सरकारी विज्ञापनों की नई दरों को लेकर हालांकि ब्रॉडकास्टर्स और ‘विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय’ ...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
सरकारी विज्ञापनों की नई दरों को लेकर हालांकि ब्रॉडकास्टर्स और ‘विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार
निदेशालय’ (डीएवीपी) के बीच गतिरोध जारी है, लेकिन माना जा रहा है कि सरकारी संगठनों के नेतृत्व में महत्वपूर्ण बदलाव
इस विवाद के समाधान में मदद कर सकते हैं।
‘डीएवीपी’ के पूर्व महानिदेशक के
गणेशन को ‘रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स फॉर इंडिया’
(RNI) का प्रमुख बनाया गया है, उनकी जगह अब
इस्तर कर को डीएवीपी में लाया गया है। हालांकि यह बदलाव कुछ समय पूर्व किए गए थे
लेकिन सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी की नियुक्ति ने इसमें नए
आयाम जोड़ने का काम किया है। दोनों बड़े पदों पर हुए बदलावों से माना जा रहा है कि
एमआईबी और डीएवीपी इस बारे में आम सहमति बना सकते हैं।
यहां यह उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि एमआईबी में जाइंट
सेक्रेटेरी स्तर की नई नियुक्ति से ऐड की दरें तय करने को लेकर पूर्व में हुई
बातचीत के दौरान एकराय बनाने में मदद नहीं मिली है। इसलिए नए शासन में भी पूरी तरह
चीजें आगे बढ़ने की संभावना नहीं की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार से
इस संबंध में बातचीत चल रही है कि लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है
और सरकार के फैसले का इंतजार किया जा रहा है।
एक बड़े ऐड सेल्स एग्जिक्यूटिव ने बताया कि डीएवीपी के रेट में
संशोधन नई सरकार के आने से पहले लंबित थे। इस बारे में ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स
एसोसिएशन’ (NBA) कई साल से लगातार सूचना एवं प्रसारण
मंत्रालय और कीमत तय करने वाली समिति से बातचीत कर रही थी। चूंकि विज्ञापनों की
दरों में संशोधन को लेकर पिछले पांच साल से काम चल रहा था इसलिए ब्रॉडकास्टर्स को
मौजूदा बाजार परिदृश्य के हिसाब से इसमें तीस प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद थी।
हालांकि नई दरों से उन्हें निराशा मिली है।
इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि विभिन्न चैनलों के लिए विज्ञापन की दरें एक समान नहीं हैं। कहीं तो किसी नेटवर्क से जुड़े किसी खास चैनल के लिए विज्ञापन की दरें 10 प्रतिशत तक बढ़ाई गई हैं, वहीं इसके सहयोगी चैनल के ऐड रेट में 15 प्रतिशत तक की कमी की गई है। यह पहला मौका नहीं है जब ब्रॉडकास्टर्स ने सरकार द्वारा तय की गईं विज्ञापन की दरों को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया है। इससे पहले छह बड़े न्यूज चैनलों ने डीएवीपी के विज्ञापन लेना बंद कर दिया था। सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों को लेकर इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया फिलहाल नहीं मिल पाई है।
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