IRS डाटा से छेड़छाड़ पर 8 प्रकाशकों को मिला ये निर्देश...

कॉपीराइट उल्‍लंघन और बिना सबस्क्रिप्‍शन के 'इंडियन रीडरशिप सर्वे'...

Last Modified:
Friday, 06 July, 2018
Samachar4media

नाजिया अल्‍वी रहमान।।

कॉपीराइट उल्‍लंघन और बिना सबस्क्रिप्‍शन के 'इंडियन रीडरशिप सर्वे' (IRS) के डाटा का इस्‍तेमाल करने को लेकर 'मीडिया रिसर्च यूजर्स कांउंसिल' (MRUC) ने प्रमुख कंसल्‍टेंसी फर्म को कानूनी नोटिस भेजा है। यह अपनी तरह का पहला मामला है, जहां पर इस तरह का नोटिस भेजा गया है। इसके अलावा जिन आठ प्रमुख पब्लिशर्स के खिलाफ पब्लिसिटी के लिए भ्रामक अथवा झूठे डाटा का इस्‍तेमाल करने की शिकायत मिली थी, उन्‍हें अपने विज्ञापन हटाने अथवा कंटेंट को मॉडीफाई करने के लिए कहा गया है।  

काउंसिल की ओर से गठित कमेटी ने इन पब्लिकेशंस को नियमों के उल्‍लंघन का दोषी माना था और इनके खिलाफ सख्‍त कदम उठाया। काउंसिल के पास कुछ अन्‍य पब्लिशर्स ने शिकायत की थी कि इन आठ पब्लिशर्स द्वारा डाटा का गलत तरीके से इस्‍तेमाल किया गया है। इसके बाद काउंसिल हरकत में आई थी। 

ये भी पढ़ें : IRS 2017: इस वजह से दो बड़े अखबारों के खिलाफ चल रही है जांच

दरअसल, आईआरएस डाटा जारी होने के कुछ समय बाद ही अधिकांश मीडिया संस्‍थानों ने विज्ञापन जारी कर आईआरएस नंबरों का हवाला देते हुए खुद को नंबर वन अथवा अपने प्रति‍द्वंद्वियों से आगे कहना शुरू कर दिया था। बताया जाता है कि इन आठों मामलों में डाटा भ्रामक पाए गए थे। इन लोगों ने भ्रामक सूचनाएं तैयार करने के लिए मुख्‍य डाटा का इस्‍तेमाल किया था। इन पब्लिशर्स को तुरंत प्रभाव से ये विज्ञापन हटाने के लिए कहा गया था। कुछ मामलों में विज्ञापन को संशोधित कर सही आंकड़ों के साथ दोबारा जारी करने के लिए कहा गया था।   

‘MRUC’ के चेयरमैन आशीष भसीन ने इन मामलों पर कुछ भी कहने से इन्‍कार कर दिया। हालांकि उनका कहना था कि व्‍यवस्‍था में सुधार के लिए ये कदम उठाए गए हैं। भसीन ने कहा, 'इस बार हमने डाटा पाइरेसी और नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्‍त रुख अपनाया है। मैं इस व्‍यवस्‍था को और मजबूत बनाना चाहता हूं ताकि हर स्‍टडी के बाद इसमें आवश्‍यक सुधार किया जा सके।'

उन्‍होंने बताया कि प्रक्रिया के अनुसार, शिकायत मिलने पर अनुशासनात्‍मक कमेटी ने दोनों पक्षों (शिकायतकर्ता और जिसके खिलाफ शिकायत की गई थी) को बुलाकर तथ्‍यों की जांच की थी। सूत्रों के अनुसार, सभी पब्लिशर्स कमेटी द्वारा दिए गए आदेशों को मानने के लिए तैयार थे, इसलिए किसी भी मामले में न तो जुर्माना लगाया गया और न ही आपराधिक कार्रवाई की गई। जहां तक कंसल्‍टेंसी की बात है तो इसने प्रक्रिया का पालन नहीं किया। कंसल्‍टेंसी फर्म ने बिना सबस्क्रिप्‍शन के आईआरएस डाटा बांटना और उसका इस्‍तेमाल करना जारी रखा। अब काउंसिल नोटिस के जवाब का इंतजार कर रही है। नोटिस के जवाब से यदि काउंसिल संतुष्‍ट नहीं होती है और नियमों का उल्‍लंघन जारी रहता है तो इस मामले में आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों से यह भी खबर मिली है कि काउंसिल इन नियमों को और कड़ा करने पर विचार कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, फिलहाल जो नियम हैं, उनमें कुछ कमियां हैं, जिनका पब्लिशर्स ने फायदा उठाया लेकिन भसीन ने इस तरह की खबरों पर भी कोई टिप्‍पणी नहीं की। उन्‍होंने कहा, 'हम नियमों में बदलाव नहीं कर रहे हैं लेकिन उनमें सुधार की जरूरत है ताकि उनका सही से पालन हो सके।'     

गौरतलब है कि इस साल 'MRUC' ने आईआरएस 2017 के आंकड़ों के लिए पहली बार आचार संहिता लागू की थी। इस आचार संहिता के अनुसार, ‘सबस्‍क्राइबर इस साल के आईआरएस के आंकड़ों की तुलना पिछले किसी भी आईआरएस राउंड से नहीं कर सकता है। इस आचार संहिता में कहा गया था कि नंबर वन होने का दावा या सबसे आगे होने का दावा किसी भी तुलना के आधार पर नहीं किया जा सकता है। किसी भी पब्लिकेशन/रेडियो स्‍टेशन/टीवी चैनल द्वारा रीडरशिप/लिशनरशिप/व्‍युअरशिप के आंकड़े सिर्फ आईआरएस 2017 के मान्‍य होंगे। इसके अलावा यह शर्त भी रखी गई है कि सबस्‍क्राइर को पूरे सर्वे की सभी शर्तों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। हालांकि आंकड़ों के जारी होने के तुरंत बाद ही वर्चस्‍व की लड़़ाई शुरू हो गई थी। ऐसे में अधिकांश पब्लिकेशंस ने विभिन्‍न विज्ञापनों के द्वारा तुलनात्‍मक रणनीति का इस्‍तेमाल शुरू कर दिया था।

 

समाचार4मीडिया.कॉम देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया में हम अपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी रायसुझाव और ख़बरें हमें mail2s4m@gmail.com पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं। 

TAGS s4m
न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए