माना जा रहा है कि इसके बाद भी ब्रैंड्स आईपीएल के लिए विज्ञापन पर खूब खर्च करेंगे और यह लीग एक बार फिर मार्केट में गति लेकर आएगी।
इस साल के सबसे बड़े आयोजन को भुनाने के लिए ‘स्टार इंडिया’ (Star India) पूरी तरह से तैयार है। पहली तिमाही खराब रहने के बाद अब स्टार इंडिया पिछले सत्र के मुकाबले ‘इंडियन प्रीमियर लीग’ (IPL) की विज्ञापन दरों में 20 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, साल 13वें आईपीएल के लिए विज्ञापन दरें 12लाख रुपये प्रति सेकेंड से लेकर 12.5 लाख रुपये प्रति सेकेंड रह सकती हैं।
कोविड-19 से पहले की तुलना में टीवी का उपभोग (TV consumption) 15 प्रतिशत बढ़ा है (source: BARC) और लाइव स्पोर्ट्स को दर्शकों ने काफी मिस किया है। इसके अलावा, आईपीएल के इस सीजन में मैच पहले यानी शाम साढ़े सात बजे शुरू होंगे, जिसके कारण इसके दर्शकों की संख्या 20 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ जाएगी।
माना जा रहा है कि इस बार यह सीरीज व्युअरशिप के नए रिकॉर्ड बनाएगी, जिसकी वजह से विभिन्न सेक्टर्स से जुड़े एडवर्टाइजर्स इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे में सुस्त अर्थव्यवस्था के बावजूद ब्रॉडकास्टर्स को लग रहा है कि वे ऐड स्लॉट की कीमतों में बढ़ोतरी कर सकते हैं। यहां तक कि बढ़ी हुई कीमतों पर भी ब्रैंड्स आईपीएल की विज्ञापन इंवेंट्री पर बड़ा दांव लगा रहे हैं।
‘आईपीजी मीडियाब्रैंड्स इंडिया’ (IPG Mediabrands India) के सीईओ शशि सिन्हा के अनुसार, ‘इस साल कोविड के बाद कंपनियां निश्चित रूप से रिकवरी की ओर देख रही हैं। फेस्टिव सीजन के साथ इस बार आईपीएल भी शुरू हो रहा है। टाइटल स्पॉन्सरशिप से वीवो (Vivo) के हटने के बाद हमने देखा कि तीन बड़े बोलीदाता आगे आए और ब्रैंड्स इस लीग में काफी रुचि दिखा रहे हैं। आईपीएल की लोकप्रियता को देखते हुए उम्मीद है कि यह एडवर्टाइजर्स को आकर्षित करेगी। कुल मिलाकर आईपीएल इस समय बहुत जरूरी पुनर्त्थान का संकेत है।’
सिन्हा का यह भी कहना है, ‘विज्ञापन देने वाले ब्रैंड्स की कैटेगरीज की बात करें तो इनमें मुख्य: ई-कॉमर्स प्लेयर्स, एजुकेशन ऑटो कंपनियां और यहां तक कि बेवरेज कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं, हालांकि उनके लिए यह पीक सीजन नहीं है।’
व्युअरशिप की बात करें तो आईपीएल एक तरह से फैमिली स्पोर्ट्स बन गया है और लीग के 12वें एडिशन को 613 मिलियन व्युअर्स मिले थे (consolidated + PPL + surround)। यही नहीं, यह लीग से ब्रैंड्स को विभिन्न भाषाओं के दर्शकों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में भी मदद मिलती है। स्टार इंडिया के सूत्रों के अनुसार, आईपीएल के 13वें सीजन के ब्रॉडकास्टर प्रादेशिक भाषाओं में अपना फोकस बनाए जारी रखेगा।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि हिंदी और अंग्रेजी के अतिरिक्त स्टार स्पोर्ट्स को चार अन्य भाषाओं (तमिल, तेलुगू, बांग्ला और कन्नड़) में व्युअरशिप मिलेगी। इस बारे में वरिष्ठ मीडिया विशेषज्ञ अनीता नैय्यर का कहना है कि वर्तमान में चल रही महामारी की स्थिति के बावजूद दो प्रमुख फैक्टर्स हैं जो चैनल्स को ज्यादा चार्ज करने की अनुमति देंगे।
