छंटनी को लेकर PTI ने दिया स्पष्टीकरण, कर्मचारी संघ ने उठाया ये कदम

पिछले हफ्ते देश भर से 297 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद इसके खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’...

Last Modified:
Friday, 05 October, 2018
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समाचार4मीडिया ब्यूरो।।

पिछले हफ्ते देश भर से 297 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद इसके खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI)  प्रबंधन ने एक बयान जारी कर अपना स्पष्टीकरण दिया है। इस स्पष्टीकरण में ‘पीटीआई’ की ओर से कहा गया है कि जितने भी कर्मचारियों की छंटनी की गई है, उनमें कोई भी पत्रकार शामिल नहीं है।

यह भी स्पष्ट किया गया है कि जितने लोगों को निकाला गया, उनमें 147 अटेंडर, ट्रांसमिशन विभाग के 80 और इंजीनियरिंग विभाग के 70 कर्मचारी शामिल थे। ये सभी अतिरिक्त कर्मी थे, जिन्हें औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के दिशानिर्देशों के मुताबिक मुआवजा दिया जा रहा है। इन्हें 28 लाख रुपए से 1.09 करोड़ रुपए तक मिलेंगे।

‘पीटीआई’ के अनुसार, पिछले दो दशक में काफी बदलाव हुए हैं। पहले जहां न्यूज सेक्शन में टाइपराइटर, टेलिप्रिंटर आदि का इस्तेमाल होता था, वह अब डिजिटल टेक्नोलॉजी में परिवर्तित हो गया है। ऐसे में उनके यहां भी काफी स्टाफ अनावश्यक हो गया था। ऐसे में कंपनी की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाए रखने और न्यूज के अपने कोर बिजनेस को बचाए रखने के लिए यह छंटनी बहुत जरूरी थी।

पीटीआई का यह भी कहना था कि पूर्व में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने के कारण कंपनी को करोड़ों का एरियर देना पड़ा था। इसके अलावा पिछले साल पीटीआई न्यूज सर्विस को 314 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग लॉस हुआ था। इस स्थिति को देखते हुए पिछले साल कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना की पेशकश भी की गई थी, लेकिन इसे ज्यादा सफलता नहीं मिली। इसके बाद ही यह कदम उठाने का निर्णय लिया गया।

वहीं, पीटीआई कर्मचारी संघ (Federation of PTI Employees Union) ने इस कार्रवाई को अवैध और गैरकानूनी करार देते हुए बताया कि इस आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

कर्मचारी संघ का यह भी कहना है कि पीटीआई द्वारा 28 लाख रुपए से 1.09 करोड़ रुपए तक मुआवजे की बात भी झूठी है, क्योंकि इसमें ग्रेच्युटी और पीएफ की रकम भी शामिल है। कर्मचारी संघ की ओर से कहा गया है कि कर्मचारियों को मुआवजे के रूप में सिर्फ 10,58,925 से 28,78,800 रुपए मिलेंगे।

कर्मचारी संघ ने पीटीआई के दावे को भी गलत बताया कि उसकी ओर से आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना की पेशकश भी की गई थी, लेकिन ये गलत है। सितंबर 2017 में इस योजना के तहत 62 आवेदन दिए गए थे, जिनमें से 30 को पीटीआई ने बिना कारण बताए रद्द कर दिया था।  

वहीं, पीटीआई के दावे पर कि इस निर्णय से कोई भी पत्रकार प्रभावित नहीं हुआ है, कर्मचारी संघ का कहना है कि यह ध्यान देना भी जरूरी है कि यहां 75 प्रतिशत पत्रकारों को ठेके पर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया कि जिन कर्मचारियों को हटाया गया है, उनके स्किल्स को बढ़ाने के लिए पीटीआई की ओर से कभी भी गंभीरतापूर्वक कदम नहीं उठाए गए, जबकि उन्होंने इसे आगे ले जाने में अपना खून-पसीना एक कर दिया था। 

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