कोरला इससे पहले ऊबर (Uber) के साथ थीं, जहां उन्होंने चार महीने तक कंज्युमर कम्युनिकेशंस लीड के तौर पर काम किया।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने प्रेरणा कोरला (Prerna Korla) को अपना सीनियर कम्युनिकेशन मैनेजर बनाया है। कोरला इससे पहले ऊबर (Uber) के साथ थीं, जहां उन्होंने चार महीने तक कंज्युमर कम्युनिकेशंस लीड के तौर पर काम किया।
कोरला कम्युनिकेशंस व पीआर प्रोफेशनल हैं, जिन्हें देश व विदेश के प्रमुख ब्रैंड्स के साथ-साथ एमएसएल ग्रुप इंडिया (MSL Group India) और एडेलमैन (Edelman) जैसी प्रमुख एजेंसियों के साथ काम करने का 13 साल का अनुभव है।
मीडिया व एंटरटेनमेंट (M&E) सेक्टर में इस साल बड़े पैमाने पर छंटनियां हो रही हैं और अभी तो सिर्फ मार्च का महीना ही चल रहा है।
चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।
मीडिया व एंटरटेनमेंट (M&E) सेक्टर में इस साल बड़े पैमाने पर छंटनियां हो रही हैं और अभी तो सिर्फ मार्च का महीना ही चल रहा है। कंटेंट, टेक, ऐड सेल्स और एडमिनिस्ट्रेशन विभागों में करीब 1,000 एम्प्लॉयीज की नौकरियां खतरे में आ चुकी हैं। इंडस्ट्री के दिग्गजों का कहना है कि घटते राजस्व, लागत में कटौती और एम्प्लॉयीज की संख्या कम करने के प्रयास इन छंटनियों की मुख्य वजह हैं।
छंटनियां केवल छोटी कंपनियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़ी मीडिया कंपनियां भी अपने एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर 2024 की स्थिति खराब थी, तो 2025 इससे भी बुरा साबित हो सकता है।
JioStar से सबसे बड़ा झटका, 600 एम्प्लॉयीज की छंटनी की तैयारी
अब तक का सबसे बड़ा झटका JioStar की ओर से आया है, जो रिलायंस व डिज्नी के मर्जर से बनी नई मीडिया इकाई है। कंपनी ने देशभर में करीब 600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने का फैसला लिया है। यह छंटनी रिलायंस और स्टार इंडिया दोनों के एम्प्लॉयीज को प्रभावित करेगी, क्योंकि यह नया गठजोड़ अपने ऑपरेशन्स को अधिक कुशल बनाने और दोहराए जाने वाले पदों को हटाने की योजना बना रहा है।
इसके अलावा, गूगल और मेटा जैसी अन्य बड़ी टेक कंपनियां भी एम्प्लॉयीज की संख्या घटा रही हैं।
मर्जर और मार्केट कंसोलिडेशन से छंटनियों में तेजी
सिंप्ली ग्रुप (Simpli Group) के सीईओ (TV18 ग्रुप में HR डिपार्टमेंट के पूर्व ग्रुप हेड) रजनीश सिंह के अनुसार, मार्केट में इस समय कंसोलिडेशन यानी बड़ी कंपनियों के आपस में विलय का दौर चल रहा है, जिससे स्वाभाविक रूप से छंटनियां और पुनर्गठन हो रहा है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा।
इसके अलावा, देशभर के कई छोटे मीडिया नेटवर्क भी चुपचाप अपने एम्प्लॉयीज की संख्या घटा रहे हैं। चूंकि कई मामलों में छंटनियों की औपचारिक घोषणा नहीं होती, इसलिए सटीक संख्या का पता लगाना मुश्किल है। लेकिन एचआर और हायरिंग विशेषज्ञों का अनुमान है कि अभी तक कम से कम 1,000 लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और यह आंकड़ा साल के अंत तक दोगुना हो सकता है।
नौकरियों की कमी से हालात और मुश्किल
नवीनतम नौकरी (Naukri) डेटा के मुताबिक, मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में हायरिंग को लेकर स्थिति निराशाजनक बनी हुई है। फरवरी 2025 में इस क्षेत्र में सिर्फ 1% साल-दर-साल ग्रोथ देखने को मिली।
