वरिष्ठ पत्रकारों को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान करेगी सम्मानित...

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने अपने सम्मानों की घोषणा कर दी है...

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 12 December, 2017
Last Modified:
Tuesday, 12 December, 2017
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने अपने सम्मानों की घोषणा कर दी है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार बलदेव भाई शर्मा को साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित किया जाएगा, तो वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ सिंह सूर्य को पत्रकारिता भूषण सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इस अवॉर्ड के तहत इन्हें दो-दो लाख रुपए की राशि प्रदान की जाएगी।

वहीं  सर्वोच्च भारत-भारती सम्मान मेरठ में 1925 में जन्मे और इन दिनों पुणे में रह रहे आनंद प्रकाश दीक्षित को दिया जाएगा। सम्मान समारोह 22 जनवरी, 2018 को होने की संभावना है।

बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार बलदेव भाई शर्मा अमर उजाला, दैनिक भास्कर, पांचजन्य और स्वदेश समेत कई प्रमुख समाचार पत्रों में संपादक के साथ उच्च पदों पर रह चुके हैं। राजनगर एक्सटेंशन निवासी बलदेव शर्मा को सामाजिक सरोकार और राष्ट्रवादी पत्रकारिता के लिए जाना जाता है। इससे पहले उन्हें इस साल गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से नवाजा गया था। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से भी उन्हें माणिकचंद वाजपेयी पत्रकारिता सम्मान समेत कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं। उनकी 3 पुस्तकें मेरे समय का भारत’, ‘आध्यात्मिक चेतन और सुगंधित जीवनहमारे सुदर्शन काफी चर्चित रहीं। बलदेव भाई ने 2007 में पत्रकारिता शिक्षण शुरू किया और माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में जुड़े। 2016 में वह नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन भी रहे।

वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ सिंह सूर्य भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। वे चिंतक और विचारक के तौर पर भी जाने जाते हैं। 1990 के दौरान वे स्वतंत्र भारतके लखनऊ एडिशन के संपादक रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त वे कई अन्य समाचार पत्रों में वरिष्ठ पदों पर अपना योगदान दे चुके हैं।

बता दें कि वर्ष 2016 के लिए दिए जाने वाले सम्मान और पुस्तकों पर पुरस्कारों का निर्णय सोमवार को संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त की अध्यक्षता में हुई पुरस्कार समिति की बैठक में किया गया।  

इन्हें मिलेगा सम्मान-

भारत-भारती सम्मान (पांच लाख रुपए)-आनंद प्रकाश दीक्षित, लोहिया साहित्य सम्मान (चार लाख रुपए)-आनंद मिश्र अभय, हिंदी गौरव सम्मान (चार लाख रुपए)-विद्या बिंदु सिंह, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान (चार लाख रुपए)-नंद किशोर आचार्य, पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान (चार लाख रुपए)-महेश चंद्र शर्मा, अवंतीबाई साहित्य सम्मान (चार लाख रुपए)-प्रो.नेत्रपाल सिंह, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन सम्मान (चार लाख रुपए)-साहित्यानुशीलन समिति मद्रास, साहित्य भूषण सम्मान (प्रत्येक को दो लाख रुपए)-रामशरण गौड़, प्रो.जयप्रकाश, गणेश नारायण शुक्ल, वेद प्रकाश अमिताभ, मधुकर अष्ठाना, विजय रंजन, श्रीराम परिहार, सुरेंद्र दुबे, प्रेमशंकर त्रिपाठी, बलदेव भाई शर्मा, लोकभूषण सम्मान (दो लाख रुपए)-आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, कलाभूषण सम्मान (दो लाख रुपए)-मंजुला चतुर्वेदी, विद्याभूषण सम्मान (दो लाख रुपए)-हरिशंकर मिश्र, विज्ञान भूषण सम्मान (दो लाख रुपए)-देवेंद्र मेवाड़ी, पत्रकारिता भूषण सम्मान (दो लाख रुपए)-राजनाथ सिंह सूर्य, प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण सम्मान (दो लाख रुपए)-सत्यदेव टेंगर, बाल साहित्य भारती सम्मान (दो लाख रुपए)-भगवती प्रसाद द्विवेदी, मधु लिमये साहित्य सम्मान (दो लाख रुपए)-शिव नारायण मिश्र, श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान (दो लाख रुपए)-हरि जोशी, विधि भूषण सम्मान (दो लाख रुपए)-राम अवतार सिंह, सौहार्द सम्मान (प्रत्येक को दो लाख रुपए)- मनोहरमयुम यमुना देवी (मणिपुरी), प्रकाश भातंब्रेकर (मराठी), बाबू कृष्ण मूर्ति (कन्नड़), ओमप्रकाश पांडेय (संस्कृत), जेएल रेड्डी (तेलुगु), नंद कुमार मनोचा वारिज (पंजाबी), गंगेश गुंजन (मैथिली), वी.रवींद्रन (मलयालम), राजलक्ष्मी कृष्णन (तमिल), छत्रपाल-जोगिंदर पाल सराफ (डोंगरी), यासमीन सुल्ताना नकवी (उर्दू), मंजू मोदी (उड़िया), शशि शेखर तोषखानी (कश्मीरी), रामनिरंजन गोयनका (असमिया), हिंदी विदेश प्रसाद सम्मान (एक लाख रुपए)-सुवास कुमार, विश्वविद्यालय स्तरीय सम्मान (50 हजार रुपए)-प्रेमसुमन शर्मा, प्रणव शर्मा शास्त्री।

