे।
बता दें कि संजय गुप्ता ने पिछले महीने ‘स्टार’ (Star) और ‘डिज्नी इंडिया’ (Disney India) के कंट्री मैनेजर के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने ‘गूगल इंडिया’ (Google India) के साथ बतौर अपनी नई पारी शुरू की है, जहां उन्हें कंट्री मैनेजर और वाइस प्रेजिडेंट (सेल्स और ऑपरेशंस) के पद पर नियुक्त किया गया है। संजय गुप्ता अगले साल की शुरुआत में इस पद को संभालेंगे।
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जवाहर गोयल को इस साल मार्च में ‘जी मीडिया नेटवर्क’ का एडिटर-इन-चीफ नियुक्त किया गया था
डायरेक्ट टू होम टेलिविजन सर्विस ‘डिश टीवी’ (Dish TV) से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई है। खबर है कि जवाहर गोयल को एक बार फिर ‘डिश टीवी’ का मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। गुरुवार को हुई कंपनी बोर्ड की मीटिंग में यह निर्णय लिया गया। उनका कार्यकाल 17 दिसंबर 2019 से 31 मार्च 2020 तक होगा। बताया जाता है कि मैनेजिंग डायरेक्टर का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी जवाहर गोयल बोर्ड के चेयरमैन बने रहेंगे।
बता दें कि ‘एस्सेल ग्रुप’ (Essel Group) के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा के छोटे भाई जवाहर गोयल को इसी साल मार्च में ‘जी मीडिया नेटवर्क’ (Zee Media network) का एडिटर-इन-चीफ नियुक्त किया गया था।
‘जी मीडिया नेटवर्क’ के एडिटर-इन-चीफ पद की जिम्मेदारी के साथ ही उन्हें मीडिया नेटवर्क की ‘एडिटोरियल गवर्निंग काउंसिल’(Editorial Governing Council) का चेयरमैन भी बनाया गया था। यह काउंसिल नेटवर्क की सभी प्रमुख एडिटोरियल पॉलिसी को दिशा-निर्देशित करती है।
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शीर्ष अदालत ने मामले से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी मीडिया में चलने पर नाराजगी जताई
हैदराबाद कांड में मीडिया की भूमिका पर उठे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के साथ ही ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ (पीसीआई) को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत चाहती है कि बलात्कार और हत्या जैसे संगीन मामलों की रिपोर्टिंग के संबंध में मीडिया को खास ध्यान रखना चाहिए।
हालांकि अदालत ने साफ किया है कि उसका इरादा मीडिया को रिपोर्टिंग से रोकने का बिलकुल नहीं है, बल्कि वह जांच के पहलुओं को सार्वजनिक होने से रोकने पर विचार कर रही है। मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने हैदराबाद कांड से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी मीडिया में चलने पर नाराजगी जताई। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर मीडिया में सुबह से लेकर शाम तक केस से जुड़े सबूत क्यों दिखाए जाते रहे? इस पर तेलंगाना पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि मीडिया में खबर आने के बाद ही इस बारे में सबको पता चला।
चीफ जस्टिस ने अदालत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि हम मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगा रहे हैं, हम केवल यही चाहते हैं कि जांच से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को सार्वजनिक न किया जाए। अदालत ने वेटनरी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के सभी आरोपितों के एनकाउंटर की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से जांच कराये जाने के आदेश भी दिए हैं।
गौरतलब है कि मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। इस फेर में कई मीडिया संस्थानों ने पीड़िता और उसके परिवार की न सिर्फ पहचान उजागर की थी, बल्कि पीड़िता की तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो गई थी। इसके अलावा, आरोपितों की तस्वीरें भी सार्वजनिक कर दी गई थीं।