रजनीश सिंह कहते हैं, "फिलहाल पूरे इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर पुनर्गठन चल रहा है, जिससे नौकरी छूटने के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि प्रभाव बहुत अधिक नहीं है, लेकिन यह पूरे साल स्थिर बना हुआ है।"
अनुभव के आधार पर देखें तो:
रजनीश सिंह के मुताबिक, कंपनियां नई भर्तियों के लिए इंटरव्यू तो कर रही हैं, लेकिन उन पदों को फाइनल नहीं कर रही हैं। यह अनिश्चितता न सिर्फ कैम्पस प्लेसमेंट बल्कि अनुभवी प्रोफेशनल्स की भर्ती पर भी असर डाल रही है।
Konverz AI के सीईओ लोकेश निगम का कहना है, "यह सिर्फ मीडिया इंडस्ट्री की समस्या नहीं है, बल्कि कई उद्योगों में यह ट्रेंड देखा जा रहा है। 10-15 साल के अनुभव वाले प्रोफेशनल्स के लिए यह मुश्किल समय है, क्योंकि कंपनियां अब डिजिटल और एआई स्किल्स की ओर शिफ्ट हो रही हैं। जो लोग इन बदलावों के साथ नहीं चल पा रहे हैं, उनके लिए खुद को प्रासंगिक बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।"
छंटनी का सीधा संबंध बिजनेस में गिरावट से
छंटनियों की इस लहर का सीधा संबंध कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन से है, खासकर पारंपरिक मीडिया संगठनों में। उदाहरण के लिए, 'टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड' (TIL) ने हाल ही में 200 एम्प्लॉयीज की छंटनी की। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 199.31 करोड़ रुपये का कुल नुकसान दर्ज किया। ऑनलाइन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से ऐड रेवेन्यू 690.73 करोड़ रुपये रहा, जो 2022-23 के मुकाबले 2.7% कम था।
इसी तरह, 'द क्विंट' ने भी वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 30 लाख रुपये का ऑपरेटिंग लॉस और 4.51 करोड़ रुपये का नेट लॉस दर्ज किया। इस दौरान कई एम्प्लॉयीज की छंटनी की गई, जिसके बाद कंपनी ने अपने नुकसान को अगले कुछ तिमाहियों में कम करने में सफलता पाई।
यह केवल कुछ उदाहरण हैं। कई अन्य मीडिया कंपनियों के आंकड़े भी तेजी से विकास की ओर इशारा नहीं कर रहे हैं।
रोजगार की बजाय उद्यमिता पर जोर देने की जरूरत
हालात को देखते हुए रजनीश सिंह का मानना है कि नौकरी ढूंढने वालों को अब नौकरी देने वाले बनने पर विचार करना चाहिए। उनका कहना है कि वर्तमान स्थिति में केवल पारंपरिक नौकरियों पर निर्भर रहना व्यावहारिक नहीं है।
"दुर्भाग्य से, हम अभी नए निवेश या नए उभरते व्यवसाय नहीं देख रहे हैं जो भर्ती में तेजी ला सकें। मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर फिलहाल ठहरा हुआ नजर आ रहा है, और मुझे जल्द इसमें कोई सुधार दिखता नहीं दिख रहा। करियर की संभावनाओं को मीडिया इंडस्ट्री से बाहर भी तलाशने की जरूरत है।"
लोकेश निगम ने 2025 के ट्रेंड पर बात करते हुए कहा कि प्रिंट मीडिया फिलहाल स्थिर रहेगा, डिजिटल मीडिया का विस्तार जारी रहेगा, लेकिन बाकी क्षेत्रों (जैसे सिनेमा और प्रोडक्शन) में स्किल अपग्रेडेशन की अधिक जरूरत होगी बजाय नए एम्प्लॉयीज की भर्ती के। इंडस्ट्री बदल रही है, और खुद को अपडेट रखना और नए कौशल सीखना अब जरूरी हो गया है।
एक्सचेंज4मीडिया द्वारा आयोजित e4m Women in Media, Digital & Creative Economy Summit में 9 मार्च को टेक, मीडिया व ऐडवरटाइजिंग में महिलाओं की भागीदारी व निर्णय की भूमिका पर चर्चा की गई।
