वरिष्ठ पत्रकारों को 1 करोड़ और 75 लाख के वेतन पर बिफरा प्रसार भारती!

प्रसार भारती और सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है...

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 19 February, 2018
Last Modified:
Monday, 19 February, 2018
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प्रसार भारती और सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रसार भारती को अपने बोर्ड में एक सेवारत आईएएस अधिकारी को नियुक्त करने और दो पत्रकारों को उच्च संपादकीय पदों पर मोटे सैलरी पैकेज के साथ नियुक्त करने आदेश दिया था। प्रसार भारती ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। प्रसार भारती ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से दिए गए कुछ दूसरे दिशा-निर्देशों को भी प्रसार भारती अधिनियम 1990 के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया है। 

खबरों के अनुसार प्रसार भारती के बोर्ड में आईएएस की सदस्य के तौर पर नियुक्ति के पीछे इरादा था कि उसको ही मानव संसाधन और प्रबंधन से जुड़े निर्णय लेने की जिम्मेदारी दी जाएगी। लेकिन प्रसार भारती ऐक्ट के मुताबिक, ‘सदस्य कार्मिक’ एक फुल टाइम पोस्ट है जिस पर मंत्रालय के किसी अधिकारी को नियुक्त नहीं किया जा सकता है लेकिन सूचना एवं प्रसार मंत्रालय चाहता था कि बोर्ड अपवाद कायम करे। 

 द हिंदू के मुताबिक़ इसी गुरुवार को प्रसार भारत बोर्ड की बैठक हुई थी. उसमें भी यह मसला उठा. बैठक के दौरान बोर्ड के अध्यक्ष ए. सूर्य प्रकाश और अन्य सदस्यों ने ‘सूचना एवं प्रसारण के मिल रहे निर्देशों की भाषा’ पर सख़्त आपत्ति ज़ताई. साथ ही इस तरह के ‘निर्देशों और उनके लिए इस्तेमाल किए गए शब्दों को प्रसार भारती अधिनियम की अवमानना’ माना.

बताते हैं कि मंत्रालय वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ ज़रावी और अभिजीत मजूमदार को प्रसार भारती बोर्ड में नियुक्त करना चाहता था। अखबार ने मंत्रालय के आंतरिक दस्तावेज़ के हवाले से बताया है कि ज़रावी की सैलरी सालाना एक करोड़ रुपए और मजूमदार की 75 लाख रुपए तय की गई थी, लेकिन बोर्ड ने इन नियुक्तियों के प्रस्ताव को भी हरी झंडी देने से मना कर दिया है। उसकी दलील है कि प्रसार भारती में अनुबंध पर रखे गए कर्मचारियों की अधिकतम तनख़्वाह 1.6 लाख रुपए महीना (19.2 लाख रुपए सालाना) है। ऐसे में एक़दम से किसी नए अनुबंधित कर्मचारी को एक करोड़ रुपए सालाना का पैकेज़ देना न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। 

चर्चा थी कि ज़राबी टीवी न्यूज़ सेक्शन के प्रमुख बनाए जा सकते हैं. वहीं मजूमदार प्रसार भारती समाचार सेवा (पीबीएनएस) में मुख्य संपादक बनाया जाने की सिफारिश की गई थी। गौरतलब है कि ज़राबी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 20 साल का अनुभव है। वे फिलहाल बिजनेस टीवी इंडिया में कार्यकारी संपादक के तौर पर काम कर रहे हैं। जबकि मजूमदार मेल टुडे अख़बार में प्रबंध संपादक हैं। 

सूत्र एमआईबी और प्रसार भारती के बीच मतभेद का एक ताजा उदाहरण भी बताते हैं। इसके मुताबिक मंत्रालय से निर्देश आया है कि आकाशवाणी और दूरदर्शन में अनुबंध पर काम कर रहे सभी कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएं। जबकि वैकल्पिक इंतज़ाम के बिना ऐसा कोई कदम उठाने से आकावाणी और दूरदर्शन की पूरी कामकाज़ी व्यवस्था ढह जाएगी, क्योंकि दोनों ही संस्थाओं में अच्छी ख़ासी तादाद में कर्मचारी अनुबंध पर काम कर रहे हैं। इसलिए बोर्ड ने मंत्रालय का यह निर्देश मानने से साफ़ इंकार कर दिया है।


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