अनीता नैय्यर के अनुसार, ‘पहली बात तो यह है कि आईपीएल का आयोजन फेस्टिव सीजन के दौरान होगा और कई ब्रैंड्स फेस्टिव एडवर्टाइजिंग के लिए अपने बजट को बढ़ाएंगे। दूसरी बात ये है कि वर्तमान में ऑडियंस क्रिकेट को देखना चाहते हैं। इस साल का पहला बड़ा क्रिकेट आयोजन होने के कारण आईपीएल को सबसे ज्यादा व्युअरशिप मिलनी चाहिए, ऐसे में यह ब्रैंड्स के लिए अच्छा मौका होगा।’
पब्लिशेस ग्रुप के स्वामित्व वाली मीडिया एजेंसी ‘जेनिथ’ (Zenith) के चीफ क्लाइंट ऑफिसर अजीत गुरनानी का कहना है, ‘इस समय तमाम लोग घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) कर रहे हैं। ऐसे में कुछ निश्चित कैटगेरीज की मांग बढ़ रही है और क्रिकेट व आईपीएल इसकी रफ्तार को और गति देंगे। इसके अलावा फिलहाल आईपीएल के कॉम्प्टीशन में कोई नहीं है। इन सबके कारण व्युअरशिप बढ़ना निश्चित है। इससे मार्केट में फिर उछाल आने की उम्मीद है।’
चार घंटे के इस मैच में ब्रैंड्स न सिर्फ ब्रेक्स के दौरान विज्ञापन देंगे, बल्कि मैच के दौरान विकेट गिरने या चौका-छक्का लगने की स्थिति में भी विज्ञापन देंगे। सूत्रों के अनुसार, ऑनलाइन शॉपिंग, होम डेकोर, मोबाइल हैंडसेट, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, एफएमसीजी, ऑटो जैसी कैटेगरीज में लोग खर्च करेंगे इससे ऐड इन्वेंट्री बढ़ेगी। इसके अलावा, ऐसे तमाम एडवर्टाइजर्स जो पिछले सीजन में अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न देख चुके हैं, वे भी विज्ञापन दरों के बढ़ने के बावजूद इस अवसर का फिर फायदा उठाना चाह रहे हैं।
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टीवी चैनल्स की रेटिंग जारी करने वाली संस्था ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया की एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट 2021 के अनुसार, वर्ष 2017 के बाद से इस साल जनवरी-फरवरी में कुल एडवर्टाइजिंग वॉल्यूम सबसे ज्यादा रहा है। खास बात यह है कि इस दौरान एडवर्टाइजर्स और ब्रैंड्स की संख्या कम रहने के बावजूद एडवर्टाइजिंग वॉल्यूम इतना ज्यादा रहा है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, इस साल की शुरुआत में जनवरी-फरवरी में ऐड वॉल्यूम 21 प्रतिशत तक बढ़ गया और यह वर्ष 2017 के बाद से सबसे ज्यादा हो गया।
बार्क इंडिया के हेड (Client Partnership & Revenue Function) आदित्य पाठक का कहना है, ‘वर्ष 2020 की दूसरी छमाही (H2 of 2020) में मिली गति को बरकरार रखते हुए टीवी ऐड वॉल्यूम की जनवरी-फरवरी में काफी अच्छी शुरुआत रही और यह पिछले पांच वर्षों के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच गया। इस दौरान तमाम सेक्टर्स/कैटेगरीज और नॉन एफएमसीजी ब्रैंड्स ने भी टीवी पर अपनी मौजूदगी बढ़ाई।’
जनवरी-फरवरी 2021 में पिछले साल इसी अवधि की तुलना में टॉप जॉनर्स (top genres) में मूवीज-म्यूजिक और यूथ ने समग्र ऐड वॉल्यूम में क्रमशः 25प्रतिशत और 24प्रतिशत की औसत वृद्धि से अधिक वृद्धि दर्ज की। इसके बाद जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स और न्यूज ने क्रमश: 21 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी से फरवरी के दौरान टॉप10 एडवर्टाइजर्स ने जहां 45 प्रतिशत के योगदान और 35 प्रतिशत ग्रोथ के साथ टीवी ऐड वॉल्यूम को आगे बढ़ाया, वहीं अगले 40 एडवर्टाइजर्स ने 25 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज कराई।
