Published At: Wednesday, 19 September, 2018 Last Modified: Wednesday, 19 September, 2018
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
हिंदी के प्रख्यात कवि, वरिष्ठ साहित्यकारऔर पत्रकार विष्णु खरे का बुधवार को दिल्ली के
जीबी पंत अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें पिछले बुधवार को ब्रेन स्ट्रोक हुआ, जिसकी
वजह से उन्हें जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां आज उन्होंने अंतिम
सांस ली। खरे का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट के इलैक्ट्रिक क्रेमेटोरियम में गुरुवार सुबह करीब ग्यारह बजे होगा।
बता दें कि खरे हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष भी
थे और इस वजह से वे मुंबई से दिल्ली आकर रह रहे थे। उन्होंने 30 जून को ही अपना कार्यभार संभाला था। बताया जा रहा है कि तकरीबन एक
हफ्ते पहले जब उन्हें ब्रेन हैम्रेज हुआ, तब वे घर पर अकेले ही थे। ब्रेन हेमरेज
की वजह से उनके शरीर का एक भाग पैरालेसिस से ग्रस्त था और वे कोमा में भी थे।
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, विष्णु खरे के ट्रीटमेंट में कई सीनियर डॉक्टर तैनात थे और न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के दो सीनियर ऑफिसर उनकी हालत पर नजर बनाए हुए थे।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जन्मे विष्णु खरे
कवि के साथ ही अनुवादक, फिल्म आलोचक, पटकथा लेखक और पत्रकार भी रहे हैं। विष्णु
खरे के निधन की खबर आने के बाद साहित्य जगत के लोग सोशल मीडिया पर उन्हें याद करते
हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
युवावस्था के दौरान उच्चशिक्षा प्राप्त करने के लिए वे छिंदवाड़ा से इंदौर आ गए थे। इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एमए किया और इसके बाद उन्होंने हिंदी पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की। वे 1962 से 1963 तक इंदौर से प्रकाशित दैनिक इंदौर में बतौर उप-संपादक कार्यरत रहे। इसके बाद वे 1963 से 1975 तक मध्यप्रदेश और दिल्ली के कॉलेजों में बतौर प्राध्यापक अध्यापन का कार्य भी किया।
मध्य प्रदेश से दिल्ली आने के बाद विष्णु खरे केंद्रीय साहित्य अकादमी में उपसचिव के पद पर भी आसीन रहे। इसी बीच वे कवि, समीक्षक और पत्रकार के रूप में भी प्रतिष्ठित होते गए। इसी दौरान खरे दिल्ली से प्रकाशित हिंदी के अखबार नवभारत टाइम्स भी जुड़े रहे। नवभारत टाइम्स में उन्होंने प्रभारी कार्यकारी संपादक और विचार प्रमुख के अलावा इसी पत्र के लखनऊ और जयपुर संस्करणों के संपादक का भी उत्तरदायित्व संभाला। वे टाइम्स ऑफ इंडिया में वरिष्ठ सहायक संपादक भी कार्यरत रहे। इसके अलावा उन्होंने जवाहरलाल नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय में दो साल तक वरिष्ठ अध्येता के रूप में भी काम किया।
वे हिंदी साहित्य की प्रतिनिधि कविताओं की सबसे अलग और प्रखर आवाज थे। उन्हें हिंदी साहित्य के नाइट ऑफ द व्हाइट रोज सम्मान, हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, शिखर सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित किया गया था।
विष्णु खरे को हिंदी साहित्य में विश्व
प्रसिद्ध रचनाओं के अनुवादक के रूप में भी याद किया जाता है। उन्होंने मशहूर
ब्रिटिश कवि टीएस इलियट का अनुवाद किया और उस पुस्तक का नाम 'मरु प्रदेश और अन्य कविताएं'है। उनकी रचनाओं में काल और अवधि के दरमियान, खुद अपनी आंख से, पिछला बाकी, लालटेन जलाना, सब की आवाज के पर्दे में, आलोचना की पहली किताब आदि शामिल है।
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