2016 में प्रकाशित पुस्तकों पर पुरस्कार (प्रत्येक को 50 हजार रुपए)

सूर पुरस्कार (बाल साहित्य) नदी की पुकार-रमाशंकर, जायसी पुरस्कार (अवधी) गोमा तीरे-ज्ञानवती दीक्षित, श्रीधर पाठक पुरस्कार (ब्रजभाषा) फूलो-दिनेश पाठक शशि, राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार (भोजपुरी) गठरी-चन्देश्वर परवाना, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार (बुंदेली)मंगल चौकड़ियां-शिवमंगल सिंह मंगल, कबीर पुरस्कार (राष्ट्रीय एकता) राष्ट्रीय सुरक्षा एवं भावनात्मक एकता के प्रश्न और नक्सलवाद-अजय कुमार सिन्हा, तुलसी पुरस्कार (महाकाव्य) भृगुराज विजय-आचार्य पंडित उमाशंकर मिश्र रसेन्दु’, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार(नाटक)अन्तर्द्वन्द्व -रवीन्द्र प्रताप सिंह, भगवानदास पुरस्कार (धर्म/दर्शन) मदनमोहन मालवीय का दर्शन-डॉ. देवव्रत चौबे, महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार(निबंध) तुलसी तत्व चिन्तन-सुशील कुमार पांडेय साहित्येन्दु’, धीरेन्द्र वर्मा पुरस्कार (भाषा/भाषा विज्ञान) भारतीय आर्यभाषा हिन्दी-रविनंदन सिंह, बीरबल साहनी पुरस्कार (वनस्पति/प्राणिशास्त्र/आयुर्विज्ञान) मधुमेह के कारण व निवारण-दया शंकर त्रिपाठी, प्रेमचंद पुरस्कार (उपन्यास) गवाक्ष-प्रणव भारती,जयशंकर प्रसाद पुरस्कार(खंडकाव्य) रावण वध-शीलेन्द्र कुमार वशिष्ठ, रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार(आलोचना) समकालीन हिन्दी नाटक दशा और दिशा-पशुपतिनाथ उपाध्याय,आचार्य नरेन्द्र देव पुरस्कार(इतिहास) भारतीय स्वाधीनता संघर्ष में सीतापुर जनपद का योगदान (1857 से 1947 तक)-सरला अवस्थी, सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार (साहित्यकारों द्वारा अन्य भारतीय भाषाओं से हिन्दी में अनूदित कृति पर)बागी हिन्दुस्तान-नुज़हत फातिमा, निराला पुरस्कार(गीत/मुक्तक/गजल) कोशिश के कन्धे-गोपाल कृष्ण शर्मा मृदुल’, केएन भाल पुरस्कार (गणित/भौतिक /रसायन) परमाणु ऊर्जा- स्वच्छ ऊर्जा-विनीता सिंघल, बालकृष्ण शर्मा नवीनपुरस्कार(युवा लेखन) बहस जनमानस की-आरती मिश्र आश्चर्य’, यशपाल पुरस्कार (कहानी) चौथा कन्धा-शंकर सुल्तानपुरी, हजारी प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार(संस्कृति) भारत: एक धर्म-संस्कृति-योगेश, पं. रामनरेश त्रिपाठी पुरस्कार (लोकसाहित्य विवेचन) संगीत के विविध आयाम-वीरेन्द्र कुमार चन्द्रसखी, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन  अज्ञेयपुरस्कार (यात्रा-वृतान्त/जीवनी/संस्मरण एवं रेखाचित्र)अमरनाथ यात्रा सत्यं शिवं सुंदरम-अमित कुमार सिंह, सरस्वती पुरस्कार (मासिक / द्विमासिक/त्रैमासिक पत्रिकाओं पर)चेतना स्रोत-सम्पादक कृष्ण मुरारी विकल’, महादेवी वर्मा पुरस्कार (समस्त विधाओं में केवल महिला साहित्यकारों की कृति पर) अपरिभाषित रिश्ते-शीला शर्मा, हरिशंकर परसाई पुरस्कार(व्यंग्य) समझा करो-चन्द्रभानु शर्मा, विजयदेव नारायण साही पुरस्कार (कविता) हरे पात पियराये-कौशलेन्द्र।