वर्ष 2020 में टीवी एडवर्टाइजिंग में कई नई एंट्रीज हुई थीं और डिजिटल सेगमेंट खासकर ई-कॉमर्स कैटेगरी में एडवर्टाइजर्स की संख्या बढ़ी थी, वर्तमान अवधि के लिए भी यही स्थिति रही। जनवरी-फरवरी 2021 में ई-कॉमर्स में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे टीवी विज्ञापन में लगातार वृद्धि देखी गई।
वर्ष 2020 की तुलना में इस साल अन्य कैटेगरीज जैसे रिटेल और बिल्डिंग, इंडस्ट्री और लैंड मैटीरियल्स में विज्ञापन खर्च बढ़ रहा है। जनवरी-फरवरी 2021 के दौरान लाइजॉल, डेटॉल और हार्पिक जैसे ब्रैंड्स का सबसे ज्यादा विज्ञापन रहा, वहीं तमाम नॉन एफएमसीजी ब्रैंड्स ने भी इस अवधि में टीवी पर अपनी मौजूदगी बढ़ाई।
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तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाई कोर्ट को सूचित किया है कि अब अखबारों और टीवी में किसी भी तरह के सरकारी विज्ञापन दिखाई नहीं देंगे। इस तरह के सभी विज्ञापनों को 18 फरवरी के बाद से रोक दिया गया है।
डीएमके की उस याचिका पर एडवोकेट जनरल विजय नारायण ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया था कि सत्तारूढ़ एआईएडीएमके टेलिविजन और अखबारों के माध्यम से प्रचार के लिए जनता के करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।
अपने जवाब में विजय नारायण ने कहा है कि ये विज्ञापन पिछले चार वर्षों में केवल राज्य सरकार के प्रदर्शन को दिखाने के लिए जारी किए गए थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि चुनाव आयोग द्वारा राज्य को नोटिस जारी किए जाने के बाद इस तरह के विज्ञापनों को रोक दिया गया है। नारायण ने यह भी बताया कि यह मामला अब निरर्थक हो गया है, क्योंकि तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार से इस तरह के विज्ञापनों को जारी करना बंद कर दिया है।
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‘टैम एडेक्स’ (TAM AdEx) की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी महीने में टीवी पर नए एडवर्टाइजर्स की संख्या में पिछले साल जनवरी की तुलना में कमी आई है। हालांकि, इस साल जनवरी में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले टीवी पर विज्ञापनों की संख्या में 34 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 के मुकाबले जनवरी 2021 में टीवी पर 1500 से अधिक नए विज्ञापनदाताओं ने विज्ञापन दिया है। जनवरी 2020 में कुल विज्ञापनदाताओं की संख्या 3000 से ज्यादा थी, वहीं नवंबर और दिसंबर में यह क्रमश: 2900 से ज्यादा और 2300 से ज्यादा थी। जबकि पिछले साल जनवरी की तुलना में इस साल जनवरी में 1900 से ज्यादा एक्सक्लूसिव विज्ञापनदाता गायब थे।
‘Starcom MediaVest Group’ के मैनेजिंग डायरेक्टर (नॉर्थ) दीपक शर्मा का कहना है,’किसी भी एडवर्टाइजर अथवा इंडस्ट्री के लिए साल की दो तिमाही अप्रैल-मई-जून और अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर काफी महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि तकरीबन 60 प्रतिशत रेवेन्यू इन्ही तिमाहियों में आता है। अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर के मुकाबले जनवरी-फरवरी-मार्च का कम महत्व है, लेकिन यदि हम जनवरी-फरवरी-मार्च को तिमाही दर तिमाही देखें तो यह ज्यादा होगी, क्योंकि फाइनेंस सेक्टर, स्टूडेंट सेक्टर व अन्य के लिए मार्च काफी महत्वपूर्ण महीना है। इसके अलावा यह वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना भी होता है।’
