जानिए, ‘पद्मावत’ देखकर क्या बोले वरिष्ठ पत्रकार...

संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म 'पद्मावत' तमाम विवादों के बाद...

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 23 January, 2018
Last Modified:
Tuesday, 23 January, 2018
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।

संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म 'पद्मावत' तमाम विवादों के बाद अब 25 जनवरी को देश के सभी राज्यों में रिलीज हो रही है। दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह स्टारर इस फिल्म को पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में बैन कर दिया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे देशभर में दिखाए जाने का आदेश दिया। लेकिन फिल्म के रिलीज से पहले सोमवार को राजधानी दिल्ली में दो-तीन जगहों पर स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रमुख संपादकों और वरिष्ठ पत्रकारों को ये फिल्म दिखाई गई। कई संपादकों ने इस फिल्म को अच्छा बताया और कहा कि इसमें राजपूती आन-बान को दिखाया गया है। उन्होंने माना कि फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया है जिसका विरोध किया जाए। जानिए फिल्म पद्मवात को लेकर संपादकों और वरिष्ठ पत्रकारों की राय-

अभिषेक मेहरोत्रा (संपादकीय प्रभारी, समाचार4मीडिया) -

फिल्म पद्मावत देखकर राजपूतो के प्रति सम्मान बढ़ा है। खिलजी के प्रति नफरत है, लेकिन रणबीर ने अपने इस किरदार को बखूबी निभाया है। आमिर खुसरो इस तरह का चापलूस था, ये देखकर दुख हुआ। फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। जिन काल्पनिक दृश्यों की बात सोशल मीडिया में की जा रही है, फिल्म में ऐसा कोई भी दृश्य नहीं है। लोगों ने बेवजह ही बवाल मचा रखा है। और अंत में लव यू दीपिका, लेकिन ये खिलजी के सनकीपन वाला प्यार नहीं है।

जयंती रंगनाथन (सीनियर फीचर एडिटर, हिन्दुस्तान) -

संजय लीला भंसाली की 25 जनवरी को रिलीज के लिए तैयार विवादों से घिरी फिल्म 'पद्मावत' सोमवार को राजधानी दिल्ली में प्रमुख अखबारों के वरिष्ठ संपादकों को दिखाई गई। पिछले कुछ दिनों से इस फिल्म की लेकर कुछ संगठन आपत्ति जता रहे हैं कि इसमें इतिहास और राजपूत समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले प्रसंग हैं। लेकिन 'पद्मावत' में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।

2 घंटे 45 मिनट की इस फिल्म ने कहीं भी कोई ऐसा दृश्य या संवाद नहीं है, जिससे किसी की भावना को ठेस पंहुचे। फिल्म में इतिहास को बिना तोड़े-मरोड़े पेश किया गया है। कलाकार रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर का अभिनय बेहतरीन है। मलिक मोहम्मद जायसी की कृति पद्मावतपर आधारित भंसाली की ये अब तक की सबसे महंगी और महत्वाकांक्षी फिल्म है।

गौरतलब है कि भंसाली की पिछली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' भी इतिहास पर ही आधारित थी। इस फिल्म को बनाते समय ही भंसाली ने घोषणा कर दी थी कि 'पद्मावत' इतिहास पर आधारित उनकी आखिरी फिल्म होगी। इस फिल्म की रिलीज को ले कर बॉलीवुड एकजुट हो गया है।

नरेश सोनी (असिसटेंट एग्जिक्यूटिव एडिटर, न्यूज वर्ल्ड इंडिया) -

फिल्म पद्मावत देखी, यकीन मानिए, हाल के सालों में मुझे एक भी ऐसी फिल्म याद नहीं जिसने राजपूत शौर्य की गाथा का इतना अच्छा बखान किया हो। पहले दृश्य से लेकर आखिर तक दो चीज़ें लगातार आपके ज़हन में बनी रहती है-

पहली, तो राजपूतों की वीरता, युद्ध के कठिन क्षणों में भी नीति सम्मत, धर्म के पथ पर उनका बना रहना, और अपनी दुश्मन के सामने अपना सर कभी ना झुकने देना भले ही उसके लिए जान देनी पड़े।

और दूसरी, एक दरिंदे का पागलपन, जो अपनी जीत और हवस के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकता है। जिसके शब्दकोश में नीति और धर्म है नहीं, जो सत्ता के लिए अपने चाचा का कत्ल करता है, अपनी बीवी को कारागार में बंद करता है, जो भरोसे के काबिल नहीं, जो एक जानवर है, लेकिन इंसानी जिस्म में, यानी अलाउद्दीन खिलजी।

सिर्फ राजपूत ही नहीं, हर भारतीय, इस फिल्म के हर दृश्य में खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा, कि इस देश में रानी पद्मिनी जैसी वीरांगना ने जन्म लिया, जिसने साबित किया कि राजपूती कंगन में भी उतनी ही ताकत है, जितनी की राजपूती तलवार में... राजा रावल रतन सिंह जो अपने सिद्धांतों और राजधर्म के लिए कभी नीति और धर्म से नहीं डिगा, भले ही उसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी... और गोरा-बादल जिसने अपनी देशभक्ति और राजपूती शान के लिए अपनी जान का बलिदान दिया, और खास तौर पर गोरा सिंह, जिसका सर कटने के बाद भी उसकी तलवार चलती रही।

जिस तरह शिवाजी सिर्फ मराठों के नहीं है, महात्मा गांधी सिर्फ बनियों के नहीं है, सरदार पटेल सिर्फ पटेलों के नहीं है, वैसे ही रानी पद्मिनी सिर्फ राजपूतों की नहीं है, वो हमारी देश की साझा विरासत है, वो हर भारतीय की हैं, जो लोग उनका नाम लेकर लोगों को बांट रहे हैं, उनकी असली नीयत को समझिए।

करणी सेना जिस तरह उत्पात मचा रही है, वह रानी पद्मिनी से ज्यादा खिलजी से ज्यादा प्रभावित दिखती है, उसके रास्तों पर ही चलती प्रतीत होती है। जो रानी पद्मिनी-रावल रतन सिंह को अपना पूर्वज माने वो ऐसा उत्पात नहीं मचा सकते।

जहां तक फिल्म निर्माण की बात है, भंसाली ने ऐसी फिल्म बनाई हैं जिसे शायद आने वाली पुश्तें बार-बार देखना चाहेंगी। सभी किरदारों ने शानदार काम किया है, बेहद संयमित चेहरे मगर कमाल की अदाकारी। इस फिल्म की सबसे बड़ी जीत यही है कि फिल्म देखने के बाद आपको सिर्फ रानी पद्मिनी ही नहीं, बल्कि राजा रावल रतन सिंह, अलाउद्दीन खिलजी, गोरा सिंह, बादल सिंह, मेहरुन्निसां, खिलजी का 'खास सेवक' मलिक कफूर तक सब याद रह जाते हैं।

अमित गोयल (डायरेक्टर, द पायनियर)-

पद्मावत की स्पेशल स्क्रीनिंग देखने के बाद कह रहे हैं कि फिल्म रिलीज होने के बाद करणी सेना एक्सपोज हो जाएगी। समझ नहीं आ रहा कि वे लोगों को क्यों डरा रहे हैं? इससे पहले कि ये सेना अपना विस्तार करें, हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। राजपूत जो पद्मावति की पूजा करते है, इस फिल्म के बाद पद्मावती के प्रति सम्मान बहुत बढ़ेगा।


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