देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी हालत
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी अब नहीं रहे। वाजपेयी ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। वह कल से जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। भारतीय जनता पार्टी के 94 वर्षीय दिग्गज नेता को किडनी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, पेशाब आने में दिक्कत और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद 11 जून को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली (एम्स) में भर्ती कराया गया था।
अटलजी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर में में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। हालांकि अटल बिहारी का संबंध उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बटेश्वर गांव से भी है, लेकिन पिता मध्यप्रदेश में शिक्षक थे, जिसकी वजह से उनका जन्म मध्यप्रदेश में ही हुआ।
उत्तर प्रदेश में जन्म भले ही नहीं हुआ लेकिन उनका राजनीतिक लगाव
सबसे अधिक यूपी से ही रहा। अटल का राजनीतिक सफर बेहद
खास रहा है यही वजह है कि उम्र के इस पढ़ाव पर आने के बाद भी अटल बिहारी का
व्यक्तित्व न सिर्फ अपनी पार्टी में बल्कि विपक्ष केे
नेताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
शायद ही बहुत से लोग यह जानते होंगे कि आज अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ
राजनेता ही नहीं बल्कि एक पत्रकार भी थे। लेकिन पत्रकार से सियासत की दुनिया में उन्होंने कैसे
कदम रखा आज उसपर ही चर्चा करेंगे। कहा जाता है कि एक घटना
ने पत्रकार वाजपेयी की जिंदगी को संसदीय राजनीति की ओर मोड़ दिया।
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में अटल ने इसका जिक्र किया है कि कैसे वो पत्रकार से
राजनेता बने। वाजपेयी बताते हैं कि वे दिल्ली में साल 1953
में बतौर पत्रकार काम कर रहे थे और उस समय भारतीय जनसंघ के नेता डॉ
श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा किए जाने के खिलाफ थे। वाजपेयी ने जानकारी देते हुए कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद
मुखर्जी जम्मू-कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम का विरोध करने के लिए वहां चले गए और
उस समय मैं इसे कवर करने के लिए उनके साथ गया।
बता दें कि परमिट सिस्टम के मुताबिक किसी भी भारतीय नागरिक को
जम्मू-कश्मीर में बसने की अनुमति नहीं थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर जाने के लिए हर
भारतीय नागरिक के पास पहचान पत्र होना जरूरी था, लेकिन श्यामा प्रसाद
मुखर्जी इसके खिलाफ थे, लेकिन डॉ
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने परमिट सिस्टम को तोड़कर श्रीनगर पहुंचे और उनको गिरफ्तार
कर लिया गया।
इसे कवर करने पहुंचे वाजपेयी समेत अन्य पत्रकारों को वापस दिल्ली भेज दिया
गया। आगे की घटना का जिक्र करते हुए वाजपेयी ने कहा कि डॉ
मुखर्जी ने मुझसे कहा कि वाजपेयी जाओ, और दुनिया वालों को कह
दो कि मैं कश्मीर में आ गया हूं, बिना किसी परमिट के।
वाजपेयी ने कहा कि इस घटना के थोड़े दिन बाद ही कश्मीर
में नजरबंदी की हालत में सरकारी अस्पताल में डॉ मुखर्जी की मौत हो गई। जिससे अटल
बहुत दुखी हुए।
इंटरव्यू में वाजपेयी ने कहा कि इसके बाद मुझे लगा कि मुझे डॉ मुखर्जी
के काम को आगे बढ़ाना चाहिए और यही वजह था कि मैं पत्रकारिता छोड़ राजनीति में आ गया।
सन 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार सांसद बनकर लोकसभा
में आए और 1996 में वो पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि मात्र 13 दिनों के लिए ही। 1998 में वह फिर से पीएम बने और 2004 तक रहे। अटल बिहारी
वाजपेयी राजनीतिक का जीवन लगभग आधी सदी का है। इस दौरान उन्होंने भारत में कई
उतार-चढ़ाव देखे।