इस साल जनवरी में टॉप एडवर्टाइजर्स की लिस्ट में व्हाइट हैट एजुकेशन टेक्नोलॉजी शामिल रहा। पिछले महीने टीवी पर दस नए एडवर्टाइजर्स की बात करें तो इनमें Dhani services, Airtel Payment Bank, International Cricket Council, Honda Cars India, Thangamayil Jewellery, Piccadily Agro Industries, Accenture Solutions, Ather Energy और Acko General Insurance आदि ब्रैंड्स ने अपनी जगह बनाई।
दीपक शर्मा के अनुसार, महामारी के दौरान ऑटो, हॉस्पिटैलिटी, और ट्रैवल जैसे सेक्टर काफी प्रभावित हुए। ये सेक्टर विज्ञापनों पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले हैं, लेकिन पिछले साल इनके खर्च में गिरावट देखी गई और इसलिए विज्ञापन प्रभावित हुआ।
इंडस्ट्री से जुड़े एक विशेषज्ञ के अनुसार , ‘सर्विस प्रोवाइडर्स, ऑनलाइन एजुकेशन, एजुटेक और ई-कॉमर्स जैसी कुछ कैटेगरी हैं, जिनमें इस साल उछाल आने की उम्मीद है। इसके अलावा लोन सर्विसेज और सर्विस सेक्टर जो नीचे खिसक गया है, वह आने वाले महीनों में ऊपर आ सकता है। भले ही नए विज्ञापनदाताओं की संख्या कम हो, लेकिन अन्य विज्ञापनदाताओं द्वारा खर्च में कटौती नहीं की गई। पिछले साल इन कैटेगरी में तमाम एडवर्टाइजर्स मौजूद थे, जिन्हें अभी रिकवर करना है। हालांकि, अब खर्च बंद नहीं किया गया है, एडवर्टाइजर्स सिर्फ टीवी पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं।’
डाटा के अनुसार, जनवरी 2020 के मुकाबले जनवरी 2021 में दस टॉप नए एडवर्टाइजर्स में से चार सर्विस सेक्टर से जबकि दो ऑटो सेक्टर से थे।
‘पिच मैडिसन एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट’ (PMAR) 2021 के अनुसार, पहली तीन तिमाहियों में वर्ष 2019 के मुकाबले 31 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, वर्ष 2020 की चौथी तिमाही (Q4’20) में तीसरी तिमाही (Q3 2020) के मुकाबले 66 प्रतिशत का इजाफा हुआ। वर्ष 2019 की चौथी तिमाही (Q4 2019) के मुकाबले इसमें 56 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, कैटेगरीज की बात करें तो कोविड-19 वर्ष में सबसे बड़ी वृद्धि अनुमानित रूप से ई-कॉमर्स कैटेगरी से आई है, जिसमें वर्ष 2019 के मुकाबले 95 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है। ई-कॉमर्स में ऑनलाइन शॉपिंग, मोबाइल वॉलेट्स और मीडिया/एंटरटेनमेंट/सोशल मीडिया/ओओटी प्रमुख कैटेगरी थीं। इसके बाद अगली बड़ी ग्रोथ एजुकेशन सेक्टर से देखने को मिली है।
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आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए 'एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (एएससीआई) ने एक कैंपेन ‘चुप न बैठो’ (#ChupNaBaitho) लॉन्च किया है। यह कैंपेन आपत्तिजनक विज्ञापनों के बारे में जागरूकता पैदा करने और उपभोक्ताओं को ऐसे विज्ञापनों की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ASCI द्वारा बनाई गईं तमाम योजनाओं का हिस्सा है।