2016 में प्रकाशित पुस्तकों पर सर्जना पुरस्कार

सोहन लाल द्विवेदी पुरस्कार (बाल साहित्य) इन्द्रधनुष सतरंगा-मोहम्मद अरशद खान, वंशीधर शुक्ल पुरस्कार (अवधी) बयार-केशव प्रसाद वाजपेयी, भिखारी ठाकुर पुरस्कार(भोजपुरी) बटोहिया का सोवै-फूलचन्द प्रसाद गुप्त, नजीर अकबराबादी पुरस्कार(राष्ट्रीय एकता एवं भावनात्मकता समन्वय सम्बन्धी साहित्य) जय जवान जय किसान-दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी निर्भीक’, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔधपुरस्कार(महाकाव्य)बुद्ध-चरित-चन्द्रपाल सिंह चन्द्र’, नन्द किशोर देवराज पुरस्कार (धर्म/दर्शन) देवी-काव्य-परम्परा-सुरेशकुमार सिंह, गुलाब राय पुरस्कार(निबंध)जीवन जियो जान से -हरि ओम शर्मा हरि’, भोलानाथ तिवारी पुरस्कार (भाषा/भाषा विज्ञान) तुलसी-भाषा का वाक्यबंधात्मक विश्लेषण-राधेश्याम पाठक, आचार्य रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी पुरस्कार (वनस्पति /प्राणिशास्त्र/ आयुर्विज्ञान)प्राकृतिक चिकित्सा जीवन दर्शन-राजीव रस्तोगी, अमृतलाल नागर पुरस्कार (उपन्यास)अंतहीन तलाश-करुणा पांडे, आनन्द मिश्र पुरस्कार (खंड काव्य)शान्ता-प्रतापनारायण मिश्र, रामविलास शर्मा पुरस्कार (आलोचना) ललित निबन्ध और डॉ. रघुवीर सिंह-अखिलेश निगम अखिल’, ईश्वरी प्रसाद पुरस्कार (इतिहास) प्राचीन भारतीय कला-अशोक चान्दोरकर, बलबीर सिंह रंगपुरस्कार (गीत/मुक्तक /गजल) संवत बदले-गणेश गम्भीर, रांगेय राघव पुरस्कार (युवा लेखन) दरकती दीवार-कुसुम द्विवेदी मानसी’, रामप्रसाद विद्यार्थी रावीपुरस्कार (कहानी) राम-राम कंछी लाल-योगेन्द्र शर्मा, जगदीश गुप्त पुरस्कार(यात्रा-वृतान्त/ जीवनी/संस्मरण एवं रेखाचित्र)स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती एक बहुआयामी व्यक्तित्व-प्रेमचन्द्र श्रीवास्तव एवं मंजुलिका लक्ष्मी, धर्मयुग पुरस्कार (मासिक/द्विमासिक /त्रैमासिक पत्रिकाओं पर) जयतु हिन्दू विश्व-विजय प्रकाश त्रिपाठी, विद्यावती कोकिल पुरस्कार (समस्त विधाओं में केवल महिला साहित्यकारों की कृति पर) रामराज्य (आदर्श राज्य) आज भी सम्भव है-शोभा अग्रवाल चिलबिल’, शरद जोशी पुरस्कार (व्यंग्य) शराफत का टोकरा-अर्चना चतुर्वेदी, नरेश मेहता पुरस्कार (कविता) ललमुनिया घोंसला कहां बनाओगी-आनन्द वर्धन।

हरिवंश राय बच्चन युवा गीतकार सम्मान ( 25 हजार रुपए) देहगंध-दयाशंकर प्रसाद।

  

 

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दुनिया को अलविदा कह गए 'वनबंधु' के संपादक एस. के. कौल

'वनबंधु' पत्रिका के संपादक एस. के. कौल का दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया। वह 98 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।

Last Modified:
Thursday, 28 March, 2024
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'वनबंधु' पत्रिका के संपादक एस. के. कौल का दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में निधन हो गया। वह 98 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। स्वास्थ्य में कुछ सुधार हुआ, तो एक महीने से अधिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से घर लाया गया था।

लेकिन अचानक फिर से अस्वस्थ होने पर उन्हें अस्पताल में दोबारा भर्ती कराया गया। उन्होंने 26 मार्च, 2024 को सुबह 10:30 बजे अपने परिवार और दोस्तों के बीच अंतिम सांस ली।

कौल भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनका छह दशकों का लंबा और शानदार करियर रहा। उन्होंने 1956 में 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के साथ अपना करियर शुरू किया। बाद में उन्होंने 'द स्टेट्समैन', 'द हिंदू' और 'द इंडियन एक्सप्रेस' सहित कई प्रमुख प्रकाशनों के संपादक के रूप में कार्य किया।

कौल एक बेहतरीन लेखक भी थे। उन्होंने राजनीति, इतिहास और संस्कृति सहित विभिन्न विषयों पर कई किताबें लिखीं। उनकी सबसे उल्लेखनीय कृतियों में "द मेकिंग ऑफ मॉडर्न इंडिया" और "इंडिया: ए बायोग्राफी" शामिल हैं।

पत्रकारिता और साहित्य में उनके योगदान के लिए कौल को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका था। वह राज्य सभा के सदस्य भी रह चुके थे।

कौल का निधन भारतीय मीडिया इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्हें पत्रकारिता और साहित्य में उनके अतुलनीय योगदान के लिए याद किया जाएगा।


 

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एमपी कांग्रेस के मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव, मुकेश नायक होंगे अध्यक्ष

लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस ने मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव किया है। मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा को उनके पद से हटाकर नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Last Modified:
Thursday, 28 March, 2024
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लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस ने मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव किया है। मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा को उनके पद से हटाकर नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह अब मीडिया विभाग के सलाहकार होंगे। पूर्व मंत्री मुकेश नायक मीडिया विभाग का अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, नौ मुख्य प्रवक्ता सहित 21 प्रवक्ताओं की नई टीम बनाई गई है। विधानसभा चुनाव से पहले एसडीएम पद से इस्तीफा देकर चर्चा में आईं निशा बांगरे को भी पार्टी ने जिम्मेदारी दी है। वह अब मुख्य प्रवक्ता होंगी। बदलाव को लेकर जारी किया गया यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया विभाग का पुनर्गठन किया है। केके मिश्रा के लंबे अनुभव को देखते हुए उन्हें मीडिया सलाहकार की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठेंगे और मीडिया से जुड़े मामलों में समन्वय का काम देखेंगे।

मीडिया विभाग में उपाध्यक्ष के पद को समाप्त करते हुए मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किए गए हैं। युवा कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष विवेक त्रिपाठी को अब प्रदेश कांग्रेस की टीम में शामिल किया गया है, तो विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस की सदस्यता लेने वाली रोशनी यादव को स्थान दिया गया है।

मुख्य प्रवक्ता

भूपेंद्र गुप्ता, मृणाल पंत, शैलेंद्र पटेल, कुणाल चौधरी, विपिन वानखेड़े, विनय सक्सेना, निशा बांगरे, रोशनी यादव और अब्बास हफीज।

प्रवक्ता

डॉ. अशोक मर्सकोले, बैजनाथ कुशवाहा, रवि सक्सेना, अमित शर्मा, राम पांडेय, जितेंद्र मिश्रा, मिथुन अहिरवार, रवि वर्मा, फरहाना खान, आरपी सिंह, स्वदेश शर्मा, संगीता शर्मा, अवनीश बुंदेला, राजकुमार केलू उपाध्याय, योगेश यादव, विवेक त्रिपाठी, अपराजिता पांडेय, संतोष गौतम, आनंद जाट, अभिनव बरोलिया, स्पर्श चौधरी, अवनी बंसल और रीना बोरासी।

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दालों की कीमतों पर अटकलबाजी के आरोप में इस यूट्यूब चैनल पर कार्रवाई का आदेश

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने दिल्ली पुलिस को एग्री वर्ल्ड के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 27 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 27 March, 2024
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मुंबई स्थित यूट्यूब चैनल 'एग्री वर्ल्ड' (Agriworld) पर कार्रवाई का आदेश दिया गया है। बिजनेस न्यूज पोर्टल 'मनीकंट्रोल' के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने दिल्ली पुलिस को 'एग्री वर्ल्ड' के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। 'एग्री वर्ल्ड' पर दालों की कीमतों पर अटकलबाजी करने का आरोप है।

रिपोर्ट की मानें तो कीमतों में अटकलबाजी से जमाखोरी बढ़ने की आशंका है। वहीं, सरकार का सख्त आदेश है कि एजेंसियां दालों की कीमतों पर अटकलबाजी न करें। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होगी। दाल की जमाखोरी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आदेश न मानने पर सख्त कार्रवाई होगी।

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अमर उजाला ने शुरू किया ‘सत्ता का संग्राम’, देशभर में मतदाताओं की टटोलेगा नब्ज

यह चुनावी रथ 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय करेगा। बुधवार को उत्तर प्रदेश के कैराना और राजस्थान के अलवर से इसकी शुरुआत भी हो गई।

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Published - Wednesday, 27 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 27 March, 2024
Satta Ka Sangram

देश के प्रमुख पब्लिकेशंस में शुमार ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) ने आम चुनाव के मद्देनजर देशभर के मतदाताओं की नब्ज टटोलने की कवायद शुरू कर दी है। इसी के तहत अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' बुधवार से जनता के बीच पहुंच गया। लोकसभा चुनाव के दौरान दो महीने तक अमर उजाला इस चुनावी रथ के साथ विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मतदाताओं के बीच जाएगा और सीधे उन्हीं से जानेगा कि इस चुनाव में उनके क्या मुद्दे हैं और किन मुद्दों पर वे अपना जनप्रतिनिधि चुनना चाहते हैं?

यह चुनावी रथ 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय करेगा। बुधवार को उत्तर प्रदेश के कैराना और राजस्थान के अलवर से इसकी शुरुआत भी हो गई। इसके बाद यह चुनावी रथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत अलग-अलग राज्यों से गुजरते हुए तकरीबन 150 लोकसभा सीटों को कवर करेगा।

हर दिन जानेगा नई लोकसभा सीट का मिजाज: अमर उजाला का यह चुनावी रथ हर रोज नई लोकसभा सीटों पर जाएगा। इस दौरान संबंधित लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं से चाय पर चर्चा होगी। अनौपचारिक बातचीत में जनता के मुद्दों, उनकी समस्याओं पर चर्चा होगी। रथयात्रा युवाओं के बीच जाएगी, जहां उनकी समस्याओं और उम्मीदों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही नए भारत के नए मतदाताओं की सपनों की उड़ान को पंख कैसे लगेंगे, इस पर भी चर्चा होगी।

हर शाम विशेष राजनीतिक चर्चा: नेता और उम्मीदवार किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं, जनता उन्हें ही क्यों वोट दे? ऐसे सवालों के जवाब हर शाम होने वाली चुनावी चर्चा में नेताओं से जानेंगे। आप भी अमर उजाला के इस मंच से जुड़ सकते हैं।

यह होगा खास: 'सत्ता का संग्राम' के तहत अमर उजाला हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचेगा। इसके जरिये आप अपने क्षेत्र, शहर, राज्य और देश से जुड़े मुद्दों को उठा पाएंगे। अमर उजाला आपको एक मंच दे रहा है। यहां आप अपनी बात रख सकेंगे ताकि जब राजनीतिक हस्तियां चुनावी रैलियां करने आएं तो उन्हें आपसे जुड़े जमीनी मुद्दें भी याद रहें।

इस विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे : amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर 'सत्ता का संग्राम' से जुड़े कार्यक्रम लाइव देखे जा सकेंगे। 'सता का संग्राम' से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।

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‘शांतनु गुहा रे: एक अच्छे इंसान बहुत जल्दी चले गए’

‘काउंसिलेज इंडिया’ (Counselage India) के मैनेजिंग पार्टनर सुहेल सेठ ने वरिष्ठ पत्रकार शांतनु गुहा रे को श्रद्धांजलि देते हुए उनसे जुड़ी यादों को शेयर किया है।

Last Modified:
Tuesday, 26 March, 2024
Suhel Seth

सुहेल सेठ।।

होली रंगों का त्योहार है, जहां जीवंतता होती है और वसंत के आगमन पर उत्सव मनाया जाता है, लेकिन वर्ष 2024 की होली की शुरुआत ऐसी नहीं हुई। दरअसल, इस दिन हमने शांतनु गुहा रे को खे दिया, जो न सिर्फ अच्छे पत्रकार थे, बल्कि एक दोस्त और प्रशंसक भी थे।    

मैं पहली बार शांतनु गुहा रे से कई साल पहले एक डिबेट में मिला था, जो हम बिजनेस टुडे के लिए करते थे, जिसकी परिकल्पना संजय नारायण और आर सुकुमार की जोड़ी ने की थी। डिबेट के बाद वह मेरे पास आए और मुझसे बांग्ला में बात करने लगे। उन दिनों मैं सिगार पीता था और हम दोनों इस बारे में बातें करने लगे। वह खानपान के काफी शौकीन थे और हमने इस बात पर काफी चर्चा की कि दिल्ली में अच्छा बंगाली खाना कहां मिलेगा। इसके अलावा हमने दुर्गा पूजा पर भी बात की। उन्होंने बताया कि वह हर साल दिल्ली में दुर्गा पूजा मनाते हैं। उन्हें यह भी याद था कि मैंने कई दशक पहले कोलकाता में एशियन पेंट्स के लिए भरत पुरी के नेतृत्व में शरद सम्मान पुरस्कार का प्रबंधन किया था।

उस वर्ष बाद में मुझे उनका एक संदेश मिला जिसमें उन्होंने मुझे चितरंजन पार्क में अपने यहां पूजा के लिए आमंत्रित किया था। यहां उन्होंने गर्मजोशी से स्वागत कर हम सभी का दिल जीत लिया। तब से हम हमेशा संपर्क में थे और विभिन्न मुद्दों पर काफी चर्चा करते थे। कई साल बाद शांतनु ने मुझे यह कहने के लिए बुलाया कि उन्होंने अभी-अभी 'टारगेट' (TARGET) नामक एक किताब लिखी है और इसके बारे में विस्तार से बताया। यह इस बारे में थी कि पी. चिदंबरम और रमेश अभिषेक की तत्कालीन सरकार ने जिग्नेश शाह को कैसे परेशान किया था। उस समय चिदम्बरम और अभिषेक दोनों सत्ता में थे और शांतनु ने मुझसे पूछा कि क्या मैं पुस्तक की प्रस्तावना लिखने को तैयार हूं। मुझे हां कहने में कोई समय नहीं लगा और कुछ देर के भीतर उन्होंने मुझे पांडुलिपि ईमेल कर दी। इस पुस्तक के माध्यम से ही मुझे खोजी पत्रकारिता के प्रति शांतनु गुहा की गहरी प्रतिबद्धता का पता चला, जो उस व्यक्ति की तरह ही सारगर्भित और प्रासंगिक भाषा में लिखी गई थी। पुस्तक का विमोचन ‘द इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) में किया गया और बांग्ला समाज से जुड़े तमाम लोग यहां मौजूद थे।

