नेटवर्क18 की डिजिटल शाखा नेटवर्क18 डिजिटल ने रणदीप चक्रवर्ती को नई जिम्मेदारी...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
नेटवर्क18 की डिजिटल शाखा नेटवर्क18 डिजिटल ने रणदीप
चक्रवर्ती को नई जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें ‘फर्स्टपोस्ट’, ‘न्यूज18’ और ‘in.com’ का मार्केटिंग
हेड बनाया गया है। नई जिम्मेदारियों के तहत वह ‘फर्स्टपोस्ट’,
‘न्यूज18’ (अंग्रेजी) और ‘in.com’ की मार्केटिंग,
कम्युनिकेशंस और स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप का सभी कामकाज संभालेंगे। इसके अलावा वह इन
तीनों ब्रैंड्स के पब्लिक रिलेशंस और ट्रेड कम्युनिकेशन एक्टिविटीज का काम भी
देखेंगे।
चक्रवर्ती को डिजिटल के साथ ही ऐडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग में काम करने का 15 साल का अनुभव है। नेटवर्क18 से पहले वह Bates Worldwide, Rediffusion, Madison, Rediff.com और LK Saatchi & Saatchi जैसी कंपनियों में प्रमुख जिम्मेदारियां निभा चुके हैं।
1969 में पत्रकार भवन का निर्माण हुआ था और इसे 30 साल की लीज पर दिया गया था
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मालवीय नगर स्थित पत्रकार भवन को सोमवार को नगर निगम की टीम ने बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया। कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम ने यह कार्रवाई की। 1969 में पत्रकार भवन का निर्माण हुआ था और इसे लीज पर दिया गया था। अब लीज रिन्यूअल की रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद सरकार ने इस इमारत को गिराने का निर्देश दिया था, जिसके बाद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में इस इमारत को गिरा दिया गया।
इस मामले में मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि कोर्ट द्वारा पत्रकार समितियों की अपील खारिज करने के बाद यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि पत्रकार भवन जर्जर हो गया था। अब पत्रकारों के लिए सर्व सुविधा युक्त भवन बनाया जाएगा। इससे पहले शनिवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इमारत में स्थित श्रमजीवी पत्रकार संघ का दफ्तर सील कर दिया था। प्रशासन का कहना था कि श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा हाई कोर्ट में लीज को लेकर दायर की गई रिव्यू पिटीशन खारिज हो गई है। वहीं, पत्रकार संघ का आरोप था हाई कोर्ट के स्टे के बावजूद दफ्तर को सील किया गया है। प्रशासन ने दफ्तर सील करने के बाद इसे जनसंपर्क विभाग को सौंप दिया। श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेशध्यक्ष शलभ भदौरिया ने बताया कि पत्रकार भवन की लीज का केस हाई कोर्ट में चल रहा था, उसे खारिज कर दिया गया है।
बताया जाता है कि भोपाल के जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकार भवन को 30 साल की लीज पर दिया गया था। लेकिन 30 साल की लीज खत्म होने के बाद भी भवन को खाली नहीं किया जा रहा था, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। दो दिन पहले हाई कोर्ट ने जिला प्रशासन को पत्रकार भवन का कब्जा देने के आदेश दिए थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने इस भवन में ताला लगा दिया था।
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दिल्ली स्थित अपने घर पर बिना बताए ठहरे थे हरिद्वार के होटल में, वहां से बिना बताए चले गए थे कहीं
लापता चल रहे दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अनुज गुप्ता की मौत हो गई है। छत्तीसगढ़ में कोरबा के मूल निवासी अनुज गुप्ता नागपुर से पब्लिश होने वाले ‘नवभारत’ अखबार के दिल्ली में ब्यूरो चीफ थे। पूर्व में वह ‘जनसत्ता’ चंडीगढ़ में भी काम कर चुके थे। उनका शव गंग नहर पथरी पावर हाउस रानीपुर झाल से मिला है। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है। पुलिस इसे आत्महत्या से जुड़ा मामला बता रही है। मंगलवार की दोपहर करीब दो बजे दिल्ली में लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अनुज गुप्ता के परिवार में पत्नी, बेटी और बेटा है।
अनुज गुप्ता को करीब से जानने वालों का कहना है कि उन्हें ज्ञान अर्जन का काफी शौक था। नई-नई चीजों को जानने की उत्सुकता के चलते वह हमेशा कुछ न कुछ पढ़ते रहते थे। यही कारण था कि उनके हाथ में अक्सर कोई न कोई किताब रहती थी।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार दीपक चौरसिया ने अनुज गुप्ता की मौत पर गहरा दुख जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। एक ट्वीट में दीपक चौरसिया ने कहा है, 'पत्रकारिता के मेरे पहले गुरु अनुज गुप्ता जी आज जिंदगी की जंग हार गए! उन्होंने इस शहर में उंगली पकड़कर मुझे चलना सिखाया था! अनुज जी यूं चले जाएंगे, सपने में नहीं सोचा था!'