तीन महीने के पायलट प्रोजेक्ट के तहत ASCI दिल्ली और मुंबई पर फोकस करेगा। ASCI की एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट-2020 के अनुसार, सिर्फ 10 प्रतिशत कंज्यूमर्स ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उनके पास शिकायत की। 20 प्रतिशत ने विज्ञापनों के बारे में सोशल मीडिया पर बात और 60 से 70 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होंने इस बारे में आपस में चर्चा की अथवा कोई एक्शन नहीं लिया।
इसलिए बडे पैमाने पर भले ही कंज्यूमर्स आपत्तिजनक विज्ञापनों का सामना करते हैं, लेकिन वे इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं। ऐसे में इस कैंपेन का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा कंज्यूमर्स विज्ञापनों से जुड़ी अपनी शिकायतों के बारे में ASCI को बताएं ताकि बाजार में आपत्तिजनक विज्ञापनों की संख्या को कम किया जा सके।
वर्ष 2018 और 2020 के बीच में 1906 विज्ञापनों के खिलाफ 9383 सीधी शिकायतें की गईं। इनमें कंज्यूमर्स की ओर से 2018-2019 में करीब 57 प्रतिशत और 2019-2020 में 43 प्रतिशत शिकायतें की गईं। वर्ष 2019-2020 में ASCI को 662 विज्ञापनों के खिलाफ 4683 सीधी शिकायतें प्राप्त हुईं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।डाटा के अनुसार, वर्ष 2020 के दौरान अधिकांश एडवर्टाइजर्स की पहली पसंद जैकेट यानी फुल पेज विज्ञापन रहे।
कोरोनावायरस (कोविड-19) का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रिंट मीडिया को मिलने वाले विज्ञापनों में काफी कमी का सामना करना पड़ा। हालांकि, अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इंडस्ट्री ने फिर रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी।
‘टैम एडेक्स’ (TAM AdEx) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में वर्ष 2019 की इसी अवधि की तुलना में प्रति पब्लिकेशन औसत विज्ञापन में सिर्फ 11 प्रतिशत तक कमी देखी गई। इससे पता चलता है कि अनलॉक के दौरान प्रिंट को मिलने वाले विज्ञापनों में रिकवरी हो रही है।
कोविड-19 संकट के मद्देनजर प्रति पब्लिकेशन सबसे कम औसत विज्ञापन मात्रा दूसरी तिमाही में देखी गई, जिसमें लॉकडाउन की अवधि भी शामिल है। हालांकि, 2020 की पहली तीन तिमाहियों के संयुक्त औसत की तुलना में औसत विज्ञापन मात्रा चौथी तिमाही में 90 प्रतिशत बढ़ गई। फेस्टिव सीजन के दौरान प्रिंट को मिलने वाला विज्ञापन लॉकडाउन से पहले के स्तर तक पहुंच गया।
प्रिंट को मिलने वाले विज्ञापनों की बात करें तो वर्ष 2019 की तरह 2020 के दौरान 18 प्रतिशत शेयर के साथ ऑटो सेक्टर टॉप पर रहा, जबकि इसके बाद 14 प्रतिशत शेयर के साथ एजुकेशन सेक्टर का नंबर था। प्रिंट को मिलने वाले विज्ञापनों में टॉप तीन सेक्टर्स को मिलाकर 46 प्रतिशत शेयर रहा।
टॉप-10 सेक्टर की लिस्ट में पर्सनल केयर/पर्सनल हाइजीन सेक्टर ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। प्रिंट के एडवर्टाइजर्स की लिस्ट में SBS Biotech टॉप पर रही, जबकि इसके बाद Maruti Suzuki India का नंबर रहा।
प्रिंट को विज्ञापन देने वाले टॉप-10 ब्रैंड्स की लिस्ट में छह ब्रैंड्स ऑटो सेक्टर से रहे। वर्ष 2020 के दौरान प्रिंट को विज्ञापन देने वाले टॉप ब्रैंड्स में मारुति कार नंबर एक पर जबकि हीरो टू-व्हीलर्स का दूसरा नंबर रहा। प्रिंट पर टॉप-10 बैंड्स में हीरो मोटरकॉर्प के दो ब्रैंड्स थे।
वर्ष 2019 में 93000 ब्रैंड्स की तुलना में वर्ष 2020 में प्रिंट में 73000 एक्सक्लूसिव एडवर्टाइजर्स थे। डाटा के अनुसार, वर्ष 2020 के दौरान अधिकांश एडवर्टाइजर्स की पहली पसंद जैकेट यानी फुल पेज विज्ञापन रहे। ऐसे करीब 5100 ब्रैंडस थे, जिन्होंने वर्ष 2020 के दौरान अखबारों और मैगजींस में जैकेट यानी फुल पेज विज्ञापन दिए।
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कोविड-19, लॉकडाउन, सुशांत सिंह राजपूत केस और टीआरपी घोटाला जैसी तमाम वजहों से इस साल न्यूज सबसे बड़ा जॉनर (Genre) बनकर उभरा है। ‘टैम एडेक्स’ (TAM AdEx) की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त से दिसंबर के बीच (पांच दिसंबर तक) टीवी को मिलने वाले कुल विज्ञापन में न्यूज जॉनर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 29 प्रतिशत रही है।
इसी अवधि की तुलना यदि पिछले साल से करें तो उस समय टीवी ऐड वॉल्यूम के मामले में ‘जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स’ (GEC) सबसे ऊपर थे। खास बात यह है कि मूवी जॉनर 24 प्रतिशत ग्रोथ के साथ दूसरा सबसे बड़ा जॉनर बनकर उभरा है, वहीं जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स की बात करें तो यह सात प्रतिशत है। अन्य शीर्ष जॉनर्स में म्यूजिक और किड्स शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, टॉप-5 कैटेगरीज में टूथपेस्ट कैटेगरी में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और इसने वॉशिंग पाउडर्स/लिक्विड्स को पीछे छोड़ दिया है। वहीं, टॉप-5 जॉनर्स में ‘एचयूएल’ (HUL) और ‘रेकिट’ (Reckitt) टॉप-2 एडवर्टाइजर्स बने रहे हैं।
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त्योहारी सीजन टीवी इंडस्ट्री के लिए काफी खुशियां लेकर आया है, क्योंकि टीवी इंडस्ट्री को मिलने वाले ऐड वॉल्यूम यानी विज्ञापनों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है। देश में टेलिविजन दर्शकों की संख्या मापने वाली संस्था ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा जारी 43वें हफ्ते के डाटा के अनुसार, वर्ष 2015 के 16वें हफ्ते के बाद से टीवी पर सबसे ज्यादा ऐड वॉल्यूम देखने को मिला है।
डाटा के अनुसार, 43वें हफ्ते में टीवी पर सबसे ज्यादा 38.7 मिलियन सेकंड्स ऐड वॉल्यूम रहा है। फेस्टिव सीजन और अन्य बड़े इवेंट्स की वजह से यह बढ़ोतरी देखी गई है और ऐड वॉल्यूम भी सामान्य हो रहे हैं।
वर्ष 2018 के 43वें हफ्ते में ऐड वॉल्यूम 36.6 मिलियन सेकंड्स रहा था। यह तीसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी और वर्ष 2020 के 42वें हफ्ते में दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली थी जब 37.9 मिलियन सेकंड्स दर्ज किए गए थे।
अब 43वें हफ्ते में 38.7 मिलियन सेकंड्स के साथ ऐड वॉल्यूम ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। टीवी सेक्टर में वर्ष 2018 से 5.7 प्रतिशत के साथ तीसरी सबसे बड़ी और पिछले हफ्ते की तुलना में 2.1 प्रतिशत के साथ दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है।