एक्सचेंज4मीडिया द्वारा आयोजित e4m Women in Media, Digital & Creative Economy Summit में 9 मार्च को टेक, मीडिया व ऐडवरटाइजिंग में महिलाओं की भागीदारी व निर्णय की भूमिका पर महत्वपूर्ण चर्चा की गई। इन क्षेत्रों में नवाचार, प्रामाणिकता और विविध दृष्टिकोणों की बढ़ती आवश्यकता के बावजूद, लीडरशिप में महिलाओं की कमी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। लिहाजा कार्यक्रम में इस बात पर रोशनी डाली गई कि क्या तेजी से विकसित होते इंडस्ट्रीज का भविष्य महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें निर्णायक रणनीतियों को आकार देने की शक्तियों पर निर्भर करता है।
इस दौरान विभिन्न इंडस्ट्रीज की अग्रणी हस्तियों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे उन्होंने रुकावटों को पार कर सफलता हासिल की, समावेशी बोर्डरूम बनाए और यह सुनिश्चित किया कि इंडस्ट्रीज के प्रमुख निर्णयों में महिलाओं की समान भागीदारी है।
तस्वीरों में देखें इस कार्यक्रम की झलकियां-
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रम e4m PR & Corp Comm Women's Achiever Summit में पब्लिक रिलेशंस व कम्युनिकेशंस इंडस्ट्री की प्रतिष्ठित महिला लीडर्स ने भाग लिया
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रम e4m PR & Corp Comm Women's Achiever Summit में पब्लिक रिलेशंस व कम्युनिकेशंस इंडस्ट्री की प्रतिष्ठित महिला लीडर्स ने भाग लिया, जहां पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्र में महिलाओं के लिए मौजूद चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की गई। इस पैनल का संचालन Media Mic की कम्युनिकेशन एडवाइजर माधवी चौधरी ने किया। पैनल में Doceree की कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन डायरेक्टर तान्या सिंह, Swiggy की AVP - PR एंड कम्युनिकेशन आकांक्षा जैन और Ipsos की PR हेड व मीडिया एंगेजमेंट एवं पार्टनरशिप हेड मधुरिमा भाटिया शामिल थीं।
सेशन की शुरुआत इस चर्चा से हुई कि PR इंडस्ट्री में नेतृत्व के मॉडल को फिर से परिभाषित करने के लिए महिलाओं के पास क्या संभावनाएं हैं। हालांकि इस क्षेत्र में कार्यबल का बड़ा हिस्सा महिलाओं का है, फिर भी यह इंडस्ट्री पुरुष-प्रधान बनी हुई है। पैनलिस्ट्स ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देनी चाहिए और संगठनों के भीतर अधिक रणनीतिक भूमिकाएं निभानी चाहिए।
माधवी चौधरी ने इस बात को रेखांकित किया कि महिलाओं को केवल सपोर्ट फंक्शन के रूप में नहीं बल्कि रणनीतिक भागीदार के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने एक जेंडर-न्यूट्रल संगठन में काम करने के अपने अनुभव साझा किए, लेकिन इस धारणा की ओर भी इशारा किया कि PR को अब भी एक व्यावसायिक ड्राइवर के बजाय लागत केंद्र के रूप में देखा जाता है। उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे इस सोच से बाहर निकलें, अधिक रणनीतिक रूप से सोचें और अपने विचारों को तर्कसंगत रूप से प्रस्तुत करें।
तान्या सिंह ने इस विचार से सहमति जताई और कहा कि महिलाओं को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी। उन्होंने बताया कि PR प्रोफेशनल्स को अक्सर इस चुनौती का सामना करना पड़ता है कि उन्हें बिजनेस लाने वाले लोगों की तुलना में कम महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि PR का ब्रांड की प्रतिष्ठा और व्यावसायिक वृद्धि पर अप्रत्यक्ष लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है और इसे पहचाना जाना चाहिए।