पत्रकारिता के मेरे पहले गुरु अनुज गुप्ता जी आज ज़िंदगी की जंग हार गए! उन्होंने इस शहर में उँगली पकड़कर मुझे चलना सिखाया था! अनुज जी यूँ चले जाएँगे, सपने में नहीं सोचा था! #RipAnujGupta pic.twitter.com/eCUamITwZB
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) December 9, 2019
बताया जाता है कि अनुज गुप्ता घर से बिना बताए हरिद्वार चले गए थे। यहां वह जीएसए गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे। परिजनों ने दिल्ली में अनुज की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस तभी से उनकी तलाश में जुटी हुई थी। वहीं, हरिद्वार के जिस गेस्ट हाउस में वह ठहरे हुए थे, वहां से भी वह रविवार की देर रात संदिग्ध परिस्थितियों में किसी को बिना बताए कमरा लॉक कर कहीं चले गए थे।
रविवार को चेकआउट का समय होने के बाद होटल द्वारा रूम में फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। रूम खोलने की कोशिश की गई तो वह लॉक मिला। इसके बाद होटल प्रबंधन ने अनुज द्वारा दिए गए मोबाइल फोन पर संपर्क किया तब पता चला कि वह घर से बिना बताए निकले हैं।
इसके बाद होटल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। जब कमरा खोला गया तो पुलिस के भी होश उड़ गए। कमरे में बेड की चादर और तकिए सहित बाथरूम में खून ही खून पड़ा था, मगर अनुज कुमार गुप्ता रूम में मौजूद नहीं थे। पुलिस द्वारा जब सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई तो पता चला कि वह देर रात होटल के स्टाफ को बताए बिना वहां से चले गए थे। अब उनकी मौत के बाद पूरा मामला उलझ गया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
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देश के पहले टॉक शो आधारित टीवी चैनल ‘फाउंडर इंडिया’ ने शुरू किया है यह नया शो, Amazon fireTV के साथ ही यूट्यूब और फेसबुक पर भी उपलब्ध है
देश के पहले टॉक शो आधारित टीवी चैनल ‘फाउंडर इंडिया’ (Founder India) ने सहकारी क्षेत्र का पहला टीवी शो ‘CO-OPERATIVE TALKS’ शुरू किया है। लंबे समय से सहकारी आंदोलन को कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार आलोक कुमार को इस शो को होस्ट करने की कमान सौंपी गई है।
इस शो में आलोक कुमार सहकारी क्षेत्र की हस्तियों से रूबरू होकर उनसे चर्चा करेंगे। सहकारिता से जुड़े और सहकारिता को समझने की इच्छा रखने वाले दर्शकों के लिए यह शो काफी खास भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही सहकारिता में हाथ आजमाने के इच्छुक उद्यमियों को इस शो के माध्यम से काफी कुछ जानने-समझने का मौका मिलेगा।
इस टॉक शो के बारे में ‘फाउंडर इंडिया’ के संपादक लवजीत एलेक्जेंडर का कहना है कि इस टीवी टॉक शो का उद्देश्य सहकारिता के बारे में लोगों तक सही और तथ्यपरक जानकारी पहुंचाना है। यह शो युवाओं को सहकारिता के प्रति आकर्षित करने का काम करेगा।
Co-operative Talks के पहले ही एपिसोड में आलोक कुमार ने भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य डॉ.चंद्रपाल सिंह यादव से खास बातचीत की है। इस दौरान भारतीय सहकारी आंदोलन से जुड़े कई दिलचस्प तथ्य निकलकर सामने आए हैं। आने वाले दिनों में इस शो के द्वारा दर्शकों को सहकारी संस्थाओं और सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां पाने का मौका मिलेगा। इस शो को Amazon fireTV पर देखा जा सकता है। यूट्यूब और फेसबुक पर भी यह शो उपलब्ध है।
इस शो के पहले एपिसोड को आप यहां भी देख सकते हैं।