व्यावसायिक तौर पर ऐसा बहुत कम था जो हम कर सकते थे या साथ मिलकर कर सकते थे, लेकिन मेरे मन में उस व्यक्ति की नैतिकता और दृढ़ता के प्रति हमेशा काफी सम्मान रहा।  मेरे लिए वह हमेशा ऐसे व्यक्ति थे, जो जीवन से प्यार करता था;  दोस्तों के प्रति जिनमें काफी स्नेह था और जीवन ने जिन्हें दूसरों की मदद करने का अवसर प्रदान किया। अपने निधन के साथ वह अपने पीछे मित्रों का एक समूह, अपने साथ काम करने वाले सहकर्मियों की एक लंबी लिस्ट और ऐसे लोग जो प्रिंट में उनके हर शब्द पर भरोसा करते थे, को छोड़ गए हैं। इसके अलावा वह अपने पीछे अपनी पत्नी और प्यारी बेटी छोड़ गए हैं, जिसकी हाल ही में उन्होंने कोलकाता के बाहर एक पुरानी बाड़ी में धूमधाम से शादी की थी।

वह न सिर्फ अपनी पत्रकारिता के लिए याद किए जाएंगे, बल्कि खानपान के बारे में उनकी अच्छी जानकारी और अच्छे सिगार की पहचान के लिए भी उन्हें काफी याद किया जाएगा। इसके अलावा हर पूजा के बाद भेजे जाने वाले भोग, गिफ्ट्स के साथ-साथ दोस्तों के लिए चाय और मुगलई पराठों के लिए भी शांतनु हमेशा याद आएंगे। अपनी मानवता, अच्छाई और भद्रता के लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे।

(यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक ‘काउंसिलेज इंडिया’ (Counselage India) के मैनेजिंग पार्टनर हैं।)

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नहीं रहे जाने-माने पत्रकार और लेखक शांतनु गुहा रे

इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग से लेकर बिजनेस, खेल और मानवीय रुचि की स्टेरीज समेत तमाम विधाओं में उन्हें महारत हासिल थी।

Last Modified:
Monday, 25 March, 2024
Shantanu Guha Ray

जाने-माने पत्रकार और लेखक शांतनु गुहा रे का 25 मार्च को निधन हो गया है। ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) और ‘व्हार्टन स्कूल’ (Wharton School) के विद्यार्थी रहे शांतनु गुहा रे विभिन्न विषयों में अपने गहन ज्ञान और लेखन के लिए जाने जाते थे। इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग से लेकर बिजनेस, खेल और मानवीय रुचि की स्टेरीज समेत तमाम विधाओं में शांतनु गुहा रे को महारत हासिल थी।

शांतनु गुहा रे को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 25 साल से अधिक का अनुभव था। पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें तमाम प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका था। इनमें क्रिकेट में उनके लेखन के लिए प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड, भारत में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों पर उनकी रिपोर्टिंग के लिए लाडली पुरस्कार और पानी से संबंधित मुद्दों पर उनके काम के लिए WASH पुरस्कार आदि शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में वह सेंट्रल यूरोपियन न्यूज (Central European News) के साथ जुड़े हुए थे और बतौर एशिया एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।   

उनकी बड़ी स्टोरीज में वर्ष 2011 का कोयला घोटाला और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण व जीएमआर के नेतृत्व वाली दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के बीच जमीन के पट्टे के सौदे में अनियमितताएं से जुड़ी रिपोर्टिंग शामिल रही हैं।

संजय गुहा रे के निधन पर ‘एनडीटीवी’ के सीईओ संजय पुगलिया समेत तमाम जानी-मानी हस्तियों ने शोक जताते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है।

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चुनावी ड्यूटी में लगे पत्रकार भी कर सकेंगे पोस्टल बैलेट से मतदान, जारी हुई अधिसूचना

हालांकि, इस सुविधा का लाभ वही मीडियाकर्मी उठा सकेंगे, जिनका मीडिया कवरेज पास चुनाव आयुक्त द्वारा जारी किया जाएगा। इसके लिए इन पत्रकारों को एक फॉर्म भरना होगा।

Last Modified:
Friday, 22 March, 2024
Postal Ballot

चुनाव आयोग ने पिछले दिनों देश में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। देशभर में 19 अप्रैल से एक जून तक सात चरणों में मतदान होगा। इसके साथ ही चार राज्यों- ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।

सिक्किम और अरुणाचल को छोड़कर बाकी के नतीजे चार जून को आएंगे। वहीं, इन दोनों राज्यों में दो जून को नतीजे आएंगे। इस बीच मतदान को लेकर पत्रकारों के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है।

दरअसल, चुनाव आयोग ने मतदान के दिन अपने मतदान केंद्र से दूर चुनावी ड्यूटी में लगे पत्रकारों को पोस्टल बैलेट यानी डाक-मत पत्र के जरिये अपना वोट डालने की अनुमित प्रदान कर दी है। यानी, चुनाव ड्यूटी में लगे सभी अधिकृत मीडिया कर्मी जिस जगह पर कार्यरत हैं, वहां पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डाल सकेंगे। चुनाव आयोग ने इसे लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है।

