FM चैनलों की प्रसार भारती से नहीं बन रही बात, फिर भी मिल सकती है ये सौगात...

देश की पब्लिक ब्रॉडकास्ट कंपनी ‘प्रसार भारती’ जल्‍द ही निजी रेडियो स्‍टेशन के साथ मिलकर...

Last Modified:
Tuesday, 31 July, 2018
fm

समाचार4मीडिया ब्‍यूरो।।

देश की पब्लिक ब्रॉडकास्ट कंपनी ‘प्रसार भारती’ जल्‍द ही निजी रेडियो स्‍टेशनों के साथ मिलकर एक कमेटी गठित करेगी। यह कमेटी निर्णय लेगी कि ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) की न्‍यूज को एफएम चैनलों पर पुन: प्रसारित करने की एवज में उनसे कितना शुल्‍क लिया जाए।

एफएम रेडियो के पास अभी तक न्‍यूज बुलेटिन तैयार करने और उसे प्रसारित करने की अनुमति नहीं है। प्रसार भारती चाहता है कि एफएम स्‍टेशनों को सिर्फ 'AIR' पर प्रसारित न्‍यूज को ही पुन: प्रसारित करने की अनुमति दी जाए। प्रसार भारती यह भी चाहता है कि कंटेंट प्राप्‍त करने के एवज में इन एफएम रेडियो स्‍टेशनों से भुगतान भी लिया जाए।    

'हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स' (HindustanTimes) में छपी एक खबर के अनुसार, मामले से जुड़े सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि कमेटी गठित करने का निर्णय एमआईबी के दिशा निर्देशों के तहत लेना है। इस संबंध में तेजी से कवायद चल रही है। अधिकारी ने बताया कि कमेटी में निजी रेडियो सेवा प्रदाता और प्रसार भारती शामिल होंगे और वे आपस में मिलकर ऐसी कीमत तय करेंगे जो दोनों पक्षों को स्‍वीकार्य हो।

हालांकि ये एफएम स्‍टेशन एमआईबी से न्‍यूज प्रसारित करने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों से सरकार इस दिशा में काफी सतर्क है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट और संसद में बताया गया था कि कंटेंट पर नजर रखने के लिए मॉनीटरिंग सिस्‍टम के अभाव में एफएम चैनलों को अपना न्‍यूज बुलेटिन प्रसारित करने से रोका गया है।   

नाम न छापने की शर्त पर रेडियो ऑपरेटर्स एसोसिएशन से जुड़े एक व्‍यक्ति ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि सरकार ने एआईआर द्वारा प्रसारित न्‍यूज को दोबारा से पैकेज करके पेश करने के एफएम स्‍टेशनों के अनुरोध को अस्‍वीकार कर दिया है। प्रसार भारती चाहता है कि एआईआर जिस न्‍यूज को प्रसारित कर चुका है, एफएम चैनल भी उसी न्‍यूज को दोबारा से प्रसारित करें।

एफएम चैनलों के लिए तीसरे चरण की नीलामी के दिशा निर्देशों के तहत सरकार ने सुझाव दिया था कि प्राइवेट रेडियो को भी ऑल इंडिया रेडियो के न्‍यूज कंटेंट को प्रसारित करने की अनुमति दी जा सकती है ताकि एआईआर न्‍यूज के दर्शक वर्ग में इजाफा हो सके। लेकिन स्‍टेशन बिना किसी शुल्‍क के यह करना चाहते थे।   

जबकि एआईआर के अधिकारियों का कहना था कि न्‍यूज जुटाने और प्रॉडक्‍शन में काफी पैसा लगता है। ऐसे में अपने कंटेंट को मुफ्त में क्‍यों देना चाहिए? एआईआर को अपने वित्‍तीय लक्ष्‍य भी पूरे करने होते हैं। यदि कंटेंट के लिए शुल्‍क नहीं लिया जाएगा तो रेवेन्‍यू का नुकसान हो जाएगा। अधिकांश श्रोता एफएम स्‍टेशनों की तरफ चले जाएंगे और एआईआर बुलेटिंस के लिए मिलने वाली स्‍पॉन्‍सरशिप खत्‍म हो जाएगी। अधिकारी के अनुसार यह शुल्‍क न्‍यूनतम होगा। इसके लिए चैनलों को बुलेटिंस के प्रसारण के लिए रेट कार्ड भी जारी किया जाएगा। यदि कोई चैनल बार-बार बुलेटिंस को प्रसारित करता है और न्‍यूज फीचर्स का इस्‍तेमाल करता है तो उसे इसके लिए ज्‍यादा भुगतान करना होगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए