फर्स्टपोस्ट से अरुण जेटली की आलोचना वाले लेख हटने के पीछे कहानी बताई पत्रकार जगन्नाथन ने

समाचार4मीडिया ब्‍यूरो ।। जाने-माने पत्रकार आर जगन्‍नाथन जिन्‍हें पत्रकार बिरादरी के लोग जग्‍गी के नाम से जानते हैं, उन्‍होंने स्‍वतंत्र मीडिया वेंचर स्‍वराज्‍य ‘Swarajya’ में एडिटोरियल डायरेक्‍टर के पद पर जॉइन कर लिया है। उल्लेखनीय है कि नेटवर्क 18 पब्लिकेशंस (Network-18 publications) के पूर्व एडिटर इन चीफ रह चुके जग्गी ने एक शी

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Monday, 07 December, 2015
Last Modified:
Monday, 07 December, 2015
R-Jagannathan
समाचार4मीडिया ब्‍यूरो ।। जाने-माने पत्रकार आर जगन्‍नाथन जिन्‍हें पत्रकार बिरादरी के लोग जग्‍गी के नाम से जानते हैं, उन्‍होंने स्‍वतंत्र मीडिया वेंचर स्‍वराज्‍य ‘Swarajya’ में एडिटोरियल डायरेक्‍टर के पद पर जॉइन कर लिया है। उल्लेखनीय है कि नेटवर्क 18 पब्लिकेशंस (Network-18 publications) के पूर्व एडिटर इन चीफ रह चुके जग्गी ने एक शीर्ष मंत्री के बारे में प्रकाशित अपने विवादित आर्टिकल पर पहली बार OpIndia.com को दिए एक साक्षात्‍कार में चर्चा की। इस आर्टिकल को बाद में फर्स्‍टपोस्‍ट (Firstpost) में उनकी पारी के दौरान हटा दिया गया था। जग्‍गी अक्सर विवादों में घिरे रहे हैं और उनमें से एक फर्स्‍टपोस्‍ट के दिनों में उनके द्वारा लिखित एक आर्टिकल वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की आलोचना से जुड़ा है, जो बाद में ऑनलाइन पब्लिकेशन से हटा दिया गया था। साक्षात्‍कार में जग्‍गी ने इस घटना के बारे में विस्‍तार से बताया। जग्‍गी ने बताया, ‘शेयरधारकों के दो प्रतिनिधि मुझसे मिले और कहा कि मेरे कुछ विचार शेयरधारकों के एजेंडे के रूप में समझे जा रहे थे। मेरी बाईलाइन से जेटली के बारे में लिखे गए आर्टिकल को कुछ मुद्दों पर शेयरधारकों द्वारा सरकार पर दबाब बनाने को लेकर देखा जा रहा था। लेकिन इस तरह का कोई मामला नहीं था और शेयरधारकों पर बेवजह के आरोप लगाए जा रहे थे। मैंने सोचा कि मुझे सुलह कर लेनी चाहिए और अपने आर्टिकल को हटा लेना चाहिए और इसे मेरे पर्सनल ब्‍लॉग में रखना चाहिए।’ इसके अलावा जग्‍गी ने प्रेस की स्‍वतंत्रता (freedom of press) के बारे में भी अपने विचार व्‍यक्ति किए। उन्‍होंने कहा, ‘यदि हम स्‍वतंत्रता और हस्‍तक्षेप की बात करें तो देश में कोई भी संपादक हर समय पूरी तरह वह लिखने के लिए स्‍वतंत्र नहीं है, जो वह लिखना चाहता है। कई बार हमें राजनीति दबाव और बाजार आदि के दबाव में निर्णय लेने पड़ते हैं। ऐसे में मुद्दा वहीं उठता है जब आपको कुछ ऐसे समझौते करने पड़ते हैं जिनसे आपकी विश्‍वसनीयता प्रभावित होती है।’ इस नए मीडिया वेंचर का उद्देश्‍य है कि भारत सही पढ़े अर्थात (Read India Right)। स्‍वराज्‍य के विजन पर और ज्‍यादा रोशनी डालते हुए जग्‍गी ने कहा, ‘लुटियंस मीडिया के विपरीत हमें भारतीय सिद्धांतों के विरोध का कोई कारण नहीं दिखाई देता है। यदि हम अर्थव्‍यवस्‍था की बात करें तो हम मार्केट ओरिएंटेड विचारों के चैंपियन बनना चाहते हैं।’

 

 

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