इसके लिए मतदान के पूर्व आवेदन करना होगा। निर्वाचन कार्यालय द्वारा डाक मतपत्र जारी किया जाएगा और वे घर से मतदान कर सकेंगे। हालांकि, इस सुविधा का लाभ वही मीडियाकर्मी उठा सकेंगे, जिनका मीडिया कवरेज पास चुनाव आयुक्त द्वारा जारी किया जाएगा। इसके लिए इन पत्रकारों को एक फॉर्म भरना होगा। इस फॉर्म को संबंधित निर्वाचन क्षेत्र से अथवा इंटरनेट से प्राप्त किया जा सकता है।

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दुनिया को अलविदा कह गए जाने-माने पत्रकार जफर आगा

जफर आगा ने वर्ष 1979 में ‘लिंक’ (Link) मैगजीन के साथ एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और 45 वर्षों से अधिक समय तक इस पेशे में सक्रिय रहे।

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Friday, 22 March, 2024
Zafar Agha

जाने-माने पत्रकार और ‘नेशनल हेराल्ड’ (National Herald) के एडिटर-इन-चीफ रहे जफर आगा का शुक्रवार को निधन हो गया है। वह करीब 70 साल के थे। जफर आगा कई दिनों से गंभीर निमोनिया और छाती के संक्रमण से पीड़ित थे। उन्हें वसंतकुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 22 मार्च की सुबह करीब 5.30 बजे उनका निधन हो गया।

जफर आगा ने वर्ष 1979 में ‘लिंक’ (Link) मैगजीन के साथ एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और 45 वर्षों से अधिक समय तक इस पेशे में सक्रिय रहे।

इस दौरान उन्होंने ‘पैट्रियट’ और ‘पॉलिटिकल ऑब्जर्वर‘ के साथ-साथ  ‘इंडिया टुडे‘, ‘ईटीवी‘ और ‘इंकलाब डेली‘ में वरिष्ठ पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद वह ‘नेशनल हेराल्ड’ समूह के जुड़े रहे। यहां उन्होंने पहले ‘क़ौमी आवाज़’ के संपादक के रूप में और बाद में  ’नेशनल हेराल्ड’ के प्रधान संपादक के रूप में अपनी भूमिका निभाई।

उन्होंने वर्ष 2017 तक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के आयोग के सदस्य और बाद में कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

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इस बार इन पत्रकारों के सिर सजा प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड का ताज

केंद्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुख्य आतिथ्य में दिल्ली में 19 मार्च 2024 को आयोजित एक कार्यक्रम में इन विजेताओं के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 20 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 20 March, 2024
Ramnath Goenka Awards

पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए हर साल दिए जाने वाले प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स (Ramnath Goenka Excellence in Journalism Awards) के विजेताओं की लिस्ट में पर्दा उठ गया है। दिल्ली में 19 मार्च 2024 को आयोजित एक कार्यक्रम में इन विजेताओं के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। दिल्ली में सरदार पटेल मार्ग स्थित आईटीसी मौर्या होटल में 19 मार्च की शाम करीब छह बजे से आयोजित अवॉर्ड वितरण समारोह में केंद्रीय राजमार्ग एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान इंडियन एक्सप्रेस के चीफ एडिटर राजकमल झा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि इस बार रामनाथ गोयनका अवॉर्ड के लिए 1313 आवेदन प्राप्त हुए थे, जो कि 18 साल का रिकार्ड है। उन्होंने कहा कि यह वह दौर है कि जब लोग पत्रकारों की चिंता तक नहीं करते हैं।

इन पुरस्कारों के लिए निर्णायक मंडल में रिटायर्ड जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के डीन और संस्थापक कुलपति प्रोफेसर सी राजकुमार, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस वाई कुरैशी और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) केजी सुरेश शामिल रहे। ये पुरस्कार हर साल तमाम श्रेणियों में दिए जाते हैं, जिनमें हिंदी, क्षेत्रीय भाषाएं, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी रिपोर्टिंग, व्यवसाय और आर्थिक पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, क्षेत्रीय भाषाएं, फीचर लेखन, राजनीति और सरकार पर रिपोर्टिंग आदि शामिल हैं।

जिन पत्रकारों को इस बार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया है, उनमें प्रिंट हिंदी कैटेगरी में कीर्ति दुबे (बीबीसी हिंदी) और आनंद चौधरी (इंडिया टुडे);  रीजनल लैंग्वेज कैटेगरी में शबीथा एमके (मातृभूमि डेली) और आनंद मधुसूधन सोवडी (कन्नडा प्रभा डेली); अनकवरिंग इनविसिबल इंडिया कैटेगरी में मोनिका झा (FiftyTwo.in) और रूपसा चक्रवर्ती (द इंडियन एक्सप्रेस); इनवायरमेंट और साइंस कैटेगरी में जयश्री नंदी (हिंदुस्तान टाइम्स) और आयुष तिवारी व बसंत कुमार (न्यूजलॉन्ड्री) को यह अवॉर्ड दिया गया।