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नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले एक साल में यानी 2019-20 के दौरान विज्ञापनों पर औसतन प्रति दिन 1.95 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसका खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के तहत मांगे गए सवालों के जवाब में हुआ है। इस संबंध में मुंबई के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट जतिन देसाई ने जानकारी मांगी थी।
जवाब में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के विभाग ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन ने बताया कि अखबार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, होर्डिंग इत्यादि के माध्यम से मोदी सरकार ने खुद के प्रचार के लिए पिछले वर्ष में 713.20 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। ब्यूरो ने बताया कि इसमें से 295.05 करोड़ रुपए प्रिंट, 317.05 करोड़ रुपए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और 101.10 करोड़ रुपए आउटडोर विज्ञापन में खर्च किए गए हैं। इस तरह से केंद्र सरकार द्वारा 2019-2020 के बीच विज्ञापनों पर औसतन प्रति दिन 1.95 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
हालांकि विभाग ये बताने में असमर्थ रहा कि सरकार ने विदेशी मीडिया में विज्ञापन देने में कितने रुपए खर्च किए हैं।
इससे पहले जून 2019 में, मुंबई के रहने वाले अनिल गलगली की ओर से दायर एक अन्य आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने बताया था कि उसने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, आउटडोर मीडिया और प्रिंट प्रचार पर 3,767.2651 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
वहीं, इसके भी एक साल पहले यानी मई 2018 में, मंत्रालय द्वारा गलगली के एक और आरटीआई के जवाब से मोदी सरकार की तरफ से विज्ञापन पर खर्च की जानकारी सामने आई थी। मंत्रालय ने मई, 2018 में बताया था कि मोदी सरकार ने जून 2014 से सरकारी विज्ञापनों पर 4,34.26 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
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10 नवंबर को खेला जाना है इंडियन प्रीमियर लीग-13 का फाइनल मैच
अब जब ‘इंडियन प्रीमियर लीग’ (IPL) का 13वां एडिशन अंतिम चरण में है और जल्द ही फाइनल मुकाबला होने वाला है, ऐसे में आईपीएल के आधिकारिक ब्रॉडकास्टर ‘डिज्नी-स्टार इंडिया’ (Disney-Star India) ने आखिरी चार मैचों के लिए विज्ञापन की दरें 15 से 20 प्रतिशत बढ़ा दी हैं। बता दें कि लीग के सेमीफाइनल मैच पांच से आठ नवंबर के बीच खेला जाएगा और फाइनल मुकाबला 10 नवंबर को होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक वरिष्ठ मीडिया प्लानर का कहना है कि स्टार ने आखिरी हफ्ते के मैचों के लिए विज्ञापन दरें बढ़ा दी हैं। मीडिया प्लानर का कहना है, ‘हर साल स्टार फाइनल के लिए सीमित इन्वेंट्री रखता है और इस साल वे विज्ञापन दरें 20 प्रतिशत बढ़ाने के लिए कह रहे हैं।’