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प्रेजिडेंट के अलावा चार वाइस प्रेजिंडेट का भी किया गया चुनाव, फेडरेशन के सदस्यों ने सूचना-प्रसारण मंत्री से की मुलाकात
‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी को ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन’ (News Broadcasters Federation) का प्रेजिडेंट चुना गया है। न्यूज इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दे सुलझाने और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स के हितों की रक्षा के लिए उन्हें एक मंच प्रदान करने के तहत देशभर के 25 राज्यों से जुड़े 14 भाषाओं के 78 से ज्यादा न्यूज चैनल्स ने मिलकर कुछ महीने पहले ही इस फेडरेशन का गठन किया है।
शनिवार को हुई ‘एनबीएफ’ की बैठक में अरनब गोस्वामी को ‘एनबीएफ’ के गवर्निंग बोर्ड का प्रेजिडेंट चुने जाने समेत कई निर्णय लिए गए। इस मौके पर ‘एनबीएफ’ के लिए चार वाइस प्रेजिडेंट का चुनाव भी किया गया। इनमें ‘Ortel Communications’ की को-फाउंडर ‘जागी मांगत पांडा’ (Jagi Mangat Panda), ‘Fourth Dimension Media’ के शंकर बाला, ’ Prag News’ के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव नारायण (Sanjive Narain) और ‘आईटीवी नेटवर्क’ के कार्तिकेय शर्मा शामिल हैं। ये चारों ‘एनबीएफ’ के गवर्निंग बोर्ड का हिस्सा होंगे। पूर्व पत्रकार और मीडिया सेक्टर में पब्लिक पॉलिसी स्पेशलिस्ट आर. जय कृष्णा को सर्वसम्मति से ‘एनबीएफ’ का पहला सेक्रेट्री जनरल/एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर चुना गया। आर. जय कृष्णा को दो दशक से ज्यादा का अनुभव है और उन्हें न्यूज मीडिया इंडस्ट्री में विशेषज्ञता हासिल है। अरनब गोस्वामी का कहना था, ‘देश के बड़े बॉडकास्टर्स द्वारा मुझ पर जो भरोसा जताया गया है, उसके लिए मैं आभारी हूं। एनबीएफ एक गेम चेंजर है और यह काफी बड़ी बात है कि इतने सारे चैनल्स के मालिक और शीर्ष अधिकारियों ने इसके गठन में इतनी तेजी दिखाई है। लंबे समय से दिल्ली के चैनलों के एक समूह ने भारतीय ब्रॉडकास्टिंग को रिप्रजेंट करने का दावा किया है, एनबीएफ इस स्थिति को बदलेगा।’
इस बोर्ड मीटिंग से पूर्व ‘एनबीएफ’ के सदस्यों ने सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की और उन्हें अपना पहला ज्ञापन सौंपा। इस दौरान जावड़ेकर ने मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर में न्यूज चैनल्स के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए ‘एनबीएफ’ और इसके सदस्यों से एक मजबूत सेल्फ रेगुलेटरी मैकेनिज्म तैयार करने को कहा। ‘एनबीएफ’ के प्रेजिडेंट सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन अथॉरिटी’ (News Broadcasters Federation Authority) का गठन भी करेंगे। यह संस्था न्यूज ब्रॉडकास्टिंग के नए मानक तैयार करेगी और फेडरेशन में इनका उल्लंघन होने पर ऐसे मामलों का संज्ञान लेगी। इसके लिए संपादकों की एक कमेटी गठित की जाएगी। इसमें चार संपादकों के अलावा एक चेयरमैन और स्वतंत्र तौर पर चार जानी-मानी हस्तियां शामिल होंगी। कमेटी की कमान चेयरमैन के हाथ में होगी। बताया जाता है कि जनवरी 2020 के अंत तक इसके गठन के बारे में आधिकारिक रूप से घोषणा की जा सकती है। इस मौके पर ‘एनबीएफ’ के सदस्यों ने तीन मुद्दों ‘पब्लिक पॉलिसी’, ‘डिस्ट्रीब्यूशन’ और ‘फाइनेंस’ से जुड़ी कमेटियों के सदस्यों के नामों को भी अंतिम रूप दिया।