पैनलिस्ट्स ने इस पर भी चर्चा की कि नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं को किन विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि अवचेतन पूर्वाग्रह और कई अपेक्षाओं को संतुलित करना। आकांक्षा जैन ने साझा किया कि जब वह पुरुष लीडर्स से भरे एक कमरे में अकेली महिला होती हैं, तो अक्सर असहजता महसूस होती है। उन्होंने बताया कि जब महिलाएं अपने विचार खुलकर रखती हैं, तो उन्हें आक्रामक समझा जाता है, जिससे उनके लिए ऊंचे पदों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
मधुरिमा भाटिया ने कहा कि कई बार महिलाएं खुद ही अपने लिए बाधाएं खड़ी कर लेती हैं, अपनी क्षमताओं पर संदेह करती हैं और आत्म-प्रचार नहीं करतीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को अपने लिए खड़ा होना चाहिए और समान वेतन जैसे मुद्दों पर उचित बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने उन स्थितियों का भी उल्लेख किया, जहां महिलाओं से उनकी वैवाहिक स्थिति या मातृत्व योजनाओं को लेकर अनुचित सवाल किए जाते हैं, जो कि एक बड़ी प्रणालीगत समस्या है।
इसके बाद चर्चा इस ओर मुड़ी कि संगठन किस तरह महिला प्रोफेशनल्स का समर्थन कर सकते हैं और PR टीमों में विविधता और समानता को बढ़ावा दे सकते हैं। पैनलिस्ट्स ने सहमति व्यक्त की कि PR फंक्शन के महत्व को मान्यता देना आवश्यक है। आकांक्षा जैन ने कहा कि PR प्रोफेशनल्स को अन्य विभागों, जैसे कि HR की तुलना में कम प्राथमिकता दी जाती है, जबकि वे किसी भी कंपनी की प्रतिष्ठा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मधुरिमा भाटिया ने इस बात पर जोर दिया कि नेतृत्व स्तर पर विविधता और समावेश सुनिश्चित करने के लिए नेतृत्वकर्ताओं की प्रतिबद्धता आवश्यक है। उन्होंने उस संगठन के अपने अनुभव साझा किए, जहां लीडरशिप टीम में 50/50 पुरुष-महिला अनुपात था और पुरुष मेंटर्स का सहयोग बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहा था। उन्होंने मेंटरशिप प्रोग्राम और ऐसे प्लेटफॉर्म बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां महिलाएं अपने अनुभव साझा कर सकें और एक-दूसरे से सीख सकें।
पैनलिस्ट्स ने इस पर भी चर्चा की कि इंडस्ट्री के दिग्गज किस प्रकार उभरती हुई महिला प्रतिभाओं के लिए अवसर पैदा कर सकते हैं। तान्या सिंह ने मेंटरशिप के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह खासतौर पर उन युवतियों के लिए जरूरी है जो इस क्षेत्र में नया कदम रख रही हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग से PR में बदलाव किया और इस दौरान मेंटर्स का मार्गदर्शन उनके लिए बहुत मददगार साबित हुआ।
माधवी चौधरी ने सुझाव दिया कि मेंटरशिप को जीवनशैली का हिस्सा बना लेना चाहिए, जहां महिला लीडर्स अपनी कहानियां और चुनौतियां साझा करके दूसरों को प्रेरित करें। उन्होंने इस बात का भी प्रस्ताव रखा कि महिलाओं के लिए ऐसे समुदाय बनाए जाएं, जहां वे निरंतर बातचीत कर सकें और एक-दूसरे का समर्थन कर सकें।
अंतिम सत्र में पैनलिस्ट्स से पूछा गया कि कंपनियां तुरंत क्या कदम उठा सकती हैं ताकि PR में महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। मधुरिमा भाटिया ने कहा कि PR प्रोफेशनल्स को बोर्डरूम और कार्यकारी समितियों में जगह मिलनी चाहिए, क्योंकि PR का व्यवसायिक विकास में रणनीतिक योगदान है।
तान्या सिंह ने सुझाव दिया कि संगठनों को एक आंतरिक मूल्यांकन करना चाहिए ताकि यह समझा जा सके कि वे महिलाओं के सशक्तिकरण के मामले में कहां खड़े हैं और सभी स्तरों पर सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने वेतन मानकीकरण (सैलरी स्टैंडर्डाइजेशन) की जरूरत को भी रेखांकित किया ताकि शीर्ष स्तरों पर वेतन समानता सुनिश्चित की जा सके।
आकांक्षा जैन ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को सभी स्तरों पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और उनके कौशल का सही उपयोग किया जाना चाहिए ताकि वे संगठन को अधिक ऊंचाइयों तक ले जा सकें। उन्होंने CEO और CXO स्तर के अधिकारियों से आह्वान किया कि वे महिलाओं की विश्लेषणात्मक क्षमता और सहज ज्ञान (इंट्यूशन) को पहचानें और उनका लाभ उठाएं।
सत्र का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि महिलाएं और संगठन मिलकर बाधाओं को तोड़ें और PR इंडस्ट्री को अधिक समावेशी और समानतापूर्ण बनाएं। पैनलिस्ट्स ने इस बात पर जोर दिया कि नेतृत्व में महिलाओं को लाने के लिए मेंटरशिप, आत्म-संरक्षण (सेल्फ-एडवोकेसी) और संगठनों के समर्थन की आवश्यकता है, ताकि वे प्रभावशाली बदलाव ला सकें।
यहां देखें वीडियो:
ANI द्वारा OpenAI के खिलाफ दायर कॉपीराइट उल्लंघन मामले में न्याय मित्र (amicus curiae) आदर्श रामानुजन ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी कि न्यूज एजेंसी द्वारा लगाए गए उल्लंघन के आरोप निराधार हैं।
न्यूज एजेंसी 'एएनआई' (ANI) द्वारा OpenAI के खिलाफ दायर कॉपीराइट उल्लंघन मामले में न्याय मित्र (amicus curiae) आदर्श रामानुजन ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी कि न्यूज एजेंसी द्वारा लगाए गए उल्लंघन के आरोप निराधार हैं।
रामानुजन ने तर्क दिया कि OpenAI का लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) मूल कंटेंट को पुन: प्रस्तुत नहीं करता बल्कि भाषा पैटर्न की भविष्यवाणी करता है, जिससे यह "गैर-अभिव्यंजक" (non-expressive) उपयोग का मामला बनता है।
उन्होंने अपनी दलील में समझाया, "मॉडल जिस तरह काम करता है, वह केवल संख्याओं को प्रोसेस करता है। प्रोग्राम को दिए गए हर अभिव्यक्ति या डेटासेट को अलग-अलग टोकन में विभाजित किया जाता है।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मॉडल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह मूल डेटा को सीधे पुन: प्रस्तुत किए बिना कंटेंट की सटीकता का अनुमान लगाता है। उन्होंने कहा, "प्रशिक्षण प्रक्रिया (training loop) के दौरान मूल डेटा की कोई पुनरुत्पत्ति नहीं होती।"
अपनी रिपोर्ट की समीक्षा के दौरान, रामानुजन ने आगे कहा कि उल्लंघन तभी साबित हो सकता है जब ANI यह सिद्ध कर सके कि ChatGPT का आउटपुट किसी समाचार लेख के "अभिव्यक्तिपूर्ण" (expressive) हिस्से का सीधा अंश है। उन्होंने यह भी बताया कि यह बहस फिलहाल 'न्यायसंगत उपयोग' (fair use) पर केंद्रित है, जबकि भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत 'न्यायसंगत व्यवहार' (fair dealing) की जांच की आवश्यकता होती है।