इसके साथ ही बिजनेस और इकोनॉमिक जर्नलिज्म कैटेगरी में आदित्य कालरा व स्टीव स्टेकलॉ (रॉयटर्स) और त्वेश मिश्रा (द इकोनॉमिक टाइम्स); इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कैटेगरी में देवेश कुमार अरुण गोंडेन (लोकसत्ता) और जोया हुसैन व हीरा रिजवान (टीआरटी वर्ल्ड); रिपोर्टिंग ऑन गवर्नमेंट एंड पॉलिटिक्स कैटेगरी में रितिका चोपड़ा (द इंडियन एक्सप्रेस) और प्रज्ज्वल बिष्ट (द न्यूज मिनट); स्पोर्ट्स जर्नलिज्म कैटेगरी में महेंदर सिंह मनराल व मिहीर वसवदा (द इंडियन एक्सप्रेस) और एंड्रीयू अमसन (द इंडियन एक्सप्रेस); फोटो जर्नलिज्म कैटेगरी में गुरिंदर ओसान (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) और अभिनव साहा (द इंडियन एक्सप्रेस) को इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड से नवाजा गया।

वहीं, फॉरेन करेसपॉन्डेंट कवरिंग इंडिया कैटेगरी में जोआना स्लेटर और निहा मसिह (द वॉशिंगटन पोस्ट); फीचर राइटिंग कैटेगरी में वंदना मेनन (द प्रिंट) और राज चेंगप्पा (इंडिया टुडे); सिविक जर्नलिज्म कैटेगरी में विनोद कुमार मेनन (मिड डे) और अजीफा फातिमा, बालकृष्णा गणेशन व प्रज्ज्वल बिष्ट (द न्यूज मिनट); नॉन फिक्शन बुक्स कैटेगरी में विजय गोखले (द लॉन्ग गेम) और राहुल रामगुनदम (द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ जॉर्ज फर्नांडिस); ब्रॉडकास्ट-एनवायरमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिपोर्टिंग कैटेगरी में प्रिंसेस गिरी राशिर, ईस्ट मोजो, टीम-डाउन टू अर्थ को यह अवॉर्ड मिला।

इनके अलावा ब्रॉडकास्ट हिंदी कैटेगरी में जुगल पुरोहित (बीबीसी हिंदी) और हर्देश जोशी (न्यूजलॉन्ड्री); ब्रॉडकास्ट–रिपोर्टिंग ऑन पॉलिटिक्स एंड गवर्नमेंट कैटेगरी में टीम ब्रूट इंडिया और अभिषेक भल्ला (indiatoday.com); ब्रॉडकास्ट-रीजनल लैंग्वेज कैटेगरी में सोफिया बिंद (मीडिया वन टीवी) और तेजस वैद्य (बीसीसी न्यूज गुजराती); ब्रॉडकास्ट- अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल कैटेगरी में विष्णुकांत तिवारी (द क्विंट) और विकास त्रिवेदी (बीबीसी न्यूज, हिंदी); ब्रॉडकास्ट इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग कैटेगरी में मेघनाद बोस (द क्विंट) और सौरभ शुक्ला (एनडीटीवी) को यह अवॉर्ड दिया गया।

गौरतलब है कि रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स की शुरुआत ‘एक्सप्रेस’ समूह ने अपने संस्थापक रामनाथ गोयनका के जन्मशताब्दी वर्ष पर हुए समारोहों के दौरान वर्ष 2006 में की थी। प्रत्येक वर्ष ‘रामनाथ गोयनका अवार्ड’ का आयोजन उन पत्रकारों को सम्मानित करने के लिए किया जाता है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में साहस, उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हैं और अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन से भारतीय पत्रकारिता जगत को एक नया मुकाम देते हैं। इस अवॉर्ड के तहत प्रत्येक विजेता को एक ट्रॉफी और एक लाख रुपए दिए जाते हैं।

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दुनिया को अलविदा कह गए ‘यूनीवार्ता’ के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी

जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘यूनीवार्ता’ (Univarta) के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी का निधन हो गया है। करीब 70 वर्षीय अरुण केसरी ने रविवार की शाम गाजियाबाद में वसुंधरा स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।

Last Modified:
Monday, 18 March, 2024
Arun Kesari

जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘यूनीवार्ता’ (Univarta) के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी का निधन हो गया है। करीब 70 वर्षीय अरुण केसरी ने रविवार की शाम अपने आवास पर अंतिम सांस ली।  

वह गाजियाबाद जिले के वसुंधरा स्थित यूएनआई अपार्टमेंट में रहते थे। अरुण केसरी पिछले दो दिनों से मामूली रूप से अस्वस्थ थे और रविवार को उनका निधन हो गया। अरुण केसरी के परिवार में पत्नी, पुत्री और दो पुत्र हैं।

बता दें कि अरुण केसरी ने वर्ष 1982 में ‘यूनीवार्ता’ की शुरुआत से ही इस एजेंसी में अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी थीं। वह ‘यूनीवार्ता’ के पटना ब्यूरो के प्रमुख भी रहे। ‘यूनीवार्ता’ से पहले उन्होंने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ (Hindusthan Samachar) में भी अपनी सेवाएं दी थीं।

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