गौरतलब है कि ‘एनबीएफ’ के फाउंडर मेंबर्स में ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ (रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत), ‘Puthiyathalaimurai और V6 News’ (तमिलनाडु), ‘Orissa TV (ओडिशा), ‘IBC24’ (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़), ‘एशियानेट न्यूज नेटवर्क’ (केरल और कर्नाटक), ‘टीवी9 भारतवर्ष’, ‘न्यूजलाइव’ और ‘नॉर्थईस्ट लाइव’ (असम और नॉर्थईस्ट), ‘फर्स्ट इंडिया न्यूज’ (राजस्थान), ‘कोलकाता टीवी’ (पश्चिम बंगाल), ‘सीवीआर न्यूज’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘Polimer News’ (तमिलनाडु), ‘खबर फास्ट’ (हरियाणा), ‘लिविंग इंडिया न्यूज’ (पंजाब), ‘Prag News’ (असम), ‘एनटीवी’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘महा न्यूज’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘टीवी5 न्यूज’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘एमकेटीवी’ (तमिलनाडु), ‘वनिता टीवी’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), ‘DNN’ और ‘IND24’ (मध्य प्रदेश), ‘श्री शंकर टीवी और आयुष टीवी’ (कर्नाटक), ‘A1 TV’ (जयपुर), ‘पावर टीवी’(कर्नाटक), ’राज न्यूज’ (तमिलनाडु), ‘फ्लॉवर्स टीवी’ (केरल), ‘सीवीआर न्यूज नेटवर्क’ (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना),’ नेशनल वॉयस’ (उत्तर प्रदेश), ‘निर्माण न्यूज’(गुजरात), ‘आनंदी टीवी’ (मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़), ‘वीआरएल मीडिया’ (कर्नाटक), ‘कलकत्ता न्यूज’ (पश्चिम बंगाल), ‘न्यूज 7’ (तमिलनाडु), ‘डीएनएन एंड न्यूज वर्ल्ड’ ( मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़), ‘एमएच वन’ (हरियाणा), ‘मंतव्य न्यूज’ (गुजरात), ‘गुजरात टेलिविजन’ ( गुजरात), ‘एस न्यूज’( पश्चिम बंगाल) ‘बंसल टीवी’ ( मध्य प्रदेश) और ‘Onkat TV’ (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।
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पूर्व में कई मीडिया संस्थानों में निभा चुके हैं अपनी जिम्मेदारी
पत्रकार नवीन रांगियाल ने हिंदी न्यूज पोर्टल वेबदुनिया (webdunia.com) के साथ अपनी नई पारी शुरू की है। करीब 11 साल पहले बतौर जूनियर सब एडिटर वह पहले भी करीब नौ महीने तक इस न्यूज पोर्टल के साथ जुड़े रहे हैं।
‘वेबदुनिया’ जॉइन करने से पहले नवीन इंदौर में ‘ब्लैक एंड व्हाइट मीडिया न्यूज नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड’ (Black & White Media News Network Private Limited) में चीफ सब एडिटर के तौर पर कार्यरत थे। यहां पर वह इस नेटवर्क के हिंदी दैनिक अखबार ‘प्रजातंत्र’ (Prajatantra) और अंग्रेजी अखबार ‘फर्स्टप्रिंट’ (Firstprint) से जुड़े हुए थे। वह इसके डिजिटल प्लेटफॉर्म Prajaatantra.com का काम भी देख रहे थे।
इंदौर के रहने वाले नवीन रांगियाल पूर्व में कई मीडिया संस्थानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। करीब एक साल तक ‘दैनिक भास्कर’ इंदौर में बतौर स्पेशल करेसपॉन्डेंट अपनी जिम्मेदारी निभा चुके नवीन महाराष्ट्र के अखबार ‘लोकमत समाचार’, नागपुर में रिपोर्टर के तौर पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह ‘नई दुनिया’ अखबार में इंदौर और देवास में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। नवीन रांगियाल ने इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
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पत्रकारिता के क्षेत्र में 25 साल से ज्यादा की पारी के दौरान तीन राज्यों में ब्यूरो चीफ की जिम्मेदारी भी निभा चुकी हैं