इस बीच, न्याय मित्र अरुल जॉर्ज स्कारिया द्वारा प्रस्तुत एक अलग रिपोर्ट में अदालत को सूचित किया गया कि उसके पास OpenAI के खिलाफ ANI के कॉपीराइट मामले की सुनवाई करने का अधिकार है। क्षेत्रीय अधिकारिता (territorial jurisdiction) के मुद्दे पर, रामानुजन ने तर्क दिया कि ANI को विदेशी अदालत में मामला लड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, सिर्फ इसलिए कि कथित उल्लंघन भारत के बाहर हुआ है। उन्होंने कहा, "यदि वादी को भारतीय कानून के तहत कोई अधिकार प्राप्त है, तो उसे भारतीय कानून के तहत समाधान भी मिलना चाहिए। किसी विदेशी अदालत के पास भारतीय कॉपीराइट पर अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।"
ANI ने पलटवार करते हुए कहा कि भारतीय कॉपीराइट कानून के तहत, किसी रचना का लेखक उसके कॉपीराइट का पहला स्वामी होता है, जब तक कि वह कंटेंट रोजगार के तहत या प्रकाशन के लिए किसी अनुबंधात्मक समझौते के तहत न बनाई गई हो।
अंगद पिछले कुछ महीनों से इस नेटवर्क के साथ एक सलाहकार के रूप में जुड़े हुए थे और अब वह फुल-टाइम इस भूमिका को संभालेंगे।
‘नेटवर्क18’ (Network18) ने अंगद भाटिया को ‘फर्स्टपोस्ट’ (Firstpost) और ‘क्रिएटर18’ (Creator18) का सीईओ नियुक्त किया है। अंगद पिछले कुछ महीनों से इस नेटवर्क के साथ एक सलाहकार के रूप में जुड़े हुए थे और अब वह फुल-टाइम इस भूमिका को संभालेंगे।
‘फर्स्टपोस्ट’ का नेतृत्व करने के साथ-साथ वह नेटवर्क के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर क्रिएटर नेटवर्क को विकसित करने की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। अपनी इस भूमिका में वह ‘नेटवर्क18’ के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल जोशी को रिपोर्ट करेंगे।
अंगद भाटिया को डिजिटल बिजनेस शुरू करने और उन्हें सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने का काफी अनुभव है। उनके पास उपभोक्ता-केंद्रित (B2C) मीडिया वेंचर्स को तैयार करने और विकसित करने की खास विशेषज्ञता है। उन्होंने अपने करियर में विभिन्न कंपनियों में ग्रोथ लाने के लिए नई बिजनेस अपॉर्च्युनिटी खोजने और मौजूदा बिजनेस का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
‘नेटवर्क18’ से जुड़ने से पहले अंगद ‘इंडिया लाइफस्टाइल नेटवर्क’ (India Lifestyle Network) के सीईओ थे और साथ ही उन्होंने ‘Mensa Brands’ के ब्रैंड और मार्केटिंग ग्रोथ का भी नेतृत्व किया है।
अंगद के पास मीडिया, कंटेंट, टेक्नोलॉजी, क्रिएशन एंड इनोवेशन और डिजिटल कॉमर्स के क्षेत्र में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्होंने भारत की कई प्रभावशाली डिजिटल-फर्स्ट कंज्यूमर ब्रैंड्स को तैयार किया है, जिनमें MensXP (जिसे उन्होंने खुद शुरू किया और बाद में Times Internet ने इसका अधिग्रहण कर लिया), 'iDiva' और 'Hypp' शामिल हैं।
विकास पुरोहित इससे पहले ‘मेटा इंडिया’ (Meta India) में डायरेक्टर और हेड (स्मॉल बिजनेस ग्रुप) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
विकास पुरोहित ने ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (The Times of India) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (New Business Ventures) के पद पर जॉइन किया है। अपनी इस भूमिका में वह नई बिजनेस संभावनाओं को विकसित करने और उन्हें अमल में लाने की जिम्मेदारी संभालेंगे।
इस बारे में जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वह हाई-पोटेंशियल नए वेंचर कॉन्सेप्ट तैयार करेंगे, स्ट्रैटेजिक बिजनेस प्लान विकसित करेंगे और उन्हें सफलतापूर्वक लागू कर लाभदायक वेंचर्स बनाएंगे।
