यूं तो दोस्ती की मिसाल बहुत देखी हैं, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि कोई एक कहानी आपके...
विनीता यादव
एडिटर (इन्वेस्टिगेशन)
न्यूज नेशन
यूं तो दोस्ती की मिसाल बहुत देखी हैं, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि कोई एक कहानी आपके दिल को छू जाती है। जीवन भर में एक दोस्त भी अगर अच्छा मिल जाए तो कहते हैं कि जिंदगी कामयाब हो जाती है। अक्सर लोग अच्छे दोस्त की तलाश में रहते हैं। एक किताब के विमोचन में जब मैं पहुंची तो मैंने वहां पर एक वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व रॉ अधिकारी की दोस्ती देखी और मेरे जहन में यह दोस्ती हमेशा के लिए समा गई।
देश में अपनी एक पहचान बना चुके वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा का नाम कौन नहीं जानता और कौन उनके साथ खड़े होकर तस्वीर नहीं खिंचवाना चाहता। चाहे वह बॉलिवुड का सितारा हो या फिर राजनीति का। वो सबके चहेते हैं। एक बड़े मुकाम तक पहुंचने से पहले उनके जीवन के संघर्ष की कहानी को बहुत कम लोग जानते होंगे। बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि रजत शर्मा ने भी कुछ सौ रुपए से अपना करियर शुरू किया और उस नौकरी को निभाने के लिए उन्हें हर रोज एक अच्छी खबर देनी पड़ती थी। अस्सी के दशक में रजत शर्मा ने रॉ से जुड़ी कई खबरें की थीं। खबर के सूत्र थे उनके एक पुराने साथी आरके यादव, जो उस वक्त रॉ के अधिकारी थे। उनके पास जो खबरें होती थीं, उनमें से कुछ खबरें वह अपने दोस्त रजत शर्मा को दिया करते थे और रजत शर्मा उन खबरों से पत्रकारिता के हीरो भी बने। रजत शर्मा अपने व्यवहार की वजह से लोगों के दिल के हमेशा से करीब रहे हैं। वक्त के साथ उनमें कोई बदलाव नहीं आया, भले ही उनका वक्त बहुत बदला, मीडिया के सितारे बन गए हों, लेकिन व्यवहार नहीं बदला।
18 तारीख को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में उनके दोस्त आरके यादव की किताब का विमोचन था। बड़ी तेजी से हॉल में एंट्री करते हुए रजत शर्मा मंच पर पहुंचे। अपने दोस्त के गले लगे, दीप प्रज्वलित कर किताब का विमोचन किया और 35 साल पुरानी अपनी दोस्ती की कुछ बातें साझा करनी शुरू कीं। रजत शर्मा ने कहा कि आज के दौर में सूत्र की पहचान नहीं छुपाई जा रही है, हालांकि जब वह पत्रकारिता करते थे तो अपनी स्टोरी के सूत्र की पहचान को उन्होंने हमेशा छुपा कर रखा और आज उस राज़ को खोल रहे हैं। दरअसल, उनके सूत्र थे आरके यादव। वही रॉ के अधिकारी, जो उनके 35 साल पुराने दोस्त हैं। जिन की किताब nuclear bomb in Ganga के विमोचन के लिए वह यहां पहुंचे हैं। अपने दोस्त के लिए उन्होंने शायरी के जरिए कुछ शब्द भी कहे।
‘मैं दीया हूं मेरी दुश्मनी अंधेरों से है, हवाएं तो खामखा मेरे खिलाफ हैं
हवाओं से कहो खुद को आजमा के दिखाए, दीये तो बहुत बुझाए हैं एक दीया जला के दिखाए’
वक्त में चाहे कितने उतार-चढ़ाव आए हों, लेकिन दोनों की दोस्ती में कभी कोई फर्क नहीं आया। जीवन के अहम पलों में चाहे वह सुख के हों या दुख के, जहां रजत शर्मा उनके लिए खड़े थे, वहीं रॉ के इस अधिकारी ने भी अपने इस पत्रकार दोस्त का हमेशा एक परिवार की तरह साथ दिया और दोनों की दोस्ती 35 साल के बाद भी वैसी ही है।