बहुभाषी न्यूज एजेंसी ‘हिन्दुस्थान समाचार’, देहरादून से खबर है कि यहां बतौर ब्यूरो चीफ कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार रजनी शंकर ने संस्थान को बाय बोल दिया है। उन्होंने अब अपनी नई पारी की शुरुआत ‘यूएनआई’ न्यूज एजेंसी से की है। उन्हें पटना में स्पेशल करेसपॉन्डेंट (प्रोजेक्ट) की जिम्मेदारी दी गई है।
‘यूएनआई’ के साथ रजनी शंकर की यह दूसरी पारी है। रजनी शंकर 25 साल से भी ज्यादा समय से पत्रकारिता से जुड़ी हैं और तीन राज्यों में ब्यूरो चीफ के रूप में कार्य कर चुकी हैं। रजनी शंकर ने वर्ष 1993 में यूएनआई के साथ अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की थी। यहां विभिन्न पदों पर उन्होंने 2016 तक अपनी जिम्मेदारी निभाई। एजेंसी ने वर्ष 2011 में रजनी शंकर को बिहार और फिर वर्ष 2014 में महाराष्ट्र के नागपुर में ब्यूरो चीफ की जिम्मेदारी सौंपी।
इसके बाद यहां से अलविदा कहकर रजनी शंकर ने अक्टूबर 2016 में ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को जॉइन कर लिया था। यहां उन्हें बिहार में स्टेट हेड की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 2019 में संस्थान ने उन्हें उत्तराखंड में ब्यूरो चीफ की कमान सौंपी थी।
मूल रूप से नालंदा की निवासी रजनी शंकर ने केमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने प्रयाग संगीत समिति से तबला में प्रवीण जैसी कठिन डिग्री भी प्राप्त की हैं। कई आयोजनों में उन्होंने अपने तबला वादन का प्रस्तुतिकरण भी दिया है। रजनी शंकर भाषाई पकड़ के चलते रेडियो व टीवी पत्रकारिता से भी जुड़ी रही हैं। 1994-96 तक पटना में एआईआर में समाचार वाचक के रूप में प्राइम न्यूज बुलेटिन, प्रादेशिक समाचार वाचन के साथ-साथ दूरदर्शन में कई कार्यक्रमों की एंकरिंग व विभिन्न मुद्दों पर पैनल डिस्कशन में भाग लेती रही हैं।
उन्होंने करीब सात सालों तक ‘वॉइस ऑफ अमेरिका’ हिंदी सर्विस में भारत के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्रॉडकास्टर के रूप में समाचार लेखन तथा वाचन किया। वह ‘वॉइस आफ अमेरिका’ के लिए कई गंभीर विषयों पर ऑडियो डॉक्युमेंट्री का प्रोडक्शन करने के साथ ही प्रस्तुतीकरण भी दे चुकी हैं।
शुरुआती दौर में रजनी शंकर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अलावा कुछ स्थानीय अखबारों के लिए फ्रीलांसिंग भी कर चुकी हैं। सरकार, सचिवालय व राजनैतिक-प्रशासनिक बीट पर इनकी विशेष पकड़ मानी जाती है। ‘डेवलपिंग इंडिया मिरर’ और ‘युगवार्ता’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में इनके नियमित आलेख छपते रहे हैं।
रजनी शंकर को उनकी नई पारी के लिए समाचार4मीडिया की ओर से शुभकामनाएं।
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गिरफ्तारी के साथ ही सचिव पद से हटाने की उठ रही थी मांग, जांच पूरी होने तक किया निलंबित
महिला पत्रकार और उनके पुरुष दोस्त पर हमला करने के आरोप में केरल पुलिस ने गुरुवार को तिरुवनंतपुरम प्रेस क्लब के सचिव एम. राधाकृष्णन को गिरफ्तार किया है। महिला पत्रकार ने राधाकृष्णन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत के आधार पर कई महिला पत्रकारों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए राधाकृष्णन को सचिव पद से हटाने के साथ ही उसकी गिरफ्तारी की मांग की थी। ‘नेटवर्क ऑफ वूमेन इन मीडिया’ (एनडब्ल्यूएमआई), इंडिया ने भी मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और केरल महिला आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए राधाकृष्णन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद पुलिस ने प्रेस क्लब परिसर से राधाकृष्णन को गिरफ्तार कर लिया।