विकास पुरोहित इससे पहले ‘मेटा इंडिया’ (Meta India) में डायरेक्टर और हेड (स्मॉल बिजनेस ग्रुप) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। इस भूमिका में उन्होंने भारत में एक करोड़ से अधिक छोटे व्यवसायों को सपोर्ट करने वाली टीम का नेतृत्व किया।
मेटा से पहले वह ‘टाटा यूनिस्टोर लिमिटेड’ (Tata Unistore Ltd) के सीईओ थे। इसके अलावा, उन्होंने ‘एमेजॉन फैशन’ (Amazon Fashion), ‘रिलायंस ब्रैंड्स’ (Reliance Brands) और ‘आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल’ (Aditya Birla Fashion & Retail) जैसी बड़ी कंपनियों में भी महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाई हैं।
शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो विकास पुरोहित ने आईआईटी-बीएचयू से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया है और उसके बाद आईआईएम बेंगलुरु से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट (PGDBM) की डिग्री हासिल की है।
खनचंदानी ने अपने 25 वर्षों के करियर में भारत के डिजिटल और कमर्शियल मीडिया परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मीडिया इंडस्ट्री के अनुभवी व्यक्ति विकास खनचंदानी का आज जन्मदिन है। इस मौके पर, हम न केवल उनके उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं, बल्कि मीडिया इंडस्ट्री पर उनके निरंतर प्रभाव को भी सराह रहे हैं।
खनचंदानी ने अपने 25 वर्षों के करियर में भारत के डिजिटल और कमर्शियल मीडिया परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रमुख नेटवर्क्स का नेतृत्व करने से लेकर इनोवेशन आधारित डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल विकसित करने तक, उनका करियर रणनीतिक नेतृत्व और बदलाव का प्रमाण रहा है।
वर्तमान में eSENDIT के को-फाउंडर व डायरेक्टर के रूप में वह मीडिया, कॉमर्स और टेक्नोलॉजी के एकीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। क्लाउड-आधारित समाधानों के माध्यम से वह प्रीमियम डिजिटल कंटेंट के हाई क्वॉलिटी डिस्ट्रीब्यूशन को सुनिश्चित कर रहे हैं। DistroScale में उनके FAST इकोसिस्टम पर ध्यान केंद्रित करने से उनका AVOD (Advertising Video on Demand) के भविष्य को लेकर विजन और भी स्पष्ट होता है, जहां वह इनोवेशन के जरिए मल्टी-स्क्रीन ऑडियंस को जोड़ने पर काम कर रहे हैं।
इससे पहले, उन्होंने रिपब्लिक टीवी के CEO के रूप में इसकी तेजी से वृद्धि और प्रमुख न्यूज नेटवर्क बनने की यात्रा का नेतृत्व किया। इसके अलावा, रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क और NDTV मीडिया में उनकी भूमिका ने बिजनेस डेवलेपमेंट, रणनीतिक साझेदारियों और डिजिटल विस्तार में उनकी विशेषज्ञता को और मजबूत किया।
स्टार इंडिया, Aidem और रिपब्लिक टीवी तक का उनका सफर मीडिया इंडस्ट्री में उनकी बदलाव के प्रति अनुकूलन क्षमता को दर्शाता है। उनका प्रभाव सिर्फ बोर्डरूम तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल मोनेटाइजेशन और कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन के व्यापक बदलाव को भी प्रेरित करता है।
हर्षित साहनी इससे पहले वार्नर ब्रदर्स में साउथ एशिया (टीवी और ओटीटी) के डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। वार्नर ब्रदर्स से पहले, साहनी छह वर्षों तक डिस्कवरी इंक के साथ जुड़े रहे।
हर्षित साहनी ने वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी में क्लस्टर रेवेन्यू हेड (फैक्चुअल एंड लाइफस्टाइल, यूरोस्पोर्ट, इंटरनेशनल बिजनेस - साउथ एशिया) के सीनियर डायरेक्टर के रूप में नई जिम्मेदारी संभाली है।
