NewsNext 2019: न्यूज के कारण भी होती है जम्मू-कश्मीर में मौतें, बोले सज्जाद लोन

‘एक्सचचेंज4मीडिया न्यू्ज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2018 में ‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस’ के चेयरमैन और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन ने...

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 19 February, 2019
Last Modified:
Tuesday, 19 February, 2019
Sajjad Lone

समाचार4मीडिया ब्यूरो।।

‘एक्‍सचेंज4मीडिया न्‍यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) 2018 में ‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस’ के चेयरमैन और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन ने हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में मीडिया की भूमिका को लेकर अपने विचार रखे। 

इनबा के 11वें एडिशन के तहत 16 फरवरी को नोएडा के होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित अवॉर्ड्स समारोह में लोन ने कहा, ‘संघर्ष वाले क्षेत्रों में रिपोर्टिंग करते समय बहुत ही ज्यादा संवेदनशीलता बरतने की जरूरत है। आजकल मीडिया तेजी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में मीडिया की भूमिका खासकर ऐसे क्षेत्रों में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि एक भी गलत रिपोर्ट स्थिति को और विकराल कर सकती है और लोगों की जान जा सकती है।’ उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों से हटकर यदि आप कहीं और रिपोर्टिंग करते हैं तो उसकी विचारधारा, द्ष्टिकोण आदि सब कुछ अलग हो सकता है, लेकिन यहां पर उससे लोगों की जान नहीं जाती है।  

लोन का यह भी कहना था, ‘सबसे पहले इस पर बात करना जरूरी है कि आखिर कोई भी पत्रकार संघर्षरत क्षेत्र को किस तरह पेश कर रहा है। क्या वह वाकई में सच्चाई दिखा रहा है या फिर सिर्फ वहां के बारे में कोई धारणा बना रखी है। मैं जम्मू-कश्मीर में एक राजनेता और गैरराजनेता दोनों के तौर पर रहा हूं, लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि हमें ये नहीं पता होता है कि हम सड़कों पर लोगों से लड़ाई कर रहे हैं या शाम को मीडिया में। यानी कई बार होता कुछ है और दिखाया कुछ और जाता है।’

लोन ने यह भी बताया कि मीडिया ने किस तरह से इन क्षेत्रों से की जा रही रिपोर्टिंग की पतली लाइन को पार कर लिया है और खुद इसका हिस्सा बन गई है। उन्होंने कहा, ‘जब भी रिपोर्टर किसी ऐसे विवादित क्षेत्र से रिपोर्टिंग करते हैं तो वे बहुत ही बारीक सीमारेखा पर खड़े होते हैं। यदि उन्होंने इस सीमारेखा को पार कर लिया तो वे खुद एक पार्टी बन जाते हैं। मुझे लगता है कि हमारे देश में मीडिया ने इस सीमारेखा को पार कर लिया है और वह इन क्षेत्रों में खुद एक पार्टी बन गया है। हो सकता है कि ये सब टीआरपी के लिए किया गया हो, लेकिन इस टीआरपी के चक्कर में काफी लोगों का खून बह सकता है। यदि आप मीडिया रिपोर्टिंग और जम्मू-कश्मीर की हिंसा को देखें तो पता चलता है कि कहीं न कहीं मीडिया ने राष्ट्र के नाम पर अधिकारियों को कुछ भी करने की छूट दे दी है। इस तरह मीडिया ने ऐसे क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है, जो उसका नहीं है।

सज्जाद लोन का कहना था, ‘ऐसे क्षेत्रों की रिपोर्टिंग करना किसी मूवी के रिलीज की रिपोर्टिंग करने जितना आसान नहीं है। यह अलग तरह की रिपोर्टिंग है। मेरा मानना है देश में इन क्षेत्रों की रिपोर्टिंग के लिए पॉलिसी बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि कई बार एक न्यूज रिपोर्ट की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है।’  

लोन के अनुसार, ‘कश्मीर में पिछले 30 सालों में पांच से छह प्रतिशत लोगों की हत्याएं न्यूज का परिणाम हैं, फिर चाहे वह गलत हो या सही। ऐसे में ये बहुत ही जरूरी है कि इस तरह संघर्ष वाले क्षेत्रों में रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को इन क्षेत्रों में रिपोर्टिंग के नियम-कायदों के बारे में जरूर पता हो। अपने देश में जम्मू-कश्मीर के बारे में मेरा स्पष्ट कहना है कि मीडिया ने अनजाने में ऐसे क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है, जहां पर वह समस्या का हिस्सा बन चुका है औऱ मैं ये वहां की सच्चाई बता रहा हूं।’

सज्जाद लोन के इस विडियो को आप यहां देख सकते हैं...

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