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स्थानीय सहित राष्ट्रीय अखबारों में भी उनके द्वारा खींची गईं फोटो छपती रही हैं। उन्होंने पिछले साल शादी भी कर ली, मगर एक ही झटके में पूरी तस्वीर ही बदल गई
मजबूरी इंसान से क्या कुछ नहीं करा लेती। अपनी तस्वीरों से अखबारों में छाए रहने वाले फोटो जर्नलिस्ट मुनीब उल इस्लाम आज मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालने को विवश हैं। मुनीब के बुरे दिन कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मिली आजादी के साथ शुरू हुए। कुछ दिन तो उन्होंने जैसे-तैसे गुजार लिए, लेकिन जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो उन्हें मजबूरन कैमरा किनारे रखकर ईंट-पत्थरों से भरे तसले उठाने पड़े।
अनंतनाग निवासी मुनीब फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट के रूप में पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं। स्थानीय सहित राष्ट्रीय अखबारों में भी उनके द्वारा खींची गईं फोटो छपती रही हैं। पांच अगस्त से पहले तक उनकी जिंदगी काफी अच्छी चल रही थी। उन्होंने पिछले साल शादी भी कर ली, मगर एक ही झटके में पूरी तस्वीर ही बदल गई।
दरअसल, अनुच्छेद 370 खत्म करने के साथ ही सरकार ने एहतियात के तौर पर घाटी में कई प्रतिबंध लगा दिए थे। इनमें फोन और इंटरनेट सेवा भी शामिल है। इंटरनेट सेवा तो अब तक पूरी तरह बहाल नहीं हो सकी है, जिसका खामियाजा मीडिया और पत्रकारों को भी उठाना पड़ा। खासकर मुनीब जैसे पत्रकार सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जिन्हें सैलरी नहीं मिलती।
वैसे, श्रीनगर के पत्रकार मीडिया सुविधा केंद्र में इंटरनेट उपयोग कर सकते हैं, लेकिन कश्मीर के अन्य जिलों में काम करने वाले पत्रकारों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है। इसके परिणामस्वरूप पत्रकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। घाटी के माहौल के चलते मीडिया संस्थानों को विज्ञापन आदि से होने वाले कमाई में भी गिरावट आई है, इससे निपटने के लिए उनके द्वारा कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है।
30 वर्षीय मुनीब ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इस तरह मजदूरी करनी पड़ेगी। वह कहते हैं, ‘मैंने पिछले साल शादी की थी। मेरी पत्नी प्रेग्नेंट हैं, जिसकी देखभाल के लिए मुझे पैसों की जरूरत रहती है। यही वजह है कि जब हालात नहीं बदले तो मुझे मजदूरी करने पर विवश होना पड़ा। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में से अधिकांश दिन मैं बेरोजगार ही रहा।’
ऐसा नहीं है कि मुनीब ने घाटी की फिजा को कैमरे में उतारना बंद कर दिया है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी उन्होंने सैकड़ों तस्वीरें खींचीं, लेकिन इंटरनेट सेवा बहाल नहीं होने के चलते वह उन्हें किसी पब्लिकेशन को भेज नहीं सके। मुनीब और उनके जैसे पत्रकारों के लिए बार-बार श्रीनगर जाना संभव नहीं है। नतीजतन, उनकी फोटो-खबरें बस उनकी ही होकर रह गई हैं।
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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्कूली बच्चों को मिड-डे मील में नमक-रोटी दिए जाने की खबर दिखाने पर पत्रकार के खिलाफ दर्ज किया गया था मुकदमा
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील के तहत बच्चों को नमक-रोटी दिए जाने की खबर को लेकर मुकदमे का सामना कर रहे ‘जनसंदेश टाइम्स’ अखबार के पत्रकार पवन जायसवाल के मामले में अब ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया’ (PCI) भी हरकत में आ गई है। काउंसिल ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक को तलब किया है। इन अधिकारियों से 18 दिसंबर तक अपना जवाब देने को कहा गया है।
बता दें कि ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ पहले ही पवन जायसवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को पत्रकारों के खिलाफ क्रूर कदम बताते हुए इसकी निंदा पर चुका है।
गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व मिर्जापुर में हिनौता स्थित एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को मिड-डे मील के नाम पर नमक-रोटी खिलाने का मामला सामने आया था। पवन जायसवाल ने इस घटना का विडियो बनाकर सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर किया था। वहीं, मिर्जापुर के जिला प्रशासन का आरोप था कि पवन जायसवाल ने फर्जी तरीके से और गलत नीयत से यह विडियो बनाया। इसके बाद प्रशासन ने पवन जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था।
प्रशासन ने पवन जायसवाल के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा उत्पन्न करने, झूठे साक्ष्य और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। एफआईआर के मुताबिक, इस विडियो को रिकॉर्ड करने के लिए गांव के एक अधिकारी ने जायसवाल के साथ साजिश रची थी, क्योंकि उन्हें पता था कि स्कूल में काम करने वाले रसोइए के पास सामान नहीं था।
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पत्रकार ने पुलिस को पूरे मामले से अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई करने की गुजारिश की है
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र जैन को जान से मारने की धमकी मिलने का मामला सामने आया है। बताया जाता है कि इस धमकी की वजह पिछले दिनों मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया के संबंध में लिखी गई खबर है। रविंद्र जैन ने इस घटना से पुलिस को अवगत करा दिया है। दरअसल, रविंद्र जैन ने अपनी न्यूज वेबसाइट ‘सबकी खबर’ पर 18 नवंबर को एक खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में बताया गया था कि कैसे जुलानिया ने अपनी बेटी की कंपनी को अरबों के ठेके दिलवाए। इस खुलासे ने प्रदेश में हडकंप मचा दिया था।
‘समाचार4मीडिया’ से बातचीत में जैन ने बताया, ‘8 दिसंबर को एक अंजान शख्स हाथ में फाइल लिए मेरे आवास पर पहुंचा, लेकिन उस वक्त मैं घर पर नहीं था। उसने बताया कि उसे राधेश्याम जुलानिया ने कुछ जरूरी बात करने के लिए भेजा है। इस पर मेरे बेटे ने उसे घर के अंदर बुलाया। कुछ देर यहां-वहां की बातें करने के बाद उसने मेरे बेटे से कहा कि तुम्हारे पिता राधेश्याम जुलानिया को जानते नहीं हैं, जुलानिया उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर देंगे, आप भी उनकी लाश नहीं ढूंढ पाओगे। इतना कहने के बाद वो वहां से निकल गया, लेकिन मेरे बेटे ने उसकी एक फोटो खींच ली।’ जैन ने श्यामला हिल्स पुलिस स्टेशन में इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज की है।
बता दें कि रविंद्र जैन अब तक कई खुलासे कर चुके हैं। पुलिस और प्रशासन पर गहरी पकड़ रखने वाले जैन ने अपनी धारधार लेखनी की बदौलत सियासी गलियारों में भी जमकर हडकंप मचाया है। भोपाल से प्रकाशित होने वाले दैनिक ‘राज एक्सप्रेस’ में समूह संपादक की जिम्मेदारी संभालने के दौरान उन्होंने सत्ता प्रतिष्ठान की नींद उड़ा रखी थी। इसके बाद जब उन्होंने टैबलॉयड अखबार ‘अग्निबाण’ की कमान संभाली, तो तकरीबन रोजाना कोई न कोई विशेष खबर अखबार के फ्रंट पेज पर रहती थी। फिलहाल वह अपने न्यूज पोर्टल पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं और यहां भी उनकी खबरें सुर्खियां बंटोर रही हैं।
लोगों का कहना है कि चूंकि यह मामला सीधे तौर पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुड़ा है, लिहाजा यह देखने वाली बात होगी कि पुलिस क्या कार्रवाई करती है। जैन के अनुसार, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस विषय में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
जिस खबर के चलते रविंद्र जैन को धमकी मिली, उसे आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं:
रविंद्र जैन के बेटे द्वारा पुलिस में दी गई शिकायत की कॉपी आप यहां पढ़ सकते हैं:
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