एक अन्य मीडिया प्लानर का कहना है, ‘ब्रॉडकास्टर्स फाइनल मुकाबले के लिए कुछ इन्वेंट्री रखते हैं और बाद में उन्हें प्रीमियम दरों पर बेचते हैं। कुछ क्लाइंट्स फाइनल मैचों के लिए इन्वेंट्री खरीदते हैं ताकि अधिकतम पहुंच प्राप्त हो सके। पिछले साल के मुकाबले इस साल आईपीएल की व्युअरशिप ज्यादा है। इसलिए स्टार को पिछले कुछ मैचों में प्रीमियर दरें प्राप्त होने में मदद मिलेगी। विज्ञापन दरों में 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल आईपीएल की व्युअरशिप ज्यादा है। देश में अनलॉक होने और लोगों के घरों से बाहर निकलने के बावजूद हफ्ते दर हफ्ते इस टूर्नामेंट की व्युअरशिप बढ़ रही है। ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के डाटा के अनुसार, पिछले पांच हफ्तों में (Week 38 -42) 21 चैनल्स पर प्रसारित शुरुआती 41 मैचों में आईपीएल-13 ने 7.0 बिलियन व्युइंग मिनट दर्ज किए गए। यह आईपीएल-12 से 28 प्रतिशत ज्यादा थे, जिसने 24 चैनल्स पर प्रसारित 44 मैचों में 5.5 बिलियन व्युइंग मिनट दर्ज किए थे। इन डाटा से पता चलता है कि आईपीएल-13 के प्रत्येक मच का प्रदर्शन पिछले सीजन से ज्यादा है।
एक अन्य मीडिया प्लानर का कहना है, ‘हमें सेमीफाइनल्स और फाइनल के लिए कुछ नए एडवर्टाइजर्स और ब्रैंड्स देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि वे शुरुआती मैचों के व्युअरशिप ट्रेंड की स्टडी करते हैं। हालांकि, इस साल हमने देखा है कि पूरी श्रृंखला में अधिकांश एडवर्टाइजर्स वही थे। ऐसे क्लाइंट्स जो अचानक अपनी पहुंच बढ़ाना चाहते हैं, वे इन स्लॉट्स को खरीदते हैं।’
‘टैम एडेक्स’ (TAM AdEx) रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएल-13 के पहले 43 मैचों में आईपीएल-12 के मुकाबले एडवर्टाइजर्स कैटेगरी में दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, आईपीएल-12 के मुकाबले आईपीएल-13 में एडवर्टाइजर्स और ब्रैंड्स में क्रमश: 13 प्रतिशत और छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस साल आईपीएल को पहले 43 मैचों के लिए 112 एडवर्टाइजर्स और 222 ब्रैंड्स मिले, जबकि पिछले सीजन में इस दौरान एडवर्टाइजर्स और ब्रैंडस् की संख्या क्रमश: 99 और 210 थी।
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने आखिरी चार मैचों के लिए इन विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी के बारे में आधिकारिक पुष्टि के लिए डिज्नी-स्टार इंडिया से संपर्क किया, लेकिन फिलहाल वहां से प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) पिछले कुछ हफ्तों से इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के दौरान सरोगेट विज्ञापन की संभावित निगरानी कर रहा है
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) पिछले कुछ हफ्तों से इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के दौरान सरोगेट विज्ञापन की संभावित निगरानी कर रहा है। ऐसे में ASCI ने आठ ब्रैंड्स के विज्ञापनों के खिलाफ उन शिकायतों को सही पाया है, जो पिछले एक महीने में आईपीएल सेशन के दौरान दर्ज की गई हैं। लिहाजा ASCI ने सरोगेट विज्ञापन को लेकर आठ शराब ब्रैंड्स को नोटिस भेजा है। ये नोटिस व्हिस्की, बीयर और व्हाइट लिकर ब्रैंड्स को भेजे गए हैं।
बता दें कि यह आठ ब्रैंड म्यूजिक सीडी, पैकेज्ड वाटर, नॉन एल्कॉहोलिक ब्रेवरेज के नाम पर अपने प्रॉडक्ट्स का प्रचार कर रहे थे।
ASCI ने शराब कंपनियों को दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है। देश में 1995 से शराब के विज्ञापन पर प्रतिबंध है, लेकिन ये कंपनियां शराब ब्रैंड्स के नाम पर अन्य प्रॉडक्ट्स को बेचती है, ताकि ब्रैंड का नाम बना रहे। इस तरह के विज्ञापन को सरोगेट विज्ञापन कहा जाता है।
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