दर्शकों को लुभाने और रेवेन्यू जुटाने के लिए न्यूज चैनल तमाम तरह की स्ट्रेटजी...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
दर्शकों को लुभाने और रेवेन्यू जुटाने के लिए न्यूज चैनल
तमाम तरह की स्ट्रेटजी अपना रहे हैं। कहीं चैनल की री-ब्रैंडिंग की जा रही है
तो कहीं कंटेंट पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। यही कारण है कि इस साल की
शुरुआत में बी.ए.जी फिल्म एंड मीडिया लिमिटेड ने अपने हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज24’ में भी काफी
बदलाव किए हैं। 10 साल पुरानी यात्रा को दर्शाने के लिए चैनल ने अपनी टैगलाइन ‘दस साल का भरोसा’ भी रखी है। टीवी
चैनलों और दर्शकों के बीच बढ़ रही दूरी को कम करने के लिए नेटवर्क ने ‘सच या झूठ’ जैसे शो भी शुरू
किए। चैनल के नए लुक से विज्ञापन रेट 20 प्रतिशत तक बढ़ाने में मदद मिली है।
इस बारे में बी.ए.जी नेटवर्क की चेयरपर्सन और एमडी अनुराधा
प्रसाद का कहना है कि आज के समय में ‘सबसे तेज’, ‘सब से बेहतर’ जैसी टैगलाइंस
पुरानी हो चुकी हैं। आपको दर्शकों को यह विश्वास दिलाने की जरूरत है कि आप जो कह
रहे हैं, वह सही है। इसका मतलब ये नहीं है कि आप ओजोन गैस की
तरह रंगहीन व गंधहीन बन जाएं। कहने का मतलब है कि आप सपाट न्यूज के जरिये दर्शकों
को बांधे नहीं रख सकते हैं, बल्कि उसमें व्यूज भी शामिल होने चाहिए। हालांकि ये
व्यूज एकतरफा नहीं होने चाहिए।
अनुराधा प्रसाद का कहना है, ‘न्यूज24 की लॉन्चिंग के कुछ समय बाद ही देश में मंदी का
दौर आ गया था। यह परीक्षा की घड़ी थी, लेकिन हम इससे
पार पाने में कामयाब रहे। हाल ही में हमने अपने विज्ञापन दरें बढ़ाई हैं और
हमें कई अच्छे ऐडवर्टाइजर्स भी मिले हैं। हम पूरे देश में छा रहे हैं। अब चुनाव का दौर
भी है, न्यूज चैनलों के लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण है। 2011 में
अन्ना हजारे के आंदेलन के बाद से देश में बड़ी खबरों की कोई कमी नहीं रही है।
उम्मीद है कि ये स्थिति आगे भी ऐसी ही रहेगी। चैनल ‘इतिहास गवाह है’ जैसे शो दोबारा
लेकर आ रहा है, जिसने 2014 के आम चुनावों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया
था। इसके अलावा ‘माहौल क्या है’ और ‘पांच की पंचायत’ शुरू किया गया
है।‘
उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए
डिस्ट्रीब्यूशन बड़ा मुद्दा है। आमतौर पर न्यूज24 हर साल डिस्ट्रीब्यूशन पर 30-40
करोड़ रुपए खर्च करता है। हमें केबल ऑपरेटर्स को भी भुगतान करना होता है, जो कंज्यूमर्स से
भी पैसे लेते हैं। हमें डायरेक्ट टू होम (DTH) ऑपरेटर्स को
भुगतान करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन हमें बदले
में कुछ न कुछ तो मिलना ही चाहिए।‘