वहीं, गिरफ्तारी के बाद राधाकृष्णन ने खुद पर लगे मारपीट और हमला करने के आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि उन्होंने तो वास्तव में महिला पत्रकार और उनके परिवार की रक्षा करने की कोशिश की थी। केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (केयूडब्ल्यूजे) ने मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय पैनल गठित किया है। जांच पूरी होने तक राधाकृष्णन को निलंबित कर दिया गया है।
दरअसल, तीन दिसंबर को पुलिस में दर्ज कराई शिकायत में महिला पत्रकार का कहना था कि 30 नवंबर को उनका दोस्त घर पर आया हुआ था। इस दौरान उनके पति जो खुद भी पेशे से पत्रकार हैं, अपने काम पर गए हुए थे। देर शाम उनके संस्थान में ही काम करने वाला और प्रेस क्लब का सचिव राधाकृष्णन कुछ लोगों के साथ उनके घर में घुस आया और उन्हें धक्का देते हुए बच्चों के सामने उनके दोस्त से मारपीट की। महिला पत्रकार की शिकायत पर पुलिस ने राधाकृष्णन के खिलाफ बंधक बनाने और घर में घुसकर चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया था। तभी से राधाकृष्णन की गिरफ्तारी की मांग उठ रही थी।
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अमेरिकी पत्रकार ने मैगजीन में लेख लिखकर पूरे मामले से उठाया पर्दा, महिला पत्रकार की जमकर की तारीफ
कश्मीर के हालातों पर मीडिया में खबरें अक्सर आती रहती हैं, लेकिन अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से मीडिया के लिए यह कुछ समय तक हॉट टॉपिक रहा। अब अमेरिकी पत्रिका ‘न्यू यॉर्कर’ में प्रकाशित एक लेख से यह मुद्दा फिर गर्मा गया है। हालांकि इस बार फोकस कश्मीर से ज्यादा अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वालीं पत्रकार राणा अयूब पर है। इस लेख को अमेरिकी पत्रकार डेक्स्टर फिकिंस (Dexter Filkins) ने लिखा है, जो इराक और अफगानिस्तान युद्ध कवर कर चुके हैं। अपने लेख में फिकिंस ने मोदी राज में भारत की स्थिति और कश्मीर सहित कई मुद्दों को रेखांकित किया है। लेकिन उन्होंने अयूब के साथ अपनी कश्मीर यात्रा को लेकर जो बातें बताई हैं, उन पर बवाल होना लाजमी है।
‘BLOOD AND SOIL IN NARENDRA MODI’S INDIA’ शीर्षक वाले इस लेख की शुरुआत कश्मीर में मोदी सरकार द्वारा अतिरिक्त जवानों की तैनाती और उसे लेकर कुछ भारतीय न्यूज चैनलों की कवरेज से होती है। जो आगे चलकर राणा अयूब के बुलावे पर डेक्स्टर फिकिंस के भारत आने और छिपते-छिपाते कश्मीर में दाखिल होने पर पहुंचती है।
फिकिंस ने लिखा है, ‘कश्मीर पर भारतीय मीडिया की ऑल इज वैल वाली रिपोर्टिंग के बीच अयूब ने मुझे फोन किया और कहा कि घाटी में स्थिति वैसी नहीं है, जैसी दिखाई जा रही है। अयूब को नहीं पता था कि उन्हें कश्मीर में क्या मिलेगा, लेकिन वह जनता से बात करना चाहती थीं और उन्होंने मुझे भी इसके लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि वो मुझसे मुंबई में मिलेंगी और वहां से हम कश्मीर जाएंगे। हालांकि उस दौरान कश्मीर में विदेशी पत्रकारों के जाने पर प्रतिबंध था।’
अमेरिकी पत्रकार ने आगे लिखा है, ‘जब मैं मुंबई पहुंचा तो अयूब ने मुझे स्कार्फ देते हुए कुर्ता खरीदने के लिए कहा। उन्होंने हंसते हुए यह भी कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि तुम पकड़े जाओगे, लेकिन फिर भी तुम्हें मेरे साथ आना चाहिए। बस अपना मुंह बंद रखियेगा।’
