प्रिंट मीडिया के 'अच्छे दिनों' की सूचकांक है ये रिपोर्ट....

चुनावों के दौरान मीडिया को मिलने वाले विज्ञापन में बढ़ोतरी हो...

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 11 December, 2018
Last Modified:
Tuesday, 11 December, 2018
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समाचार4मीडिया ब्यूरो।।

चुनावों के दौरान मीडिया को मिलने वाले विज्ञापन में बढ़ोतरी हो जाती है। हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं और अगले साल आम चुनाव भी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनावों के बाद अगले साल प्रिंट मीडिया की ग्रोथ में बढ़ोतरी होगी। इसमें संभावना जताई गई है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों से मिलने वाले बिजनेस के साथ ही अधिक साख के कारण 2019 में प्रिंट मीडिया की ग्रोथ में बढ़ोतरी हो सकती है।

मीडिया एजेंसी ग्रुप IPG मीडियाब्रांड्स की डिविजन मैग्ना ग्लोबल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस आर्टिकल में बताया गया है कि 2018 में प्रिंट मीडिया का ऐडवर्टाइजिंग से रेवेन्यू 5.6 पर्सेंट बढ़कर 22,121.8 करोड़ रुपये रहा था और 2019 में यह 22,424.3 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है।

नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार, IPG मीडियाब्रैंड्स के सीईओ शशि सिन्हा ने कहा कि प्रिंट मीडिया की ग्रोथ की वजह फेक न्यूज के दौर में इसकी साख है। उन्होंने बताया, 'दुनिया में भारत अकेला ऐसा मार्केट है जिसमें प्रिंट मीडिया सर्कुलेशन, रीडरशिप दोनों में ग्रोथ हासिल कर रहा है।' इसकी ग्रोथ का एक कारण भाषा भी है। देश में क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार पत्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनावों के कारण राजनीतिक प्रचार और सरकारी खर्च में प्रिंट मीडिया की एक बड़ी हिस्सेदारी होगी। रियल एस्टेट और एजुकेशन की ऐडवर्टाइजिंग अपने पीक लेवल पर पहुंचने के कारण प्रिंट मीडिया को 2019 में 6.2 पर्सेंट की ग्रोथ हासिल करने में मदद मिलेगी।

इस समाचार पत्र का प्रकाशन करने वाली बेनेट कोलमैन एंड कंपनी (BCCL) के प्रेजिडेंट (रेवेन्यू), शिवकुमार सुंदरम ने कहा, 'प्रिंट का असर कहीं अधिक है क्योंकि इसमें विज्ञापनों को बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता है। इसके साथ ही जुड़ाव और पाठकों की क्वॉलिटी भी इसे प्रभाव डालने और बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ताकत देती है।'

उनका कहना था कि प्रकाशकों को अपने प्रॉडक्ट पर विश्वास रखने की जरूरत है। सुंदरम के अनुसार, 'साख और विश्वास को लेकर कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। ये प्रिंट मीडिया की बड़ी ताकतें हैं।'

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के पिछले पांच वर्षों में फिजिकल न्यूज डिलीवरी 1.9 पर्सेंट CAGR से बढ़ी है। सभी आयु वर्गों में रीडरशिप में बढ़ोतरी हुई है। इससे प्रिंट मीडिया के दबदबे, महत्व और ग्रोथ का पता चलता है। इंग्लिश के समाचार पत्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से टक्कर मिल रही है और इस वजह से इनकी रीडरशिप में कमी आई है, लेकिन इस असर को क्षेत्रीय भाषाओं के समाचार पत्रों की ग्रोथ ने समाप्त कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी तरह के मीडिया की सेल्स ग्रोथ 15.4 पर्सेंट बढ़कर 79,314.8 करोड़ रुपये रह सकती है। चुनावों के साथ ही क्रिकेट वर्ल्ड कप से भी ऐडवर्टाइजिंग से रेवेन्यू बढ़ेगा।

टीवी, डिजिटल, रेडियो, OOH और सिनेमा की ग्रोथ क्रमश: 14.2 पर्सेंट, 32.8 पर्सेंट, 12 पर्सेंट, 11.4 पर्सेंट और 15 पर्सेंट रहने का अनुमान है। 2019 में डिजिटल का मार्केट शेयर कुल ऐडवर्टाइजिंग खर्च के 21 पर्सेंट से बढ़कर 24 पर्सेंट पर पहुंच सकता है। डिजिटल रेवेन्यू अगले वर्ष 18,802.3 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

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