सितंबर में, उनका कार्यक्षेत्र विस्तारित किया गया था, जिससे उन्हें साउथ एशिया में सभी फैक्चुअल और लाइफस्टाइल चैनलों, यूरोस्पोर्ट्स, इंटरनेशनल बिजनेस और डिस्कवरी+ के लिए ऐड सेल्स का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
हर्षित साहनी इससे पहले वार्नर ब्रदर्स में साउथ एशिया (टीवी और ओटीटी) के डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। वार्नर ब्रदर्स से पहले, साहनी छह वर्षों तक डिस्कवरी इंक के साथ जुड़े रहे।
उन्होंने सोनी एंटरटेनमेंट, स्टार और जी मीडिया जैसी अन्य मीडिया कंपनियों में भी काम किया है।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एम्क्योर फॉर्मा की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नमिता थापर ने बोलते हुए कहा कि बिजनेस का वैल्यूवेशन जेंडर के आधार पर नहीं, बल्कि प्रदर्शन के आधार पर किया जाना चाहिए।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एम्क्योर फॉर्मा की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नमिता थापर ने भी शिरकत की। उन्होंने कहा, बिजनेस में सफलता का असली पैमाना जेंडर नहीं, बल्कि नंबर पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं अक्सर कंपनी के रेवेन्यू, प्रॉफिट, फाउंडर्स वर्क और सेक्टर्स पर फोकस रखते हुए निवेश करती हूं।
थापर ने 'बैरियर ब्रेकिंग एंड बिल्डिंग लिगेसी' पर कहा कि वित्तीय परिणाम बिजनेस की सफलता में खास रोल निभाते हैं, भले ही कंपनी को पुरुष चला रहा हो या महिला। उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं के लिए गांव से लेकर दूर-दराज के इलाकों से महिलाएं अब उठकर आ रही हैं।
यंग वूमेन अपनी स्टोरी और जर्नी से लोगों को इंस्पायर कर रही हैं। कॉर्पोरेट जगत में 25 साल बिता चुकीं नमिता थापर ने कहा कि चुनौतियां तो अभी भी हैं, लेकिन सफलता का अंतिम पैमाना नंबर्स ही होने चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजनेस के नंबर्स किसी को भी चुप करा सकते हैं। इस पर ही आपका बिजनेस बेहतर दिखता है।
नारा लोकेश ने नई शिक्षा नीति के तहत भारत के सभी राज्यों में हिंदी को बढ़ावा देने को लेकर कहा कि भारत में भाषाई विविधता है और हिंदी को थोपा नहीं जा सकता।
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में आंध्र प्रदेश के आईटी और मानव संसाधन विकास मंत्री नारा लोकेश ने दक्षिण भारत में हिंदी पर छिड़ी बहस पर प्रतिक्रिया दी है। नई शिक्षा नीति के तहत भारत के सभी राज्यों में हिंदी को बढ़ावा देने को लेकर उन्होंने कहा कि भारत में भाषाई विविधता है और हिंदी को थोपा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि हर राज्य अलग है और उसे अपनी स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने की आजादी होनी चाहिए। नारा लोकेश ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और अपने पिता चंद्रबाबू नायडू का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
नारा लोकेश ने कहा, जब मैं देश के शिक्षा मंत्री से मिला, तो मैंने पाया कि ऐसा कुछ नहीं है, उनका ध्यान राज्य में शिक्षा के मीडियम के रूप में तेलुगु को बढ़ावा देने पर अधिक था। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मातृभाषाओं को मजबूत करने में भरोसा दिखाया है।