डेक्स्टर फिकिंस ने अपने लेख में अयूब राणा की जमकर तारीफ लिखी है। अपनी कश्मीर यात्रा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने उल्लेख किया है, ‘मोदी सरकार के फैसले के दो हफ्ते बाद जब हम श्रीनगर हवाई अड्डे पहुंचे तो वहां सिर्फ सेना और पुलिस के जवान नजर आ रहे थे। एयरपोर्ट पर ‘विदेशियों के लिए पंजीकरण’ डेस्क थी, लेकिन अयूब ने मुझे धकेलते हुए खमोशी से आगे बढ़ने को कहा। आखिरकार हम किसी तरह बाहर निकले और टैक्सी में बैठकर शहर का हाल जानने के लिए रवाना हो गए। कार में होने के बावजूद यह साफ नजर आ रहा था कि कश्मीर की जैसी तस्वीर भारत का मुख्यधारा का मीडिया प्रस्तुत कर रहा था, हालात वैसे नहीं थे। सड़कें वीरान थीं, केवल हथियारों से लैस जवान दिखाई दे रहे थे।’
अमेरिकी पत्रकार ने कश्मीर में क्या देखा और क्या नहीं, बात अब केवल यहीं तक सीमित नहीं रही है, बल्कि मुद्दा यह बन गया है कि राणा अयूब आखिरकार एक विदेशी पत्रकार को बिना अनुमति कश्मीर क्यों ले गईं? भारतीय कानून के अनुसार, विदेशी नागरिकों, पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पत्रकारों को भी ‘प्रतिबंधित क्षेत्रों’ या ‘संरक्षित क्षेत्रों’ में प्रवेश के पूर्व सरकार की अनुमति लेना जरूरी है। इन क्षेत्रों में मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, के साथ-साथ जम्मू- और कश्मीर, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ हिस्से शामिल हैं।
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के वक्त तो सरकार कश्मीर से जुड़ी रिपोर्टिंग को लेकर बेहद गंभीर थी। लिहाजा, अयूब का इस तरह विदेशी पत्रकार को वहां ले जाना कई सवाल खड़े करता है। वैसे, राणा अयूब मोदी सरकार की नीतियों की धुर विरोधी मानी जाती हैं। इसके लिए उन्हें समय-समय पर निशाना भी बनाया जाता है। अब यह मामला सामने आने के बाद उनकी परेशानियां बढ़ सकती हैं।
डेक्स्टर फिकिंस का पूरा लेख आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
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10 मार्च को कुलपति के इस्तीफा देने के बाद से इस पद पर की जानी है नई नियुक्ति
छत्तीसगढ़ स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय (केटीयू) के कुलपति की रेस में वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा टीवी के पूर्व कार्यकारी निदेशक उर्मिलेश उर्मिल समेत पांच नामों पर मंथन चल रहा है। बताया जाता है कि जनवरी तक विश्वविद्यालय को नया कुलपति मिल जाएगा। फिलहाल इस दौड़ में उर्मिलेश उर्मिल सबसे आगे नजर आ रहे हैं। हालांकि, नगरीय निकाय चुनावों के कारण आचार संहिता की वजह से नए कुलपति की तलाश अटक गई हे। नए कुलपति की तलाश के लिए गठित कमेटी ने नवंबर में हुई बैठक के बाद सभी दावेदारों का नाम राज्यपाल को भेज दिया है, जहां से इस बारे में निर्णय होना है।
बताया जाता है कि इस बैठक में ‘नेशनल बुक ट्रस्ट’ (एनबीटी) के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा के नाम पर भी चर्चा हुई थी, लेकिन सभी सदस्यों में सहमति नहीं बन पाई। कुलपति के लिए जिन नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें उर्मिलेश उर्मिल और बलदेव भाई शर्मा के साथ ही चंडीगढ़ की चितकारा यूनिवर्सिटी में मॉस कॉम के डीन डॉ. आशुतोष मिश्रा, दूरदर्शन के पूर्व एंकर डॉ. मुकेश कुमार और पत्रकार निशिद त्यागी का नाम शामिल है।
बता दें कि 10 मार्च को मानसिंह परमार ने विश्वविद्यालय के कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से नए कुलपति की तलाश शुरू हुई है। रायपुर संभाग के कमिश्नर जीआर चुरेंद्र फिलहाल कुलपति का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे हैं।
कुलपति की तलाश के लिए राज्यपाल द्वारा 12 सितंबर को तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी के सदस्यों को कुलपति पद के दावेदारों के आवेदन पत्रों की जांच कर नामों का पैनल तैयार करना है। तय समय में नामों का पैनल तैयार नहीं होने के कारण 23 अक्टूबर को कमेटी को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया गया था।
केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में कार्यपरिषद की ओर से हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति ओम थानवी और राज्य सरकार की ओर से पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. के सुब्रमण्यम को शामिल किया गया है।
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एमपी सुप्रिया सुले ने पिछले महीने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर किया था, जिसमें दो पत्रकार स्कूटर पर नेताओं की कार का पीछा कर रहे थे
पत्रकारों को खबरों के लिए आए दिन तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके बावजूद कभी उन पर पक्षपाती होने के आरोप लगाये जाते हैं तो कभी अपने काम के लिए उन्हें निशाना बनाया जाता है। हालांकि, महाराष्ट्र के बारामती से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने पत्रकारों की तकलीफों को समझने का प्रयास किया है। उन्होंने पत्रकारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की मांग करते हुए संसद में इस मुद्दे को उठाया है।
शून्यकाल के दौरान सुप्रिया सुले ने संसद में कहा, आज के ब्रेकिंग न्यूज के जमाने में पत्रकारों को विषम परिस्थितियों में लंबे समय तक काम करना होता है। महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के समय मैंने स्कूटर पर सवार दो पत्रकारों को नेताओं की कार का पीछा करते हुए देखा था, ये काफी खतरनाक है।‘
महिला पत्रकारों की समस्याओं को रेखांकित करते हुए सुले ने कहा कि कई महिला पत्रकारों को भी नेताओं के घरों के बाहर भूखे-प्यासे घंटों खड़े रहना पड़ा, उनके लिए टॉयलेट की भी सुविधा नहीं थी। सुप्रिया सुले ने पत्रकारों के लिए सामाजिक सुरक्षा पर लोकसभा सदस्यों से अपने विचार प्रकट करने को कहा, ताकि इस दिशा में आगे कुछ किया जा सके।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के सियासी संग्राम के दौरान पत्रकारों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। सुले ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक फोटो शेयर किया था, जिसमें दो पत्रकार स्कूटर पर नेताओं की कार का पीछा कर रहे हैं, जिसमें से पीछे बैठे पत्रकार के हाथों में कैमरा है और वो खतरनाक तरीके से रिकॉर्डिंग कर रहा है। साथ ही उन्होंने पत्रकारों को अपना ध्यान रखने की सलाह देते हुए लिखा था, ‘मैं समझती हूं यह ब्रेकिंग न्यूज है, लेकिन कृपया अपना ख्याल रखें। मीडिया सुरक्षा सबसे पहले, मुझे ड्राइवर और कैमरापर्सन की चिंता है।’
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर पिछले महीने सुप्रिया सुले द्वारा किए गए ट्वीट का स्क्रीन शॉट आप यहां देख सकते हैं।
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